तो मंत्री पद का लालच दे रोके गए काऊ? लगता तो नहीं
दिल्ली से देहरादून लौटे विधायक उमेश शर्मा काऊ, मुख्यमंत्री धामी से मिले
मंगलवार को देहरादून के रायपुर क्षेत्र से भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ दिल्ली से लौट आए। देर शाम को उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। विधायक उमेश शर्मा काऊ द्वारा कांग्रेस में वापसी का इरादा त्यागने से भाजपा ने राहत की सांस ली ।
कहा जा रहा है कि उन्हें भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने यशपाल आर्य से खाली हो रही मंत्री पद का लालच देकर रोका है लेकिन हालात इस अटकल की पुष्टि नहीं करते
14 अक्टूबर। देहरादून के रायपुर क्षेत्र से भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ द्वारा आखिरी मौके पर कांग्रेस में वापसी का इरादा त्यागने से भाजपा ने अभी राहत की सांस ली है, लेकिन पार्टी के सामने संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि पार्टी की ओर से काऊ को मंत्री पद का भरोसा दिलाया गया है। उधर, मंगलवार को दिल्ली से लौटे विधायक काऊ ने कहा कि उनके कांग्रेस में जाने की चर्चा पूरी तरह निराधार है। उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय जाने की बात से भी इन्कार किया। देर शाम को विधायक काऊ ने मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की।
बीते रोज कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके पुत्र विधायक संजीव आर्य दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब विधायक काऊ भी उनके साथ कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे थे, लेकिन ऐन वक्त पर आए एक फोन के बाद वह चुपचाप वहां से निकल गए। चर्चा रही कि यह फोन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का था, जो सोमवार को दिल्ली में ही मौजूद थे। इसके बाद विधायक काऊ की ओर से इंटरनेट मीडिया पर उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख के साथ मुलाकात का फोटो अपलोड कर यह बताने का प्रयास किया गया कि वह कहीं नहीं जा रहे हैं।
चर्चा है कि कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद विधायक काऊ को प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल करने का भरोसा दिया गया है। इसके बाद ही ऐन वक्त पर विधायक ने कांग्रेस में वापसी का इरादा त्याग दिया। काऊ उन विधायकों में शामिल हैं, जो वर्ष 2016 के सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन भाजपा यशपाल आर्य से खाली हुई मंत्री सीट को चुनाव के ढाई महीने पहले भरती भी है तो उसे किसी अनुसूचित जाति के विधायक को अवसर देना होगा। इस वर्ग में क्षेत्र और वरिष्ठता आदि कई कारणों से कुमाऊं के चंदन राम दास का नाम सबसे आगे लगता है।
अभी भाजपा नेतृत्व अपने एक विधायक के विपक्ष के खेमे में जाने से रोकने में कामयाब रही। इससे फिलहाल यह संकट टल गया है, लेकिन यह अभी समाप्त नहीं हुआ है। आगे भी अंदरखाने विधायकों को मनाकर संकट टालने के प्रयास होंगे, कांग्रेसी पृष्ठभूमि के विधायक भाजपा नेतृत्व से फिर से कमिटमेंट चाहते हैं। यदि वे दूसरे दल में जाते हैं वे वहां भी भविष्य के लिए कमिटमेंट चाहते हैं।
उधर, दिल्ली से लौटे विधायक काऊ ने संपर्क करने पर कहा कि रायपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसी सिलसिले में वह पार्टी नेताओं से बातचीत के लिए दिल्ली गए थे। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि दिल्ली में पार्टी के किन-किन नेताओं से बातचीत हुई। उन्होंने दावा किया कि वह न तो कांग्रेस मुख्यालय गए और न कांग्रेस के किसी नेता से कोई संपर्क किया। यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस में घर वापसी का इरादा था, इस पर विधायक काऊ ने कहा,’ऐसा कुछ नहीं है। जब जाएंगे, तो कौन रोक सकता है।
मंगलवार देर शाम विधायक काऊ मुख्यमंत्री आवास पहुंचे और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। माना जा रहा कि इस दौरान उन्होंने अपने मसले पर सफाई दी। विधायक काऊ ने मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में भी भाग लिया। फिर मुख्यमंत्री से अलग से बातचीत भी की।
जानिए आखिर ऐसा क्या कहा विधायक उमेश शर्मा काऊ ने जो उत्तराखंड भाजपा में फिर मच गई हलचल
रायपुर क्षेत्र से भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ के बयान से पार्टी में फिर हलचल मची है। मीडिया से बातचीत में अपने दिल्ली दौरे पर स्थिति साफ करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान जानता है कि वह कहां और क्यों गए थे।
जानिए ऐसा क्या कहा विधायक उमेश शर्मा काऊ ने जो उत्तराखंड भाजपा में फिर मच गई हलचल। फाइल फोटो
उत्तराखंड में सियासी उठापठक के बीच रायपुर क्षेत्र से भाजपा के विधायक उमेश शर्मा काऊ के बयान से पार्टी में फिर हलचल मची है। मीडिया से बातचीत में अपने दिल्ली दौरे पर स्थिति साफ करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान जानता है कि वह कहां और क्यों गए थे। उन्होंने कहा कि उनके पुराने साथी पार्टी छोड़कर जा रहे थे, उनका प्रयास था कि वह इनकी राष्ट्रीय नेतृत्व से बात करा दें।
विधायक काऊ ने यह भी कहा कि जुलाई में सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद जब पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने तो तीन वरिष्ठ साथी हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज और यशपाल आर्य नाराज थे और मंत्री पद की शपथ नहीं लेना चाहते थे। तब उन्होंने राष्ट्रीय नेतृत्व के कहने पर मध्यस्थ की भूमिका निभाई और राष्ट्रीय नेतृत्व से तीनों की बात कराई। परिणामस्वरूप मसला सुलझा और तीनों विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, बल्कि उनके मंत्रालयों में इजाफा भी हुआ।
यशपाल आर्य और संजीव आर्य छोड़ चुके हैं भाजपा
भाजपा में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के पार्टी छोड़ने से भाजपा को पहले ही एक बड़ा झटका लगा है। हाल ही में दोनों कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं। बता दें कि यशपाल आर्य कांग्रेस पृष्ठभूमि के रहे हैं। वे जनवरी 2017 में बेटे संजीव आर्य के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। उस वक्त आर्य नाराज चल रहे थे। हालांकि, अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी घर वापसी हुई है। ऐसे में भाजपा के लिए चिंता बढ़ना भी लाजिमी है। पार्टी को साल 2016 में कांग्रेस से भाजपा में आए विधायकों की नाराजगी दूर करना और उन्हें पार्टी से जोड़े रखना भी बेहद जरूरी है।