400+ को क्या है मोदी का चक्रव्यूह, जिससे बाहर नहीं निकल पा रहा विपक्ष?
Indi Alliance Entangled In Narendra Modi Chakravyuh Bjp 400 Bet Worked In Lok Sabha Election
Opinion: नरेंद्र मोदी के ‘चक्रव्यूह’ में उलझ गया इंडी अलायंस, NDA का ‘400’ वाला दांव कर गया काम!
Lok Sabha Chunav 2024: मतदान की धीमी रफ्तार को देख कर कई लोग अटकलें लगा रहे हैं कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों का गुस्सा है। वे भूल जाते हैं कि नरेंद्र मोदी ने विभिन्न योजनाओं का लाभ देकर देश की 140 करोड़ जनसंख्या में सौ करोड़ से अधिक लोगों तक अपनी सीधी पहुंच बना ली है,जो उनकी सफलता का आधार बन सकते हैं
मुख्य बिंदु
नरेंद्र मोदी के चक्रव्यूह में उलझेगा विपक्ष!
मोदी की सीधी पहुंच 100 करोड़ लोगों तक
मुफ्त राशन से ही 80 करोड़ के निकट बनें मोदी
प्रधानमंत्री की कई योजनाएं का लोग ले रहे लाभ
पटना 29 अप्रैल 2024: लोकसभा चुनाव के दो चरणों की कम वोटिंग को लेकर तरह-तरह के अटकलें लग रही हैं। कोई इसे एनडीए के खिलाफ बता रहा तो कुछ इसे नरेंद्र मोदी के बिछाए जाल में फंस कर विपक्ष के निढाल होने का आकलन कर रहे हैं। इंडी अलायंस में शामिल दलों को लग रहा है कि उनके पक्ष में समा बंध रहा है। आंकड़े बताते हैं कि 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा का वोट कितना बढ़ा! एक प्रतिशत से भी कम यानी 0.7 प्रतिशत वोट बढ़ा तो इससे भाजपा को 2014 में मिलीं सीटों की संख्या 282 से 2019 में 303 हो गईं। सहयोगी दलों के सदस्यों को लेकर एनडीए सांसदों की संख्या 2014 में 334 थी, जो 2019 में बढ़ कर 353 तक पहुंच गईं। इसमें अकेले भाजपा की भागीदारी 303 सीटों की रही। कांग्रेस को 52 सीटें और उसके नेतृत्व वाले यूपीए को कुल 90 सीटें मिली थीं। वर्ष 2019 में सीटों की बढ़त के साथ एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन बन गया। 2014 के मुकाबले 2019 में भाजपा और एनडीए के सिर्फ वोट ही नहीं बढ़े, बल्कि सीटें भी बढ़ीं।
भाजपा के वोटर अचानक मन नहीं बदलते
भाजपा के वोटर अचानक मन बदल कर उसके साथ आए लोग भर नहीं हैं। वे भाजपा के कोर वोटर हैं। हां,रुपये-पैसे,किसी लोभ-लालच या दबाव में फंस कर कुछ लोग मन जरूर बदल सकते हैं। उनकी जाति-बिरादरी या गांव-समाज का कोई उम्मीदवार बन जाए तो ऐसे में भाजपा के खिलाफ उनके जाने को अपवाद ही माना जाना चाहिए। खैर,हम चर्चा करेंगे कि नरेंद्र मोदी ने किस तरह वोटरों की किलेबंदी की है,जहां विपक्ष की नजर तक नहीं गई है। कुछ ने नए अंदाज में इधर नजर डाली भी है तो उससे ‘वर्तमान को छोड़ कौन भविष्य की चिंता करे’ का भाव ही अधिक होता है। मोदी की गारंटी पर लोग ज्यादा भरोसा कर रहे। इसलिए कि दो चुनावों से लोगों ने देखा है कि भाजपा को मात देना आसान नहीं। उसके खिलाफ विपक्ष जितना जोर लगाता है,परिणाम उसके उलट ही आते हैं। आइये, जानते हैं कि नरेंद्र मोदी ने किस तरह अपना वोट बैंक बढ़ाया है।
पांच किलो मुफ्त राशन दे 80 करोड़ को घेरा
नरेंद्र मोदी ने कोविड काल में ही हर जरूरतमंद को पांच किलो राशन देने की योजना शुरू की थी। देश में तकरीबन 80 करोड़ लोग इसका लाभ उठा रहे हैं। मोदी के पांच किलो मुफ्त राशन का विपक्ष मजाक भी उड़ाता है। विपक्ष कहता है कि नौकरी देने के बजाय मोदी पांच किलो मुफ्त राशन में लोगों को उलझाए हुए हैं। ऐसा कहते समय विपक्ष के लोग उस दौर को भूल जाते हैं, जब यह योजना शुरू हुईं थी। लाकडाउन की वजह से लोगों के सामने खाने के लाले पड़े थे। तब मोदी ने यह सोच कर योजना की शुरुआत नहीं की थी कि इसका चुनावी लाभ वे लेंगे। अब तो उन्होंने इसे और पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। रही बात इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तो इस योजना से 80 करोड़ लोग लाभान्वित हैं। मोदी को छोड़ किसी ने 2029 तक ऐसी योजना की बात नहीं कही है। क्या ये 80 करोड़ लोग मोदी से मुंह मोड़ लेंगे!
उज्जवला के लाभुक 10 करोड़ से अधिक हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त 2021 को उज्जवला योजना 2.0 को शुरू किया था। इसके तहत पात्र लाभार्थियों को पहला रिफिल और चूल्हा मुफ्त में दिया जाता है। अब लाभार्थियों से पहचान पत्र या राशन कार्ड नहीं मांगे जाते। पते की पहचान के लिए लाभार्थी स्व घोषणा पत्र (Self Declaration) जमा करते हैं। अभी तक 10 करोड़ से अधिक लोग इस योजना के लाभुक हो गए हैं। क्या इस तरह का सुनिश्चत लाभ लेने वाले लोग नरेंद्र मोदी के साथ दगा कर पाएंगे, जिनके घरों में धुएं से महिलाओं को निजात मिली है!
पीएम आवास का तीन करोड़ लोगों को लाभ
इस साल बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि देश में पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ मकान बन चुके हैं। इसे पांच करोड़ किया जाना है। यानी दो करोड़ और पीएम आवास चालू वित्तीय वर्ष में बनाए जाने हैं। आगे बनने वाले मकानों को अभी छोड़ दें तो नरेंद्र मोदी ने जिन तीन करोड़ लोगों को आवास उपलब्ध कराए हैं, क्या वे उनसे चुनावी मौसम में मुंह मोड़ लेंगे! शायद ही ऐसा संभव हो, क्योंकि हर आदमी का सपना होता है कि अपनी छत हो, जिसके नीचे सम्मान से वे जीवन बसर कर सकें। यह सपना नरेंद्र मोदी का वजह से पूरा हुआ है। यानी मोदी ने यहां भी अपने तीन करोड़ वोट सुरक्षित करने की कोशिश की है।
किसान सम्मान निधि के 11 करोड़ लाभार्थी
नरेंद्र मोदी ने वार्षिक 6000 रुपये किसानों के खाते में भेजने की शुरुआत की है। यह रकम किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की जाती है। साल में तीन किस्तों में इसका भुगतान होता है। प्रधानमंत्री मोदी खुद यह रकम किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर करते हैं। आम बजट 2023-24 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों की संख्या 11.4 करोड़ बताई गई है। इन किसानों के खाते में 2.2 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। क्या किसान नरेंद्र मोदी से मिल रहे लाभ को गंवाना चाहेंगे?
मोदी की 100 करोड़ लोगों तक सीधी पहुंच
भाजपा को 2014 के बाद अगर केंद्र और राज्यों के चुनावों में लगातार सफलता मिलती रही है तो इसके एक नहीं अनेक कारण हैं। अव्वल तो जिन लोगों ने नरेंद्र मोदी सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लिया है, वे उनके एहसान को कैसे भुला पाएंगे। दूसरे कई तरह की मदद की योजनाएं चला कर नरेंद्र मोदी ने 140 करोड़ की आबादी में 100 करोड़ से अधिक लोगों तक सीधी पहुंच बना ली है। इनमें अकेले मुफ्त राशन लेने वाले 80 करोड़ लोग हैं तो प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी अभी तीन करोड़ हैं। किसान सम्मान निधि पाने वाले किसान 11 करोड़ से अधिक हैं तो उज्जवला योजना के लाभुक भी 10 करोड़ से अधिक हो गए हैं। इसके अलावा शौचालय, विश्वकर्मा योजना में शिल्पकारों को स्वरोजगार के लिए मदद, रेहड़ी-ठेले वालों को मुद्रा लोन जैसी सुविधाएं देकर मोदी ने सौ करोड़ से अधिक लोगों तक सीधा संपर्क बना लिया है। इसका लाभ ही उन्हें मिल जाए तो उनकी बल्ले-बल्ले इस बार भी हो जाएगी।
@देवेन्द्र कश्यप