भाजपा को पौड़ी गढ़वाल और हरिद्वार सीट पर हैं कई चुनौतियां
आसान नहीं होगी भाजपा के नये चेहरों की डगर, पौड़ी और हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनौतियां पार पाने में छूटेंगे पसीने
Challenges for BJP in Uttarakhand
Haridwar and pauri garhwal Lok Sabha seats
भाजपा ने लोकसभा चुनाव को प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं. लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की पौड़ी और हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा ने पुराने चेहरे बदले हैं. इसके बाद भी इन दोनों सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों के सामने कई चुनौतियां हैं.
देहरादून 14 मार्च 2024: उत्तराखंड में भाजपा ने पांचों लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. 13 मार्च को भाजपा ने हरिद्वार और पौड़ी लोकसभा सीट पर दो बड़े नेताओं को उतारा है. इसमें से पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी तो हरिद्वार सीट पर भाजपा ने पिछले 3 साल से राजनीतिक वनवास काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान पर उतारा है. उत्तराखंड की यह दोनों लोकसभा सीटें सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं. पौड़ी लोकसभा सीट का एक अपना इतिहास है. हरिद्वार सीट देश के केंद्र बिंदु में रहती है. भाजपा को इन लोकसभा चुनावों में मोदी मैजिक का साथ मिलेगा. इसके बाद भी इन दोनों लोकसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की चुनौतियां कम नहीं हैं.
राज्यसभा में रहते हुए भी पौड़ी में सक्रिय अनिल बलूनी: उत्तराखंड की गढ़वाल लोकसभा सीट कोटद्वार से शुरू होते हुए ऋषिकेश का एक बड़ा हिस्सा पौड़ी, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग ,चमोली जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक जाती है. गढ़वाल लोकसभा सीट में 14 विधानसभाएं आती हैं. इस लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत सांसद हैं. यह सीट सैनिक बाहुल्य सीट है. इसके साथ ही ठाकुर और ब्राह्मण जातीय समीकरण भी इस सीट पर खूब चलता है. यह लोकसभा क्षेत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की राजनीति हो या फिर प्रमुख पद गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से कई ऐसे नाम आते हैं जिन्हें आज देश और दुनिया में पहचाना जाता है. पहले इस सीट पर चर्चा यह थी कि NSA अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल को गढ़वाल लोकसभा से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के साथ-साथ कई बड़ी हस्तियों ने यहां से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, मगर पार्टी ने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राज्यसभा के सांसद रहे अनिल बलूनी को यहां से टिकट दिया है. बलूनी पौड़ी गढ़वाल के ही रहने वाले हैं. दिल्ली में रहते हुए उन्होंने अपने राज्यसभा के कार्यकाल में सबसे अधिक फोकस पौड़ी पर ही किया. उन्होंने कई बड़ी योजनाएं गढ़वाल लोकसभा को दी. अनिल बलूनी के सामने कांग्रेस ने गणेश गोदियाल को उतारा है. गणेश गोदियाल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं.
गणेश गोदियाल कांग्रेस को देंगे ‘संजीवनी’, कई समस्याओं से मिलेगा बल: पौड़ी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल हैं.कांग्रेस उम्मीदवार गणेश गोदियाल दमदार हैं. गणेश गोदियाल पौड़ी गढ़वाल से लेकर चमोली, रुद्रप्रयाग में अच्छी पकड़ रखते हैं. वे पूर्व में मंदिर समिति के अध्यक्ष रहे हैं. जिससे केदारनाथ और बदरीनाथ के क्षेत्र में भी उनका अच्छा दबदबा है.इसके साथ ही पौड़ी लोकसभा सीट पर हावी समस्यायें भी अनिल बलूनी की परेशानी बढ़ाने वाले हैं. अंकिता भंडारी हत्याकांड पर कांग्रेस हमलावर है. पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी हुई तो एससी-एसटी मुकदमें में लेकिन विपक्ष ने इसे भी अंकिता भंडारी प्रकरण से जोड़ कर खूब बवाल किया . रोज सैकड़ों लोग अंकिता भंडारी के माता-पिता के पास पहुंच रहे है. गणेश गोदियाल और प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा भी उनके धरना स्थल पर पहुंचे.
जोशीमठ आंदोलन भी बड़ी चुनावी समस्या: पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर दूसरी सबसे बड़ी समस्या जोशीमठ के घरों में दरारें हैं. 15 महीने बाद भी सर्वे के साथ-साथ लोग कैंपों में हैं. लोग आंदोलनरत हैं. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति इस मामले में सक्रिय है. क्षेत्र के आंदोलनकारी सरकारी नीति और कामों से खुश नहीं हैं. ऐसे में कांग्रेस के साथ-साथ माकपा (माले) इस पूरे मामले को चुनावों में हथियार बनाएगी.
पलायन और जंगली जानवरों का आतंक: इस लोकसभा क्षेत्र में तीसरी सबसे बड़ी समस्या पलायन के साथ-साथ जानवरों का लोगों पर हमला भी है. इस क्षेत्र में पूरे उत्तराखंड से सबसे अधिक लोग पलायन कर रहे हैं. पलायन रोकने को पूर्व सरकार ने पलायन आयोग गठित किया. इसका मुख्यालय भी पौड़ी गढ़वाल में बना, लेकिन एक दिन भी अधिकारी यहां नहीं बैठे. आज भी गांव से लोग नीचे की तरफ आ रहे हैं. ऐसे में सरकार के सामने इस लोकसभा चुनाव में यह भी सबसे बड़ी समस्या सिद्ध होगी. कुछ महीनों में पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र में जंगली जानवरों के लोगों पर हमले भी बढ़ रहे हैं. इसको लेकर कई आंदोलन भी हुए हैं. कांग्रेस इस पूरे क्षेत्र में इस समस्या को भी जोरों से उठा रही है.
क्या कहते हैं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा कहते हैं कि पौड़ी गढ़वाल से जिस नेता को हमने चुनावी मैदान में उतारा है वो भाजपा प्रत्याशी की तरह दिल्ली वासी नहीं हैं अपने राजनीतिक करियर में गणेश गोदियाल मुंबई से वापस आने के बाद से आज दो दशकों से हर दिन पौड़ी गढ़वाल में ही रहे. यहां की जनता उन्हें बेहद प्रेम करती है. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार को एक नहीं सैकड़ों विषय हैं जिनको लेकर कांग्रेस मैदान में उतर रही है. पौड़ी गढ़वाल में सबसे बड़ा विषय अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय दिलाने का है. इसके साथ ही चारधाम के प्रमुख धाम केदारनाथ और बदरीनाथ में जिस तरह से सरकार अपनी नीति थोपती है, इसे भी जोशीमठ और रुद्रप्रयाग की जनता समझती है.
ये है पौड़ी लोकसभा सीट का समीकरण: पौड़ी गढ़वाल कभी कांग्रेस का गढ़ होती थी. इसे कांग्रेस की सबसे सुरक्षित माना जाता था. इस सीट पर अब तक सामान्य चुनावों के अतिरिक्त दो उपचुनाव भी हो चुके. पौड़ी गढ़वाल लोकसभा से हेमवती नंदन बहुगुणा, सतपाल महाराज, भुवन चंद्र खंडूरी और तीरथ सिंह रावत जैसे बड़े नेता चुनाव जीत चुके हैं. भक्त दर्शन, प्रताप सिंह नेगी,जगन्नाथ शर्मा जैसे राजनेता भी इस सीट पर जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं. पौड़ी गढ़वाल लोकसभा में 12 लाख 69 हजार 83 वोटर है. जिसमें पुरुष मतदाता 6 लाख 52 हजार 891 है. महिला वोटर 6 लाख 16 हजार 0152 है. पिछली लोकसभा चुनाव में तीरथ सिंह रावत यहां से सांसद थे.
हरिद्वार लोकसभा सीट पर भी चुनौतियां बड़ी: हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट दिया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत 3 साल बाद सक्रिय राजनीति में दोबारा वापस आए हैं. मुख्यमंत्री पद से अचानक हटने के बाद से ही वे अलग थलग पड़े हुए थे. त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए यह लोकसभा सीट इसलिए भी नई नहीं है क्योंकि वह खुद इस लोकसभा क्षेत्र की डोईवाला विधानसभा से विधायक और मंत्री के साथ-साथ मुख्यमंत्री तक रह चुके हैं.अभी भी उनके विश्वस्त बृजभूषण गैरोला यहां से विधायक हैं।इसके साथ ही मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से वह पौड़ी गढ़वाल के साथ हरिद्वार में भी अपनी सक्रियता बनाए हुए थे.
गन्ना भुगतान है बड़ी समस्या: हरिद्वार में त्रिवेंद्र सिंह के सामने कुछ बड़ी समस्यायें मुंह खोले खड़ी हैं. कांग्रेस लगातार जिन समस्याओं को लेकर आवाज उठा रही है उनमें सबसे प्रमुख गन्ना किसानों का भुगतान है. हरिद्वार लोकसभा सीट पर तराई क्षेत्र में किसानों का अच्छा खासा दबदबा है. ऐसे में किसान सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि किसानों का गन्ना भुगतान सरकार जल्द से जल्द दे दे. इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी लगातार मौन व्रत और किसानों में जाकर उनकी आवाज बने हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी गन्ना भुगतान की समस्या उठाएगी. भाजपा के पास यह बात रखने को है कि उन्होंने साल 2024 जनवरी में ही उत्तराखंड में गन्ना मूल्य में ₹20 की वृद्धि की है.
बाढ़ से नुकसान और उसके बाद की नाराजगी: इसके साथ ही तराई क्षेत्र में बाढ़ भी इस बार बढ़ी समस्या है. इसी मानसून में लक्सर ,मंगलौर, खानपुर और निचले इलाकों में बाढ़ आई जिसमें कई गांव के गांव डूब गए. राहत और बचाव कार्य में सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी. नुकसान की भरपाई भी सरकार ने की. इसके बाद भी यहां लोगों में नाराजगी है. ये नाराजगी जनप्रतिनिधियों को लेकर है. जिसे इस लोकसभा चुनाव में त्रिवेंद्र को भुगतना पड़ सकता है.
हरिद्वार कॉरिडोर शहर का विषय: हरिद्वार विधानसभा क्षेत्र में भले ही विधायक मदन कौशिक का राजनीतिक कद बड़ा हो लेकिन बीते दिनों हरिद्वार कॉरिडोर को लेकर जिस तरह से व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने आवाज उठाई है वह सरकार और प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर बना है. इस समस्या को विपक्ष के कई नेता जिसमें हरीश रावत के साथ-साथ स्थानीय कांग्रेस के नेता और विधायक उमेश कुमार भी उठाते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के प्रत्याशी के लिए भी ये आसान नहीं होगा.
मुस्लिम वोटर और उमेश कुमार की चुनौती बढ़ाएगी परेशानी: इसके साथ ही हरिद्वार की डेमोग्राफी और खानपुर के विधायक उमेश कुमार भी भाजपा के लिए मुसीबत बनेंगें. वह अगर लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस को भी काफी हद तक नुकसान होगा. आंकड़े बताते हैं कि हरिद्वार भले ही हिंदुओं की सबसे बड़ी धर्मनगरी हो लेकिन यहां पर मुस्लिम जनसंख्या 35% है. जनपद की 11 विधानसभा सीटें हरिद्वार लोकसभा सीट में आती हैं. जिसमें हरिद्वार शहर, रानीपुर, ज्वालापुर, भगवान पुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, रुड़की, खानपुर, मंगलौर और लक्सर में अच्छी खासी संख्या मुस्लिम वोटर की है.
हरिद्वार लोकसभा सीट का समीकरण: चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार हरिद्वार सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं. पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 88 हजार 328 और महिला वोटर्स की संख्या 7 लाख 54 हजार 545 है. यहां 2014 में 71.02 प्रतिशत वोटिंग हुई. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 24 लाख 5 हजार 753 थी. लगभग 60% जनसंख्या गांवों में और 40 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहती है. क्षेत्र में अनुसूचित जाति 19.23 प्रतिशत हैं.
क्या कहते हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत: हरिद्वार लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि हरिद्वार से मेरा पुराना नाता है. इस लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा से वे विधायक और उसके बाद मुख्यमंत्री बने हैं. हरिद्वार की जनता के लिए पूरी ईमानदारी से काम करूंगा. यहां की जनता मुझे लोकसभा में मौका देती है तो उन्हें किसी भी विषय में निराशा नहीं होना पड़ेगा. मौजूदा सरकार हरिद्वार के लिए कई योजनाएं चला रही है. विकास के कार्य भी इस क्षेत्र में तेजी से हो रहे हैं. जनता यह सब देख रही है.