मोदी ने अनावरित किया नये संसद भवन पर राष्ट्रीय प्रतीक, यहीं होगा शीतकालीन सत्र

प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन के शीर्ष पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का किया अनावरण, विपक्ष ने की आलोचना

नयी दिल्ली, 11 जुलाई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का सोमवार को अनावरण कर इस साल के अंत में नये भवन के उद्घाटन के पूर्व पहला बड़ा मील का पत्थर रखा। माकपा और एआई एमआईएम जैसे विपक्षी दलों ने मोदी के किये गये अनावरण की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है जो कार्यपालिका और विधायिका के बीच अधिकारों का विभाजन करता है।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे आज सुबह नये संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण का गौरव प्राप्त हुआ।’’ अधिकारियों के अनुसार संसद का शीतकालीन नत्र नये भवन में आयोजित किया जाएगा।

इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने निर्माण स्थल पर एक धार्मिक कार्यक्रम में भी भाग लिया।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान संसद भवन के निर्माण कार्य में लगे मजदूरों से भी बातचीत की और उनसे कहा कि उन्हें अपने काम पर गर्व होना चाहिए। मोदी ने कहा कि वे राष्ट्र के गौरव में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘मेरी संसद भवन के निर्माण में लगे श्रमजीवियों के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई। हमें उनके प्रयासों पर गर्व है और हमारे देश के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।’’


जब एक श्रमिक ने प्रधानमंत्री के निर्माण स्थल पर आगमन पर प्रसन्नता जताते हुए उत्साहवश कहा कि यह भगवान राम के शबरी की कुटिया में आने जैसा है तो मोदी ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘वाह, वाह। यह आपकी कुटिया है।’’

फिर उन्होंने कहा कि देश के हर गरीब व्यक्ति को भी यही लगना चाहिए कि यह उनकी कुटिया है। उन्होंने कहा, ‘‘आपने बहुत अच्छी बात कही है।’’

जब उन्होंने मजदूरों से पूछा कि उन्हें क्या लगता है, वे एक भवन बना रहे हैं या इतिहास? तो उन्होंने सामूहिक रूप से कहा, ‘‘इतिहास’’।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि कांस्य का बना यह प्रतीक 9,500 किलोग्राम वजनी है और इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय प्रतीक को नए संसद भवन के शीर्ष पर स्थापित किया गया है और इसे सहारा देने के लिए इसके आसपास करीब 6,500 किलोग्राम के इस्पात के एक ढांचे का निर्माण किया गया है।

पीएमओ के अनुसार नये संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक को स्थापित करने की प्रक्रिया क्ले मॉडलिंग और कम्प्यूटर ग्राफिक्स से लेकर कांस्य की ढलाई और पॉलिश तक आठ विभिन्न स्तरों से गुजरी है।


इस बीच कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण करने के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘संविधान संसद, सरकार और न्यायपालिका के अधिकारों को पृथक करता है। सरकार का प्रमुख होने के नाते, प्रधानमंत्री को नए संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था।’’

हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, “लोकसभा के अध्यक्ष लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं और लोकसभा सरकार के अधीन नहीं है। प्रधानमंत्री ने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है।”

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री का यह कदम ‘‘भारतीय संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है।’’ पार्टी ने कहा कि संविधान में साफ तौर पर लोकतंत्र के तीन अंगों – कार्यपालिका (सरकार), विधायिका (संसद और राज्य विधानसभाओं) तथा न्यायपालिका के अधिकार अलग-अलग वर्णित हैं।

माकपा ने आरोप लगाया, ‘‘संविधान द्वारा तीन अंगों के बीच शक्तियों के बंटवारे को कार्यपालिका प्रमुख द्वारा ‘नष्ट’ किया जा रहा है।’’

ओवैसी पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा कि वह हमेशा नकारात्मक सोच के साथ बोलते हैं और अपनी पार्टी को चलाने के लिए देश के राजनीतिक, नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा संवैधानिक मूल्यों पर लगातार हमले करते हैं।

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार वार्ता में कहा, ‘‘वह ऐसा आदतन करते हैं।’’

त्रिवेदी ने कहा कि शक का इलाज तो अच्छे से अच्छे डॉक्टर के पास नहीं होता और राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण में ‘‘आधिकारिक और वैधानिक’’ पदों पर बैठे लोग ही शामिल थे।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मजीद मेमन ने सवाल किया कि सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण करने के लिए आयोजित कार्यक्रम से विपक्षी नेताओं को दूर क्यों रखा। राज्यसभा के पूर्व सदस्य मेमन ने कहा कि संसद भवन के कार्यक्रम में विपक्ष को आमंत्रित नहीं करना किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था की एक बड़ी खामी है।

उन्होंने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण को लेकर कोई आपत्ति नहीं है और ‘‘यह उनका अधिकार है क्योंकि वह देश के सबसे बड़े नेता हैं।’’

माकपा ने राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण के मौके पर आयोजित एक धार्मिक समारोह को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि ऐसे प्रतिष्ठानों को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

माकपा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण को धार्मिक समारोहों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। यह हर किसी का प्रतीक है, न कि उनका, जिनकी कुछ धार्मिक मान्यताएं हैं। धर्म को राष्ट्रीय समारोहों से दूर रखें।’’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) महासचिव डी राजा ने कहा कि संसद सभी की है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि ‘‘वहां किस प्रकार एक निजी, व्यक्तिगत कार्यक्रम’’ का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘संसद तटस्थ भी है। यहां धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन क्यों किया गया?’’


तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार ने सवाल किया कि इस प्रक्रिया में सांसदों से सलाह-मशविरा क्यों नहीं किया गया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘… लेकिन इस इमारत में काम करने वाले सांसदों से कभी सलाह नहीं ली गई। मोदी अब हमें एक औसत दर्जे की वास्तुकला से रूबरू कराएंगे, जिसे उनके करीबी वास्तुकार ने अत्यधिक लागत पर डिजाइन किया हैै।

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