मिल्कीपुर उपचुनाव भाजपा के पासवान ने जीता 61 हजार से
दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा समर्थकों के चेहरे खिले, मिल्कीपुर में चंद्रभानु पासवान की बड़ी जीत
मिल्कीपुर सीट भाजपा ने जीत फैजाबाद (अयोध्या) संसदीय सीट गंवाने की भरपाई कर ली है। सपा फैजाबाद सीट जीतकर सांसद अवधेश प्रसाद को राजनीतिक ट्राफी की तरह इस्तेमाल करती रही है। अब अवधेश प्रसाद के त्यागपत्र के बाद रिक्त हुई मिल्कीपुर सीट जीतकर भाजपा इस ट्राफी की चमक फीकी करेगी। यह सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई थी.
अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी जीती
बीजेपी के चंद्रभानु पासवान ने समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद को हराया
भारतीय जनता पार्टी ने शुरुआती से लेकर अंत तक बढ़त को रखा बरकरार
अयोध्या 08 । मिल्कीपुर उपचुनाव (Milkipur Bypoll 2025 result) की तस्वीर अब साफ हो चुकी है, उपचुनावों का फैसला भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आया है। कुल तीस राउंड की मतगणना में बीजेपी के प्रत्याशी चद्रभानु पासवान 60 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। इस जीत के साथ चंद्रभानु पासवान के रूप में मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र को अपना 18वां जनप्रतिनिधि मिल गया है। समाजवादी प्रत्याशी अजीत प्रसाद को करीब 80 हजार वोट मिले हैं।
बताते चलें कि बुधवार (पांच फरवरी) को यहां मतदान हुआ था। समाजवादी प्रत्याशी अजीत प्रसाद और भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान सहित 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।
बीजेपी उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान 61710 वोटों से जीते
मिल्कीपुर में बीजेपी उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान 61710 वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। चंद्रभानु को 146397 वोट मिले हैं, जबकि सपा के अजीत प्रसाद को 84687 वोट मिले।
Milkipur By Election Result BJP won Milkipur by-election due to Yogi charisma Five reasons for SP defeat
मिल्कीपुर में चला योगी का जादू: जितने अंतर से लोकसभा हारे…उससे अधिक से उपचुनाव जीता; सपा की हार के पांच कारण
अयोध्या
यूपी की बहुचर्चित अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव की मतगणना के पहले रुझान में कमल खिलने लगा तो सपाईयों के चेहरे मुरझाने लगे। इस सीट पर भाजपा के चंद्रभानु पासवान ने सपा के अजीत प्रसाद के लंबे अंतराल से हराया। भाजपा जितने अंतर से लोकसभा सीट हारी थी, उससे अधिक अंतर से उपचुनाव जीतने का संकल्प पूरा किया।
अयोध्या में एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करिश्मा सामने आया है। मिल्कीपुर उप चुनाव में सिपहसलारों की मदद से भाजपा को भारी मतों से जिताकर योगी ने कुशल संगठनकर्ता होना साबित किया
पूरे उपचुनाव में पीडीए बेअसर दिखा। न तो पिछड़ा, न दलित और न ही अल्पसंख्यक मतों को सहेजने में कामयाबी मिली। टीम योगी ने राम मंदिर निर्माण के बाद भी फैजाबाद लोकसभा सीट हारने की टीस को मिटाने में कामयाबी पाई है। जितने अंतर से लोकसभा सीट पर हार हुई थी, उससे अधिक अंतर से उप चुनाव जीतने का संकल्प भी पूरा करने में सफलता मिली है।
यदि परिणामों पर नजर डाला जाए तो पहले चक्र की मतगणना से भाजपा ने जो बढ़त बनाई वह फिर रुका नहीं। फैजाबाद लोकसभा सीट पर राम मंदिर निर्माण के बाद भी भाजपा की हार की टीस मिल्कीपुर के आम मतदाताओं तक पहुंचाने की रणनीति में भाजपा को सफलता मिली। पार्टी के रणनीतिकारों की ओर से इस मुद्दे को भुनाने की भरपूर कोशिश की गई और इसमें सफलता भी मिली।
समाजवादी पार्टी उम्मीदवार अजीत प्रसाद, भाजपा उम्मीदवार चंद्रभानु प्रसाद और आज़ाद समाज पार्टी के उम्मीदवार सूरज चौधरी उर्फ़ संतोष कुमार.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच प्रतिष्ठा का विषय बनी उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव का नतीजा भी काफ़ी चर्चा में है.
भारतीय जनता पार्टी ने यहां चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाया था वहीं समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को चुनाव में उतारा था.
चुनाव आयोग के मुताबिक़, बीजेपी के चंद्रभानु पासवान ने 61,710 वोट के अंतर से जीत हासिल की. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के अजीत प्रसाद को हराया.
चंद्रभानु को 1 लाख 46 हज़ार 397 वोट मिले, जबकि सपा उम्मीदवार को 84 हज़ार से अधिक वोट हासिल हुए.
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर से ही विधायक रहे अवधेश प्रसाद फ़ैज़ाबाद से जीत गए थे. इस कारण यह विधानसभा सीट ख़ाली हो गई थी.
अवधेश प्रसाद ने अयोध्या की फ़ैज़ाबाद लोकसभा सीट से भाजपा के लल्लू सिंह को हराया था. लल्लू सिंह लगातार दो बार वहाँ से सांसद रहे थे. उनकी इस जीत की राष्ट्रीय स्तर पर ख़ूब चर्चा हुई थी.आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने इस चुनावी मुक़ाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की थी, लेकिन वह सिर्फ़ 5459 वोट ही हासिल कर सके.
पिछले साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. भाजपा ने लोकसभा चुनाव में इसे ख़ूब भुनाया भी था लेकिन अयोध्या की फ़ैज़ाबाद सीट से मिली हार से बीजेपी को बड़ा झटका लगा था.
विपक्षी इंडिया गठबंधन ने इस जीत को संविधान की जीत कहा था. लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने तो सदन में उन्हें अपने साथ बैठाया और अपने संबोधनों में कई बार उनकी जीत का ज़िक्र भी किया.
भाजपा इस सीट को उपचुनाव में जीतकर लोकसभा की हार को पीछे छोड़ना चाहती थी.
लोकसभा चुनाव में फ़ैज़ाबाद सीट पर मिली हार के कारण मिल्कीपुर भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई थी. उत्तर प्रदेश के मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री ने इस सीट पर जीत का समीकरण बिठाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी.
लोकसभा चुनाव में इसी सीट से विधायक रहे अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. भाजपा इसी सीट को उपचुनाव में जीतकर लोकसभा की हार को पीछे छोड़ना चाहती थी.
वहीं समाजवादी पार्टी से ज़्यादा यह अवधेश प्रसाद की आन की बात बन गई थी. अवधेश ने टिकट अपने बेटे को दिलाया था.आज़ाद समाज पार्टी ने प्रत्याशी उतारकर मुकाबला बनाया था त्रिकोणीय
मिल्कीपुर 2009 से सुरक्षित सीट है. इस उपचुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी का सीधा मुकाबला था.
बहुजन समाज पार्टी ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था और कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया था.
हालांकि आज़ाद समाज पार्टी (काशीराम) अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने यहां सूरज चौधरी उर्फ़ संतोष कुमार को उतारकर इस मुक़ाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया था. यहां से 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे.
समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है मिल्कीपुर
मिल्कीपुर सीट परंपरागत रूप से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है. मिल्कीपुर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से सांसद और इसके बाद में समाजवादी पार्टी नेता बने मित्रसेन यादव का अभेद्य क़िला माना जाता था.
2012 और 2022 में जब अवधेश प्रसाद यहाँ से विधायक बने, तो उन्हें इस विरासत का फ़ायदा मिला.
अवधेश प्रसाद की इस इलाक़े में गहरी पैठ मानी जाती है. वह छह बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. इस बार इस सीट से समाजवादी पार्टी ने उनके बेटे अजीत प्रसाद को उतारा था.
मिल्कीपुर सीट में 3 लाख 70 हज़ार 829 मतदाता हैं. पुरुष मतदाता 1 लाख 92 हज़ार 984 और महिला मतदाता 1 लाख 77 हज़ार 838 हैं. इन मतदाताओं में पहली बार 4811 नए मतदाता हैं.
भाजपा की जीत के कारण
1-प्रत्याशी बदलना
2-कुशल संगठनकर्ता व पूर्व सांसद लल्लू सिंह की रणनीति
3-पंचायत स्तर पर पक्ष विपक्ष को साथ लेकर चुनाव को धार देना, 4-परदेसी वोटरों को बूथ तक लाना
5-योगी की सभाएं व सिपहसलारों की ओर से क्षेत्र को मथना
6-संघ तथा आनुषांगिक संगठनों की ओर से पूरे इलाके में सक्रियता बढ़ाना
सपा की हार के पांच प्रमुख कारण
1-परिवारवाद के आरोप को मिटा पाने में विफलता
2-यादव वोटरों को सहेज न पाना
3-पीडीए में बिखराव रोकने में विफल रहना
4’नेताओं का अनाप-शनाप बयान, जनता के मिजाज को समझने में चूक
5-स्थानीय नेताओं की ओर से भाजपा के आक्रामक प्रचार की काट न ढूंढ पाना.