लव जिहाद: दो बीवियों वाले अनवर की तीसरी बीवी बनने की चाह में जान गई आराधना की
दो बीवियों वाले अनवर के साथ लिव-इन में रह रही थी मुरादाबाद में आराधना, तीसरी बेगम बनने की चाह में मिली मौत!
मुरादाबाद 20 फरवरी। कल ही साहिल गहलोत और निक्की यादव वाली घटना को लेकर एक बहुत बड़ी लॉबी उस षड्यंत्र को नकारने के लिए अपनी एडी चोटी का जोर लगा रही थी, जो हिन्दू लड़कियों या कहें युवतियों के भी विरुद्ध लगातार हो रहा है और लगभग रोज ही एक नई घटना सामने आती है और आ रही है।
निक्की यादव की हत्या साहिल गहलोत ने की, उसकी सजा उसे कानून से मिलेगी ही, परन्तु उसके चलते लव जिहाद की जो घटनाएं लगातार हो रही हैं, उन्हें न ही अनदेखा किया जा सकता है और न ही उन्हें नकारा जा सकता है। निक्की की घटना में भी कथित प्यार की आजादी और मन से शादी करने की आजादी की भावना मूल में थी, अत: मूल प्रश्न वही है कि लड़की के अभिभावकों के क्या अपनी बेटियों पर अधिकार शून्य हो जाते हैं?
क्योंकि जैसे ही कथित रूप से मन से रहने की आजादी या अपने मन से विवाह करने की आजादी का राग वह गाने लगती हैं, तो वैसे खतरे की ओर कदम बढ़ा देती हैं, जहाँ से उनके लिए मृत्यु भी बाहें फैलाए बैठी होती है। यह एक नहीं लगातार कई घटनाओं में हम देख रहे हैं।
ऐसी ही एक और घटना आज फिर सामने आई जब 28 वर्षीय आराधना ने अनवर द्वारा धर्मान्तरण के दबाव के चलते आत्महत्या कर ली।
यह मामला है उत्तर प्रदेश एक मुरादाबाद जिले का। मुरादाबाद जिले में नागफनी थानाक्षेत्र के मोहल्ला बाग गुलाब राय निवासी अनवर खां कांठ रोड पर पीएसी तिराहे के पास पुरानी कारों की खरीद-फरोख्त का काम करता है। इसके अलावा वह प्रॉपर्टी डीलिंग भी करता है।
पुलिस की हिरासत में अनवर- स्रोत अमर उजाला
उसी के ऑफिस में 28 वर्षीय आराधना रिसेप्शनिस्ट का कार्य करती थी। उन दोनों के बीच प्यार हुआ, सम्बन्ध बने और फिर वह एक साथ रहने लगे।
अर्थात लिव-इन में रहने लगे। परन्तु वह आराधना पर मजहबीकरण का दबाव डालता था। इस दबाव को न सह पाने के चलते आराधना ने आत्महत्या कर ली और इस पर अनवर अपनी दूसरी बीवी इरम के घर पर आराधना को ले गया और यह कहकर छोड़ गया कि उसकी तबियत ठीक नहीं है।
इसके बाद वहां पर इरम की सूचना पर पुलिस पहुँची और पुलिस जब आराधना को अस्पताल लेकर गई तो पता चला कि वह मर चुकी है।
इसके बाद पोस्टमार्टम से पता चला कि उसकी मौत लटकने से हुई थी। आराधना के भाई ने अनवर पर आरोप लगाया और मामला दर्ज किया। पुलिस से पूछताछ में उसने बताया कि उसकी पहले से ही दो बीवियां हैं और अब आराधना भी शादी का दबाव डाल रही थी। इस पर उसने कहा कि जब वह इस्लाम क़ुबूल करेगी तभी वह उससे शादी करेगा। इस पर वह दुपट्टे का फंदा बनाकर लटक गयी और उसकी मौत हो गयी।
हालांकि आरोपी को जेल भेज दिया गया है, परन्तु इससे आराधना नहीं वापस आएगी और न ही इस प्रश्न का उत्तर मिलेगा कि लिव-इन से आखिर फायदा किसे हो रहा है?
कथित रूप से सम्बन्धों की आजादी का लाभ कौन उठा रहा है और इससे लड़कियों का शोषण कितना बढ़ गया है? आजादी गैंग का शिकार होकर लड़कियां शादी के बंधन में बंधना नहीं चाहती हैं और इसका लाभ अनवर जैसे लोग उठाते हैं।
चौंकाने वाली बात यह भी है कि मीडिया के अनुसार आराधना दलित युवती है। ऐसे में जब दलित युवतियां जब इस प्रकार के मजहबीकरण के जाल का शिकार होती है तो उनकी ऐसी मौतों पर वह लोग बिलकुल भी मुंह नहीं खोलते हैं, जो बात-बात पर जातिगत गणित का खेल खेलते हैं।
जैसे अभी मुम्बई में एक आत्महत्या को जातिगत रूप दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है कि जातिगत शोषण किया गया था, मगर जहाँ पर आराधना को अनवर ने आत्महत्या के लिए विवश कर दिया, उस मामले पर वह चुप हैं। वह मुंह नहीं खोल रहे हैं। यह कैसा दोगलापन है?
जातिगत गणित जो भी कहता हो, मूल प्रश्न यही है कि आखिर लड़कियों के शवों पर बात क्यों नहीं होती है? और आराधना जैसी युवतियां कैसे दो –दो शादी करने वाले के साथ लिव इन में रह सकती हैं? और लिव इन में रहने को आजादी कहने वाला विमर्श इन महिलाओं की सुरक्षा के विषय में बात करने से क्यों कतराता है?