बिना संन्यास लिये विधायक सुरेश राठौर बनेंगें महामंडलेश्वर,पांच संत होंगे अखाडे से बाहर
महाकुंभ 2021: विधायक सुरेश राठौर बनेंगे निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर, अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी ताजपोशी
संतों के साथ शाही स्नान करेंगे विधायक सुरेश राठौर
ताजपोशी के बाद महामंडेश्वर रविदासाचार्य सुरेश राठौर के नाम से जाने जाएंगे विधायक
हरिद्वार 26 मार्च। हरिद्वार में भाजपा के ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महामंडलेश्वर बनाए जाएंगे। अप्रैल के पहले सप्ताह में अखाड़े में महामंडलेश्वर पद पर उनकी ताजपोशी होगी। इसके बाद विधायक अखाड़े के संतों के साथ शाही स्नान करेंगे।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत रविंद्रपुरी ने बताया कि शुक्रवार को अखाड़े की कार्यकारिणी की बैठक हुई। इसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई। महंत रविंद्रपुरी ने बताया कि विधायक सुरेश राठौर रविदास कथावाचक हैं।
उन्होंने अखाड़े से जुड़ने की इच्छा जताई थी। कार्यकारिणी सदस्यों की आपसी सहमति से विधायक को महामंडलेश्वर बनाए जाने के प्रस्ताव पर सहमति हो गई। उन्होंने बताया कि विधायक राठौर का परिवार है। इसलिए उनकी उनकी संन्याय की दीक्षा नहीं होगी।
उनको महामंडलेश्वर की पदवी से नवाजा जाएगा। जिसके बाद वे अखाड़े से जुड़ जाएंगे और उनका नाम भी महामंडेश्वर रविदासाचार्य सुरेश राठौर हो जाएगा। महंत रविंद्रपुरी ने बताया कि महामंडलेश्वर से नवाजे जाने के बाद विधायक अखाड़े का हिस्सा होंगे और संतों के साथ शाही स्नान करेंगे।
परिवार से नाता रखने वाले संत होंगे अखाड़े से बाहर
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की कार्यकारिणी की बैठक में संन्यास की दीक्षा लेने के बाद भी घर-परिवार से संबंध रखने वाले संतों को अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। कार्यकारिणी ने प्रस्ताव पारित कर ऐसे संतों की छानबीन शुरू कर दी है कि जिनका संन्यास की दीक्षा के बाद घर-परिवार से संबंध है।
अखाड़े के सचिव श्रीमहंत नरेंद्र पुरी ने बताया कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और अखाड़ा कार्यकारिणी पदाधिकारियों की मौजूदगी में बैठक हुई। उन्होंने बताया कि अखाड़े में करीब 150 संत और महंत हैं।
सभी की संन्यास की दीक्षा हुई है। इसके बाद ही उनको पदों पर आसीन किया जाता है और अखाड़ा की संपत्ति पर अधिकार मिलता है। उन्होंने बताया कि पांच संतों के घर-परिवार से संबंध होने की बात सामने आई है।
कार्यकारिणी ने ऐसे संतों को अखाड़े से बाहर करने के प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने कहा कि दीक्षा संस्कार के बाद संतों का घर-परिवार की मोह माया छोड़नी पड़ती है। खुद का पिंडदान करना होता है। बैठक में श्रीमहंत दिनेश गिरि, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत राधेगिरी, श्रीमहंत रामरतन गिरि, श्रीमहंत ओमकार गिरि समेत कई संत मौजूद रहे।