राहुल की सांसदी भी गई, आगे क्या?

टाइमलाइन:मोदी सरनेम वाले मानहानि केस में सूरत कोर्ट से 2 साल कैद की सजा, 27 मिनट बाद जमानत, 26 घंटे बाद सांसदी खत्म

राहुल गांधी पहली बार 2004 में अमेठी से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2009 और 2014 में भी अमेठी से जीते। 2019 का चुनाव वह अमेठी से हार गए थे, लेकिन केरल के वायनाड से जीत गए थे।
नई दिल्ली 23 मार्च।  कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता शुक्रवार दोपहर करीब 2.30 बजे निरस्त कर दी गई। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी है। मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार दोपहर 12.30 बजे उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, 27 मिनट बाद उन्हें जमानत मिल गई थी। राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में यह आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था।

लोकसभा सचिवालय ने ये पत्र जारी किया है…

अब आगे क्या, तीन महत्वपूर्ण बिंदु…

विधि विशेषज्ञ के मुताबिक लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसदीय सीट वायनाड को खाली घोषित कर दिया है। चुनाव आयोग अब इस सीट पर चुनाव की घोषणा कर सकता है। दिल्ली में राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने को भी कहा जा सकता है।
अगर राहुल गांधी की सजा का फैसला ऊपरी अदालतें भी यथावत रखती हैं तो वे अगले 8 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। 2 साल की सजा पूरी करने के बाद वह छह साल के लिए अयोग्य रहेंगे।
राहुल गांधी अब सूरत कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकते हैं। कांग्रेस ने एक्शन की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति ही चुनाव आयोग के साथ विमर्श कर किसी सांसद को अयोग्य घोषित कर सकते हैं।

कांग्रेस क्या कर रही है

राहुल गांधी की टीम अब सूरत कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करेगी। अगर सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील वहां स्वीकार नहीं होती है तो सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील होगी। सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल को अपील दायर करने को 30 दिनों का समय दिया गया था।

अब जानिए राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता क्यों गई?

2019 लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, ‘चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी।’

इसके बाद सूरत पश्चिम के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे पूरे समाज को चोर कहा है और यह हमारे समाज की मानहानि है। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेशी के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।

उनके वकील के मुताबिक, ‘राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी। मैंने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।’

इसी मामले में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार दिया। कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा और 15 हजार का अर्थदंड भी लगाया। इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी दे दी। मानहानि के मामले में 2 साल की जेल अधिकतम सजा है। यानी इससे ज्यादा इस मामले में सजा नहीं दी जा सकती है।

राहुल गांधी के वकील बाबू मांगूकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने राहुल गांधी को IPC की धारा 499 और 500 में दोषी ठहराया था। साथ ही उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया, ताकि उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके।

2013 में राहुल ने ही फाड़ा था अध्यादेश, पास हो जाता तो राहुल को मुश्किल ना होती

2013 में जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सांसद/विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए।

24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने पहुंचकर कहा था- ये अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। इसके बाद ये अध्यादेश वापस ले लिया गया था।

राहुल की सदस्यता रद्द होने पर किसने क्या कहा…

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर: राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड के एक भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर हैं, उन्हें संसद में सच्चाई से दूर जाने की आदत है। मुझे लगता है कि राहुल खुद को संसद, कानून और देश से ऊपर मानते हैं। उन्हें लगता है कि गांधी परिवार कुछ भी कर सकता है।
प्रियंका गांधी: डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे। सच बोलते हुए जिये हैं, सच बोलते रहेंगे। देश के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे। सच्चाई की ताकत और करोड़ों देशवासियों का प्यार उनके साथ है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश: हम इस लड़ाई को कानूनी और राजनीतिक दोनों तरह से लड़ेंगे। हम भयभीत या चुप नहीं होंगे। PM से जुड़े अडानी महामेगा स्कैम में JPC के बजाय, राहुल गांधी अयोग्य हैं। भारतीय लोकतंत्र ओम शांति।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे: भाजपा ने राहुल को अयोग्य घोषित करने के लिए सभी तरीके आजमाए। जो सच बोल रहे हैं उन्हें वो पसंद नहीं करते, लेकिन हम सच बोलते रहेंगे। राहुल का बयान किसी समाज के संबंध में नहीं है, जो लोग पैसे लेकर भागे, जैसे ललित मोदी, नीरव मोदी और विजय माल्या वे क्या पिछड़े समाज से थे?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत: देश में जिस तरह का भय, हिंसा का माहौल बना है, उसमें ED, न्यायपालिका, चुनाव आयोग पर दबाव है। ये तानाशाही है। संसद चल नहीं पा रही, एक सांसद बोल नहीं पा रहा। भारत जोड़ो यात्रा से सरकार घबराई हुई है, इसलिए विपक्ष की कोई मांग पूरी नहीं होने दे रही।
अभिषेक मनु सिंघवी: सेक्शन 103 के तहत सदस्यता रद्द करने का फैसला राष्ट्रपति के द्वारा होना चाहिए था। वहां भी राष्ट्रपति पहले चुनाव आयोग से सुझाव लेते हैं, फिर कोई फैसला होता है, लेकिन इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन: सरकार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ की गई कार्रवाई वापस लेनी ही होगी।

राहुल गांधी पर मानहानि के 4 और मुकदमे चल रहे हैं, जिन पर फैसला बाकी…

2014 में राहुल गांधी ने संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था। एक संघ कार्यकर्ता ने राहुल पर IPC की धारा 499 और 500 में मामला दर्ज कराया। केस महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट में चल रहा है।
2016 में राहुल गांधी के खिलाफ असम के गुवाहाटी में धारा 499 और 500 में मानहानि का केस दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा था कि 16वीं सदी के असम के वैष्णव मठ बरपेटा सतरा में संघ सदस्यों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इससे संघ की छवि को नुकसान पहुंचा। मामला भी अभी कोर्ट में पेंडिंग है।
2018 में राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड की राजधानी रांची में एक और केस हुआ। केस रांची की सब-डिविजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रहा है। राहुल के खिलाफ IPC की धारा 499 और 500 में 20 करोड़ रुपए मानहानि का केस है। इसमें राहुल के उस बयान पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें उन्होंने ‘मोदी चोर है’ कहा था।
2018 में ही राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में एक और मानहानि का केस हुआ। ये मामला मझगांव स्थित शिवड़ी कोर्ट में चल रहा है। IPC की धारा 499 और 500 में मानहानि का केस दर्ज है। केस संघ के कार्यकर्ता ने किया था। राहुल पर आरोप है कि उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को BJP और संघ की विचारधारा से जोड़ा।

अब जानिए किन-किन नेताओं को गंवानी पड़ी सदस्यता

लालू यादव : चारा घोटाले के बाद संसद सदस्यता गई

लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री और देश के रेल मंत्री रह चुके हैं।चारा घोटाले के मामले में साल 2013 में कोर्ट ने लालू यादव को दोषी ठहराते हुए 5 साल के जेल की सजा सुनाई थी। उनकी सांसदी चली गई थी। साथ ही लालू सजा पूरी करने के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सके।

रशीद मसूद : MBBS सीट घोटाले में 4 साल की सजा पाने के बाद सांसदी गई

MBBS सीट घोटाले में कांग्रेस के सांसद रशीद मसूद की सदस्यता चली गई थी। काजी रशीद कांग्रेस से राज्यसभा पहुंचे थे। कांग्रेस ने उन्हें UP से राज्यसभा में भेजा था। राज्यसभा सांसद रहते उन्हें MBBS सीट घोटाले में दोषी पाया गया। कोर्ट ने साल 2013 में चार साल की सजा सुनाई थी। इससे उनकी सांसदी चली गई।

अशोक चंदेल : उम्रकैद होने पर विधायकी गई

अशोक चंदेल बुंदेलखंड के कद्दावर नेता भाजपा के
हमीरपुर से विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल की सदस्यता रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 में साल 2019 में चली गई थी। 19 अप्रैल 2019 को हाईकोर्ट ने उन्हें हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सजा सुनाई थी।

कुलदीप सेंगर : उम्रकैद होने पर विधानसभा सदस्यता खत्म

 

उन्नाव में नाबालिग से सामूहिक रेप केस में बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा हुई। सजा के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई थी। विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से सजा के ऐलान के दिन यानी 20 दिसंबर 2019 से ही उनकी सदस्यता खत्म किए जाने का आदेश जारी किया गया था।

अब्दुल्ला आजम : 2 साल की सजा के बाद विधायकी गई

इसी साल फरवरी में मुरादाबाद की एक विशेष कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में सपा नेता आजम खान और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी विधायकी चली गई थी। उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की सीट को 2 दिन बाद ही रिक्त घोषित कर दिया था।

 राहुल गांधी के लिए अब आगे?

राहुल गांधी सांसद नहीं रहे। आज लोकसभा सचिवालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951’ की धारा 8 में संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है। एक दिन पहले गुरुवार को सूरत कोर्ट ने उन्हें मानहानि का दोषी पा दो साल कैद की सजा सुनाई। राहुल ने 2019 के चुनावी भाषण में मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी। इसीमें उन पर मानहानि का मुकदमा चल रहा था। सूरत कोर्ट ने इसी पर फैसला सुनाया था। हालांकि उन्हें फौरन जमानत भी दे दी थी।

सांसदी जाने के बाद राहुल गांधी के पास अब क्या रास्ते है?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता निरस्त होने से पहले कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दलों ने पहले संसद और फिर दिल्ली की सड़क पर प्रोटेस्ट किया। विपक्षी दलों ने विजय चौक तक मार्च निकाला। जो पोस्टर विपक्षी सांसदों ने लिए थे, उन पर लिखा था- लोकतंत्र खतरे में है।

राहुल भारत जोड़ो यात्रा समेत कई मौकों पर संसद में माइक बंद करने का मुद्दा उठा चुके हैं। 7 फरवरी 2023 को राहुल गांधी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलकर बैठे थे। तभी स्पीकर ओम बिड़ला ने शिक्षा दी कि ‘सदन में या सदन के बाहर ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए कि अध्यक्ष माइक बंद कर देते हैं।’ जवाब में राहुल ने कहा, ‘अध्यक्ष जी ये रियलिटी है, आप माइक बंद कर देते हैं।’

What Next In Rahul Gandhi Disqualtification Case If Membership Reinstated After Wayanad By-Election Know Every Answer

वायनाड में उपचुनाव के बाद अगर बहाल हुई राहुल की सदस्यता तो क्या होगा? मन में उठ रहे ऐसे सभी सवालों के जवाब जानिऐ

वह विपक्ष के सबसे बड़े नेता हैं। लोग जानना चाहते हैं कि राहुल गांधी आगे क्‍या कदम उठा सकते हैं। उन्‍हें मामले में राहत मिल सकती है या नहीं। राहुल के लिए सभी दरवाजे बंद हो गए या उम्‍मीद बची है।

हाइलाइट्स
वायनाड में उपचुनाव की तैयारी शुरू, अप्रैल तक आएगी तारीख
उपचुनाव के बाद सदस्‍यता बहाल हुई तो बनेगी दिलचस्‍प स्थिति

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद राजनीति गरम हो गई है। वह विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा हैं। सूरत की अदालत ने आपराधिक मानहानि के मुकदमे में राहुल को दो साल कैद की सजा सुनाई । 2019 में यह केस दायर हुआ था। ‘मोदी सरनेम’ को लेकर बयान के संबंध में कोर्ट ने फैसला सुनाया। फैसले के बाद राहुल की सांसदी चली गई है। शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय से आदेश जारी हुआ। इसके बाद कई तरह के सवाल लोगों के मन में हैं। पहला तो यही है राहुल के पास अब क्‍या ऑप्‍शन हैं? राहुल को अपीलीय अदालत में राहत मिली हो तो क्‍या होगा? वायनाड में उपचुनाव के बाद राहुल की सदस्‍यता बहाल हुई तो कैसी स्थिति बनेगी?

क्‍या कहता है जनप्रतिनिधि कानून?

जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, दो साल या उससे ज्‍यादा समय को कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा। वह सजा पूरी होने के बाद जनप्रतिनिधि बनने को छह साल तक अयोग्य रहेगा।

क्‍या राहुल अयोग्‍यता से बच सकते हैं?

एक्‍सपर्ट्स इसका जवाब हां में देते हैं। अगर अपीलीय अदालत उनकी सजा पर स्‍टे दे देती हैं तो वह लोकसभा की सदस्यता को अयोग्य नहीं होंगे। राहुल गांधी अपील करने को स्वतंत्र हैं। अगर अपीलीय अदालत दोष सिद्धि और सजा पर रोक लगा देती है तो अयोग्यता भी निलंबित हो जाएगी।

ऐसे मामले में क्‍या रहे हैं कोर्ट के आदेश?

लिलि थॉमस और लोक प्रहरी मामले इसके उदाहरण हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2018 में इन फैसलों को दिया। लिलि थॉमस फैसले के अनुसार, ऐसी दोष सिद्धि जिसके तहत दो साल या ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, उसमें जनप्रतिनिधि खुद अयोग्य हो जाएगा। बाद में लोक प्रहरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अपील करने पर दोष सिद्धि निलंबित हो जाती है तो अयोग्यता भी अपने आप निलंबित हो जाएगी।

वायनाड में उपचुनाव कब हो सकता है?

लोकसभा स्पीकर की अधिसूचना के बाद से ही निर्वाचन आयोग में वायनाड उपचुनाव की संभावना पर मंथन शुरू हो चुका है। मीडिया में आ रही जानकारी के मुताबिक, वायनाड लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव का कार्यक्रम अप्रैल में घोषित होने के आसार हैं।

किस हालत में बचेगी संसद सदस्यता, एक्सपर्ट से जानिए
राहुल गांधी की सजा पर रोक लगी तो क्‍या होगा?

अपीलीय अदालत में सजा पर रोक लगी तो अयोग्यता भी निलंबित हो जाएगी। यानी राहुल दोबारा संसद सदस्‍य बन जाएंगे।

उपचुनाव बाद राहुल की सदस्‍यता बहाल हुई तो क्‍या होगा?

वायनाड में उपचुनाव के बाद राहुल गांधी की सदस्‍यता बहाल हुई तो स्थिति बेहद दिलचस्‍प हो जाएगी। इस तरह का मामला पहले कभी नहीं देखा गया है। हालांकि, राहत नहीं मिलने पर राहुल की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। उन्‍हें जेल भी जाना पड़ सकता है।

क्‍या सांसदी या विधायकी जाने के बाद पेंशन और भत्‍ते मिलते हैं?

राहुल गांधी की सांसदी जा चुकी है। पहली बार नहीं है जब किसी सांसद या विधायक की सदस्‍यता गई है। उनसे पहले लालू प्रसाद यादव, रशीद मसूद, कुलदीप सिंह सेंगर के साथ भी ऐसा हो चुका है। हालांकि, ऐसे में एक और सवाल यह उठता है कि क्‍या सांसदी या विधायकी जाने के बाद पेंशन और भत्‍ते मिलना बंद हो जाते हैं।

सवाल यह उठता है क‍ि विधायकी या सांसदी जाने के बाद पेंशन और भत्‍तों का क्‍या होता है? क्‍या विधायकी या सांसदी जाने के बाद ये मिलना भी बंद हो जाते है।

सुप्रीम कोर्ट ने प‍िछले साल द‍िया था यह फैसला…

ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नजीर है। पिछले साल इस बाबत देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला दिया था।  बिहार के चार पूर्व विधायकों को अयोग्‍य ठहरा उन्‍हें पेंशन लाभ से भी वंचित किया गया था। इन पूर्व विधायकों में ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, रवींद्र राय, नीरज कुमार सिंह और राहुल कुमार शामिल थे। बिहार विधानसभा अध्‍यक्ष ने उनके खिलाफ ऐक्‍शन लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि संविधान की दसवीं अनुसूची में विधानसभा अध्‍यक्ष के पास पूर्व विधायक के खिलाफ अयोग्‍यता याचिका पर फैसला करते समय पेंशन और अन्‍य भत्‍ते रोकने की शक्ति नहीं है।

किस तरह के पेंशन और भत्‍ते म‍िलते हैं?

इसे थोड़ा और बारीकी से समझने की जरूरत है। दरअसल, एक सांसद को मिलने वाले पैसे में चार कंपोनेंट होते हैं। सैलरी, निर्वाचन क्षेत्र के लिए मिलने वाला भत्ता, ऑफिस एक्‍सपेंस और सचिव सहायक के लिए वेतन। इसके अलावा कुछ वैरिएबल कंपोनेंट भी होते हैं। इनमें ट्रैवेल अलाउंस शामिल है। अगर कोई एक दिन के लिए भी सांसद बनता है तो उसे पूरी जिंदगी 25 हजार रुपये पेंशन बंध जाती है। 20 ऐसे राज्‍य हैं, जो अपने पूर्व विधायकों को संसद से ज्‍यादा पेंशन देते हैं। एक कार्यकाल पूरा होने के बाद हर साल को एक इंक्रीमेंट मिलता है। जब किसी पूर्व विधायक की मौत होती है तो उनकी पत्नी या बच्चों को पेंशन का एक हिस्सा मिलता है। देश में सिर्फ गुजरात है जहां पूर्व विधायकों को किसी तरह की पेंशन नहीं मिलती।

नियम सांसदों और विधायकों की ओर काफी ज्‍यादा झुके हैं। अगर कोई नेता पूर्व सांसद या विधायक की पेंशन ले रहा है और दोबारा मंत्री बनता है तो उसे मंत्री पद के वेतन के साथ ही पेंशन भी मिलती है। सांसदों और विधायकों को डबल पेंशन लेने का हक है। इसका मतलब है कि अगर कोई विधायक रहा है और बाद में सांसद बन जाए तो उसे दोनों की पेंशन मिलती है। मृत्यु होने पर परिवार को आधी पेंशन मिलती है।

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