मोदी चेताया,CERT-in ने बताया ‘डिजीटल अरेस्ट समेत ऑनलाइन फ्राड से कैसे बचें

PM मोदी ने चेताया, CERT-In ने बताया… ‘डिजिटल अरेस्ट’ सहित इस तरह के ऑनलाइन फ्रॉड से कैसे बचें?
‘डिजिटल अरेस्ट’ सहित ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ‘सीईआरटी-इन’ ने रविवार को एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें जालसाजों द्वारा ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के एक दर्जन से अधिक तरीकों के बारे में बताया गया है.

भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ‘सीईआरटी-इन’ ने रविवार को एक एडवाइजरी जारी की है.
नई दिल्ली,27 अक्टूबर 2024,’डिजिटल अरेस्ट’ सहित ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ‘सीईआरटी-इन’ ने रविवार को एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें जालसाजों ने ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के एक दर्जन से अधिक तरीकों के बारे में बताया है. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने “मन की बात” कार्यक्रम में इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ लोगों को सावधान किया था।

कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ऑफ इंडिया (सीईआरटी-इन) ने कहा है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ एक ऑनलाइन स्कैम है. सरकारी एजेंसियां कभी भी व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करती. ऐसे धोखाधड़ी के मामले में पीड़ितों को एक फोन कॉल, ई-मेल या संदेश प्राप्त होता है, जिसमें दावा किया जाता है कि वे अवैध गतिविधियों, जैसे चोरी या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए जांच के दायरे में हैं.

इसके बाद ऑनलाइन ठग पीड़ित को तुरंत कार्रवाई न करने पर गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी देता है. पीड़ित में घबराहट पैदा कर देता है. फिर उससे इस केस से निकलने में मदद करने के नाम पर पैसे ट्रांसफर करने को मजबूर किया जाता है. लेकिन ऐसे समय में  परेशान होने या घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसे में मामलों में जो डर जाता है, वो अपनी बड़ी रकम खोता है.

एडवाइजरी में इस पर जोर दिया गया कि लोगों को किसी भी दबाव में पैसे ट्रांसफर नहीं करना चाहिए. इसमें कहा गया है, “यदि कोई फोन या ऑनलाइन पैसे मांगता है, तो सबसे अधिक संभावना है कि यह एक स्कैम है. इस उभरते साइबर खतरे से खुद को बचाने को सतर्कता और जानकारी महत्वपूर्ण है.” इसके बारे में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बात की है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऑनलाइन स्कैम ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया है. ऐसे होने पर उन्होंने एक मंत्र दिया है, जिसमें कहा गया है, “रोको, सोचो और कार्रवाई करो”. जांच एजेंसियां ​​इस मुद्दे से निपटने के लिए राज्यों के साथ काम कर रही हैं, लेकिन इस अपराध से खुद को बचाने के लिए जागरूकता जरूरी है. प्रधानमंत्री ने कहा, “डिजिटल अरेस्ट जैसे धोखाधड़ी से सावधान रहें.”

Pm Modi Warn Against Digital Arrest Frauds Says No Govt Agency Will Ever Contact Via Video Call
कोई सरकारी एजेंसी नहीं करती वीडियो कॉल… ‘डिजिटल अरेस्ट’ पर प्रधानमंत्री   मोदी ने देश को किया सावधान 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के खिलाफ लोगों को चेताया। ऐसे साइबर फ्रॉड से बचने के लिए कुछ प्वाइंट्स भी समझाए। प्रधानमंत्री  मोदी ने ऐसे मामलों में स्पष्ट कहा कि किसी को भी ऐसी कॉल-वीडियो कॉल आने पर घबराना नहीं है। जानिए प्रधानमंत्री  मोदी ने क्या कहा।

ऐसी कॉल-वीडियो कॉल आने पर घबराना नहीं- प्रधानमंत्री   मोदी
‘कोई भी सरकारी एजेंसी किसी जांच को वीडियो कॉल नहीं करती’
देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले इन दिनों तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट से साइबर ठग आसानी से लोगों को शिकार बना लेते हैं। कई लोग इसमें फंसकर मेहनत की कमाई गंवा भी चुके हैं। हालांकि, पुलिस और सरकार से लगातार डिजिटल अरेस्ट से बचने को लेकर कई सुझाव सामने आते रहते हैं। फिर भी इन मामलों में लगाम लगती नहीं दिख रही। ऐसे में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को इस संबंध में सावधान किया। उन्होंने एक वीडियो क्लिप से बताया कि कैसे साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट से लोगों को ठगते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 115वें संस्करण में लोगों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर होने वाले धोखाधड़ी से  सावधान किया।

आपके पास आए ऐसा फोन तो डरने की जरुरत नहीं- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि जांच एजेंसियां इस समस्या से निपटने को राज्य सरकारों से मिलकर काम कर रही हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’ के शिकार लोगों में हर वर्ग और हर उम्र के लोग शामिल हैं। डर से लोगों ने अपनी मेहनत के लाखों रुपए गंवा दिए हैं। अगर आपके पास भी कभी ऐसा कोई फोन आए तो आपको डरना नहीं चाहिए। मोदी ने लोगों को बताया कि आपको पता होना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी कभी भी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह की पूछताछ नहीं करती है।

प्रधानमंत्री  मोदी ने बताया डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें
प्रधानमंत्री  मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ के 115वें एपिसोड में बताया कि कैसे डिजिटल अरेस्ट से बचा जा सकता है। प्रधानमंत्री  मोदी ने धोखाधड़ी के तौर-तरीके दिखाते हुए वीडियो क्लिप भी दिखाया। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर होने वाले धोखाधड़ी से सावधान रहें। कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। कोई भी सरकारी एजेंसी इस तरह की किसी जांच को आपसे कभी भी फोन या वीडियो कॉल से संपर्क नहीं करेगी।

कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसे धमकी नहीं देती : PM
प्रधानमंत्री ने कहा कि धोखाधड़ी करने वाले खुद को पुलिस, CBI, नारकोटिक्स और कभी-कभी RBI अधिकारी बताते हैं। इस तरह के विभिन्न नामों का इस्तेमाल करके, वे बहुत आत्मविश्वास से नकली अधिकारी बनकर आपसे बात करते हैं। अकसर लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। प्रधानमंत्री   मोदी ने लोगों से साइबर घोटालों के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का आग्रह किया। मोदी ने ‘मन की बात’ में स्कूलों और कॉलेजों से इस संबंध में जागरूकता अभियान चलाने की अपील भी की।

प्रधानमंत्री   मोदी ने दिए ‘डिजिटल अरेस्ट’ से बचने के खास टिप्स
प्रधानमंत्री   मोदी ने इस दौरान डिजिटल अरेस्ट से सुरक्षित रहने को 3 चरणों का पालन करने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी कॉल या वीडियो कॉल आए तो रुकें, सोचें तब कार्रवाई करें। जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं। अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें। सबसे पहले, शांत रहें और घबराएं नहीं। हो सके तो रिकॉर्ड करें या स्क्रीन रिकॉर्डिंग करें। दूसरा, याद रखें कि कोई भी सरकारी एजेंसी ऐसे आपको फोन या ऑनलाइन धमकी नहीं देगी। तीसरा, राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन से जुड़ने के लिए 1930 पर कॉल करके कार्रवाई करें, http://cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें। परिवार के सदस्यों और पुलिस को भी ऐसे अपराध की जानकारी दें। इस मामले से जुड़े सबूत सुरक्षित रखें।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट में किसी व्यक्ति को ऑनलाइन डराया जाता है कि सरकारी एजेंसी ने आपको अरेस्ट कर लिया है। उसे पेनल्टी या जुर्माना देना होगा। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है। लेकिन, अपराधियों के इस तरह के बढ़ते अपराध से इसका जन्म हुआ है। पिछले तीन महीने में दिल्ली-एनसीआर में 600 मामले ऐसे आए हैं, जिनमें 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। इसके अलावा कई सारे अन रिपोर्टेड मामले होते हैं। कई ऐसे मामले भी आते हैं जिसमें ठगी करने की कोशिश सफल नहीं हो पाती हैं। यह अपराध संगठित है या लोन वुल्फ तरीके से फल-फूल रहा है,अभी अंधेरे में है।

कोई भी जांच एजेंसी कभी भी इस तरह की जांच के लिए फोन या वीडियो कॉल पर संपर्क नहीं करती है. ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करना चाहिए या www.cybercrime.gov.in पर पुलिस को सूचित करना चाहिए. इस एडवाइजरी में अन्य ऑनलाइन ठगी के बारे में भी बताया गया है, जैसे फ़िशिंग स्कैम, लॉटरी स्कैम आदि का भी जिक्र किया गया है.

इसके अलावा ऑनलाइन डेटिंग स्कैम, जॉब स्कैम, टेक्निकल हेल्प स्कैम, इनवेस्टमेंट स्कैम से भी लोगों से ठगी होती है. इसमें इनवेस्टमेंट स्कैम बहुत ज्यादा प्रचलित है. साइबर ठग लोगों को बंपर रिटर्न दिलाने के वादा करके निवेश कराते हैं, फिर उनके पैसे ठग कर भाग जाते हैं. कैश-ऑन-डिलीवरी स्कैम में अपराधी नकली ऑनलाइन स्टोर स्थापित करते हैं.

इसमें लोगों से सीओडी ऑर्डर स्वीकार करते हैं. फिर नकली सामान की डिलीवरी कर पैसे ठग लेते हैं. इसके अलावा घोटालेबाज आपदा राहत या स्वास्थ्य पहल जैसे नकली कारणों के लिए दान मांगने वाली विश्वसनीय वेबसाइट या सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाते हैं. ऐसी तस्वीरों या कहानियों का उपयोग करते हैं, जिसे देखकर लोग भावुक हो जाते हैं और उनको पैसे ट्रांसफर कर देते हैं.

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