मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को क्यों किया पैदल
आकाश आनंद पद मुक्त: मायावती ने उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटाया; कारण बताया अपरिपक्वता
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने मंगलवार को उत्तराधिकारी आकाश आनंद को दोनों महत्वपूर्ण पदों से हटा दिया है।
Mayawati removed Akash Anand from the post of successor and National Coordinator
मायावती ने भतीजे को पद से हटाया
लखनऊ 07 मई 2024। सीतापुर में भड़काऊ भाषण देना बसपा के नेशनल कोर्डिटनेटर और बसपा सुप्रीमो मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद पर भारी पड़ गया। मायावती ने मंगलवार देर रात उन्हें दोनों महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से अलग कर दिया। इसकी वजह उनका अपरिपक्व होना बतायी गयी है। बता दें कि आकाश आनंद ने सीतापुर में जनसभा के दौरान भाजपा नेताओं की तुलना आतंकवादियों से की थी। साथ ही, उन्हें जूतों से मारने की बात कही थी।
आकाश आनंद के इस भड़काऊ भाषण के बाद उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था, जिसमें पार्टी के तीन प्रत्याशियों को भी नामजद किया गया था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए आकाश आनंद की रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद वह दिल्ली में पार्टी समर्थकों, छात्रों, शिक्षकों आदि से संपर्क साधते रहे और विपक्षी नेताओं को लगातार निशाने पर लेते रहे।
बसपा सुप्रीमो ने मंगलवार को एक्स पर बयान जारी करके आकाश को नेशनल कोर्डिटनेटर पद और अपने उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी से हटाने की घोषणा की। हालांकि उन्होंने आकाश आंनद के पिता और अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी व मूवमेंट के हित में पहले की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाते रहने को भी कहा। उन्होंने कहा कि बसपा का नेतृत्व पार्टी, मूवमेंट के हित एवं डॉक्टर आंबेडकर के कारवां को आगे बढ़ाने में हर प्रकार का त्याग व कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटेगा।
मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल को-ऑर्डिनेटर के पद से हटाया, क्या है वजह?
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने मंगलवार देर रात अपने भतीजे और पार्टी के नेशनल को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद को उनके पद से हटाने की घोषणा की .
मायावती ने ‘पूर्ण परिपक्वता’ प्राप्ति तक उन्हें अपने उत्तराधिकारी की ज़िम्मेदारियों से भी मुक्त कर दिया है.
देश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग ख़त्म होने के कुछ घंटे बाद ही मायावती की इस घोषणा ने पार्टी कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों और विश्लेषकों को आश्चर्यचकित कर दिया है.
मायावती ने मंगलवार को देर रात अपने ट्वीट में लिखा, “विदित है कि बीएसपी एक पार्टी के साथ ही बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान तथा सामाजिक परिवर्तन का भी मूवमेन्ट है जिसके लिए मान्य. श्री कांशीराम जी व मैंने ख़ुद भी अपनी पूरी ज़िन्दगी समर्पित की है और इसे गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है.’’
उन्होंने लिखा, “इसी क्रम में पार्टी में, अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही, श्री आकाश आनन्द को नेशनल कोऑर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी व मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम ज़िम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है. जबकि इनके पिता श्री आनन्द कुमार पार्टी व मूवमेन्ट में अपनी ज़िम्मेदारी पहले की तरह ही निभाते रहेंगे.”
सवाल ये है कि मायावती ने ऐसे वक़्त पर ये कदम क्यों उठाया, जब लोकसभा चुनाव के चार चरण बाकी हैं.
वो भी पार्टी के स्टार प्रचार आकाश आनंद के ख़िलाफ़ जिन्होंने पिछले कुछ समय से अपनी रैलियों से बीएसपी को मतदाताओं के बीच काफ़ी चर्चा में ला दिया था.
मायावती ने लिखा है कि पूर्ण परिपक्वता होने तक आकाश आनंद को दोनों अहम ज़िम्मेदारियों (नेशनल को-ऑर्डिनेटर और उत्तराधिकारी) से अलग किया जा रहा है. तो सवाल ये है कि क्या वो आकाश आनंद को राजनीतिक तौर पर पूरी तरह परिपक्व नहीं मानती हैं.
अगर वो पूर्ण परिपक्व नहीं हैं तो मायावती ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी और पार्टी का नेशनल को-ऑर्डिनेटर बनाकर ग़लती की थी और क्या अब उन्होंने उन्हें हटाकर अपनी ग़लती सुधारी है?
आकाश आनंद अपनी पिछली कुछ चुनावी रैलियों में बेहद आक्रामक अंदाज़ में दिखे हैं.इन रैलियों में आक्रामक भाषणों की वजह से उनके ख़िलाफ़ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में दो केस दर्ज किए गए थे.
28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में सीतापुर की रैली में उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सरकार की ‘तालिबान से तुलना’ करते हुए उसे ‘आतंकवादियों’ की सरकार कहा था. इसके अलावा उन्होंने लोगों से कहा था कि वो ऐसी सरकार को जूतों से जवाब दे.
इस आक्रामक भाषण पर हुए मुक़दमे के बाद ही आकाश आनंद ने 1 मई को ओरैया और हमीरपुर की अपनी रैलियां रद्द कर दी थीं.
पार्टी की ओर से ये कहा गया है कि परिवार के एक सदस्य के बीमार पड़ने की वजह से ये रैलियां रद्द की गई हैं.
क्या भाजपा को नाराज़ नहीं करना चाहती हैं मायावती?
लेकिन राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि मायावती आकाश आनंद की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों से खुश नहीं हैं. इस आक्रामक शैली से उन्हें चुनाव में अपनी पार्टी का फ़ायदा होने से ज़्यादा नुक़सान की आशंका सताने लगी थी.
सुनीता एरोन कहती हैं, ”मायावती का ये कहना ठीक है कि आकाश आनंद अभी परिपक्व नहीं हैं. दरअसल आकाश आनंद ने चुनावों के बीच ये कहना शुरू कर दिया था कि उनकी पार्टी चुनाव के बाद किसी से भी गठबंधन कर सकती है. मेरे ख़्याल से उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था.”
वो कहती हैं, ”ये ठीक है कि बसपा संस्थापक कांशीराम भी कहते थे कि अपने लोगों के हित में वो किसी के साथ भी जा सकते हैं. लेकिन वो एक सैद्धांतिक बात थी. लेकिन आकाश आनंद ने इसे इस तरह कहा जैसे पार्टी की कोई विचारधारा ही नहीं है.”
आकाश आनंद के आक्रामक भाषणों से किसे हो रहा था घाटा?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती और उनकी पार्टी के लिए ये लोकसभा चुनाव ‘करो या मरो’ का चुनाव है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ी थी.
पार्टी ने दस सीटें जीती थीं लेकिन इसे सिर्फ़ 3.67 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं 2009 के चुनाव में इसने 21 सीटें जीती थीं. जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में वो सिर्फ एक सीट जीत पाई.
चुनाव में इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बसपा ने भाजपा के ख़िलाफ़ अपने सुर नरम कर लिए थे.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता कहते हैं कि मायावती के भाजपा से गठबंधन के कयास लगाए जाते रहे हैं. पिछले कुछ समय से बसपा भाजपा के प्रति कम आक्रामक दिखी है. उन्होंने कहा, “इस चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद जिस तरह से आक्रामक भाषण दे रहे थे उससे उन्हें समाजवादी पार्टी को फायदा होता दिख रहा था. शायद यही वजह है कि मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल को-ऑर्डिनेटर के पद से हटाकर हालात संभालने की कोशिश की है.’’
पिछले दिनों आकाश आनंद ने इन आरोपों से इनकार किया था कि बसपा भाजपा की ‘बी’ टीम है.
लेकिन चुनाव के बाद भाजपा के साथ जाने की संभावना से जुड़े सवाल पर उन्होंने ये भी कहा था कि बसपा का उद्देश्य राजनीतिक सत्ता में आना है, इसके लिए पार्टी जो सही होगा करेगी.
आकाश आनंद की चुनावी रैलियों ने पिछले दिनों ख़ासी हलचल पैदा की है.
बसपा पर नज़र रखने वालों का कहना है कि उनकी रैलियों ने कम से कम उत्तर प्रदेश में बसपा समर्थकों में एक नया जोश पैदा किया था. ऐसे में उन्हें नेशनल को-ऑर्डिनेटर के पद से हटाए जाने पर पार्टी के युवा मतदाता निराश महसूस करेंगे.
शरद गुप्ता कहते हैं कि चुनाव के वक़्त ऐसे फ़ैसलों से मतदाताओं में ये संदेश जा सकता है कि बसपा में अपनी रणनीति को लेकर असमंजस की स्थिति है और वो पार्टी से दूर जा सकते हैं.
दूसरी ओर कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती बेहद सधी हुई राजनेता हैं.
ऐसे समय में जब बसपा का जनाधार कम होता दिख रहा है तो वो भाजपा के ख़िलाफ़ आक्रामक रुख़ अपना कर अपनी पार्टी को संकट में नहीं डालनी चाहतीं.
सुनीता एरोन कहती हैं कि हो सकता है कि मायावती का ये फ़ैसला फ़ौरी हो, मामला ठंडा होने पर वो आकाश आनंद को दोबारा उनके पद पर ला सकती हैं.
आकाश आनंद मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं.
वो 2017 में लंदन से पढ़ाई करने के आने के बाद ही बसपा के कामकाज से जुड़े थे. मई 2017 में सहारनपुर में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष के समय वो मायावती के साथ वहां गए थे.
आकाश 2019 से पार्टी के नेशनल को-ऑर्डिनेटर के तौर पर काम कर रहे थे. लेकिन मायावती ने उन्हें 2023 में पार्टी का नेशनल को-ऑर्डिनेटर और अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती ने उन्हें ये सोच कर ज़िम्मेदारी दी कि युवा आकाश पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं और नई पीढ़ी के दलित नेतृत्व को उत्साहित कर सकेंगे.
मायावती ने उन्हें ये ज़िम्मेदारी ऐसे समय में सौंपी जब पार्टी का राजनीतिक ग्राफ़ नीचे जाता दिख रहा था.दूसरी ओर वो दलित युवा में तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे चंद्रशेखर आज़ाद के प्रभाव से भी चिंतित लग रही थीं.
आकाश आनंद ने हाल के अपने कुछ इंटरव्यू में आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद पर जम कर वार किए.
इस लोकसभा चुनाव में उन्होंंने अपनी रैलियों की शुरुआत भी उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से की थी, जहां आज़ाद के ख़िलाफ बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है.