संसद का मानसून सत्र रहेगा हंगामेदार,यूसीसी रहेगा, केंद्र में
Ucc Delhi Ordinance Monsoon Session Of Parliament Challenge Before Ruling Party And Opposition
Monsoon Session: UCC, दिल्ली अध्यादेश… हंगामेदार होगा संसद का मॉनसून सत्र, सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सामने बड़ी चुनौती
संसद के मॉनसून सत्र का शेड्यूल आ गया है। यह 20 जुलाई से शुरू होगा। 11 अगस्त को यह खत्म हो जाएगा। इस सत्र में जोरदार हंगामा होने के आसार हैं। इसमें सरकार समान नागरिक संहिता बिल ला सकती है। दिल्ली में लाए गए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ भी जमकर हंगामा हो सकता है।
हाइलाइट्स
संसद के मॉनसून सत्र का आ गया है पूरा शेड्यूल
20 जुलाई से 11 अगस्त तक चलेगा आगामी सत्र
हंगामेदार रहने के आसार, सरकार ला सकती है यूसीसी बिल
नई दिल्ली 01 जुलाई:संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा। यह 11 अगस्त तक चलेगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। संसद का मॉनसून सत्र बेहद हंगामेदार रहने की संभावना है। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव हैं। इसे लेकर प्रमुख विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चेबंदी शुरू कर दी है। आगामी सत्र के दौरान सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) बिल पेश कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूसीसी की पुरजोर वकालत कर चुके हैं। इसके बाद कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली में लाए गए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ तीखा विरोध करेगी। इस पर कुछ विपक्षी दलों ने AAP का समर्थन करने को कहा है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी इस अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुकी है। सरकार ने सभी पार्टियों से सत्र के दौरान संसद के विधायी और अन्य कामकाज में रचनात्मक योगदान देने की अपील की है।
ऐसी खबरें हैं कि सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन में होगी। बाद में नए संसद भवन में बैठकें हो सकती हैं। 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चलने वाले मॉनसून सत्र में 17 बैठकें होंगी। प्रधानमंत्री ने 28 मई को नई संसद का शुभारंभ किया था। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मॉनसून सत्र का शेड्यूल बताते हुए ट्वीट किया- ‘मैं सभी पार्टियों से सत्र के दौरान संसद के विधायी और अन्य कामकाज में रचनात्मक योगदान देने की अपील करता हूं।’
अध्यादेश की जगह लेने वाला बिल लाएगी सरकार
मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश’ की जगह लेने के लिए विधेयक ला सकती है। यह सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को विधायी और प्रशासनिक नियंत्रण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी कर देगा। इसे लेकर कांग्रेस अपना रुख साफ कर चुकी है। वह कह चुकी है कि वह केंद्र सरकार के अध्यादेश का समर्थन करेगी। वहीं, AAP इस बाबत बिल का पुरजोर विरोध करेगी। इसमें पार्टी को कई अन्य दलों का भी भरपूर साथ मिलने की उम्मीद है। इस अध्यादेश के लिखाफ केजरीवाल बीते दिनों विपक्ष के तमाम दलों के नेताओं से मुलाकात करते आए हैं।
UCC को लेकर बन रहा है माहौल, आ सकता है बिल
इसके अलावा सरकार राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक 2023 को संसद में पेश कर सकती है। इससे राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना का रास्ता साफ होगा। हालांकि, इस सत्र में सबसे ज्यादा नजर यूसीसी बिल पर हो सकती है। माना जा रहा है कि इसी सत्र में सरकार इसे पेश करेगी। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोक-झोंक हो सकती है। महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा है कि वह बालासाहेब ठाकरे के ‘एक राष्ट्र, एक कानून’ के नजरिये का समर्थन करती है। उसने केंद्र से संसद के मॉनसून सत्र में यूसीसी पर चर्चा करने की अपील की है।
समान नागरिक संहिता पर विपक्ष के तेवर गरम
कांग्रेस समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर भाजपा पर हमलावर है। पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा लोगों को विभाजित करना और नफरत फैलाना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिन पहले यूसीसी की वकालत की थी। इसके बाद कांग्रेस ने यह प्रतिक्रिया दी है। मोदी ने भोपाल में मंगलवार को यूसीसी का जोरदार समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों को संवदेनशील मुद्दों पर भड़काया जा रहा है। यूसीसी सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, रखरखाव और संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़े एक सामान्य कानून से संबंधित है।
कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा है कि यह यूसीसी नहीं बल्कि ‘डीसीसी’ (डिवाइडिंग सिविल कोड) है। इसके जरिये देश को विभाजित करने की मंशा है। यूसीसी कोई एजेंडा नहीं है। अलबत्ता, इसके पीछे नीयत देश के लोगों को बांटना है। तमाम विपक्षी दलों ने इस कदम को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समाज का ध्रुवीकरण करने वाला कदम बताया है। केरल के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ माकपा नेता पिनराई विजयन ने आरोप लगाया कि यूसीसी के मुद्दे को उठाने के पीछे भाजपा का चुनावी एजेंडा है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इसे लागू नहीं करे।