मुस्लिम आक्रामकता और असहिष्णुता का स्मारक है कुतुब की कुव्वत ए इस्लाम मस्जिद
पर्यटन स्थल – कुतुब मीनारQutab Minar
कहां स्थित है: महरौली
नज़दीकी मेट्रो स्टेशन:
कुतुब मीनार
खुलने के दिन: प्रतिदिन
प्रवेश शुल्क : 10 रु. (भारतीय), 250 रु.
(विदेशी)
बंद रहने के दिन: कोई नहीं
दिल्ली के अंतिम हिन्दू शासक की पराजय के तत्काल बाद 1193 में कुतुबुद्धीन ऐबक द्वारा इसे 73 मीटर ऊंची विजय मीनार के रूप में निर्मित कराया गया। इस इमारत की पांच मंजिलें हैं। प्रत्येक मंजिल में एक बालकनी है और इसका आधार 1.5 मी. व्यास का है जो धीरे-धीरे कम होते हुए शीर्ष पर 2.5 मीटर का व्यास रह जाता है और पहली तीन मंजिलें लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और चौथी तथा पांचवीं मंजिलें मार्बल और बलुआ पत्थरों से निर्मित हैं। मीनार के निकट भारत की पहली क्वातुल-इस्लाम मस्जिद है। यह 27 हिन्दू मंदिरों को तोड़कर इसके अवशेषों से निर्मित की गई है।”इस मस्जिद के प्रांगण में एक 7 मीटर ऊँचा लौह-स्तंभ है। यह कहा जाता है कि यदि आप इसके पीछे पीठ लगाकर इसे घेराबंद करते हो जो आपकी इच्छा होगी पूरी हो जाएगी।
कुतुबमीनार का निर्माण विवादपूर्ण है कुछ मानते है कि इसे विजय की मीनार के रूप में भारत में मुस्लिम शासन की शुरूआत के रूप में देखा जाता है। कुछ मानते है कि इसका निर्माण मुअज्जिन के लिए अजान देने के लिए किया गया है।
बहरहाल इस बारे में लगभग सभी एकमत है। कि यह मीनार भारत में ही नहीं बल्कि विश्व की बेहतरीन स्मारक है। दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्धीन ऐबक ने 1200 ई. में इसके निर्माण कार्य शुरु कराया किन्तु वे केवल इसका आधार ही पूरा कर पाए थे। इनके उत्तराधिकारी अल्तमश ने इसकी तीन मंजिलें बनाई और 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई थी।
ऐबक से तुगलक काल तक की वास्तुकला शैली का विकास इस मीनार में स्पष्ट झलकता है। प्रयोग की गई निर्माण सामग्री और अनुरक्षण सामग्री में भी विभेद है । 238 फीट कुतुबमीनार का आधार 17 फीट और इसका शीर्ष 9 फीट का है । मीनार को शिलालेख से सजाया गया है और इसकी चार बालकनी हैं। जिसमें अलंकृत कोष्ठक बनाए गए हैं। कुतुब परिसर के खंड़हरों में भी कुव्वत-ए-इस्लाम (इस्लाम का नूर) मस्जिद विश्व का एक भव्य मस्जिद मानी जाती है। कुतुबुद्धीन-ऐबक ने 1193 में इसका निर्माण शुरू कराया और 1197 में मस्जिद पूरी हो गई।
वर्ष 1230 में अल्तमश ने और 1315 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस भवन का विस्तार कराया। इस मस्जिद के आंतरिक और बाहरी प्रागंण स्तंभ श्रेणियों में है आंतरिक सुसज्जित लाटों के आसपास भव्य स्तम्भ स्थापित है। इसमें से अधिकतर लाट 27 हिन्दू मंदिरों के अवशेषों से बनाए गए हैं। मस्जिद के निर्माण हेतु इनकी लूटपाट की गई थी अतएव यह आचरण की बात नहीं है कि यह मस्जिद पारंपरिक रूप से हिन्दू स्थापत्य–अवशेषों का ही रूप है।
मस्जिद के समीप दिल्ली का आश्चर्यचकित करने वाला पुरातन लौह-स्तंभ स्थित है।