लोनी कांड:..तो मारपीट के अगले दिन उमेद पहलवान इदरीसी ने कटवाई थी समद की दाढ़ी!!!!
सपा नेता उमेद पहलवान वृद्ध से मारपीट को देना चाहता था सांप्रदायिक रंग, पढ़िए उसकी प्लांनिंग
गाजियाबाद 21 जून। वृद्ध के साथ मारपीट की घटना को सपा के छुटभैय्या नेता उमेद पहलवान इदरीसी ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा साधने को इस्तेमाल किया। वह लोगों की भावनाएं भड़काकर न केवल पार्टी में वर्चस्व हासिल करना चाहता था, बल्कि इसके जरिए आगामी चुनाव का सफर तय करना चाहता था। यह खुलासा पुलिस की पूछताछ में खुद उमेद ने किया है। क्राइम ब्रांच को उमेद ने बताया कि वृद्ध की दाढ़ी मारपीट की घटना के अगले दिन काटी गई। इसको उसने और उसके साथियों ने मामले को सांप्रदायिक रंग देने को किया।
उमेद पहलवान इदरीसी मुलायम सिंह यादव के साथ
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण डॉक्टर ईरज राजा ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद उमेद पहलवान ने शुरू में पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। पहले वह बता रहा था कि उसे वृद्ध ने जितना बताया, उसी को फेसबुक लाइव में कहा था। लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो आरोपित ने पूरी वारदात कबूल कर ली। उमेद ने बताया कि वृद्ध के साथ हुई मारपीट को उसने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की। आरोपित ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वृद्ध के साथ मारपीट की वारदात पांच जून को हुई थी। छह जून को एक पार्षद ने उन्हें बुलाकर पीड़ित की मदद के लिए कहा था। उसी समय उसने तय कर लिया कि इस वारदात को राजनीतिक रंग देकर सनसनीखेज बनाना है ताकि इसका लाभ उसे आगामी चुनावों में मिल सके। इसलिए आरोपित ने तत्काल पीड़ित को समझा दिया कि उसे आरोपितों के नाम नहीं बताने हैं और उन्हें लेकर लोनी बॉर्डर थाने पहुंच गया। चूंकि उस दिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो आरोपित ने अगले दिन थाने के बाहर से फेसबुक लाइव किया। इसके बाद लोनी बॉर्डर कोतवाली पुलिस ने मारपीट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।
अपराध शाखा प्रभारी इंस्पेक्टर संजय पांडेय ने बताया कि पांच जून को वृद्ध से हुई मारपीट की वारदात में उमेद पहलवान की कोई भूमिका नहीं है। उसे मामले की जानकारी छह जून को हुई। पूछताछ में उमेद ने बताया कि उसने मामले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए खुद ही पीड़ित वृद्ध की दाढ़ी कटवा दी और सभी आरोपितों की पहचान ज्ञात होने के बावजूद पुलिस में अज्ञात के खिलाफ लिखित शिकायत लिखाई। इस खुलासे के बाद पुलिस ने आरोपित के खिलाफ दर्ज मुकदमे में धोखाधड़ी और कूट रचना की धारा बढ़ा दी है।
सवाल जिनके जवाब अब पुलिस को ढूंढने हैं
1-आखिर वृद्ध से मारपीट का वीडियो अचानक 13 जून को ही क्यों और किसके इशारे पर वायरल हुआ?
2-जब वीडियो वायरल ही करना था तो आरोपित पांच जून की रात से 13 जून की शाम तक इसे दबाकर क्यों बैठे थे?
3-मुख्य आरोपितों प्रवेश, कल्लू, इंतजार और उमेद पहलवान को किस-किस का संरक्षण प्राप्त है और इस वारदात से पहले किस-किस ने कैसे-कैसे फायदा उठाने की कोशिश की?
4-16 जून की दोपहर में ऐसा क्या हुआ, जिसके बाद उमेद पहलवान लोनी विधायक के खिलाफ आग उगलने लगा?
सरेंडर से पहले वृद्ध से बनवाना चाह रहा था शपथ पत्र
पुलिस की घेराबंदी बढ़ते देख आरोपित ने एक और बड़ा खेल करने का प्रयास किया। इसमें आरोपित ने सबसे पहले पीड़ित वृद्ध और उनके बेटे को अपने साथ ले लिया और उनसे एक नोटरी शपथ पत्र बनवाने का प्रयास कर रहा था। इस शपथ पत्र पर लिखवाना था कि फेसबुक लाइव में जो भी कहा गया उसमें आरोपित की कोई भूमिका नहीं है। इस शपथ पत्र के तैयार होते ही आरोपित को अदालत में सरेंडर कर देना था, लेकिन इससे ठीक पहले पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने बताया कि खुद को बचाने के लिए वृद्ध को उसने मीडिया की नजर से भी दूर रख रखा था।
पिलखुआ का रहने वाला पुराना अपराधी है उमेद
पुलिस उपमहानिरीक्षक अमित पाठक ने बताया कि आरोपित उमेद पहलवान मूलरूप से हापुड़ के पिलखुआ का रहने वाला है। यह पुराना अपराधी है। इसके खिलाफ सबसे पहले पिलखुआ थाने में ही वर्ष 2006 में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद आरोपित के खिलाफ साहिबाबाद थाने में एक युवती का बुरी नीयत से पीछा करने और उसका रास्ता रोक कर छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज हुआ। वहीं वर्ष 2018 में आरोपित के खिलाफ लोनी बॉर्डर थाने में गोवध अधिनियम में मामला दर्ज हुआ। इसी प्रकार वर्ष 2021 में आरोपित के खिलाफ दंगा भड़काने की कोशिश, सामाजिक विद्वेष फैलाने का प्रयास, धोखाधड़ी और कूटरचना का मुकदमा और अनूप शहर बुलंदशहर में लॉकडाउन और महामारी एक्ट का उल्लंघन कर सभा करने का मुकदमा दर्ज किया गया है।
जमानत रोकने के लिए धारा बढ़ाने का आरोप
दूसरी ओर, आरोपित उमेद पहलवान के वकील अनीस चौधरी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनके मुवक्किल की जमानत रोकने के लिए मूल एफआईआर की धाराओं में बढोतरी की है। फर्जीवाड़ा की धाराएं इसलिए लगाई हैं कि जमानत न हो सके। जबकि मामले के अन्य आरोपितों की जमानत कोर्ट से मंजूर हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर वह सोमवार को सेशन कोर्ट में जाएंगे। वहीं पर वह जमानत के लिए प्रार्थना पत्र भी दाखिल करेंगे।
प्रवेश ने बनाया था मारपीट का वीडियो
अपराध शाखा प्रभारी इंस्पेक्टर संजय पांडेय ने बताया कि वृद्ध से मारपीट का वीडियो खुद प्रवेश गुर्जर ने अपने मोबाइल से बनाया था। हालांकि उसने खुद इसे वायरल नहीं किया था। अब तक की पूछताछ में सामने आया है कि गिरफ्तारी से ठीक पहले उसने यह वीडियो किसी और को दिया था जिसने 13 जून को वायरल किया। चूंकि अभी तक प्रवेश गुर्जर का मोबाइल फोन बरामद नहीं हुआ है,इसलिए पुलिस जल्द से जल्द उसे पीसीआर पर लाने की तैयारी कर रही है।
सहयोग करने वाले पुलिस की रडार पर
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने बताया कि आरोपित की फरारी में सहयोग करने वाले सभी लोग पुलिस की रडार पर हैं। इनमें एक पार्षद भी हैं। उन्हें जल्द पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। पार्षद के माध्यम से ही वृद्ध आरोपित तक पहुंचे थे। इसके अलावा पुलिस उन लोगों की भी तलाश कर रही है जिन्होंने आरोपित को मोबाइल, गाड़ी, वाईफाई के लिए हॉट स्पॉट मुहैया कराया और फरारी के दौरान आरोपित को अपने घरों या ठिकानों पर शरण दी। पुलिस ने इन सभी लोगों की लिस्ट तैयार कर ली है।
मारपीट के मामले में 10वें आरोपित का चालान
वृद्ध के साथ मारपीट कर जबरन दाढी काटने के मामले में पुलिस ने 10वें आरोपित का चालान कर दिया है। जबकि एक बाकी रहे आरोपित को भी पुलिस जल्द ही गिरफ्तार कर सकती है। इस प्रकरण में आरोपितों के सहयोगियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है जिसको लेकर सहयोगियों में हड़कंप मचा हुआ है और वह मिलना तो दूर आपस में बात करने से भी कतरा रहे हैं।
अब्दुल समद के साथ मारपीट कर जबरन दाढी काटने के मामले में शनिवार को गिरफ्तार किए गए पोली उर्फ गुलशन का भी पुलिस ने रविवार को चालान कर दिया है। इस प्रकरण में 11 वां आरोपित आरिफ उर्फ आवेज जिम ट्रेनर है और फरार है। सूत्रों की माने तो पुलिस उसके ठिकाने तक पहुंच चुकी है और जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर सकती है। अब्दुल समद प्रकरण में अभी तक कुल 11 आरोपितों के नाम उजागर हुए हैं। पुलिस 10 को गिरफ्तार कर चालान कर चुकी है, लेकिन कोर्ट से लगभग सभी आरोपितों को जमानत मिल चुकी है। जमानत मिलने के बाद भी आरोपित इस बात को लेकर दहशत में है कि पुलिस उनके मुकदमे की विवेचना के दौरान कोई संगीन धारा बढा़कर उन्हें दोबारा से गिरफ्तार न कर ले। जिसे लेकर वह जमानत पर छूटने के बाद भी अपने- अपने घरों से फरार हैं और छिपकर रह रहे हैं। इतना ही नहीं, आरोपितों के सहयोगी व दोस्त भी इस बात को लेकर दहशत में है कि कहीं उनका नाम भी इस प्रकरण में ना जुड जाए। इस लेकर आरोपितों के साथ- साथ वह भी जिम आदि में एकत्र नही हो रहे हैं और एक दूसरे से बात करने में भी कतरा रहे हैं। सूत्रों की माने तो सभी ने अपने अपने मोबाइल भी बंद किए हुए हैं।