94वें जन्म दिन पर मोदी आडवाणी के घर, राममंदिर आंदोलन के हीरो का टूटा नहीं मौन
लाल कृष्ण आडवाणी का आज 94वां जन्मदिन, प्रधानमंत्री मोदी शुभकामनाएं देने उनके घर पहुंचे
वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी आज 94वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे मिलने उनके आवास पहुंचे हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके उन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा आदरणीय आडवाणी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनकी लंबी और स्वस्थ आयु की कामना करता हूं। हमारी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने और लोगों को सशक्त करने के उनके अनगिनत प्रयासों के लिए राष्ट्र उनका ऋणी है।
94 साल के हुए आडवाणी:राममंदिर का शिलान्यास छोड़कर 7 साल से क़रीब चुप रहे आडवाणी जन्मदिन पर सिर्फ धन्यवाद बोले
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी 94 साल के हो गए। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सोमवार सुबह आडवाणी के घर पहुंचे और उनकी पसंद का चॉकलेट केक कटवाकर जन्मदिन की बधाई दी। उनके आवास में मौके पर मौजूद एक स्टाफ के मुताबिक करीब 25 मिनट तक पीएम आडवाणी के साथ रहे। इस दौरान उन्होंने पुराने दिनों के किस्से सुनाए। उन्होंने आडवाणी को उन दिनों की याद दिलाई जब दोनों साथ थे।
जाहिर है, 1990 की रथयात्रा का जिक्र तो होना ही था। कैसे रणनीति बनती थी? कैसे पूरा देश उस समय राममय हो गया था? उन्होंने उस भीड़ का भी जिक्र किया जो सोमनाथ मंदिर के बाहर आडवाणी के इंतजार में खड़ी थी। पीएम बोल रहे थे, बीच-बीच में वेंकैया नायडू भी कुछ बातों के साथ दखल देते, लेकिन आडवाणी चुप थे। वे एक भी शब्द नहीं बोले, हालांकि उनके हाव-भाव से लग रहा था कि उन्हें अब भी बहुत सारी चीजें याद हैं। आखिर में मोदी ने हाथ जोड़े तो आडवाणी ने बस एक शब्द कहा-धन्यवाद।
दरअसल पिछले कुछ सालों से आडवाणी बेहद कम बोल रहे हैं। ज्यादातर मौकों पर वे चुप ही रहते हैं। इससे पहले रविवार को भाजपा की नेशनल एग्जिक्यूटिव मीटिंग में वे वर्चुअली शामिल हुए। उनके एक करीबी स्टाफ के मुताबिक दोपहर 2:00 से 3:00 बजे तक वे मीटिंग में रहे, लेकिन ऑन द रिकॉर्ड या ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने एक शब्द भी नहीं बोला।
इसी साल अक्टूबर में भाजपा के एक नेता ने फैब इंडिया द्वारा एक उर्दू टैगलाइन इस्तेमाल करने के खिलाफ बयान दिया था। आडवाणी के एक करीबी ने बताया कि हमने इस मामले को लेकर उनकी राय जाननी चाही। करीब एक-सवा घंटे तक इस मामले को उनके सामने बयां किया। आडवाणी जी चुप रहे। जब हमें लगा अब वे नहीं बोलेंगे, तो धीमी आवाज में एक लाइन सुनाई पड़ी। आडवाणी जी ने बस इतना कहा, ‘पार्टी ही नहीं बल्कि पूरे समाज में ही सहनशीलता नहीं बची है।’
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के घर पहुंचकर जन्मदिन की बधाई दी।
2014-2019 के बीच लोकसभा में अटेंडेंस 92%, बोले महज 5 बार
आडवाणी 16वीं लोकसभा, यानी 2014-2019 के कामकाजी 321 दिनों में 296 दिन संसद में मौजूद रहे। इस दौरान वे ज्यादातर चुप ही रहे। महज 5 बार बोले। वह भी न के बराबर। इनमें से 2 मौके थे- स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चुनाव के। इस दौरान आडवाणी ने भाषण तो दिए, लेकिन ‘मैं इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं’ कहकर चुप हो गए। हालांकि 6 जून 2009 को जब लोकसभा में मीरा कुमार स्पीकर बनीं, तब आडवाणी जी ने अपने भाषण में करीब 450 शब्द कहे थे।
2012 में जिस मुद्दे पर जमकर बोले थे, 2019 में उस पर एक शब्द नहीं कहा
साल 2009 से 2014 के बीच आडवाणी ने 42 बहसों में हिस्सा लिया। करीब 36,000 शब्द बोले। 8 अगस्त 2012 को असम में बढ़ती घुसपैठ के खिलाफ भाजपा ने स्थगन प्रस्ताव रखा था। भाजपा विपक्ष में थी और विपक्ष की बहस का नेतृत्व आडवाणी कर रहे थे। तब आडवाणी का भाषण तकरीबन 5000 शब्दों का था। इस दौरान सत्ता पक्ष की तरफ से 50 बार अवरोध भी पैदा किए गए, भाजपा का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया गया, लेकिन आडवाणी को जो बोलना थे वे बोले।
वहीं 8 जनवरी, 2019 को मोदी सरकार सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल पेश कर रही थी। यह उससे सीधा जोड़ने वाला मुद्दा था। जिस दिन यह बिल लोकसभा में पेश किया गया और बहस के बाद सदन ने इसे पारित किया, लालकृष्ण आडवाणी भी सभा में उपस्थित थे। बिल पर चर्चा हुई, लेकिन आडवाणी चुप रहे।
राम मंदिर का मामला अपवाद है
साल 2019 में 9 नवंबर को अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आडवाणी ने कहा था- यह ‘पूर्णता के क्षण’ हैं। यह बेहद छोटा बयान था, लेकिन 4 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के ठीक एक दिन पहले आडवाणी ने वीडियो मैसेज जारी कर इसे ऐतिहासिक बताया था। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में करीब 7 मिनट 42 सेकेंड का बयान जारी किया था। तब वे स्पष्ट बोल रहे थे और स्वस्थ दिखाई दे रहे थे।
आडवाणी के करीबियों की मानें तो घंटों किसी मुद्दे पर उनसे चर्चा करने के बाद वे कुछेक शब्द बोल दें तो किस्मत समझो। उनकी बॉडी लैंग्वेज देखकर समझा जा सकता है कि वे सब कुछ ध्यान से सुनते हैं, लेकिन बहुत मशक्कत करने पर कभी-कभार ही उनके शब्द सुनाई देते हैं। वे अब प्रखर वक्ता से शांत श्रोता बन चुके हैं, लेकिन उनकी सेहत ठीक है।
आडवाणी कहीं आते-जाते नहीं, लेकिन प्रोटोकॉल पहले की तरह ही फॉलो होता है
आडवाणी के पृथ्वीराज रोड स्थित उनके आवास पर पत्रकार घंटों पड़े रहते हैं उनसे मिलने की कोशिश करते हैं, लेकिन आडवाणी की ओर से मुलाकात की इजाजत नहीं मिलती। इस दौरान वहां मौजूद स्टाफ से पता चलता है कि पिछले करीब दो साल से आडवाणी कहीं आते-जाते नहीं हैं। खास करके कोरोना के बाद से।
उनसे मिलने भी न के बराबर ही लोग आते हैं। हालांकि प्रोटोकॉल का पालन हर दिन पहले की तरह ही होता है। रोज सुबह बम डिटेक्शन टीम अपने दस्ते के साथ उनके यहां पहुंचती हैं और घर के बाहर खड़ी गाड़ियों की पड़ताल और चेकिंग करती है।