यूपीए से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी मोदी सरकार ने, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सार्वजनिक किए आंकड़े

 

Union Minister Jitendra Singh Said Modi Government Gave More Jobs Than Upa After Rahul Gandhi Raised Questions
UPA से ज्यादा मोदी सरकार ने दी नौकरियां… राहुल ने जॉब्स पर उठाए सवाल तो केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सामने रख दिए आंकड़े

राहुल ने जॉब्स पर उठाए सवाल, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सामने रख दिए आंकड़े

कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार के सामने नौकरियों को लेकर एक डेटा पेश किया था और कहा था कि सरकार ने 2 लाख से ज्यादा नौकरियां खत्म कर दीं। अब इस पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आंकड़ों के साथ पिछली यूपीए सरकार से तुलना की है।

हाइलाइट्स
राहुल ने नौकरियों पर घेरा तो जितेंद्र सिंह ने रख दिए आंकड़े
मनमोहन सरकार से की मौजूदा मोदी सरकार की तुलना
कहा- मोदी सरकार ने यूपीए सरकार से अधिक दी सरकारी नौकरियां

नई दिल्ली 19 जून: राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर नौकरियों को लेकर हमलावर हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि हर साल 2 करोड़ रोज़गार का झूठा वादा करने वालों ने नौकरियां बढ़ाने की जगह 2 लाख से ज़्यादा खत्म कर दीं। राहुल के नौकरी वाले मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी ने आज फिर जवाब दिया है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार से अधिक सरकारी नौकरियां दी हैं। भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2004 से 2013 के बीच यूपीए सरकार ने 6 लाख से कुछ अधिक सरकारी नौकरियां दी थीं जबकि मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल में यह संख्या बढ़कर 8.82 लाख से अधिक हो गई।

नौकरियों पर मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में क्या था आंकड़े?

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कर्मचारी चयन आयोग (SSC), संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) मोटे तौर पर केंद्र सरकार की तीन भर्ती एजेंसियां हैं।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘अगर आप एसएससी के आंकड़ों को देखें तो 2004 से संप्रग सरकार के नौ साल के कार्यकाल में कुल भर्तियों की संख्या 2,07,563 थी जबकि मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में यह 4,00,691 है जो लगभग दोगुनी है। उन्होंने कहा कि संप्रग शासन के नौ वर्षों के दौरान यूपीएससी के माध्यम से केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्तियों की संख्या 45,431 थी, जबकि मोदी सरकार में यह 50,906 थी।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि आरआरबी ने मनमोहन सरकार के 9 साल के कार्यकाल में 3.47 लाख से अधिक लोगों की भर्ती की और 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 4.30 लाख से अधिक लोगों की भर्ती की। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस और कुछ विपक्षी दल बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि रिक्तियां पुरानी हैं और भर्तियों के आंकड़े गलत दिखाए जा रहे हैं। रिकॉर्ड को स्पष्ट करने के लिए, हमने तथ्यों को पेश किया है।’

मोदी सरकार का प्रदर्शन यूपीए सरकार से बेहतर’

भाजपा नेता ने आरोप लगाया, ‘बिना तर्क, सबूत, आंकड़े दिए उनके प्रवक्ता आरोप लगाते हैं, खासकर रोजगार मेले से पहले।’

उन्होंने कहा कि लेकिन भर्ती आंकड़ों के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि मोदी सरकार का प्रदर्शन पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की तुलना में बेहतर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘नवीनतम रोजगार मेला श्रृंखला में छठा आयोजन था। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक रोजगार मेले में कम से कम 70,000 नियुक्ति पत्र जारी किए हैं।’

मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अदालती मामलों सहित विभिन्न कारणों से बड़ी संख्या में कर्मचारियों की पदोन्नति कई वर्षों से लंबित थी, लेकिन मोदी सरकार ने उन मुद्दों को हल किया और पिछले साल 9,000 कर्मचारियों को पदोन्नत किया।

उन्होंने कहा, ‘हमारे कर्मचारी वर्षों से लंबित होने के कारण हतोत्साहित हो रहे थे…इसलिए सुधार लाए गए जिनका बड़ा सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ा।’ उन्होंने कहा, ‘इस साल भी हम कम से कम 4,000 कर्मचारियों को पदोन्नत करेंगे।’

राहुल गांधी ने नौकरियों पर क्या कहा था?

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा था कि पीएसयू भारत की शान हुआ करते थे और रोज़गार के लिए हर युवा का सपना हुआ करते थे। मगर, आज ये सरकार की प्राथमिकता नहीं हैं। देश के पीएसयू में रोज़गार, 2014 में 16.9 लाख से कम हो कर 2022 में मात्र 14.6 लाख रह गए हैं। क्या एक प्रगतिशील देश में रोज़गार घटते हैं? हर साल 2 करोड़ रोज़गार का झूठा वादा करने वालों ने नौकरियां बढ़ाने की जगह 2 लाख से ज़्यादा खत्म कर दीं! इसके ऊपर इन संस्थानों में कॉन्ट्रैक्ट भर्तियां लगभग दोगुनी कर दीं। क्या कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी बढ़ाना आरक्षण का संवैधानिक अधिकार छीनने का तरीका नहीं है? क्या ये आखिर में इन कंपनियों के निजीकरण की साज़िश है? उद्योगपतियों का ऋण माफ, और PSU’s से सरकारी नौकरियां साफ! ये कैसा अमृतकाल?

राहुल ने आगे कहा कि अगर यह वाकई में ‘अमृतकाल’ है तो नौकरियां इस तरह गायब क्यों हो रही हैं? देश इस सरकार के दौर में रिकॉर्ड बेरोज़गारी से जूझ रहा है क्योंकि लाखों युवाओं की उम्मीदों को कुछ पूंजीपति मित्रों के फायदे के लिए कुचला जा रहा है। भारत के पीएसयू को अगर सरकार से सही वातावरण और समर्थन मिले, वो अर्थव्यवस्था और रोज़गार दोनों को बढ़ाने में समर्थ हैं।

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