लव जिहाद कानून को चुनौती हाको में खारिज
‘लव जिहाद’ को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज:HC ने संशोधन की अनुमति देने से भी मना कर दिया, कहा- एक्ट बनने के बाद चुनौती देने का कोई मतलब नहीं; सरकार को राहत
प्रयागराज 27 जून।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को ‘लव जिहाद’ अध्यादेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। इससे यूपी सरकार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने इन याचिकाओं को अध्यादेश के कानून बन जाने के कारण खारिज किया है। मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत में सरकार की ओर से पक्ष रखा।
चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि अध्यादेश के कानून बन जाने के बाद अध्यादेश को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने एक याचिका को छोड़कर बाकी याचिकाएं फाइल करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने उप्र सरकार से जवाब मांगा
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय यादव ने कहा कि आप पूरी याचिका में कैसे संशोधन कर सकते हैं। हम आपको केवल प्रार्थना सेक्शन में संशोधन करने की अनुमित दे सकते हैं। अन्यथा आप याचिका वापस ले सकते हैं। हम इसे खारिज कर रहे हैं। कोर्ट ने धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
धर्मांतरण अध्यादेश को चार अलग-अलग याचिकाओं में दी गई थी चुनौती
धर्मांतरण अध्यादेश को चार अलग-अलग याचिकाओं में चुनौती दी गई थी। एक याची के अधिवक्ता देवश सक्सेना ने तर्क दिया कि उनकी दलीलों में सामग्री को लेकर कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। केवल अध्यादेश शब्द को अधिनियम शब्द में बदल दिया गया है। अगर हम नए सिरे से याचिका दाखिल करते हैं तो बहुत समय बर्बाद होगा, क्योंकि इस याचिका के समर्थन में तर्क पहले ही दिए जा चुके हैं।
याची के अधिवक्ता की दलील सुनने के डबल बेंच ने याचिकाओं को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस संजय यादव ने कहा कि आपका हलफनामा कहता है कि आपने एक विस्तृत और संपूर्ण याचिका दाखिल की है। फिर भी हम इसकी अनुमित आपको नहीं दे सकते। हम इसे खारिज कर रहे हैं।
याची के अधिवक्ता की दलीलों को कोर्ट ने खारिज किया
इस पर एक बार फिर याची के अधिवक्ता देवेश सक्सेना ने जोर देकर कहा कि यह पूर्ण याचिका है, क्योंकि अध्यादेश शब्द कई बार दिखाई दे रहा है। लेकिन तथ्यों और दलीलों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। कोर्ट ने इसी तरह अन्या याचिकाओं को भी खारिज करते हुए फ्रेश याचिका दायर करने का आदेश दिया। जिन याचिकाओं को अधिनियम की अधिसूचना के बाद दायर किया गया है उन्हें जवाबी हलफनामा और प्रत्युत्तर दाखिल करने को कहा गया है।
याचिका में अधिवक्ता सौरभ कुमार का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता देवेश सक्सेना व शाश्वत आनंद और विशेष राजवंशी ने किया। अजीत सिंह यादव, जिनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता रमेश कुमार ने किया। एडवोकेट वृंदा ग्रोवर के माध्यम से एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की गई। आनंद मालवीय की याचिता पर बहस तलहा अब्दुल रहमान ने किया।