उदयपुर के हत्यारों ने ली विदेशों में ट्रेनिंग,ISIS के थे स्लीपर सेल,एनआईए की भी एंट्री

उदयपुर मर्डर केस: 45 दिन कराची में ट्रेनिंग, 8-10 नंबरों से बात… आरोपितों का पाकिस्तान कनेक्शन

उदयपुर हत्याकांड में आरोपितों का पाकिस्तान कनेक्शन सामने है. राजस्थान के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के मुताबिक, आरोपित गौस मोहम्मद 45 दिन पाकिस्तान, कुछ दिन अरब देश और उसके बाद कुछ दिन तक नेपाल में रहकर आया था. इस मामले की जांच NIA को सौंप दी गई है।

पाकिस्तान से जुड़ा टेलर की हत्या का कनेक्शन

अरब देश और नेपाल में भी रह आया आरोपित

जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को

उदयपुर 30 जून। राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल केस में दोनों आरोपितों का पाकिस्तान कनेक्शन है. राजस्थान के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव कहा कि यह दो धर्मों की लड़ाई नहीं, बल्कि आतंकी हमला है. दो में से एक आरोपित गौस मोहम्मद साल 2014-15 में 45 दिन कराची में ट्रेनिंग लेकर आया है.

रियाज अत्तारी है ISIS के रिमोट सेल अलसूफा का फिल्ड वर्कर

राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी मोहम्मद रियाज अत्तारी के तार अलसूफा से जुड़े हैं। यह संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के रिमोट स्लीपर सेल के तौर पर काम करता है।

राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी मोहम्मद रियाज अत्तारी के तार अलसूफा से जुड़े हैं। यह संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के रिमोट स्लीपर सेल के तौर पर काम करता है। रियाज पांच साल से अलसूफा के लिए उदयपुर व आसपास के जिलों में काम कर रहा था।

30 मार्च को चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा में पुलिस ने 3 आतंकियों से 12 किलो विस्फोटक बरामद किया था। इससे जयपुर व अन्य जगह सीरियल ब्लास्ट की साजिश थी। टोंक निवासी मुजीब इसी में जेल में बंद है।

2014 में पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर आया था गौस!

कन्हैयालाल हत्या के दूसरे आरोपित गौस मोहम्मद को रियाज ने कुछ महीने पहले ही टीम में शामिल किया था। गौस 2014 में पाकिस्तान जाकर आया है। उसके वहां ट्रेनिंग लेने की बात भी सामने है। इसकी जांच होोीरही है। वो कराची गया था। लौटने पर गौस धर्म के नाम पर युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहा था। गौस और रियाज के मोबाइल की जांच में कई देशों के नंबर मिले हैं। इनमें से पाक के दो लोगों से लगातार संपर्क में थे। पूछताछ में चार और लोगों को हिरासत में लिया है। कई लोग चिह्नित भी किये गये हैैं।

मुजीब का सबसे खास शागिर्द था रियाज

एनआईए सूत्रों के अनुसार मूल रूप से टोंक का रहने वाला मुजीब लंबे समय से उदयपुर में गाइड का काम करता था। उसने यहां अलसूफा का नेटवर्क खड़ा किया। रियाज उसका सबसे खास शार्गिद था। मुजीब की गिरफ्तारी के बाद एएनआई उसको पकड़ने की तैयारी कर रही थी। जांच में दोनों के अक्सर मिलने और मोबाइल पर लंबी बातचीत के सबूत मिले हैं। एएनआई के यहां पहुंचने से पहले ही उसने जघन्य हत्याकांड को अंजाम दे दिया।

2012 में रतलाम में बना अलसूफा संगठन, 5 साल बाद हुआ सक्रिय

अलसूफा का गठन 2012 में एमपी के रतलाम में हुआ। एनआईए ने 2015 में सरगना अमजद सहित छह लोगहिरासत में भी लिये थे। 2017 में रतलाम के तरुण सांखला हत्याकांड में जुबैर व अल्तमस सहित 8 लोगों की गिरफ्तारी से संगठन की कमर टूटी, लेकिन इस साल यह फिर से सक्रिय हो गया।

दहशत फैलाना ही था वीडियो बनाने का मकसद

रियाज और गौस दहशत फैलाने के लिए अजमेर जाकर भी वीडियो बनाने वाले थे। इन्होंने कन्हैया की हत्या का प्लान बनाया था, लेकिन हत्या के वीडियो बनाने को इन्हें ऊपर से निर्देश दिए गए थे।

खुद से बनाए थे वॉट्सएप ग्रुप

गौस 10-12 साल पहले दावत-ए-इस्लामी से जुड़ा। वह अल्लाह के बंदे, लब्बैक या रसूलुल्लाह जैसे नाम से वॉट्सएप ग्रुप बनाकर करीब 1000 लोगों को कट्टरता को भड़का रहा था। ग्रुप में धर्म रक्षा व देश में चल रहे माहौल पर पोस्ट शेयर करता था। कोई युवा पोस्ट की रिप्लाई करता तो उसे टारगेट कर ब्रेनवॉश करता था। उसके चार सहयोगी पकड़े हैं। मोबाइल जांच में कुछ पोस्ट डिलीट करने की जानकारी मिली है जिसे रिकवर किया जा रहा है

साल 2018-19 में गौस मोहम्मद अरब देशों में भी गया था. पिछले साल नेपाल में भी इसकी लोकेशन सामने आई. ऐसे में आरोपित गौस मोहम्मद का कनेक्शन सीधे पाकिस्तान से है। राजस्थान सरकार ने पूरा मामला नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को सौंप दिया है.

शुरुआती जांच में सामने आया है कि हत्या करने वाले दोनों आरोपित गौस मोहम्मद और रियाज जब्बर लगातार पाकिस्तान में बैठे लोगों के संपर्क में थे और पाकिस्तान के 8 से 10 नंबर पर लगातार बात कर रहे थे. अब इस घटना की जांच को NIA को सहयोग की आवश्यकता होगी तो एसओजी NIA से सहयोग करेगी.

मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा, ‘उदयपुर की घटना विदेशों में बैठी आतंकी ताकतों की भारत की शांति खराब कर हिंदू-मुस्लिम दंगे करवाने का सोचा समझा षड्यंत्र था. जिन पुलिसकर्मियों ने अपनी जान हथेली पर लेकर दोनों आरोपितों को पकड़ा है, उन पांचों पुलिसकर्मियों को गैलंट्री अवॉर्ड दिया जाएगा. साथ ही प्रमोशन भी मिलेगा.’ इसके साथ ही मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा कि घटना अचानक हुई है इसलिए मामले को इंटेलिजेंस का पूरा फेलियर नहीं माना जा सकता. इस जघन्य अपराध की सजा फांसी से कम नहीं होगी.

UAPA एक्ट में मामला दर्ज

राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर ने बताया कि उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की हत्या को आतंकी घटना मान UAPA Act में मुकदमा लिखा है. आरोपितों के विदेशों में भी संपर्क की जानकारी सामने आई है. कन्हैयालाल की हत्या का आरोपित गौस मोहम्मद साल 2014 में पाकिस्तानी शहर कराची गया था. वह दावत-ए-इस्लामी संस्था से जुड़ा था.कानपुर ,दिल्ली और मुंबई में दावत-ए-इस्लामी के दफ्तर हैं.

क्या है पूरा मामला?

उदयपुर के धानमंडी थाना इलाके में मंगलवार दोपहर मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने टेलर कन्हैयालाल की खंजरों से हत्या कर दी थी. आरोपित कपड़े सिलवाने के बहाने दुकान पर आए और दोनों ने वीडियो शेयर किया कि उन्होंने इस्लाम के अपमान का बदला लेने को कन्हैया लाल की हत्या की है.

उदयपुर हत्याकांड पर अशोक गहलोत ने जयपुर में की सर्वदलीय बैठक

उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की हत्या के मुख्य आरोपितों में से एक मोहम्मद रियाज उदयपुर के परकोटे में एक दुकान पर वेल्डर था।

सर्वदलीय बैठक में सभी का एक विचार

उदयपुर हत्याकांड के सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, भाजपा, आरएलपी, भाकपा, निर्दलीय, किसान नेताओं ने भाग लिया. गृह राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में एकमत रहा कि अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. सभी सहमत थे कि विदेशी ताकतों से मिलकर हिंसा करने वालों की जांच एनआईए करें।

सामान्य घटना नहीं, आतंकवाद है- वसुंधरा

कन्हैया लाल हत्याकांड पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि ये मामूली घटना नहीं , आतंकवाद है. इसकी कितनी भी भर्त्सना कम है. उन्होंने कहा- सांप्रदायिक उन्माद के पीछे कौन लोग और संगठन हैं? ऐसा राजस्थान में कभी नहीं हुआ. जो 2 दोषी सामने दिख रहे हैं सिर्फ वही नहीं उसके पीछे जो लोग होंगे, जहां से इसकी शुरुआत हुई , उन्हें भी कड़ी से कड़ी सजा दी जाए. एक रास्ता है कि सरकार सक्रिय हो और दूसरा रास्ता है कि बहाना बनाए. अपने कंधों पर तो लेना नहीं है उसकी बजाए पूरी समस्या किसी दूसरे के कंधों पर डाल दीजिए, वही अशोक गहलोत कर रहे हैं

पुलिस ने 3 लोगों को किया गिरफ्तार

उदयपुर हत्याकांड पर राजस्थान के डीजीपी एम.एल. लाठर ने कहा कि कन्हैया लाल की हत्या में 2 मुख्य आरोपित हैं. तीन अन्य भी हिरासत में हैैं. अभी तक पूछताछ में मुख्य आरोपितों के दावत-ए-इस्लामी और अलसूफा संपर्क प्रमाणित हुए हैं. मुख्य आरोपितों के सीमा पार कनेक्शन को डिजिटल साक्ष्यों की जांच राजस्थान पुलिस कर रही है। NIA का सहयोग भी मिल रहा है .

घटना स्थल पर एनआईए और एफएसएल की टीम पहुंची

पुलिस, एनआईए, एसआईटी, एफएसएल और एटीएस की टीमें उदयपुर पहुंची, जहां कल दो लोगों ने निलंबित भाजपा नेता नुपुर शर्मा के समर्थन में सामग्री पोस्ट करने पर कन्हैया लाल का सिर कलम कर दिया था.

अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर साधा निशाना

उदयपुर हत्याकांड पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राजस्थान सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि मुुख्यमंत्री गहलोत अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं, राज्य सरकार ने मूकदर्शक बन तुष्टिकरण की राजनीति से स्थिति खराब की है.

एनआईए ने इन धाराओं में मामला किया दर्ज

एनआईए ने उदयपुर में कन्हैया लाल टेेेलर की हत्या में मुकदमा दर्ज किया है। एनआईए टीमें उदयपुर पहुंची हैं और त्वरित जांच को आवश्यक कार्रवाई पहले ही शुरू हो गई है. एनआईए ने आरोपितों के खिलाफ IPC की धारा 452, 302, 153 (ए), 153 (बी), 295 (ए) और 34 के साथ ही गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून, 1967 की धारा 16, 18 एवं 20 में मामला फिर से दर्ज किया है.

पुलिस की कार्यशैली पर सवाल

राजस्थान में टेलर कन्हैया लाल की हत्या का पूरे देश में विरोध हो रहा है. पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठे हैं. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मामले में पुलिस कार्यशैली पर सवाल उठाया है कि यह हत्या तुष्टिकरण की राजनीति का घातक प्रतिफल है. पुलिस ने शिकायत मिलने पर कार्रवाई क्यों नहीं की? राजस्थान में अपराधियों के हौसलें कितने बुलंद हैं इसका इसी से अंदाजा लगता है.

What is UAPA act provision power and punishment
UAPA कानून क्या होता है, जिसमें उदयपुर केे हत्यारों पर हुुआ है मुकदमा

APA बेहद कड़ा कानून है, जिसमें आरोपितों को शक के आधार पर आ​तंकवादी घोषित किया जा सकता है. एक बार आतंकवादी का ठप्पा लगा तो फिर उसे कोर्ट की बजाय सरकार की बनाई रिव्यू कमेटी के पास जाना पड़ता है. इसमें आरोपित को अग्रिम जमानत मिलना बहुत मुश्किल होता है. इसकी परिधि इतनी व्यापक है कि वैचारिक विरोध और आंदोलन या दंगा भड़काने में भी यह एक्ट लगाया जाता है. इस एक्‍ट में सजाएं भी बहुत गंभीर हैं।

क्‍या होता है UAPA कानून?

UAPA यानी का फुल फॉर्म Unlawful Activities (Prevention) Act यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियां रोकना है. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में अधिवक्ता शुभम भारती ने बताया कि इसमें पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या संदिग्धों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, आतंकी गतिविधि के लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं. ऐसे मामलों में एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पास काफी शक्तियां हैं. एनआईए महानिदेशक के पास यहां तक अधिकार है कि जांच में वह संदिग्ध या आरोपित की संपत्ति भी कुर्की-जब्ती करवा सकते हैं.

1967 में आया UAPA कानून

UAPA कानून वर्ष 1967 में लाया गया था. तब इसे संविधान के अनुच्छेद 19(1) में दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने को लाया गया था. पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधि संबंधी POTA और TADA जैसे कानून तो खत्म कर दिए गए, लेकिन UAPA कानून मौजूद है और यह पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है.

2019 में संशोधन के बाद बढ़ी शक्ति

अगस्त 2019 में संसद में UAPA संशोधन बिल पास हुआ था. पहले जहां इसमें केवल किसी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करने की शक्ति थी, वहीं संशोधन के बाद इस कानून को यह ताकत मिल गई कि जांच के आधार पर किसी संदिग्ध को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. संसद में विपक्ष ने इस संशोधन पर आपत्ति भी जताई थी. लेकिन इस पर गृहमंत्री अमित शाह का कहना था कि आतंकवाद को जड़ से मिटाना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए यह संशोधन जरूरी है.

संदेह के आधार पर घोषित किए जा सकते हैं आ​तंकी

इस कानून में किसी व्यक्ति पर संदेह होने मात्र से ही पुलिस या जांच एजेंसी उसे आतंकवादी घोषित कर सकती है. इसके लिए यह भी मायने नहीं रखता कि उस संदिग्ध व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध है या नहीं. आतंकवादी का टैग हटवाने उसे सरकारी रिव्यू कमेटी के पास जाना होगा. हालांकि बाद में कोर्ट में भी अपील की जा सकती है.

एक्टिविस्ट और आंदोलनकारियों पर भी हो सकती है कार्रवाई

UAPA कानून के प्रावधानों की परिधि बडी है. इसका इस्तेमाल आतंकियों और अपराधियों के अलावा एक्टिविस्ट्स और आंदोलनकारियों पर भी हो सकता है. अधिवक्ता शुभम भारती नेे बताया कि UAPA के सेक्शन 2(o) में भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल करने को भी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल किया गया है. हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता इस बात पर आपत्ति जताते रहे हैं कि मात्र सवाल करना गैरकानूनी कैसे हो जाएगा? इस कानून में ‘भारत के खिलाफ असंतोष’ का वातावरण बनाना या इसे फैलाना भी अपराध की परिधि में शामिल है. हालांकि असंतोष को स्पष्टत: परिभाषित नहीं किया गया है.

UAPA की कई धाराओं में कठोर प्रावधान

यूएपीए में धारा 18, 19, 20, 38 और 39 में केस दर्ज होता है. आरोपित के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात सामने आने पर धारा 38 लगती है. वहीं, आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने पर धारा 39 लगाई जाती है. इस एक्ट के सेक्शन 43D (2) में पुलिस कस्टडी की अवधि दोगुना करने का प्रावधान है. इसमें पुलिस को 30 दिन तक की कस्टडी मिल सकती है. अन्य कानूनों की अपेक्षा इसमें न्यायिक हिरासत 30 दिन ज्यादा यानी 90 दिन की भी हो सकती है.

जिस व्यक्ति पर UAPA में केस दर्ज हुआ है, तो उसे अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती. यहां तक कि अगर पुलिस ने उसे छोड़ भी दिया हो तब भी उसे अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी. इस कानून के सेक्शन 43D (5) के मुताबिक, अगर उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया केस बनता है तो कोर्ट जमानत नहीं दे सकती.

सरकार द्वारा घोषित आतंकी संगठन का सदस्य पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है. हालांकि इस कानून में ‘सदस्यता’ की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है. कई एक्टिविस्टों पर इस कानून के तहत केस दर्ज हो चुके हैं और वे जेल में हैं.

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