कश्मीरी पंडितों का हत्यारा यासीन मलिक था इंडियन एलीट क्लास का मेहमान,अब जेल में

यासीन मलिक पर पुराने बयान से निशाने पर आए उद्योगपति आनंद महिंद्रा, ट्विटर पर पूछे जा रहे सवाल

नवीन कुमार पाण्डेय |

The Kashmir Files : द कश्मीर फाइल्स नाम की नई मूवी ने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार से जुड़ीं यादें ताजा कर दी हैं। लोग ट्विटर पर नरसंहार के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ आतंकियों, अलगाववादियों के प्रति संभ्रात वर्ग के रवैये पर नाराजगी का भी इजहार कर रहे हैं।

हाइलाइट्स
+उद्योगपति आनंद महिंद्रा का पुराना वीडियो वायरल, पूछे जा रहे सवाल
+महिंद्रा ने वर्ष 2008 में यासीन मलिक को धर्मनिरपेक्ष अलगाववादी नेता बताया था
+ट्विटर पर यासीन मलिक ट्रेंड कर रहा है और लोग उसकी करतूतें उजागर कर रहे हैं

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नई दिल्ली: फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ लगातार सुर्खियों में छाई है। फिल्म के कारण सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है कि नरसंहार और पलायन के शिकार कश्मीरी पंडितों से देश ने किस तरह मुंह मोड़ लिया और उलटे आतंकियों, अलगाववादियों को इज्जत बख्शी। इसी सिलसिले में अलगाववादी गुट जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) चीफ यासीन मलिक के वीडियोज और तस्वीरें वायरल हो रही हैं और उद्योगपति आनंद महिंद्रा से लेकर लेखिका अरुंधति राय और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक निशाने पर हैं।

यासीन मलिक पर क्या कहा था कि आनंद महिंद्रा की हो रही किरकिरी

दरअसल, आनंद महिंद्रा ने मीडिया संस्थान इंडिया टुडे के एक सम्मेलन में यासीन मलिक को बुलाए जाने का समर्थन किया था। उनका वह वीडियो अब वायरल हो रहा है। वीडियो में वह बोलते दिखते हैं, ‘जेकेएलएफ चीफ यासीन मलिक अलगाववादी आंदोलन चला रहे हैं जो धर्मनिरपेक्ष है। मलिक भारत और पाकिस्तान, दोनों से कश्मीर को अलग करना चाहते हैं। मलिक ‘उग्रवादी (militant)’ बनने के बाद सुर्खियों में आए और उन्होंने पाकिस्तानी कैंपों में जाकर ट्रेनिंग ली। बाद में उन्होंने सरेंडर कर दिया और शांतिपूर्ण आंदोलन करने लगे। जेकेएलफ मूल रूप से एक उग्रवादी संगठन था लेकिन 1995 से इसने सभी तरह की हिंसा से मुंह मोड़ लिया और अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए शांति का रास्ता अपना लिया। यासीन मलिक उन कश्मीरी पंडितों की वापसी के पुरजोर समर्थक हैं जिन्हें भागने को मजबूर किया गया था।’

फिर वो इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बुलाने के फैसले का स्वागत करते हैं और कहते हैं, ‘स्पष्ट रूप से इन्हें इस पैनल में शामिल करना विवादास्पद है जैसा कि शुरुआत में हुआ भी, लेकिन मैं इस फैसले का समर्थन करता हूं क्योंकि मैं मानता हूं कि लोकतंत्र में हर तरह की आवाज सुनी जानी चाहिए।’ ट्विटर यूजर @UshaNirmala ने यह वीडियो ट्वीट कर इसे शर्मनाक बताया है। उन्होंने लिखा, ‘कितना शर्मनाक है आनंद महिंद्रा जी। जेकेएलएफ और यासीन मलिक कश्मीरी पंडितों के नरसंहार में कथित तौर पर शामिल थे।’

यासीन मलिक को लेकर दावा और सच्चाई

वहीं, अंशुल सक्सेना लिखते हैं, ‘वर्ष 2008 में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अलगाववादी यासिन मलिक को बुलाया गया। इंडिया टुडे ने कहा कि यासीन मलिक कश्मीरी हिंदुओं की वापसी के मुखर समर्थक हैं। हालांकि, वर्ष 2015 में यासीन मलिक ने कश्मीरी पंडितों के लिए कॉलोनियां बनाए जाने का विरोध किया और 2017 में इंडिया टुडे के पत्रकार पर ही हमला कर दिया।’

प्रधान मंत्री और गृह मंत्री से सवाल

कश्मीरी पंडित और पत्रकार आदित्य राज कौल ब्रिटिश मीडिया हाउस बीबीसी को दिया यासीन मलिक के इंटरव्यू ट्वीट किया है। वो लिखते हैं, ‘आतंकी यासीन मलिक को देखिए, कैसे हंसते हुए स्वीकार कर रहा है कि उसने भारतीय वायुसेना के चार लोगों को कश्मीर में मारा। भारत सरकार उसके खिलाफ ट्रायल शुरू करने और सजा दिलाने में असफल क्यों रही है? इतने सालों से बचे रहने में यासीन मलिक की मदद कौन कर रहा है?’ कौल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को टैग भी किया है।

 

ट्विटर यूजर का सवाल- आखिर न्याय कहां है?

ट्विटर हैंडल @megirish2001 लिखते हैं, ‘यासीन मलिक ने 1989 में जस्टिस नीलकांत गंजू की हत्या की, उसी वर्ष रूबिका सईद को अगवा किया, 1990 में भारतीय वायुसेना के चार लोगों और दो महिलाओं को मारा जबकि 40 महिलाओं को घायल किया। लेकिन 2005 में उसे शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान भेजा गया, 2006 में प्रधानमंत्री ने उसे चाय पर बुलाया, 2017 में बीबीसी को दिए इंटरव्यू में उसने इन सभी करतूतों पर गर्व किया। 2019 में अरेस्ट हुआ और आज 2022 में भी अंडर ट्रायल ही है।’ वो पूछते हैं, ‘आखिर न्याय कहां है?’

 

ट्विटर हैंडल @bhavik_3vedi ने लिखा, ‘भातीय वायुसेना के अधिकारी रवि खन्ना को 1990 में यासीन मलिक ने मारा था। उनकी पत्नी 30 सालों से न्याय की उम्मीद लगाई बैठी हैं। दो साल पहले 2020 में यासीन को जेल हुई।’

अस्विना भट्ट लिखती हैं, ‘यासीन मलिक, बिट्टा कराटे, जेकेएलएफ के कमांडरों का 1990 में कश्मीरी पंडितों को भगाने में हाथ रहा। बड़े पैमाने पर पलायन हुआ। वो सभी जिंदा हैं। अब तक सजा नहीं मिली। द कश्मीर फाइल्स फिल्म वो नग्न हकीकत बयां कर रही है जो नरसंहार का कारण बना।’

ट्विटर हैंडल @vijaysbo ने लिखा, ‘कश्मीर फाइल्स एक सच्चा इतिहास है। देखिए आतंकी यासीन मलिक तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, अरुंधति राय, फारूक अब्दुल्ला और पाकिस्तानी आतंकी हाफीज सईद के साथ है। लोगों को यह सब जानना चाहिए और भारत की रक्षा करनी चाहिए।’

एलीट क्लास पर उठ रहे प्रश्न

 

1990 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचार पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने अतीत के कई पन्ने पलट दिए हैं। 11 मार्च को रिलीज होने के बाद से ही फिल्म चर्चा का विषय बनी हुई है। साथ ही सोशल मीडिया पर इस बात पर भी गहमा-गहमी मची है कि कश्मीरी पंडितों के खिलाफ चले इस अमानवीय अभियान पर सरकार, मीडिया, बुद्धिजीवियों एवं संभ्रांत वर्ग के अन्य लोगों की प्रतिक्रिया कितनी निराशाजनक रही है। इसी कड़ी में ट्विटर पर कई ट्रेंड्स चल रहे हैं जिनमें एक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) चीफ यासीन मलिक को लेकर है। ट्विटर यूजर्स इस आतंकी को चौतरफा मिले सम्मान पर अपनी नाराजगी का इजहार कर रहे हैं।

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