देखी थी केदार धाम की तबाही, भरोसा था फिर शान से उठने का:मोदी
मोदी का केदारनाथ दौरा : प्रधान मंत्री बोले- मैंने यहां तबाही देखी थी, लेकिन भरोसा था यह अधिक शान से उठ खड़ा होगा
देहरादून/ रूद्रप्रयाग05 नवंबर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम पहुंचे हैं। उन्होंने यहां गर्भगृह में करीब 15 मिनट तक पूजन किया, फिर मंदिर की परिक्रमा की। इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य के हाल ही में बने समाधि स्थल पर शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया। ये प्रतिमा 12 फुट लंबी और 35 टन वजनी है। प्रधानमंत्री ने यहां के विकास कार्यों की समीक्षा भी की।
केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री ने कई प्रोजेक्ट का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया। इस दौरान उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। इसके बाद ‘जय बाबा केदार’ के उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने अपना संबोधन शुरू किया।
अपनी आंखों से उस तबाही को देखा था
मोदी ने कहा, ‘बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और अपने आप को रोक नहीं पाया था। मैं यहां दौड़ा चला आया था। मैंने अपनी आंखों से उस तबाही को देखा था, उस दर्द को सहा था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा। यह विकास कार्य ईश्वर की कृपा से हुआ।
तीर्थस्थलों की यात्रा, सिर्फ सैर-सपाटा नहीं
मैं समझता हूं कि आज के दौर में आदि शंकराचार्य का सिद्धांत और ज्यादा पारंपरिक हो गया है। हमारे यहां तीर्थस्थलों की यात्रा, तीर्थाटन को जीवनकाल का हिस्सा माना गया है। यह हमारे लिए सिर्फ सैर-सपाटा नहीं है। यह भारत का दर्शन कराने वाली जीवंत परंपरा है। हमारे यहां व्यक्ति की इच्छा होती है कि जीवन में एक बार चारधाम यात्रा जरूर कर लें, गंगा में एक बार डुबकी लगा लें।
समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना भारत को मंजूर नहीं
अयोध्या को उसका गौरव सदियों के बाद मिल रहा है। दो दिन पहले वहां दीपोत्सव कार्यक्रम था। उत्तरप्रदेश में काशी का भी कायाकल्प हो रहा है। भगवान बुद्ध और भगवान राम से जुड़े जितने भी तीर्थस्थान हैं उन्हें जोड़कर सर्किट बनाया जा रहा है। इस समय हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहा है। देश अपने भविष्य के लिए नए संकल्प ले रहा है। इन संकल्पों में हम आदि शंकराचार्य को बहुत बड़ी परंपरा के रूप में देख सकते हैं। अब देश अपने लिए बहुत बड़े लक्ष्य निर्धारित करता है। कठिन समय ही नहीं, समय की सीमा भी हम निर्धारित करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि इतने कम समय में यह कैसे होगा। कभी कहते हैं कि होगा भी कि नहीं होगा। तब मुझे 130 करोड़ देशवासियों की आवाज सुनाई देती है कि समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है।
यहां की मिट्टी ने मुझे पाला-पोसा
बाबा केदारनाथ ने, संतों के आशीर्वाद और यहां की मिट्टी ने मुझे पाला-पोसा था अगर उसकी सेवा करने का अवसर मिले तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। मुझे पता है कि यहां बर्फबारी के बीच भी मेरे हमारे श्रमिक भाई-बहन ईश्वरीय कार्य मान कर भी माइनस टेम्परेचर के बीच भी काम करते थे, तब जाकर यह काम हो पाया है। बीच-बीच में मैं ड्रोन की मदद से यहां काम की बारीकियों को देखता था।
यहां का पानी और जवानी दोनों पहाड़ के काम आएगी
कहा जाता था कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती। मैंने यह तय किया कि यहां का पानी और जवानी दोनों पहाड़ के काम आएगी। उत्तराखंड से पलायन को रोकना है। अगला दशक उत्तराखंड का है। यहां पर्यटन काफी बढ़ने वाला है।
भारत की आध्यात्मिक समद्धि और विरासत का अलौकिक दृश्य
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज सभी मठों, सभी 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्तिधामों पर पूज्य गुरुजन, साधु-संत और अनेक श्रद्धालु भी देश के कोने में आज केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ, इस पवित्र माहौल के साथ सशरीर नहीं, लेकिन आत्मिक रूप से वर्चुअल रूप से वे हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। आप सभी आदि शंकराचार्य की समाधि की पुन: स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। यह भारत की आध्यात्मिक समद्धि और विरासत का अलौकिक दृश्य है।’
भूलवश किसी का नाम छूट जाए तो मैं पाप का भागी बनूंगा
मोदी ने कहा, ‘हमारे देश तो इतना विशाल है। इतनी महान ऋषि परंपरा है, एक से एक महात्मा आध्यात्मिक चेतना को जगाते रहते हैं। वे आज भी हमसे इस कार्यक्रम में जुड़े हुए हैं। मैं उनके नामों का भी उल्लेख करना चाहूं तो एक सप्ताह बीत जाएगा। अगर भूलवश उनमें से किसी का नाम छूट जाए तो मैं पाप का भागी बनूंगा। इसलिए मैं उनके नामों का उल्लेख नहीं कर रहा हूं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर। ऐसे में ऐसे सभी लोगों से क्षमा मांगते हुए महान संत परंपरा के सभी अनुयायी, सभी से हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं। हमारी संत परंपराओं में नेती, नेती एक ऐसा भाव विश्व नेती नेती कहकर एक भाव विश्व का विस्तार दिया गया है।
रामचरित मानस को भी हम देखें तो उसमें भी इस बात को दोहराया गया है। कहा गया है कि अविगत अकथ अपार, नेती नेती नित निगम कह। यानी कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बाबा केदारनाथ की शरण में जब भी आता हूं, यहां के कण-कण से जुड़ जाता हूं। बाबा केदारनाथ का सानिध्य न जाने किस अनुभूति की तरफ खींचकर ले जाता है, जिसके लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है। कल मैं सीमा पर अपने सैनिकों के साथ दिवाली मना रहा था। मैंने त्यौहारों की खुशियां मेरे देश के जवान वीरों के साथ बांटी हैं। देशवासियों की उनके प्रति श्रद्धा, उनका आशीर्वाद लेकर सेना के जवानों के बीच गया था।’
बाबा केदारनाथ को चढ़ाए बाघांबर वस्त्र
प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ धाम पहुंचकर बाघांबर वस्त्र चढ़ाए। यहां उन्होंने षोडश पूजन किया। दूध, दही, मधु आदि चीजों से बाबा केदार की पूजा की गई।
आदि शंकराचार्य के समाधि स्थल का लोकार्पण
प्रधानमंत्री मोदी ने आदि शंकराचार्य के समाधि स्थल का लोकार्पण किया है। 2013 में केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा में ये क्षतिग्रस्त हो गया था। यहां प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ देर तक ध्यान भी किया।
प्रतिमा के निर्माण का काम 2020 में शुरू हुआ था
श्री आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के निर्माण के लिए 18 मॉडल तैयार किए गए थे। प्रधानमंत्री की सहमति के बाद इनमें से एक मॉडल को चुना गया था। कर्नाटक के मैसूर के मूर्तिकार अरूण योगीराज ने इस मूर्ति को बनाया है। ब्लैक स्टोन से इसका निर्माण किया गया है। प्रतिमा के निर्माण का काम 2020 में शुरू हुआ था। 9 लोगों की टीम ने तकरीबन एक साल में इसे तैयार किया है। इस साल सितंबर महीने में मूर्ति को मैसूर से चिनूक हेलीकॉप्टर से खंंडों में उत्तराखंड लाया गया था।
आदि शंकराचार्य ने मंदिर को नया रूप दिया
आदि शंकराचार्य ने 32 साल की उम्र में केदारनाथ में महाप्रयाण किया था। कहा जाता है कि यह मंदिर पांडवों ने बनवाया था। बाद में नए स्वरूप में लाने का श्रेय आदि शंकराचार्य को जाता है।
भाजपा प्रधानमंत्री के दौरे को यादगार बनाना चाहती थी
इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाने के लिए भाजपा ने एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाई थी। इसमें चार धामों, बारह ज्योतिर्लिंगों और प्रमुख मंदिरों, कुल मिलाकर 87 तीर्थ स्थलों पर प्रधानमंत्री का कार्यक्रम LED और बिग स्क्रीन पर सीधा प्रसारित किया गया। ये सभी मंदिर श्री आदि शंकराचार्य के यात्रा मार्ग पर पूरे देश में स्थापित हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग के बाद प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ गुफा पहुंचे थे। उन्होंने रुद्र मेडिटेशन केव में घंटों ध्यान लगाया था।
कोरोना के दौर में पिछले साल नहीं आ पाए थे मोदी
प्रधानमंत्री मोदी बाबा केदार के बड़े भक्त हैं। यहां उन्होंने अपने जीवन के कई साल गुजारे हैं। वे यहां हर साल आते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण वे पिछले साल बाबा केदार के दर्शन के लिए नहीं आ पाए थे।