जगदीश गुप्ता का व्यंग्य- लॉकडाउन में हेयरकट को ‘तीसरी शर्त’-2
मित्रो,
तीन जुलाई को प्रसारित व्यंग्यालेख “तीसरी शर्त” का भाग-2 आपके मनोरंजन हेतु प्रस्तुत है:–
तीसरी शर्त ( भाग-2 )
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★★ विशेष आग्रह–जिन मित्रों व बन्धुओं ने पोस्ट का प्रथम भाग नहीं पढ़ा है, उन्हें इस भाग में कम आनंद आयेगा, पूर्ण आनंद प्राप्ति के लिये भाग-1 को भी पढ़ने की कृपा करें।★★
अगले दिन पूर्व योजनानुसार मैं ड्राइंगरूम में मोबाइल लेकर बैठ गया, नजरें मोबाइल पर थीं लेकिन कान अन्दर की ओर उन्मुख होकर धर्मपत्नी का मूड भांपने की कोशिश कर रहे थे।थोड़ी देर में कानों को सुनाई पड़ा कि मैडम किसी से मोबाइल पर हंस-हंस कर बातें कर रही हैं ,मन को तसल्ली हुई कि आज मैडम का मूड ठीक है व बात करने का यह उपयुक्त समय है।मैंने आवाज दी कि जरा एक मिनट के लिए ड्राइंगरूम मैं आना,अन्दर से आवाज आई कि आ रही हूं लेकिन वे ठीक 20 मिनट बाद प्रकट हुईं।उनके विलम्ब से आने से उत्पन्न क्षोभ पर नियंत्रण रखते हुए चेहरे पर कृत्रिम मुस्कान लाते हुए पूंछा कि मोबाइल पर किससे बातें हो रही थीं, उन्होंने उत्तर दिया कि छोटी बहन का फोन था।मैंने कहा कि कोई विशेष बात थी क्या?उन्होंने कहा कि कोई विशेष बात नहीं थी, हालचाल जानने के लिए फोन किया था।मैंने मन में सोचा कि जब सिर्फ हालचाल लेने में 20 मिनट से अधिक का समय लग गया ,यदि कोई विशेष बात होती तब तो घंटो प्रतीक्षा करती पड़ती,लेकिन मैंने इन मनोभावों को चेहरे पर नहीं आने दिया।
धर्मपत्नी जी ने आते ही पूंछा कि किसलिये बुलाया है जल्दी बताओ….मुझे किचन में जाना है, ढेर सारा काम बाकी है।मन ने फिर आवाज दी कि जब मैडम 20 मिनट से ज्यादा मोबाइल पर बात कर रही थीं तब उन्हें किचन का काम याद नहीं आया लेकिन हमने मन की इन बातों को अनसुना कर अपनी वाणी में मधुरता घोलते हुये कहा कि कभी हमारे पास बैठकर भी बात कर लिया करो।इस पर वे भड़ककर बोलीं जब बात करने की उमर थी तब तो काम से ही फुरसत नहीं मिली अब बुढ़ापे में बात करने की सूझ रही है।दांव उल्टा पड़ते देखकर मैंने नया पांसा फेंका तथा चेहरे पर रोमांटिक भाव लाते हुये बोला कि आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो।यह सुनकर उनके चेहरे में खुशी, आश्चर्य व सन्देह के मिलेजुले भाव उभर आये।मेरे मन ने कहा कि बेटा ज्यादा स्मार्ट न बनो जब ऐसी बात इस उम्र में कहोगे तो ऐसे ही भाव आयेंगे।मुझे मन की यह बात सही लगी,मुझे याद नहीं आया कि इसके पूर्व मैंने कभी धर्मपत्नी से इस प्रकार की तारीफ की हो।
इसके पहले कि उनकी ओर से कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया आये मैने कहा कि व्हाट्सएप पर एक बहुत अच्छा वीडियो वायरल हुआ है उसे दिखाने के लिए ही तुम्हें बुलाया है।उन्होंने अनमने भाव से उस वीडियो को देखा जिसमें कलेक्टर की पत्नी अपने कलेक्टर पति की हेयरकटिंग कर रही थी।मैंने कहा कि देखो यह महिला कितनी सुशील है व कितने जतन से हेयरकटिंग कर रही हैं।कलेक्टर की पत्नी होने के बाद भी उसे जरा सा भी अहंकार नहीं है, नहीं तो कभी भी यह वीडियो वायरल न करती।
वीडियो देखकर धर्मपत्नी जी सारा माजरा समझ गईं उन्होंने कहा इतनी छोटी बात के लिये इतना नाटक करने की क्या जरूरत थी, सीधे ही कह देते कि हेयरकटिंग कर दो।मैंने धीमे स्वर में जवाब दिया कि तुम भी तो देख रही हो कि दो माह से साईं बाबा बना घूम रहा हूं।वे बोलीं कि उन्हे हेयरकटिंग करने का कोई अनुभव नहीं है जिस पर मैंने कहा कि मैं उनसे जावेद हवीब की तरह हेयरकटिंग की उम्मीद भी नहीं कर रहा हूं लेकिन इतना तो कर दो कि हम प्रजन्टेबुल हो जायें वर्ना हमारी तो हंसाई होगी ही आपकी भी बदनामी होगी।
मेरी इस बात पर वह गम्भीर हो गईं व काफी देर सोचने के बाद बोलीं कि ठीक है… मैं हेयरकटिंग करने के लिये तैयार हूं लेकिन,लेकिन……….. मेरी तीन शर्तें तुम्हें माननी होंगी तभी मैं यह काम करूंगी।मैंने कहा…. क्या कहा?…..तीन शर्तें…. इनका हेयरकटिंग से क्या सम्बन्ध है।वे बोलीं कि देखो,मैं खामख्वाह बहस में समय बरबाद नहीं करना चाहती, यदि तुम मेरी शर्तों को मानने को तैयार हो तो बताओ नही तो मैं चली… घर में ढेर सारा काम बाकी है।मैने हारकर कहा कि मुझे सोचने का कुछ समय दो…..उन्होंने कहा कि ठीक है जल्दी से सोचकर बताओ।
धर्मपत्नी की बात सुनकर हम अत्यन्त असमंजस में पड़ गये तथा यह विचार करने लगे कि आखिर तीन शर्तों वाली बात इनके दिमाग में कैसे आई? अचानक हमें याद आया कि धर्मपत्नी जी अभी हाल में ही प्रसारित रामायण धारावाहिक में महारानी कैकेयी द्वारा राजा दशरथ से दो वर मांगने का प्रसंग बड़े मनोयोग से देख रही थीं….हो न हो उसी का प्रभाव पड़ा हो।हम घोर चिन्ता में डूब गये, महारानी कैकेयी के दो वरों ने तो अयोध्या में भूचाल ला दिया था और यहां श्रीमती जी तीन शर्तें रख रही हैं वह भी हेयरकटिंग जैसे तुच्छ कार्य के लिये।यह भय भी सताने लगा कि धर्मपत्नी जी रामायण के उक्त प्रसंग से प्रेरित होकर हमें बनवास में जाने की आज्ञा न दे दें।यह सोचकर हमारा दिल डूबने लगा व वन जाने के विचार मात्र से शरीर में कंपकपी होने लगी।भगवान श्रीराम तो अयोध्या के राजा थे, वे बन में जहां जहां गये उनका हर जगह सम्मान व आतिथ्य सत्कार हुआ लेकिन हमारे जैसे आदमी को कोई पानी के लिये भी नहीं पूंछेगा।मन में यह भी शंका हुई कि श्रीमती जी हमसे पीछा तो नहीं छुड़ाना चाहती हैं।इन्हीं शंकाओं, आशंकाओं के सागर में गोते लगा रहे थे तभी श्रीमती जी की आवाज़ से तन्द्रा टूटी।उन्होंने कहा कि किस सोच में डूब गये, मैंने राजा दशरथ की तरह दीनभाव से,अन्दर से डरे होने के बावजूद किंचित हास्य का आवरण ओढ़कर प्रश्नवाचक दृष्टि से उन्हें देखा और कहा कि महारानी कैकेयी की तरह मुझे बनवास में भेजने का इरादा तो नही है?मेरी इस बात को सुनकर व मेरे चेहरे के भावों को देखकर वह खिलखिलाकर हंसी।इस पूरे वार्तालाप में वह पहली बार हंसी थी तथा उनकी हंसी देखकर मन को थोड़ा सुकून मिला परन्तु जब तक मेरे प्रश्न का उत्तर उनके श्रीमुख से न आ जाये तब तक पूर्ण रूप से निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता था।
श्रीमती जी ने शायद मेरी दुविधा को भांप लिया था।उन्होंने सान्त्वना भरे शब्दों में कहा कि तुमने कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हें बनवास में भेजूंगी।रिटायरमेंट के बाद की लाइफ क्या बनवास से कम है?वैसे भी अब जंगल बचे ही कहां है, ऋषि-मुनि जंगल-वंगल छोड़कर महानगरों के समीप पंचसितारा आश्रमों में धर्म का व्यवसाय कर रहे हैं व उनकी सेवा में अनेकों धनाढ्य व हजारों चेले-चेलियां लगे हुये हैं वहां तुम्हें कौन पूंछेगा?जहां तक राक्षसों के संहार की बात है, वह तुमसे होने वाला नहीं है,अपने हाथ से एक गिलास पानी तो ले नहीं सकते तुम राक्षसों को क्या मारोगे, उल्टा वे तुम्हें ही खा जायेंगे।वैसे भी राक्षस केवल लंका में थोड़े ही हैं, आजकल गली-गली, घर-घर में राक्षस हैं।तुम तो वैसे ही ब्लड प्रेशर व शुगर के मरीज हो तथा जंगल में दवायें भी नहीं मिलने वालीं।
कार्तिक आर्यन की तरह इनका मोनोलॉग कुछ देर और चलता लेकिन मैंने उन्हें बीच में ही रोकते हुये कहा कि आखिर यह तो बताओ कि तुम्हारी तीन शर्तें क्या है?
क्रमशः——-
श्रीमती जी की तीन शर्तें क्या थीं क्या वे मानी गईं? और हेयरकट का क्या हुआ, यह जानने के लिये अगला भाग पढ़ें।
@लेखक जगदीश गुप्ता उत्तर प्रदेश सरकार में आईएएस अधिकारी हैं