पत्रकार सौम्या के माता-पिता हत्यारों को फांसी नहीं, चाहते हैं उम्रकैद

Soumya Vishwanathan Mother Wants Life Imprisonment Instead Of Death Sentence To Daughter Killers
जो हमने झेला…बेटी के हत्यारों के लिए फांसी नहीं उम्रकैद चाहते हैं सौम्या विश्वनाथन के मां-बाप
टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में दिल्ली की अदालत ने 4 को दोषी ठहराया है। 26 अक्टूबर को सजा का ऐलान होगा। दिवंगत पत्रकार की मां माधवी विश्वनाथन ने दोषियों के लिए फांसी के बजाय उम्रकैद की मांग की है।


नई दिल्ली 18 अक्टूबर: पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की मां माधवी विश्वनाथन ने बुधवार को अपनी बेटी की हत्या के दोषियों के लिए आजीवन कारावास की मांग की। उन्होंने कहा, ‘हम मौत की सजा में विश्वास नहीं करते हैं। हम दोषियों के लिए आजीवन कारावास की मांग करते हैं, उन्हें वही भुगतना चाहिए जो हमने झेला है।’
Madhavi Vishwanathan on Daughter Killers

एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार चैनल टीवी टुडे में काम करने वालीं सौम्या विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 को गोली मारकर तब हत्या कर दी गई जब वह तड़के करीब 3:30 बजे अपने ऑफिस से काम के बाद कार से घर लौट रही थीं। पुलिस ने दावा किया था कि हत्या के पीछे का मकसद लूटपाट था।
दिल्ली की एक अदालत की तरफ से सौम्या विश्वनाथन की हत्या के लिए 4 लोगों को दोषी ठहराए जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में माधवी विश्वनाथन ने कहा कि यह फैसला ऐसे अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण बनेगा क्योंकि अगर उनकी बेटी के हत्यारे निर्दोष करार दिए जाते तो उनकी हिम्मत बढ़ जाती।

सौम्या के पिता एम के विश्वनाथन ने कहा कि उनकी बेटी अब वापस नहीं आएगी, लेकिन उन्हें खुशी है कि न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश से पहले मंगलवार की रात वह सो नहीं सके।

 

 

इससे पहले, अदालत ने संगठित अपराध गिरोह के रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को सौम्या की हत्या के लिए और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप बिना किसी संदेह के साबित किया गया।
पांचवें आरोपित अजय सेठी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) और मकोका प्रावधानों में संगठित अपराध को अंजाम देने, सहायता करने या जानबूझकर इसे बढ़ावा देने और संगठित अपराध की आय प्राप्त करने की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया।
अदालत ने सजा सुनाने के लिए 26 अक्टूबर की तारीख तय की है।

माधवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने अपनी बेटी को खो दिया। लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि यह निर्णय दूसरों के लिए मिसाल के रूप में काम करेगा। नहीं तो इन लोगों की हिम्मत बढ़ जाती। अब कम से कम ऐसे एक गिरोह को सजा मिलेगी।’
माधवी ने कहा कि उनकी बड़ी बेटी केन्या के नैरोबी में रहती है और वह आश्वस्त थी कि न्याय होगा।
सौम्या के पिता एम के विश्वनाथन ने कहा कि न्याय के लिए उनके परिवार का 15 साल लंबा संघर्ष आखिरकार सफल हुआ। उन्होंने कहा, ‘आज न्याय मिल गया। मेरी बेटी वापस नहीं आएगी… हम उनके (दोषियों) लिए उम्रकैद की सजा की मांग करते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘मैं वास्तव में अधिकारियों, विशेष रूप से दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने दोषियों की गिरफ्तारी के लिए दिन-रात काम किया।’
सौम्या विश्वनाथन के माता-पिता ने 2019 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी और मामले में त्वरित सुनवाई और न्याय की मांग की थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह कल रात सो पाए, एम के विश्वनाथन ने कहा, ‘कैसे सोते? लेकिन आज हम खुश हैं।’
विशेष पुलिस आयुक्त (विशेष शाखा) एच जी एस धालीवाल भी दिवंगत पत्रकार सौम्या के परिवार के सदस्यों के साथ अदालत में मौजूद थे।

धालीवाल पूर्व में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) दक्षिण के रूप में तैनात थे और उनकी टीम ने ही सौम्या विश्वनाथन हत्या मामले का खुलासा किया था। धालीवाल को देखते ही माधवी विश्वनाथन ने उन्हें गले लगाया और उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।
धालीवाल ने कहा कि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण मामला था और इसे सुलझाने में 6 महीने से अधिक का समय लगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘सौम्या विश्वनाथन के परिवार के सदस्यों ने दिल्ली पुलिस पर भरोसा रखा और नहीं चाहते थे कि मामला किसी केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित किया जाए। हालांकि, मामला चुनौतीपूर्ण था क्योंकि पीड़िता और आरोपित के बीच कोई संपर्क नहीं था। चलती गाड़ी से एक गोली चलाई गई जो सौम्या को लगी और उनकी मौत हो गई।’

धालीवाल ने कहा कि सौम्या के परिवार के सदस्य घटना वाले दिन से लेकर मामला सुलझने तक मामले की हर समीक्षा बैठक में शामिल हुए।
पुलिस के अनुसार, मार्च 2009 में आईटी पेशेवर जिगिशा घोष के अपहरण और हत्या में इस्तेमाल हथियार मिलने से सौम्या विश्वनाथन की हत्या का मामला सुलझ पाया था।

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