सजा सुन कांप उठे रामपुर तिराहा कांड के दोनों दोषी कांस्टेबल
रामपुर तिराहा कांड: दुष्कर्म के दोनों दोषियों को आजीवन कारावास, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह के न्यायालय ने सुनाया निर्णय
आंदोलनकारी महिलाओं से दुष्कर्म का भी आरोप लगा था। मामले में सीबीआई की तरफ से विवेचना पूरी कर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई थी। कुल छह मुकदमे चले जिनमें से दो समाप्त हो चुके हैं और चार मुकदमे विचाराधीन थे। पीएसी के सेवानिवृत सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर महिलाओं से अश्लील छेड़छाड़ समेत छह धाराओं में केस दर्ज था।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह के न्यायालय ने सुनाया निर्णय
दो अक्टूबर 1994 को हुआ था महिलाओं के साथ घिनाैना काम
मुजफ्फरनगर। उत्तराखंड से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों में शामिल दो महिलाओं से दुष्कर्म के मुकदमे में न्यायालय ने दोषी पीएसी के सेवानिवृत सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह निर्णय सरकार बनाम मिलाप सिंह मुकदमे में सुनाया गया है।
दो अक्टूबर 1994 को पृथक राज्य गठन की मांग को लेकर उत्तराखंड के लोग दिल्ली जा रहे थे। मुजफ्फरनगर के छपार थाना क्षेत्र में रामपुर तिराहा पर पुलिस और पीएसी ने इन्हें रोक लिया था। टकराव होने पर पुलिस ने फायरिंग की थी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।
मुकदमे में इन पर लगे थे आरोप
इनमें से एक सरकार बनाम मिलाप सिंह के मुकदमे में पीएसी के सेवानिवृत सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर महिलाओं से अश्लील छेड़छाड़ की धारा 354, दुष्कर्म की धारा 376 और शील भंग करने की धारा 509 के तहत मुकदमा चला। सीबीआइ के अधिवक्ता धारा सिंह मीणा के साथ ही अभियोजन पक्ष की तरफ से डीजीसी राजीव कुमार शर्मा, एडीजीसी परविंदर सिंह ने मामले में पैरवी की। कुल 15 गवाह अदालत के समक्ष पेश किए गए।
दोषी करार दिया था
इस मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने की ओर गत 16 मार्च को मिलाप सिंह तथा वीरेंद्र प्रताप को दोषी करार दिया था। न्यायालय ने सजा सुनाने के लिए 18 मार्च की तिथि दी थी। सोमवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अब कुल तीन मुकदमे विचाराधीन
अब इस प्रकरण से संबंधित दो मुकदमे सरकार बनाम एसपी मिश्रा और सरकार बनाम बृजकिशोर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम के न्यायालय में और तीसरा मुकदमा सरकार बनाम राधा मोहन द्विवेदी एडीजे- 7 के न्यायालय में विचाराधीन हैं। कुल छह मुकदमे मुजफ्फरगर के न्यायालय में चले थे, जिनमें से दो मुकदमों की फाइल बंद हो चुकी हैं। अब कुल तीन मुकदमे विचाराधीन हैं।
रामपुर तिराहा कांड: PAC के दो सिपाहियों ने की थी दरिंदगी, पीड़िता ने कोर्ट में बयान की थी बर्बरता की कहानी
Rampur Tiraha case verdict: victim told tory of Two PAC constables in court
रामपुर तिराहा कांड फैसला
रामपुर तिराहा कांड के मामले में अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पीएसी के दो सिपाहियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
एक अक्तूबर, 1994 की रात को उत्तराखंड को अलग राज्य घोषित करने की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।
आंदोलन में महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। हंगामे और गोलबारी के बीच रात्रि करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा ली गई। पीएसी के दो सिपाही बस में चढ़ गए और दोनों दोषियों ने महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़छाड़ व अभद्र व्यवहार और दुष्कर्म किया।
आंदोलन में शामिल थीं महिलाएं
दोषियों ने पीड़िता से सोने की चेन और एक हजार रुपये भी लूट लिए थे। आंदोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए। मामले में आरोपियों के खिलाफ उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे।
मुजफ्फरनगर कोर्ट में पेशी पर पहुंचे रामपुर तिराहा कांड के आरोपी और अन्य।
रामपुर तिराहा कांड की पीड़िता को जब अदालत में पेश किया गया तो बुजुर्ग महिला ने 29 साल बाद दो आरोपितों को पहचान लिया और अदालत के सामने पुलिस की बर्बरता की कहानी बयान की थी।
मामले में चली सुनवाई के दौरान जब पिछले वर्ष बुजुर्ग महिला ने दो आरोपितों को पहचान लिया और अदालत के सामने पुलिस की बर्बरता की कहानी बयान की। अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अपने परिवार की जान को खतरा बताया। अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई की।
आरोपियों को लेकर जाती पुलिस
पीड़िता ने जताया था जान का खतरा, मिल रही थीं धमकियां
उत्तराखंड़ पुलिस पौढ़ी गढ़वाल से पीड़िता को कड़ी सुरक्षा में लेकर अदालत पहुंची। गवाह ने अदालत में आरोपियों को पहचान लिया है। पीड़िता ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि उसके परिवार को खतरा बना हुआ है। पहले भी दो बार हमले हो चुके हैं। बार-बार धमकी दी जा रही है। अदालत ने पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के आदेश दिए थे। बयान के बाद उत्तराखंड पुलिस पीड़िता को गवाही के बाद मुजफ्फरनगर पुलिस भी पुरकाजी में उत्तराखंड बॉर्डर तक छोड़कर आई थी।
जानकारी देते राजीव शर्मा, डीजीसी फौजदारी
सोमवार को मामले में सजा के प्रश्न पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस कांड को जलियावाला बाग जैसी घटना के तुलना की। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने कई मामलों में वीरता का परिचय दिया प्रदेश का मान सम्मान बढ़ाया, लेकिन यह देश और न्यायालय की आत्मा को झकझोर देने वाला प्रकरण है।
रामपुर तिराहा कांड
अदालत ने कहा- मानवता को शर्मसार करने वाली घटना
चर्चित रामपुर तिराहा कांड में फैसला देते हुए अपर जिला जल शक्ति सिंह ने लिखा कि महिला आंदोलनकारी के साथ बर्बरता व अमानवीय व्यवहार किया गया है। शांतिपूर्ण आंदोलन में नियमों के अधीन रहते हुए भाग लेना किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। इस मौलिक अधिकार के हनन के लिए किसी भी व्यक्ति को किसी भी महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसा पाश्विक कृत्य कारित करने का अधिकार प्राप्त नहीं है, एवं ऐसा व्यक्ति यदि पुलिस बल का है तब यह अपराध पूरी मानवता को शर्मसार कर देने वाला है।
रामपुर तिराहा गोलीकांड
सहानुभूति के लायक नहीं दोषी सिपाहियों का आचरण: न्यायालय
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराध करने वाले कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे, बल्कि उनके कंधों पर आमजन की हिफाजत की जिम्मेदारी थी। ऐसा व्यक्ति यदि स्वयंत दुष्कर्म जैसी घटना में शामिल होता है तो यह पूरी व्यवस्था के लिए अत्यंत पीड़ादायक है। उत्तर प्रदेश पुलिस बल देश का सबसे बड़ा पुलिस बल है, जिसने अनेक जांबांज पुलिस अधिकारी दिए हैं। लेकिन जिस प्रकार का आचरण दोषी सिपाहियों द्वारा दिखाया गया है वह उनको इस न्यायालय की किसी भी प्रकार की सहानुभूति से वंचित कर देता है। उनका यह कृत्य सम्पूर्ण जनमानस व इस न्यायालय की आत्मा को झकझोर देने वाला है और आजादी से पहले हुए जलियांवाला बाग की घटना को याद दिलाती है।
रामपुर तिराहा गोलीकांड
रामपुर तिराहा कांड फैसला एक नजर में-
-तीन दशक बाद पीड़िता को मिला न्याय
-PAC के दो सिपाहियों को आजीवन कारावास, अर्थदंड भी लगाया
-अदालत ने जलियांवाला बांग कांड से की प्रकरण की तुलना
-दोषियों को लगाई लताड़, कहा-यह देश की आत्मा को झकझोर देने वाली घटना
कहा-महिला आंदोलनकारी के साथ की गई बर्बरता व अमानवीय व्यवहार
-दोषी सिपाहियों का आचरण किसी भी सहानुभूति के लायक नहीं
-दोषियों एक अक्तूबर, 1994 की रात महिला आंदोलनकारी से छेड़छाड़ व दुष्कर्म किया
-अलग राज्य की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में शामिल थी पीड़िता
-मामले में उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
-दोषी मिलाप सिंह, एटा व वीरेंद्र प्रताप सिद्धार्थनगर निवासी है।
-दोनों अभियुक्तों पर धारा 376जी, 323, 354, 392, 509 व 120 बी में दोष सिद्ध हुआ
-अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि बतौर प्रतिकर पीड़िता को दी जाएगी
रामपुर तिराहा कांड: सजा सुनते ही कांप उठे दुष्कर्मी और…, कोर्ट में दहशत-घबराहट में गुजरा एक घंटा
रामपुर तिराहा कांड के मामले में सुनवाई कर 15 मार्च को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने आंदोलनकारी महिला से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में पीएसी के दो सेवानिवृत्त सिपाहियों को दोषी ठहराया था। कोर्ट के दोष सिद्ध करते ही दोनों दोषियों मिलाप सिंह और वीरेन्द्र प्रताप काफी घबरा गए थे। कोर्ट ने मामले में सजा के प्रश्न पर सुनवाई की तिथि 18 मार्च निर्धारित कर दी थी। आंदोलनकारी महिला से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई तो दोनों दोषियों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगी। फैसला सुनते ही दोनों कांप उठे और घबराकर कटघरे में नीचे बैठ गए। दोनों को कोर्ट ने तीन दिन पहले ही दोषसिद्ध कर दिया था, लेकिन शायद उन्हें आजीवन कारावास की उम्मीद नहीं थी।
रामपुर तिराहा कांड के मामले में सुनवाई कर 15 मार्च को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने आंदोलनकारी महिला से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में पीएसी के दो सेवानिवृत्त सिपाहियों को दोषी ठहराया था। कोर्ट के दोष सिद्ध करते ही दोनों दोषियों मिलाप सिंह और वीरेन्द्र प्रताप काफी घबरा गए थे। कोर्ट ने मामले में सजा के प्रश्न पर सुनवाई की तिथि 18 मार्च निर्धारित कर दी थी।
सोमवार को सजा के प्रश्न पर बहस को लेकर कोर्ट में काफी गहमा-गहमी थी। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा, डीजीसी राजीव शर्मा और एडीजीसी परविंदर सिंह तथा उत्तराखंड संघर्ष समिति की ओर से पैरोकार अधिवक्ता अनुराग वर्मा के साथ-साथ बचाव पक्ष के अधिवक्ता के रूप में शिवम भारद्वाज कोर्ट पहुंचे। करीब दो पुलिस अभिरक्षा में दोनों दोषियों को भी कोर्ट में लाया गया।
चेहरे पर मायूसी लिये दोनों कोर्ट के कटघरे में एक ओर खड़े हुए थे। करीब एक घंटा तक दोनों दोषियों के चेहरे पर अलग-अलग भाव आते-जाते रहे। न्यायाधीश के कोर्ट में आसन्न पर आते ही दोनों दोषियों की भाव-भंगिमा परिवर्तित होना शुरू हो गई थी। दोनों पक्ष के अधिवक्ता सामने मौजूद थे, उसी दौरान एडीजे शक्ति सिंह ने निर्णय सुनाना शुरू किया।
दोनों हाथ जोड़कर खड़े हो गए दोनों दोषी
जैसे ही उन्होंने दोनों दोषियों को सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो वह घबरा उठे। दोनों हाथ जोड़कर खड़े हो गए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिव भारद्वाज की और से दोनों दोषियों को बीमार बताते हुए सजा में छूट की गुहार लगाई। लेकिन कोर्ट ने सजा बरकरार रखी। जिस पर दोनों दोषी निराश होकर कटघरे में फर्श पर बैठ गए।