धंधेबाजों की ही है मुम्बईया फिल्म इंडस्ट्री, फिल्मकारों की नहीं
बॉलीवुड के पास नई कहानियां नहीं है या फिर निर्माता रिस्क उठाने को ही तैयार नहीं?
रीमेक फिल्मों के जादू को देखते हुए अब साउथ के निर्माता लगे हाथ फिल्म को हिंदी में भी रिलीज कर अपना मुनाफा बढ़ा रहे हैं. आने वाले दिनों में ये हो सकता है कि साउथ की बड़ी फिल्मों को हिंदी में रीमेक बनाने का मौका ही ना मिले.
बॉलीवुड का ये दौर बायोपिक, पीरियड ड्रामा और रीमेक फिल्मों का है. क्या आमिर खान, अक्षय कुमार और सलमान खान. लगभग सभी सितारे जमे-जमाए फ़ॉर्मूले पर ही अपनी एक्टिंग की गाड़ी खींचना चाहते हैं. नए कंटेंट में रिस्क लेने से बचा जा रहा है. बड़े सितारे नए कंटेंट के नाम पर हिट फ़ॉर्मूले का सीक्वल भी लेकर आ रहे हैं. आखिर क्या वजह है कि बॉलीवुड में ये ट्रेंड लगातार मजबूत होता जा रहा है. रीमेक खासकर साउथ के फिल्मों की संख्या तो इतनी ज्यादा हो गई है कि कई बार लगता है, आखिर क्यों ना मूल फिल्मों को ही हिंदी में डब कर एक साथ दिखाया जाए. दोबारा इतना संसाधन और पैसे लगाने की जरूरत ही क्या है. अब साउथ के लगभग सभी बड़े सितारे हिंदी के दर्शकों के लिए अनजाना चेहरा तो रहे नहीं.
बॉलीवुड में रीमेक फिल्मों का दौर बिल्कुल बिल्कुल नया और ताजा नहीं है. बहुत पहले से ही रीमेक फ़िल्में बनती रही हैं और इसमें बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारों ने काम किया है. बॉलीवुड में जंपिंग जैक के नाम से मशहूर जितेंद्र ने ही अकेले करीब 50 से ज्यादा रीमेक फिल्मों में काम किया. आधिकारिक रीमेक को छोड़ दिया जाए तो कई दर्जन फ़िल्में हैं जिन्हें हॉलीवुड और साउथ की नक़ल कर फेरबदल के साथ बनाया गया. जिन फिल्मों की नक़ल बेहतर नहीं थी, चोरी पकड़ी गई और बॉलीवुड के नामचीन निर्देशकों की किरकिरी हुई. संजय गुप्ता ने तो साल 2003 में आई ओल्ड बॉय को देखकर हिंदी में जिंदा बना दिया. मगर अवैध नक़ल की वजह से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ये सच्चाई है कि हिंदी में ज्यादातर रीमेक फ़िल्में खूब पॉपुलर हुई हैं.
रीमेक फिल्मों को बनाने का ट्रेंड 90 के दशक में खान सितारों के उभरने के बाद थोड़ा कमजोर हुआ था. ये दौर बॉलीवुड में रूमानी कहानियों का माना जा सकता है. इससे पहले 80 का पूरा दशक बॉलीवुड में एक्शन मसाला फिल्मों का रहा. शाहरुख, आमिर और सलमान के आ जाने के बाद ज्यादातर रोमांटिक फ़िल्में बनीं. 90 के दौर के लगभग सभी बड़े बैनर रोमांटिक कहानियों में दिलचस्पी ले रहे थे. छोटे बैनर एक्शन में दिलचस्पी ले रहे थे. दशक के आखिर तक फ़िल्मी कहानियों में प्रयोग भी शुरू हो चुके थे और हिंदी पट्टी की लोकल कहानियां रुपहले परदे का हिस्सा बनने लगी थीं. ये ट्रेंड अभी भी नजर आता है. मगर पिछले एक दशक में रीमेक का दौर फिर मजबूत होता दिख रहा है. सलमान, अक्षय और अजय देवगन की पिछली कुछ हिट फ़िल्में साउथ का रीमेक ही हैं.
फिलहाल इस वक्त भी बॉलीवुड में कई रीमेक बनकर तैयार हैं. कुछ प्रोसेसिंग में हैं और कई नए प्रोजेक्ट की अनाउंसमेंट हो रही है. हाल ही में सूर्या की तमिल फिल्म सूरराई पोतरु को भी हिंदी में बनाने की घोषणा हुई थी. ये फिल्म सच्ची घटना से प्रेरित है. फिल्म की मुख्य भूमिका के लिए अक्षय कुमार, जॉन अब्राहम, अजय देवगन और रितिक रोशन जैसे सितारे इच्छुक बताए जा रहे हैं. सलमान भी विजय की मास्टर से काफी प्रभावित हैं और उसे हिंदी में बनाना चाहते हैं. टाइगर श्राफ रैम्बो की रीमेक में, दीपिका पादुकोण द इंटर्न की रीमेक में काम करना चाहती हैं. आमिर खान हॉलीवुड की फ़ॉरेस्ट गंप पर लाल सिंह चड्ढा में व्यस्त ही हैं. फिल्म के इस साल तक आ जाने की उम्मीद है. जबकि दृश्यम 2, सिंघम 3, यू टर्न, विक्रम वेधा, कैथी को हिंदी में बनाने की घोषणा हो चुकी है. इन फिल्मों में बॉलीवुड के ए लिस्टर सितारे काम करते नजर आएंगे.
क्यों रीमेक का फ़ॉर्मूला बॉलीवुड में हिट है?
दरअसल, दूसरी भाषा की फिल्मों से उसके भविष्य का अंदाजा लगाना आसान हो जाता है. चूंकि फिल्मों पर दर्शकों का फीडबैक पहले से पता होता है तो उसे किसी दूसरी भाषा के दर्शक के लिए तैयार करने में कारोबारी रिस्क बहुत कम होता है. रीमेक में मूल फिल्मों की अपेक्षा काफी फेरबदल किए जाते हैं. यहां तक कि कहानी और उसकी घटनाओं में भी दर्शकों की पसंद के हिसाब से हेरफेर किया जाता है. यही वजह है कि ज्यादातर मौकों पर रीमेक फ़िल्में हिट हो जाती हैं. लेकिन कई मर्तबा हेरफेर में संतुलन बिगड़ने से नुकसान भी उठाना पड़ता है. सलमान खान की पिछली कई फ़िल्में इसका सटीक उदाहरण हैं. उनकी हाल में आई राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई भी कोरियन फिल्म का बॉलीवुड अडॉप्शन थी मगर उसमें इतना मसाला डाल दिया गया कि दर्शकों ने उसे खारिज कर दिया. उनकी एक और रीमेक भारत भी बहुत प्रभावशाली नहीं थी. रीमेक में बॉक्स ऑफिस के रिस्क कम हैं लेकिन इन्हें हिट की गारंटी नहीं कहा जा सकता.
रीमेक से अलग बॉलीवुड में इस वक्त क्या ट्रेंड है?
ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड में इस वक्त सिर्फ रीमेक फ़िल्में ही बन रही हैं. बॉलीवुड हर तरह की फ़िल्में बना रहा है. ट्रेंड में रीमेक के अलावा बायोपिक और पीरियड ड्रामा का भी जोर नजर आ रहा है. बॉलीवुड में अब तक आई लगभग सभी बायोपिक हिट रही हैं. कमोबेश पीरियड ड्रामा का भी यही हाल रहा है. अजय देवगन (भुज: द प्राइड ऑफ़ इंडिया), अक्षय कुमार (पृथ्वीराज), विक्की कौशल (सैम बहादुर), कंगना रनौत (मणिकर्णिका रिटर्न: द लीजेंड ऑफ़ डिड्डा), आलिया भट्ट (गंगूबाई काठियावाड़ी) में नजर आने वाली हैं. और भी सितारों की फ़िल्में कतार में हैं. कई बायोपिक भी बन रही हैं. इनके अलावा हिट फिल्मों के सीक्वल भी बॉलीवुड बना रहा है. सलमान खान (टाइगर 3), कार्तिक आर्यन (भूल भूलैया 2), जॉन अब्राहम (सत्यमेव जयते 2), आयुष्मान खुराना (बधाई दो), कार्तिक आर्यन (दोस्ताना 2), सैफ अली खान सिद्धांत चतुर्वेदी (बंटी और बबली 2) और टाइगर श्राफ हीरोपंती 2) में नजर आने वाले हैं.
साउथ का सिनेमा बॉलीवुड की दुकान बंद करने वाला है?
साउथ में अब पैन इंडिया कंटेट मल्टी लैंग्वेज में बनाया जा रहा है. इसकी शुरुआत बाहुबली से हुई थी. 2.0, कबाली, केजीएफ चैप्टर 1 और साहो को हिंदी सहित कई भाषाओं में एक साथ रिलीज किया गया था. एसएस राजमौली की RRR और यश की केजीएफ चैप्टर 2 हिंदी में भी आ रही है. रीमेक फिल्मों के जादू को देखते हुए अब साउथ के निर्माता लगे हाथ फिल्म को हिंदी में भी रिलीज कर अपना मुनाफा बढ़ा रहे हैं. आने वाले दिनों में ये हो सकता है कि साउथ की बड़ी फिल्मों को हिंदी में रीमेक बनाने का मौका ही ना मिले. वैसे साउथ भी बॉलीवुड फिल्मों की रीमेक बनाता आया है. बॉलीवुड की कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों को तमिल, कन्नड़ और मलयालम में बनाया गया है. मगर साउथ ने चुनिंदा रीमेक पर ही काम किया है