वज़न घटाने की दवाइयों से हो सकता है पेट में लकवा: अध्ययन
Ozempic And Wegovy Like Medicines Can Cause Abdominal Paralysis, Says Study Report
ये दो दवाइयां ले रहे हैं तो हो सकता है पेट का लकवा! तेजी से वजन घटाने की सनक है तो सतर्क हो जाइए
एक नए अमेरिकी अध्ययन में वजन घटाने वाली दवाइयों वेगोवी और ओजेम्पिक के गंभीर दुष्प्रभावों के बारे में चेतावनी दी गई है, जिसमें पेट का लकवा भी शामिल है। अध्ययन के अनुसार, इन GLP-1 एगोनिस्ट दवाओं से पेट का लकवा होने का जोखिम अधिक होता है।
वजन घटाने वाली दवाओं से पेट के लकवे का खतरा बढ़ जाता है
वेगोवी और ओजेंपिक जैसी दवाइयां गंभीर बीमारी दे सकती हैं
अमेरिका में करोड़ों लोगों पर रिसर्च के बाद एक रिपोर्ट आई है
नई दिल्ली 27 मई 2024: वजन घटाने को खान-पान पर नियंत्रण, जीवनशैली में बदलाव और कसरत जैसे उपाय अपनाना ही बेहतर है। अगर दवाइयों का सहारा लेते हैं तो सतर्क हो जाइए। एक नए अमेरिकी अध्ययन के अनुसार तेजी से वजन घटाने को ली जाने वाली दवाइयों वेगोवी (Wegovy) और ओजेम्पिक (Ozempic) के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसमें पेट का पक्षाघात (Abdominal Paralysis) भी शामिल है। एब्डॉमिनल पैरालिसिस से पेट खाली होने में देरी होती है। उदर पक्षाघात के कारण अप्रत्याशित वजन घटने, कुपोषण और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं जिनके इलाज से लेकर ऑपरेशन तक की नौबत आ सकती है।
अमेरिकी स्टडी में बड़ा अनावरण
स्टडी रिपोर्ट के अनुसार जीएलपी-1 एगोनिस्ट दवायां कही जाने वाली वेगोवी और ओजेम्पिक लेने वालों में एब्डॉमिनल पैरालिसिस डेवलप होने का खतरा उन लोगों की तुलना में 30% अधिक है, जिन्होंने ये दवाइयां नहीं लीं। ग्लूकागन जैसे पेप्टाइड-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट (जीएलपी-1आरए), जिन्हें जीएलपी-1 एगोनिस्ट भी कहा जाता है, टाइप 2 डाइबिटीज और मोटापे के इलाज को इस्तेमाल दवाओं का एक वर्ग है।
वाशिंगटन में मेडिकल कॉन्फ्रेंस पाचन रोग सप्ताह 2024 में पेश यह रिपोर्ट डाइबिटीज और मोटापाग्रस्त तीन लाख से अधिक लोगों के रिकॉर्ड के विश्लेषण पर आधारित है, जिनमें से 1.65 लाख को जीएलपी-1 एगोनिस्ट निर्धारित किया गया था। यह अन्य बातों के अलावा पेट खाली होने की प्रक्रिया को धीमा करने और इंसुलिन उत्पादन को उत्तेजित करने को जाना जाता है।
दवाइयां ले रहे हैं तो सतर्क हो जाएं
स्टडी ग्रुप का नेतृत्व करने वाले कैनसस विश्वविद्यालय में मेडिसिन के प्रफेसर डॉ. प्रतीक शर्मा ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को बताया कि पेट का लकवा इन दवाओं का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है, लेकिन जीएलपी-1 दवाओं या वजन घटाने वाली दवाओं के ज्यादा उपयोग को देखते हुए लोगों को इसके बारे में सतर्क करना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘ये दवाएं नई हैं और जबकि सकारात्मक प्रभाव अच्छी तरह से स्थापित हैं और उनके बारे में बात की जाती है, हमें अभी भी इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभावों की पूरी सीमा का पता लगाना बाकी है और इसलिए मुझे लगता है कि जो लोग इन्हें ले रहे हैं उन्हें सावधान रहना चाहिए।’
भारत में चोरी-छिपे ही मिलती हैं ये दवाइयां
वेगोवी और ओजेम्पिक भारत में कानूनी रूप से उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि कई लोग ये दवाइयां ग्रे मार्केट के जरिए मनमानी कीमत देकर खरीदते हैं। हाल ही में डेनमार्क की एक कंपनी नोवो नॉर्डिस्क ने भारत में टैबलेट के रूप में ‘रयबेलसस (Rybelsus)’ लॉन्च किया है जिसमें ओजेम्पिक का मुख्य घटक सेमाग्लूटाइड (Semaglutide) है। इसे डाइबिटिज मैनेजमेंट के लिए मंजूरी मिली है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इस दवा का उपयोग वजन घटाने के लिए ‘ऑफ-लेबल’ भी किया जा रहा है।
वेगोवी और ओजेम्पिक को भी शुरू में डाइबिटिज मैनेजमेंट के लिए मंजूरी दी गई थी। लेकिन रिपोर्ट सामने आई कि यह एक साल के भीतर 10-15% वजन कम करने में मदद कर सकता है तो यूएस एफडीए ने मोटापे से ग्रस्त लोगों में भी इसके सीमित उपयोग की अनुमति दे दी। जल्द ही, दवा समूह ने दुनियाभर में तहलका मचा दिया क्योंकि एलन मस्क और ओपरा विनफ्रे जैसी मशहूर हस्तियों सहित अन्य लोगों ने कहा कि वे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
फोर्टिस सी-डॉक के चेयरमैन डॉक्टर अनूप मिश्रा ने कहा कि राइबेलसस काफी महंगी है और एक महीने के लिए इसके प्रिस्क्रिप्शन की कीमत 10 हजार रुपये से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा, ‘इन दवाओं की लोकप्रियता को देखते हुए संभावना यह है कि निकट भविष्य में हमें यह दवा आसानी से मिल जाएगी और वह भी कम कीमत पर। यह अच्छी बात है क्योंकि ये दवाएं ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, वजन कम करने और यहां तक कि क्रोनिक किडनी डिजीज के प्रबंधन में भी कारगर साबित हुई हैं। लेकिन मेडिकल कम्यूनिटी के साथ-साथ आम लोगों को भी इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक होने की जरूरत है।
वेगोवी और ओजेम्पिक क्या करती हैं, जान लीजिए
मेदांता अस्पताल में डाइजेस्टिव एंड हेपेटोबिलरी साइंसेज डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉक्टर रणधीर सूद के अनुसार, वेगोवी और ओजेम्पिक जैसी दवाएं पेट की गति धीमा करके अपना काम शुरू करती हैं। इस तरह भूख कम हो जाती है। उन्होंने कहा, कि’जब उपयोगकर्ता दवा लेना शुरू करते हैं तो उन्हें मतली और उल्टी महसूस होती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में ये दुष्प्रभाव कम होने की संभावना होती है। मुझे अभी तक पेट के पक्षाघात का कोई मामला नहीं मिला है, लेकिन भारत में इसके इस्तेमाल के ये शुरुआती दिन हैं।’
अमेरिकी अध्ययन में शर्मा और उनके सहयोगियों ने मधुमेह और मोटापे से पीड़ित लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 12 करोड़ से अधिक रोगियों के स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड का विश्लेषण करने को एक बड़े डेटाबेस का उपयोग किया। उन्होंने जीएलपी-1 दवाएं लेने वाले रोगियों की तुलना एक नियंत्रित समूह से की, उन्हें जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य कारकों के आधार पर मिलान किया। उन्होंने एक वर्ष में पाया कि जीएलपी-1 उपयोगकर्ताओं में से 32% ने मतली, जीईआरडी और पेट के पक्षाघात जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टिनल संबंधी समस्याओं का अनुभव किया। इसका मतलब है कि जबकि जीएलपी-1 उपयोगकर्ता जीआई से संबंधित अधिक प्रक्रियाओं से गुजरे, उनके ईआर विजिट्स और अस्पताल में भर्ती होने की संख्या थोड़ी कम थी। कैनसस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने कहा, कि ‘यह दर्शाता है कि जबकि जीएलपी-1 दवाइयां जीआई दुष्प्रभाव बढ़ाती हैं, इससे आपातकालीन देखभाल या अस्पताल में भर्ती होने की नौबत वाले गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा नहीं होते।’ ‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए। लेकिन हमारा शोध स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पेट के लकवे जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टिनल संबंधी दुष्प्रभावों की निगरानी की जरूरत है, जो अच्छी जिंदगी में खलल डाल सकता है।’