जिसकी लाठी: चीनी उईगर मुसलमानों के नस्ल खत्म करने में मदद करते हैं छह मुस्लिम देश
एक बयान पर इतना हंगामा, पर चीन में लाखों मुस्लिमों के दमन पर इस्लामिक मुल्क खामोश क्यों?
पैगंबर मोहम्मद पर दिए BJP नेता नूपुर शर्मा के विवादित बयान पर नाराजगी जताते हुए कई मुस्लिम देशों ने भारत से माफी की मांग की है। कम से कम 16 मुस्लिम देश- इराक, ईरान, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, ओमान, मलेशिया, यूएई, जॉर्डन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बहरीन, मालदीव, लीबिया, तुर्की और इंडोनेशिया इस विवादित बयान को लेकर भारत से आधिकारिक विरोध जता चुके हैं।
साथ ही 57 मुस्लिम देशों का संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन, यानी OIC भी नूपुर शर्मा के बयान की आलोचना कर चुका है।
अब सोशल मीडिया पर ये सवाल उठ रहे हैं कि एक गलत बयान पर भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले अरब देश लाखों उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे चीनी अत्याचारों पर खामोश क्यों रहते हैं। ये अरब देश कई बार चीन के उइगर मुस्लिमों के शोषण के बजाय उसका समर्थन करते नजर आए हैं।
ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर अरब देश चीन में उइगर मुस्लिमों के अत्याचार पर चुप क्यों रहते हैं? चीन और अरब देशों के बीच इस दोस्ती की वजह क्या है?
10 लाख उइगर मुस्लिमों को कैद में यातनाएं दे रहा चीन
उइगर चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले मुस्लिम हैं। इनकी आबादी करीब 1.20 करोड़ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन उइगर मुस्लिमों का पिछले कई वर्षों से सुनियोजित तरीके से शोषण करता रहा है। चीन पर उइगर मुस्लिमों के नरसंहार से लेकर जबरन मजदूरी कराने, जबरन नसबंदी कराने और महिलाओं से रेप के आरोप हैं।
मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि चीन ने नजरबंदी कैंपों में बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के करीब 10 लाख उइगर मुस्लिमों को बंदी बना रखा है। बंदियों की अनुपस्थिति में उनके परिवार को ‘शिक्षित और अनुशासित’ करने को सैनिक भेजे जाते हैं जो एक निश्चित समय तक परिवार में ही रहते हैं और महिला का आगे वंश चलाने को यौन संबंध बनाते हैं। मानवाधिकारवादी मानते हैं कि यह उइगरों की नस्ल बदलने का प्रयास है।
पिछले साल चीन के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने ब्रिटेन के स्काई न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चीनी डिटेंशन सेंटर में उइगर मुस्लिमों के मुंह में पाइप डालकर हाथ-पैर बांध दिए जाते हैं, इन्हें कई दिनों तक भूखा छोड़ दिया जाता है। कभी-कभी तो उइगरों को पीट-पीटकर मार भी दिया जाता है।
चीन ने 16 हजार से ज्यादा मस्जिदों को नष्ट किया
चीनी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक उइगर मुस्लिमों के ज्यादातर इलाकों में 2015-2018 के दौरान जन्म दर 60% से ज्यादा गिर गई। 2019 में शिनजियांग में जन्म दर में 24% की गिरावट आई। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2017 से शिनजियांग में चीन ने 16 हजार से ज्यादा मस्जिदों को नष्ट कर दिया है। लाखों बच्चों को जबरन उनके माता-पिता से अलग करके बोर्डिंग स्कूलों में भेज दिया गया है।
चीन पर 2014 से कम से कम 630 इमाम और अन्य मुस्लिम धार्मिक नेताओं को अरेस्ट करने का आरोप है। इनमें से 18 की हिरासत में मौत हो गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन न केवल शिनजियांग बल्कि चीन के बाहर भी उइगर मुस्लिमों पर नजर रखने के लिए लगातार उनकी ट्रैकिंग करता है। इतना ही नहीं चीन उइगर मुस्लिमों को उनकी दाढ़ी कटाने के लिए भी बाध्य करता रहा है। साथ ही चीन उइगर प्रवासियों से उनकी पर्सनल जानकारियां उसे सौंपने को मजबूत करता रहा है और उनके परिवार को धमकियां देता रहा है।
चीन पर कुछ वर्षों में शिनजियांग प्रांत में 16 हजार मस्जिदों को नष्ट करने का आरोप है
चीन में उइगर मुस्लिमों के शोषण का समर्थन करते रहे हैं अरब देश
मुस्लिम देश न केवल उइगर मुस्लिमों के मामले में चीन का समर्थन करते रहे हैं बल्कि उइगर मुस्लिमों के खिलाफ चीन द्वारा चलाए जा रहे वैश्विक कैंपेन का भी समर्थन करते रहे हैं। अरब देशों के कम से कम छह देशों-मिस्र, मोरक्को, कतर, सऊदी अरब, सीरिया और यूएई ने चीन के इशारे पर न केवल उइगर मुस्लिमों को हिरासत में लिया है बल्कि चीन को डिपोर्ट भी किया है।
दरअसल, चीन शिनजियांग प्रांत में बहुसंख्यक उइगर मुस्लिमों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को आतंकवाद और चरमपंथ को रोकने और देश की सुरक्षा के लिए जरूरी बताते हुए सही साबित करने का प्रोपेगेंडा चलाता रहा है। मार्च 2019 में सऊदी स्थित मुस्लिम देशों के संगठन OIC ने चीन की मुस्लिम नागरिकों को देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तारीफ की थी।
अरब देशों में सबसे ताकतवर देश माना जाने वाला सऊदी अरब कई बार चीन में उइगर मुस्लिमों के शोषण का समर्थन कर चुका है। 2019 में चीन के दौरे पर गए सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ चीन की कार्रवाई का आतंक और चरमपंथ के खिलाफ कार्रवाई बताते हुए समर्थन किया था।
चीन शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों से इस कदर सख्ती बरतता है कि मस्जिदों की निगरानी के लिए उनके आसपास सर्विलांस कैमरे लगवा रखे हैं
द टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक 2002 से चीन के इशारे पर अरब देशों ने करीब 292 उइगर मुस्लिमों को हिरासत में लिया है या डिपोर्ट किया है। इसी साल चीन के इशारे पर सऊदी अरब ने दो उइगर को अपने यहां से अरेस्ट करने के बाद चीन को सौंपा था।
अरब देशों पर चीन की पकड़ इतनी मजबूत है कि जुलाई 2017 में चीन के इशारे पर मिस्र ने 200 उइगर मुस्लिमों को उनके घरों, रेस्टोरेंट, मस्जिदों और यहां तक कि एयरपोर्ट से हिरासत में ले लिया था। इनमें से अधिकतर उइगर मिस्र की अल-अजहर यूनिवर्सिटी के छात्र थे। इन गिरफ्तार लोगों को मिस्र की कुख्यात स्कॉर्पियन जेल ले जाया गया, जहां चीनी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों ने मिस्र की सुरक्षा एजेंसियों की मौजदूगी में उइगर लोगों से पूछताछ की थी। इनमें से 45 छात्रों को चीन को डिपोर्ट कर दिया गया था, इसके बाद से इन छात्रों का कोई पता नहीं है।
चीन उइगर मुस्लिमों पर लगातार नजर बनाए रखता है। इमाम की हत्या के बाद चीन के कासगर में 2014 में ईद खा मस्जिद के बाहर तैनात चीनी सैनिक।
हज के जरिए भी उइगरों को अरेस्ट कराता रहा है चीन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी स्थित मुस्लिमों के पवित्र स्थल मक्का और मदीना में हज यात्रा भी चीन के लिए उइगर मुस्लिमों को पकड़ने का एक प्रमुख जरिया बन गई है। इससे चीन दुनिया भर से हज यात्रा के लिए आने वाले उइगर मुस्लिमों को सऊदी अरब की मदद से अरेस्ट करवाता रहा है। अतीत में हज पर जाने वाले उइगरों की ट्रैकिंग के लिए उनके गले में सरकार द्वारा जारी स्मार्टकार्ड जैसे ट्रैकिंग डिवाइस डाले जाते थे।
तुर्की एकमात्र ऐसा मुस्लिम देश है, जिसने उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर चीन के खिलाफ आवाज उठाई। 2009 में तुर्की ने शिनजियांग में उइगरों के खिलाफ हिंसा का विरोध किया था, लेकिन चीन ने तुर्की के इस बयान पर कड़ा विरोध जताया था। चीन की नाराजगी से बाद में तुर्की ने इस मुद्दे पर बोलना बंद कर दिया।
सऊदी, UAE जैसे मुस्लिम देशों ने चीन की शिनजियांग पॉलिसी का समर्थन किया
सऊदी अरब ने 2019 और 2020 में संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन की शिनजियांग पॉलिसी का समर्थन किया था। 2019 में मिस्र, बहरीन, पाकिस्तान, UAE, सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देश उन 37 देशों में शामिल थे, जिन्होंने UN ह्यूमन राइट्स काउंसिल में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यों में चीन के योगदान की तारीफ करने वाले लेटर पर साइन किया था। इस लेटर में दावा किया गया था कि शिनजियांग में आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ का सामना करने के बाद चीन ने वहां सेफ्टी और सिक्योरिटी कायम की है।
म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर खूब मुखर रहे हैं ये मुस्लिम देश
ऐसा नहीं है कि चीन में उइगर मुस्लिमों के शोषण के खिलाफ आंखें मूंदे रहने वाले ताकतवर मुस्लिम देश दूसरी जगहों पर मुस्लिमों के शोषण पर नहीं बोलते हैं। 2017 में म्यामांर में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हुई जबर्दस्त हिंसा के मामले में मुस्लिम देशों ने कड़ा रुख अख्तियार किया था और सऊदी अरब ने UN में इन घटनाओं की निंदा की थी तो खुद को मुस्लिम देशों की आवाज कहने वाले संगठन OIC ने इस मामले में उचित जांच की मांग की थी।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मुस्लिम देश म्यामांर में रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर इसलिए बोल पाते हैं, क्योंकि म्यांमार ताकतवर देश नहीं है, जबकि उससे हर मामले में कई गुना ताकतवर देश चीन को नाराज करने की हिम्मत उनमें नहीं है।
मुस्लिम देश इन 3 कारणों से चीन के खिलाफ नहीं बोल पाते
1. चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के आगे नतमस्तक मुस्लिम देश
अब सवाल ये उठता है कि म्यामांर में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा से लेकर भारत में एक गलत बयान पर इतनी नाराजगी जताने वाले मुस्लिम देश चीन में उइगर मुस्लिमों के शोषण पर क्यों नहीं बोलते। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे चीन के साथ मुस्लिम बहुल देशों के मजबूत आर्थिक संबंध हैं। ये मुस्लिम देश उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर चीन का विरोध करके उसकी नाराजगी नहीं मोल लेना चाहते। ये मुस्लिम देश मुस्लिम हितों से ज्यादा अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए तय करते हैं कि कहां आलोचना करनी है और कहां नहीं।
सेंट्रल एशिया और मिडिल ईस्ट के कई देश चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी BRI से जुड़े हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट 2013 में शुरू किया गया था। यह प्रोजेक्ट एशिया, अफ्रीका, यूरोप और ओशिनिया के 78 देशों को रेलमार्ग, शिपिंग लेन और अन्य नेटवर्क के माध्यम से जोड़ता है।
2. 50 मुस्लिम देशों में 31 लाख करोड़ रुपए का चीनी निवेश
चीन मुस्लिम जगत में अपनी जड़े काफी गहरे तरीके से जमा चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 50 मुस्लिम देशों में 600 अलग-अलग प्रोजेक्ट में चीन ने कुल 400 अरब डॉलर यानी 31 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसलिए मुस्लिम वर्ल्ड चीन में हो रही इन यातनाओं पर आंख मूंदे रहता है।
कोरोना महामारी के दौरान चीन मुस्लिम वर्ल्ड को फ्री में वैक्सीन की 1.5 अरब डोज दी थी। वहीं चीन, ईरान में पहले से ही इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 60 अरब डॉलर निवेश की बात कर चुका है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन अब इस्लामिक देशों में अमेरिका की जगह ले रहा है। इसीलिए चीन और सऊदी अरब अब तेल का व्यापार अमेरिकी डॉलर के बजाय युआन में करने पर विचार कर रहे हैं।
3. मुस्लिम देशों का मानवाधिकार का रिकॉर्ड भी बहुत खराब
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी में चीन की राजनीति पर शोध कर रहे हैं सिमोन वैन निउवेनहुइजेन का कहना है कि अधिकांश देशों की तरह कई मुस्लिम-बहुल देशों के चीन के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंध हैं। साथ ही इस पर आम धारणा है कि शिनजियांग के बारे में बोलने पर चीन से आर्थिक संबंध खराब हो सकते हैं जो कि उनके हित में नहीं होगा।
ऑस्ट्रेलिया में उइगर बुलेटिन नेटवर्क चलाने वाले एक्टिविस्ट अलीप एर्किन का आरोप है कि चीन BRI को उइगर नरसंहार पर समर्थन के लिए टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। यही कारण है कि मुस्लिम देश मिस्र जो कि चीन के BRI प्रोजेक्ट से जुड़ा है। वह उइगर पर कार्रवाई में चीन की मदद करता है।
साथ ही कई मुस्लिम देशों का चीन की तरह ही मानवाधिकार के मामले में रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। इसीलिए ये देश उइगर जैसे मुद्दों पर खामोश रहते हैं, जिससे उनके यहां मानवाधिकार हनन के मुद्दों पर चर्चा न हो।