लालकिले से मोदी: भ्रष्टाचार उन्मूलन पर मांगा जन समर्थन,क्या आयेगा ब्रह्मास्त्र
भ्रष्टाचारियों पर ‘ब्रह्मास्त्र’ दागने की तैयारी कर रही सरकार? लालकिले से प्रधानमंत्री ने देश को दे दिया बड़ा संकेत
हाइलाइट्स
1-83 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने दे दिया बड़ा संकेत
2-भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने को हो सकता है बड़ा फैसला
3-प्रधानमंत्री ने देशवासियों से मांगा सपोर्ट, अब निकाले जा रहे हैं मायने
नई दिल्ली 15 अगस्त : 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 83 मिनट के संबोधन को पूरे देश ने बड़ी उत्सुकता और गौरव के साथ सुना। खुशनुमा माहौल में तिरंगे के रंगों से सजी पगड़ी पहने पीएम ने देश के गुमनाम क्रांतिकारियों को नमन करते हुए 75 साल की विकास यात्रा का जिक्र किया और आगे 2047 का लक्ष्य भी सेट कर दिया। उनके भाषण में एक तरफ मेड इन इंडिया तोप की सलामी का गौरव झलक रहा था तो वहीं महिलाओं के अपमान का जिक्र करते हुए उनका गला भर आया। उन्होंने अगले 25 वर्षों में विकसित भारत, गुलामी की सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता के साथ ही नागरिकों के अपने कर्तव्य पालन के ‘पंच प्रण’ का आह्वान भी किया। उनके भाषण को अगर आपने गौर से सुना होगा तो आपको याद होगा कि उन्होंने एक निर्णायक जंग छेड़ने का भी ऐलान किया है। जी हां, ये जंग है भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ। प्रधानमंत्री के भाषण के इस हिस्से की चर्चा काफी ज्यादा है। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने जिस अंदाज में देशवासियों का समर्थन मांगा है उससे कई तरह के संकेत मिल रहे हैं।
भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री की दो टूक
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के खिलाफ नफरत का भाव पैदा नहीं होता है या सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, तब तक यह मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है। उन्होंने इसे अपनी संवैधानिक और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी बताते हुए इस लड़ाई में देशवासियों का सपोर्ट भी मांगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन दोनों विकृतियों का अगर समय रहते समाधान नहीं किया गया तो यह विकराल रूप ले सकती हैं।
कई लोगों को जेलों में जीने के लिए मजबूर करके रखा हुआ है। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटना पड़े, वह स्थिति हम पैदा करेंगे। वे अब बच नहीं पाएंगे… इस मिजाज के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में हिंदुस्तान कदम रख रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी, लालकिले की प्राचीर से
वो चुभने वाली बात
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, तब यह देखने को मिलता है कि एक तरफ वे लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वे लोग हैं, जिनके पास अपना चोरी किया हुआ माल रखने के लिए जगह नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा।
भ्रष्टाचार पर अब तक क्या-क्या हुआ
प्रधानमंत्री ने आगे के लिए सख्त ऐक्शन का संकेत देते हुए अपनी सरकार की ओर से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए किए गए प्रयासों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (यानी सीधे लाभार्थी के खाते में पैसा पहुंचने की स्कीम) का उपयोग करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचाया गया और उसे देश की भलाई के काम में लगाने में सरकार सफल हुई। इतना ही नहीं, जो लोग पिछली सरकारों में बैंकों को लूट कर भाग गए थे, उनकी संपत्तियां जब्त करके वापस लाने की कोशिशें जारी हैं।
वे अब बच नही पाएंगे…
मोदी ने कहा, ‘कई लोगों को जेलों में जीने के लिए मजबूर करके रखा हुआ है, हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटना पड़े, वह स्थिति हम पैदा करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘वे अब बच नहीं पाएंगे…इस मिजाज के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में हिंदुस्तान कदम रख रहा है।’
तो क्या करने वाले हैं मोदी?
प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है और उन्हें इसके खिलाफ लड़ाई तेज करनी है और इसे निर्णायक मोड़ पर लेकर जाना ही है। उन्होंने कहा, ‘मेरे 130 करोड़ देशवासी, आप मुझे आशीर्वाद दीजिए, आप मेरा साथ दीजिए, मैं आज आपसे साथ मांगने आया हूं, आपका सहयोग मांगने आया हूं ताकि मैं इस लड़ाई को लड़ सकूं और इस लड़ाई को देश जीत पाए।’
मोदी ने कहा कि आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ नफरत दिखती है लेकिन कभी-कभी भ्रष्टाचारियों के प्रति उदारता भी दिखाई जाती है जो किसी भी देश को शोभा नहीं देता है। उन्होंने कहा, ‘कई लोग तो इस हद तक चले जाते हैं कि अदालत में सजा हो चुकी हो, भ्रष्टाचार सिद्ध हो चुका हो, जेल जाना तय हो चुका हो, जेल की सजा काट रहे हों, इसके बावजूद लोग उनका महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, उनकी शान-शौकत में लगे रहते हैं, उनकी प्रतिष्ठा बनाने में लगे रहते हैं।’
उन्होंने कहा कि जब तक समाज में गंदगी के प्रति नफरत नहीं होती है, स्वच्छता के प्रति चेतना भी नहीं जागती है। इसी तरह जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता है, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, तब तक यह मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है। इसलिए भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के प्रति भी हमें बहुत जागरूक होने की जरूरत है।
भाई-भतीजावाद और परिवारवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री ने बेबाक अंदाज में कहा कि दुर्भाग्य से राजनीति के क्षेत्र की इस बुराई ने हिंदुस्तान की हर संस्था में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘परिवारवाद हमारी अनेक संस्थाओं को अपने में लपेटे हुए है और उसके कारण मेरे देश की प्रतिभा को नुकसान होता है। देश के सामर्थ्य का नुकसान होता है, भ्रष्टाचार का एक कारण परिवारवाद भी बन जाता है।’ उन्होंने कहा कि जब तक इसके खिलाफ नफरत पैदा नहीं होगी तब तक हम संस्थाओं को नहीं बचा पाएंगे।
आ सकता है कोई तगड़ा कानून
वास्तव में, जिस अंदाज में प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से भ्रष्टाचार और परिवारवाद से निपटने का संकल्प दिखाया है और देशवासियों से सपोर्ट मांगा, उससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही मोदी सरकार कोई सख्त कानून की तरफ बढ़ सकती है। निर्णायक जंग की बात ऐसे समय में की गई है जब कई विपक्षी नेता भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे हैं। कुछ के खिलाफ केस चल रहा है, कुछ जेल में हैं और कुछ के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ रही है। ऐसे समय में प्रधानमंत्री की ओर से भ्रष्टाचारियों का सपोर्ट न करने की अपील दरअसल, जनता से संभावित ऐक्शन पर सपोर्ट हासिल करना लगता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले महीनों में परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर फुल स्टॉप लगाने के लिए सख्त एंटी करप्शन लॉ जैसा कानून या मसौदा लाया जाए। हो सकता है हाईलेवल कमेटी बनाई जा सकती है जो राजनीति में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए रूपरेखा तैयार करे और उसे संसद के जरिए कानूनी जामा पहनाया जाए।
नोटों का पहाड़ देख जनता गुस्से में
वैसे, आम जनता का नजरिया भ्रष्टाचारियों के प्रति निगेटिव ही रहता है। प्रधानमंत्री का इशारा भी उन चंद लोगों के लिए था, जो केवल अपने नेता का सपोर्ट करने के लिए भ्रष्टाचार के सामने आंख मूंद लेते हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की शुरुआत से ही भ्रष्टाचार पर अंकुश प्राथमिकता में रहा है। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे मामलों में सरकार ने सख्त रुख दिखाया है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में कार्रवाई जनता देख ही रही है। बंगाल में नोटों का पहाड़ वाली तस्वीरें देख जनता में गुस्सा बढ़ा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून में पिछले कुछ वर्षों में सख्ती देखी गई है। भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का अधिकार एजेंसियों को मिल चुका है। ब्लैक मनी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। नोटबंदी भी एक बड़ा फैसला था।
सोनिया-राहुल की तरफ इशारा?
इन सबके बीच, शायद प्रधानमंत्री मोदी का इशारा कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड केस में चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले की तरफ था। दरअसल, जब ईडी ने कांग्रेस के दोनों दिग्गज नेताओं को पूछताछ के लिए बुलाया तो कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर आ गए। पूरे देश में प्रदर्शन किए गए। महाराष्ट्र में देखें तो शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत जमीन घोटाले में गिरफ्तार हैं। बंगाल में पार्थ चटर्जी समेत कई बड़े नेता जेल में हैं। उधर, चारा घाटाले में सजा पाए हुए लालू प्रसाद यादव जमानत पर बाहर आए तो बिहार में उनके प्रति समर्थन एक बार फिर बढ़ता दिखा। उन्हें एक बड़े नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश हो रही है। हाल में जेडीयू ने भाजपा का साथ तोड़कर लालू की पार्टी आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना ली। जबकि एक समय तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने नाता तोड़ लिया था और वापस कभी न जाने की बात कही थी।
मतलब साफ, ED का ऐक्शन जारी रहेगा
हाल में जब विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होने लगी तो ईडी को बदनाम किया जाने लगा। आज प्रधानमंत्री के दो टूक अंदाज से साफ है कि आगे इस तरह के ऐक्शन कम नहीं, बढ़ने वाले हैं। इतना ही नहीं, 2 साल बाद 2024 के चुनाव में उतरने से पहले प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ दृढ़ निश्चय दिखाकर एक बड़ा संदेश भी दे दिया है। वैसे भी, भ्रष्टाचार की बात से कांग्रेस ही नहीं कई क्षेत्रीय पार्टियों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
राजनीति का शुद्धिकरण होगा!
परिवारवाद पर मोदी के बरसने की अपनी वजह है। कई क्षेत्रीय दल अपने परिवार के लोगों के साथ मिलकर पार्टी को आगे बढ़ाते हैं। उनके भीतर परिवार का हित ज्यादा दिखता है। पीएम अपनी चुनावी रैलियों में सपा, बसपा, कांग्रेस समेत कई पार्टियों पर वंशवादी राजनीति को लेकर घेरते आए हैं। आज उन्होंने एक बार फिर कहा कि राजनीति में परिवारवाद, परिवार की भलाई के लिए होता है और उसे देश की भलाई से कोई लेना देना नहीं होता। मोदी ने देशवासियों से आह्वान किया कि हिंदुस्तान की राजनीति के शुद्धिकरण के लिए और सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए भी, परिवारवादी मानसिकता से मुक्ति दिलानी होगी। योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाने की ओर हमें बढ़ना होगा।
ममता ने ये क्या कह दिया?
प्रधानमंत्री की देशवासियों से अपील ममता बनर्जी के एक दिन पहले दिए बयान से और भी मौजू हो जाती है। टीएमसी के कई नेता भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे हैं। ऐसे में ममता ने कह दिया कि अगर वे कल मेरे घर पहुंचेंगे तो आप क्या करेंगे? क्या आप सड़कों पर नहीं उतरेंगे? यह बयान एक तरह से उकसाने जैसा है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से अपील की है कि अगर केंद्रीय एजेंसी के लोग उनके दरवाजे तक पहुंचते हैं तो वे सड़कों पर उतरें।
FAILURE OF BUREAUCRACY IN CHECKING CHEATING AND CORRUPTION
विशेष : धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में नौकरशाही की नाकामी
ईमानदारी के स्तंभों की सहायता वाला एक तंत्र अनैतिक शक्तियों को मिटा देगा. दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) ने अपनी रिपोर्ट में ये टिप्पणी की थी.
भारतीय नौकरशाही जो दशकों से भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, बदले में जनता से लूटपाट और बेमियादी गोपनीयता की प्रवृत्ति के चार स्तंभों पर खड़ी है, गहरी जड़ों तक बैठे भ्रष्टाचार में सभी स्तरों पर योगदान देती रही है. हालांकि, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का गठन 1964 में धोखाधड़ी और प्रशासनिक पदक्रम में भ्रष्टों की निगरानी को किया गया था, लेकिन इसका अस्तित्व कागजी बाघ की तरह नाममात्र का रह गया है. सीवीसी ने हाल ही में केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को लंबे समय से लंबित भ्रष्टाचार के मामलों की अपनी जांच अगले मई तक पूरी करने का निर्देश दिया है. वास्तविकता यह है कि अपने करीबियों को बचाने में माहिर प्रशासन के बड़े-बड़े लोग अच्छी तरह जानते हैं कि इन ‘आदेशों’ को कैसे विफल करना है.
यह तंत्र भ्रष्टाचार को लेकर इतना उन्मुक्त हो गया है कि किसी भी स्तर पर कागजात को आगे बढ़ाने को ‘हाथों को गीला’ करना जरूरी हो गया है. प्रशासन के ऊंचे पद वाले अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन अंधे बने रहते हैं और यहां तक कि भ्रष्ट अधिकारियों की सहायता भी करते हैं. सीवीसी ने यह स्पष्ट किया है कि जांच में अनुचित देरी भ्रष्ट कर्मचारी को अधिक दुस्साहसी बनने को प्रोत्साहित करेगी और किसी भी कारण से सतर्कता मामले में पकड़े गए ईमानदार व्यक्ति के लिए भारी पीड़ा का कारण बनेगी. हालांकि, सतर्कता मामलों के विभिन्न चरणों में जांच पूरी करने के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं, लेकिन कोई भी उनकी परवाह नहीं करता है.2011 और 2018 के बीच के मामले वर्ष 2011 और 2018 के बीच के मामले अब भी बिना किसी गतिविधि के लंबित हैं. सीवीसी के अनुसार, भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं क्योंकि अदालत ने ‘स्टे’ दे दिया है, या मामला अदालत में लंबित है, अभियुक्त को किसी अन्य मामले में दोषी ठहराया गया है या संबंधित राज्यों से कोई जानकारी नहीं आई है, केंद्र सरकार की ड्यूटी पर तैनात आरोपित कर्मचारी की अनियमितताओं के बारे में एक अनुशासनात्मक अधिकारी के रूप में यही बताता है. 2018 में आए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कि भ्रष्टाचार से जुड़े सतर्कता के मामलों में अदालतों की ओर से किसी भी ‘स्टे’ के लिए समय सीमा छह महीने से अधिक नहीं हो सकती है, सीवीसी उन्हें जल्दी से निपटाना चाहता है, लेकिन कानों पर जूं नहीं रेंग रहा है. शीर्ष पदानुक्रम को धन्यवाद, जो भारत को एशिया में सबसे अधिक भ्रष्ट बनाए रखने को हर समय कोशिश कर रहा है.
धोखाधड़ी को नियंत्रित करने में सतर्कता की नाकामी
प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प कि ‘मैं न खाऊंगा (भ्रष्टाचार का पैसा) और न दूसरों को खाने दूंगा’ और नौकरशाही में भ्रष्टाचार और अक्षमता को खत्म करने को अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना सिक्के का केवल एक पहलू है. दूसरे पहलू की कड़वी सचाई यह तथ्य है कि केंद्रीय मंत्रालय और विभाग भ्रष्ट अधिकारियों की रक्षा कर रहे हैं और उन्हें किसी भी कार्रवाई से बचा रहे हैं. सतर्कता आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में संबंधित मंत्रालयों ने 44 मामलों में सीवीसी की सिफारिशों को खारिज कर दिया, इनमें रेलवे 19 मामलों के साथ शीर्ष पर है. सीवीसी की सिफारिश पर रेलवे निविदाओं में भ्रष्टाचार की जांच कर चुकी सीबीआई ने मार्च 2013 में तीन निजी कंपनियों और 11 रेलवे अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया और एक प्रमुख संलिप्त के खिलाफ उचित कार्रवाई की सिफारिश की.
भारी जुर्माना लगाने का सुझाव
जब सीवीसी ने 2018 में एक भ्रष्ट अधिकारी पर भारी जुर्माना लगाने का सुझाव दिया, तो रेल मंत्रालय ने फैसला सुनाया कि वह अधिकारी गलत नहीं था. हालांकि, सीवीसी की जांच में पाया गया कि परमाणु ऊर्जा विभाग में भ्रष्टाचार से यूरेनियम निगम को 46 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था, लेकिन विभाग ने फैसला किया कि अधिकारियों को एक साधारण चेतावनी पर्याप्त था. तत्कालीन स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद को 48.53 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट के मामले में बैंक ने सीबीआई से शिकायत की, लेकिन उसने आरोपितों की जांच को जरूरी अनुमति नहीं दी. क्या इस तरह के भ्रष्टाचार को बढ़ाने के लिए भारत से बेहतर उपजाऊ व्यवस्था हो सकती है? देश की प्रगति एक ऐसे वातावरण से बाधित हो रही है, जिसमें सतर्कता एजेंसियों के पंख काट दिये गये हैं, उन्हें जंजीरों से बांधा गया है, जिससे भ्रष्ट अपराधी अपनी मर्जी से उन्मुक्त होकर अपना काम करें.
भ्रष्टाचार के करीब 678 मामलों की जांच
खुफिया एजेंसी की सिफारिशों के लिए सरकारी विभागों की प्रतिक्रिया समेत सीवीसी के लिए संसद को एक वार्षिक रिपोर्ट देना जरूरी है. तीन महीने पहले सौंपी गई रिपोर्ट में पाया गया कि वर्ष 2019 में 54 मामलों में इसकी सिफारिशों का सम्मान नहीं किया गया. सीवीसी ने इस पर दुख जताते हुए कहा, यह प्रवृत्ति खुफिया तंत्र की निष्पक्षता को कम कर रही है. भ्रष्टाचार के करीब 678 मामलों की जांच चल रही है, जिनमें से 25 पांच साल से अधिक और 86 तीन साल से अधिक पुराने हैं.
भ्रष्टाचार की भयावह सच्चाई
सीवीसी के अनुसार, ये हमारे सतर्कता विभागों की अक्षमता को साबित करते हैं. सीवीसी ने पुष्टि की है कि जांच में लंबित भ्रष्टाचार के मामलों की संख्या 6226 थी, जिनमें से 20 वर्षों में लंबित मामले 182 और 1599 मामले दस साल से अधिक के हैं. ये सभी व्याप्त भ्रष्टाचार की भयावह सच्चाई है और जांच के लिए अनुमति संदेहपूर्ण है. ऐसी प्रणाली में जहां पुरस्कार और दंड का निष्पादन भ्रांतिजनक है, खुफिया एजेंसियों की भूमिका नाममात्र की हो गई है. जब तक उन्हें मजबूत नहीं किया जाता है और उनकी भूल-चूक के लिए सीधे संसद के प्रति जवाबदेह नहीं ठहराया जाता है, भ्रष्टाचार का उन्मूलन एक कुत्ते की पूंछ की मदद से गोदावरी नदी तैरने जैसा है.