अतीक-अशरफ हत्या,न षड्यंत्र, न लापरवाही: न्यायिक जांच रिपोर्ट
No Conspiracy Or Police Negligence Report Of Judicial Commission Presented In Up Assembly
अतीक-अशरफ की हत्या में राज्य और पुलिस तंत्र की कोई मिलीभगत नहीं, लापरवाही भी नहीं:न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट सामने आई
साल 2023 में प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन गुरुवार को न्यायिक आयोग की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें पूर्व नियोजित षड्यंत्र और लापरवाही से इनकार किया गया है।
अंकुर तिवारी, लखनऊ 01 अगस्त 2024: माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ की हत्या में राज्य व पुलिस तंत्र की कोई मिलीभगत नहीं थी। यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी जिसे टालना संभव नहीं था। 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में हुई माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय आयोग की जांच रिपोर्ट में यह सामने आया है। आयोग के मुताबिक घटना में पुलिस तंत्र या राज्य तंत्र का कोई संबंध, कोई सुराग या सामग्री या कोई स्थिति प्राप्त नहीं हुई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय आयोग की जांच रिपोर्ट को गुरुवार को विधानसभा के पटल पर रखा गया। 87 गवाहों के बयान, सैकड़ों दस्तावेजों, सीसीटीवी फुटेज, वीडियो फुटेज के आधार पर आयोग ने निष्कर्ष निकाला है कि प्रयागराज में अतीक अहमद और खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या की घटना राज्य व पुलिस अधिकारियों के इशारे पर किया गया कोई पूर्व नियोजित या उनकी लापरवाही के कारण हुआ कृत्य नहीं था। बड़ी संख्या में मौजूद मीडियाकर्मियों के बीच गोलीबारी की योजना बनाना और अतीक अहमद और खालिद अजीम की राष्ट्रीय टेलीविजन पर लाइव हत्या कराना, पुलिस के लिए असंभव था। घटना अचानक हुई थी और पुलिस कार्मिकों की प्रतिक्रिया जो घटना के समय पर उपस्थित थे, सामान्य थी। उनके पास कोई अलग प्रतिक्रिया करने का समय नहीं था। पूरी घटना नौ सेकेंड में घट गई थी। न वो अतीक-अशरफ को बचा सकते थे न ही हमलावरों को पकड़ने व मार डालने की स्थिति में थे।
मानक से अतिरिक्त थे सुरक्षा इंतजाम
आयोग के मुताबिक अतीक को गुजरात की साबरमती जेल से और अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाने व ले जाने के लिए पुलिस गार्ड और एस्कॉर्ट नियमावली के अधीन अनिवार्य पुलिसकर्मियों की संख्या से कहीं अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। मानक के मुताबिक राज्य के भीतर तीन पुलिसकर्मी और राज्य के बाहर पांच पुलिसकर्मी सुरक्षा में होते हैं। पुलिस रिमांड के दौरान भी दोनों की सुरक्षा के लिए 21 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। आयोग के मुताबिक दोनों को जेलों से लाने वाले और रिमांड के दौरान सुरक्षा में तैनात होने वाले पुलिसकर्मियों में कोई समानता नहीं थी।
कई बार गंदी हुई अतीक की पतलून
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक रिमांड के दौरान अतीक अहमद ने एक से अधिक अवसरों पर अपनी पतलून गंदी कर ली थी। अतीक व अशरफ को बेचैनी परेशानी और सांस लेने में समस्या की शिकायत थी। पुलिसकर्मी उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में चिंतित थे। वह प्रत्येक तीन-चार घंटे के अंतराल पर दोनों से पूछताछ कर रहे थे। एक निजी डॉक्टर को भी थाने में बुलाया गया था। उसने सरकारी अस्पताल में उनकी नियमित चिकित्सा जांच की सलाह दी थी।
मीडिया ने नहीं दिया आत्मसंयम का परिचय
आयोग ने जांच के निष्कर्ष में मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। आयोग ने लिखा है कि अतीक और अशरफ की गतिविधियों पर नजर रखने और उनकी बाइट लेने के अपने प्रयास में मीडिया कर्मियों द्वारा किसी आत्म संयम का परिचय नहीं दिया गया। अतीक और अशरफ ने भी मीडिया को खूब उकसाया। आयोग ने कहा अतीक को साबरमती से और अशरफ को बरेली से प्रयागराज लाने तक मीडिया हर मौके पर मौजूद रही और लगातार लाइव कवरेज करती रही।
मीडिया के कैमरों ने अंधा कर दिया था पुलिसवालों को
रिपोर्ट के मुताबिक 14 और 15 अप्रैल 2023 को दोनों दिन कॉल्विन अस्पताल में मीडिया ने अतीक और अशरफ से नजदीकी तौर पर संपर्क किया था।15 अप्रैल को जब दोनों गेट नंबर 2 से आपातकालीन कक्ष की ओर जा रहे थे तो मीडिया माइक उनके चेहरे के ठीक सामने था। मीडिया कर्मियों द्वारा फ्लैश लाइट के भारी उपयोग ने अतीक अहमद और खालिद अजीम उर्फ अशरफ के चारों ओर आंतरिक सुरक्षा घेरा बनाने वाले पुलिसकर्मियों को व्यावहारिक रूप से अंधा कर दिया था। सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद पुलिसकर्मी मीडिया को अतीक और अशरफ से दूर रखने में असमर्थ रहे। आयोग ने निष्कर्ष में लिखा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है कि जिन स्थानों पर खूंखार अपराधियों को ले जाया जाता है, पहले उसे साफ किया जाए और वहां केवल चयनित व्यक्तियों को संपर्क की अनुमति दी जाए।
गोली न चलाने का निर्णय सही
आयोग के मुताबिक घटना के समय पर पुलिस कर्मियों की प्रतिक्रियाएं अप्राकृतिक नहीं थी और उनकी ओर से किसी भी तरह की कोई निष्क्रियता प्रकट नहीं हुई थी। 9 सेकंड की अवधि में हुए घटनाक्रम के दौरान पुलिसकर्मियों की कोशिश से यह स्पष्ट हो जाता है कि हत्या के प्रतिकार में तीनों हमलावरों पर गोली ना चलाने का निर्णय सही था।
कुख्यात बनने के लिए की वारदात
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि तीन हमलावरों ने स्वयं को मीडिया कर्मी बताकर वास्तविक मीडिया कर्मियों की उपस्थिति में अतीक व अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी जिसका लाइव टेलीकास्ट हुआ। खूंखार हिस्ट्रीशीटरों अतीक और अशरफ की हत्या से हमलावरों को कुख्याति मिली। तीनों हमलावरों ने जांच के दौरान पुलिस को बताया भी था कि इसी उद्देश्य के लिए उन लोगों ने हत्या की थी। इससे हमलावरों के उद्देश्य को नकारा नहीं जा सकता।
हत्या से पुलिस ने बहुत कुछ खोया
आयोग ने रिपोर्ट में लिखा है कि अतीक व अशरफ की हत्या से पुलिस को बहुत कुछ खोना पड़ा। रिमांड के दौरान पाकिस्तान निर्मित हथियारों गोला बारूद की बरामदगी, आतंकवादी संगठनों व आईएसआई से उनके संबंध, पंजाब/कश्मीर के हथियार सप्लायर से जुड़े कई सवाल अनुत्तरित रह गए।