मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अॉफ इंडिया लड़ेगा भारत में तालिबानी सोच के लोगों से
लखनऊ में तालिबान की बर्बरता की निंदा:मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यसमिति की हुई बैठक, कहा- देश में छिपे तालिबानी सोच के लोगों को बेनकाब करेगें
लखनऊ के चारबाग स्थित एक होटल में हुई बैठक।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई। चारबाग स्थित एक होटल में आयोजित इस बैठक में पहले दिन अफगानिस्तान में तालिबान की बर्बाता की निंदा की गई। इसके साथ ही अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति और मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चर्चा की गई। बैठक में केंद्रीय वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर भी प्रस्ताव पास हुआ।
एमपीएलबीआई आंध्रप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष सूफी अल्ताफ रजा ने कहा कि हिंदुस्तान में सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी एक हैं और मिलजुलकर रहते हैं। यहां कट्टरपंथी विचारधारा और तालिबानी विचारधारा से सहमत नहीं है। कर्नाटक के सूफी मौलाना तनवीर हाशमी ने कहा कि हम लोग सभी धर्मों में सद्भावना के लिए संवाद, समन्वय का अभियान शुरू करेंगे।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की विचारधारा कट्टरवादी
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डॉॉक्टर मुईन अहमद खान ने कहा कि पुराना ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सभी मामलों पर विफल संगठन होने के साथ वह अपनी वहाबी विचारधारा तक सीमित है। उनकी विचारधारा में कट्टरता है। धार्मिक कट्टरता राष्ट्र को नुकसान पहुंचा रही है। सभी धर्मों में सद्भावना के लिए संवाद, समन्वय का अभियान जरुरी है। इसीलिए इस अभियान को शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
धार्मिक कट्टरता राष्ट्र को नुकसान पहुचा रही है,सद्भावना के लिये संवाद,समन्वय का अभियान शुरू होगा-एमपीएलबीआई
धार्मिक कट्टरता के विरुद्ध बड़े अभियान चलाएगा एमपीएलबीआई
बैठक में पारित प्रस्तावो के संबंध में जानकारी देते हुए बोर्ड के महासचिव ने बताया कि धार्मिक कट्टरता समाज व राष्ट्र को खोखला कर रही है। बोर्ड के प्रस्ताव में कहा गया कि वर्तमान वक्फ एक्ट में केंद्र सरकार को संशोधन करना चाहिए। जिससे सूफीवादी विचारधारा के धर्मस्थलों की सुुरक्षा करना और कट्टरता को हराना आसान हो।
सूफीवादी विचार देश मे भाईचारे के लिये जरुरी
कहा गया कि सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सूफीवादी सुन्नत वल जमात के धर्मस्थलों का प्रबंधन वहाबी विचारधारा के हवाले करने की मुहिम चला रखी है जिससे एक तरह से सत्ता के संरक्षण में सूफीज्म खत्म हो रहा है। यह मुस्लिम समुदाय ही नहीं देश को कमजोर कर देगा। सूफीवादी विचार देश में भाईचारे के लिए महत्वपूर्ण है।
इस बैठक में डॉक्टर. मुईन अहमद, अमीर हमजा रजवी, कारी चिरगुद्दीन, डॉक्टर. जहीरुद्दीन रज़वी, मोहम्मद आमिर सिद्दीकी, शफीक अहमद, सैय्यद मेहंदी, हाजी खलील फरीदी आदि मौजूद रहे।