CCA:केरल के मुस्लिम विशेष विवाह अधिनियम में दोबारा क्यों कर रहे शादी?
केरल में मुस्लिम समुदाय ने बेटियों के उचित उत्तराधिकार को विशेष विवाह अधिनियम का सहारा लिया
सालभर में कासरगोड और त्रिशूर में एसएमए से 277 शादियां पंजीकृत
तिरुवनंतपुरम 14 जुलाई 2024: परंपराएं मजबूती से थामें हुए भी, मुस्लिम समुदाय के अधिकाधिक सदस्य मुस्लिम उत्तराधिकार कानून में लगाई गई कुछ शर्तों से पार पाने को विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) की धारा 15 में विवाह का पंजीकरण कराना शुरू कर चुके।
सूचना के अधिकार में दो जिलों – कासरगोड और त्रिशूर – के उप-पंजीयक कार्यालयों से एकत्रित विवरण से पता चलता है कि पिछले एक साल में एसएमए में कुल 277 विवाह पंजीकृत किए गए। इनमें से सबसे अधिक पंजीकरण त्रिशूर के एंथिकाड में हुए – 80।
त्रिशूर और कासरगोड में एसएमए में पंजीकृत विवाहों की संख्या
पझायन्नूर – 13
एरुमापेट्टी – 7
अन्नामनदा – 7
अंदाथोडु – 12
अंतिकाड – 80
कुन्नमकुलम – 18
मुल्लास्सेरी – 1
कटूर – 6
उडुमा – 6
नीलेश्वर – 10
त्रिक्कारिपुर – 44
राजपुरम – 8
कासरगोड – 19
मंचेश्वरम – 17
होसदुर्ग – 15
बदियादका – 14
मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट 1937 के अनुसार, अगर पिता का कोई बेटा नहीं है तो उसकी संपत्ति का केवल दो-तिहाई हिस्सा बेटियों को मिलेगा। बाकी संपत्ति उसके भाइयों को मिलेगी।
मुस्लिम उत्तराधिकार कानून में मौजूद विसंगति सामने लाने वाले दंपत्ति – अभिनेता और वकील सी शुक्कुर और उनकी पत्नी डॉक्टर शीना, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय की पूर्व प्रो-वाइस-चांसलर हैं – को सभी जिलों में बदलाव दिख रहा है। दोनों ने 29 साल तक शादी करने के बाद मार्च 2023 में एसएमए से दोबारा शादी की थी।
शुक्कुर ने बताया, “मैंने आरटीआई में 1 जनवरी, 2020 से जून 2024 तक राज्य में एसएमए विवाहों का विवरण मांगा था। इन दो जिलों से प्राप्त विवरणों की पुष्टि करने पर, यह स्पष्ट है कि हमारी शादी के पंजीकरण के बाद, मार्च 2023 के बाद एसएमए में बड़ी संख्या में विवाह पंजीकृत किए गए थे।”
कासरगोड जिले में एसएमए में 133 पुनर्विवाह पंजीकृत हुए, जबकि त्रिशूर में 144 पुनर्विवाह पंजीकृत किए गए।
“अन्य जिलों से विवरण अभी मिले नहीं हैं। मुझे प्रतिदिन मिलने वाली प्रतिक्रिया के अनुसार, केवल बेटियों वाले परिवार अब कानूनी रास्ता अपना रहे हैं ताकि ऐसी स्थिति से बचा जा सके जहां उनकी बेटियों को उनकी मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति न मिले। मुझे राज्य के साथ अमेरिका तथा खाड़ी देशों से जानकारी को फोन आ रहे हैं। वास्तव में, जहाँ भी मलयाली रहते हैं, वहाँ से भी पूछताछ हो रही है। कई लोग कानूनी बिंदुओं पर जानकारी चाहते हैं। मुस्लिम विद्वान इस तरह का चलन स्वीकार करते हैं कि ऐसा हो रहा है।
अभिनेता और अधिवक्ता शुक्कुर ने दो अक्टूबर को विशेष विवाह अधिनियम में दोबारा शादी करने वालों का एर्नाकुलम में सम्मेलन बुलाने का निर्णय किया है जिसमें कट्टरपंथियों की चुनौती से निपटने के रास्ते खोजे जायेंगें।
केरल में शुक्कुर दंपति ने निकाह के 29 साल के बाद दोबारा शादी की. इस जोड़े ने अपनी बेटियों को प्रॉपर्टी का हक दिलाने को स्पेशल मैरिज एक्ट में कोर्ट मैरिज की. जिस पर फतवा जारी हो गया है.
केरल के मुस्लिम जोड़े ने फिर से रचाई शादी तो मिली धमकी, अब पुलिस ने बढ़ाई सिक्योरिटी
प्रेस से बात करते शुक्कुर और उनका परिवार
29 साल पहले शादी करने वाले सी शुक्कुर और शीना ने कान्हागढ़ होजदुर्ग रजिस्ट्री कार्यालय की रजिस्टर बुक पर हस्ताक्षर कर विशेष विवाह अधिनियम में एक बार फिर से शादी कर ली है.शुक्कुर कासरगोड जिले के पूर्व लोक अभियोजक हैं.शीना और शुक्कुर की शादी 6 अक्टूबर 1994 को हुई थी.अब इस कपल की दूसरी शादी समाज को एक संदेश है.दोनों ने कानून की पढ़ाई की है और अधिवक्ता हैं. शुक्कुर और शीना की 3 बेटियां हैं.
चूंकि उनकी शादी मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार हुई है, इसलिए मृत्यु के बाद पूरी संपत्ति बेटियों को नहीं दी जा सकती. पुत्र होने पर ही पूरी संपत्ति का ट्रांसफर इस प्रकार होता है. चूंकि वे बेटियां हैं,इसलिए बच्चों को संपत्ति का दो तिहाई हिस्सा ही मिलेगा.बाकी भाइयों का है.इस समस्या से बचने को दोनों ने स्पेशल मैरिज एक्ट में दोबारा शादी की.
धमकी मिलने पर बढ़ाई गई सुरक्षा
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभिनेता-अधिवक्ता और उसके परिवार के खिलाफ कुछ संगठनों के धमकी दिए जाने की खबरों के दृष्टिगत यहां कन्हानगढ़ में वकील-अभिनेता सी. शुक्कुर के निवास क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी गई है. शुक्कुर ने बुधवार (8 मार्च) को होसदुर्ग तालुक के कन्हानगढ़ में एक उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में अपनी तीन बेटियों की उपस्थिति में विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) में अपनी पत्नी शीना से दूसरी शादी कर ली.
निकाह के 29 साल बाद अब की कोर्ट मैरिज तो जारी हुआ फतवा, मलयाली वकील ने कहा- अगर मुझ पर कोई हमला हुआ तो…
निकाह के 29 साल बाद अब की कोर्ट मैरिज तो जारी हुआ फतवा, शख्स ने कहा- अगर मुझ पर कोई हमला हुआ तो…
केरल (Kerala) में एक दंपति ने निकाह के 29 साल के बाद दोबारा से शादी की. इस जोड़े ने अपनी बेटियों को प्रॉपर्टी का हक दिलाने के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोर्ट मैरिज की. अब उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया, जिसकी जानकारी खुद वकील सी शुक्कुर (shukoor vakeel) ने सोशल मीडिया पर दी थी. उन्होंने इस फतवा का अब जवाब दिया है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day 2023) पर केरल (Kerala) में हुई एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी रही. यहां कासरगोड जिले में लगभग 29 साल से विवाहित दंपति ने अपनी तीन बेटियों की खातिर दोबारा शादी की. शादी स्पेशल मेरिज एक्ट में हुई . शादी को लेकर उनके खिलाफ फतवा जारी हो गया. फतवे को लेकर सी शुक्कुर ने फतवा परिषद को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अगर उन पर हमला हुआ तो इसकी जिम्मेदारी उन लोगों की होगी जिन्होंने शरिया के बचाव करने की बात कही थी. शुक्कुर ने साथ ही कहा कि उन्होंने किसी धार्मिक नियम का अनादर नहीं किया और न ही कोई धार्मिक भावना कमजोर करने की कोशिश की है. पेशे से वकील शुक्कुर ने साथ ही कहा कि उन्हें किसी के बचाव की कोई जरूरत नहीं है.
वकील सी शुक्कुर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक में लिखा, ‘अगर मुझ पर कोई हमला होता है तो ‘बचाव’ का दावा करने वाले लोग जिम्मेदार होंगे.’ बता दें कि लगभग 29 साल से मैरिड इस जोड़े ने अपनी तीन बेटियों की खातिर फिर से शादी की. कपल की शादी होसदुर्ग सब-रजिस्टरार ऑफिस में हुई. इस दौरान उनकी तीन बेटियों के अलावा उनके परिवार के सदस्य और दोस्त भी मौजूद थे.
अपनी पत्नी से की दोबारा शादी
सी शुक्कुर वकील और उनकी पत्नी शीना का विवाह बुधवार सुबह 10.15 बजे कान्हागढ़ होजदुर्ग सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में विशेष विवाह अधिनियम में हुई. वहीं शुक्कुर ने अपने फेसबुक पोस्ट पर भी लिखा था कि वह अपनी पत्नी शीना से दोबारा शादी कर रहे हैं.इसके बाद सोशल मीडिया पर उनका ये पोस्ट काफी वायरल हुआ.बता दें कि सी शुक्कुर वकील और शीना की शादी 6 अक्टूबर 1994 को हुई थी. उन्होंने बताया था कि वे स्पेशल मैरिज एक्ट में दोबारा शादी कर रहे हैं.
कपल ने मुस्लिम पर्सनल एक्ट के प्रावधानों से छुटकारे और बेटियों को भी संपत्ति का अधिकार दिलाने को स्पेशल मैरिज एक्ट में दोबारा शादी की. वकील शुक्कुर ने खुद एक फेसबुक पोस्ट से फतवा काउंसिल का नोट शेयर किया था. फतवा परिषद ने आलोचना की थी कि वकील एक्टिंग कर रहे हैं।
दंपति ने एसएमए से फिर से शादी करने का फैसला किया क्योंकि “मुस्लिम पर्सनल लॉ” में बेटियों को अपने पिता की संपत्ति का केवल दो-तिहाई हिस्सा मिलेगा और बाकी पुरुष उत्तराधिकारी की अनुपस्थिति में भाइयों के पास जाएगा. “मुस्लिम पर्सनल लॉ” संपत्ति के विरासत को भी नियंत्रित करता है।
सी शुक्कुर और डॉक्टर शीना शुक्कुर अपनी बेटियों जैस्मीन, जेजा और जेबिन के साथ एसएमए के तहत अपनी शादी का पंजीकरण कराने के बाद सब-रजिस्ट्रार कार्यालय के बाहर
सी शुक्कुर और डॉक्टर शीना शुक्कुर अपनी बेटियों जैस्मीन, जेजा और जेबिन के साथ एसएमए के तहत अपनी शादी का पंजीकरण कराने के बाद सब-रजिस्ट्रार कार्यालय के बाहर
विवाह मंत्रोच्चार के बीच या मौलवी की उपस्थिति में निकाहनामा पर शपथ लेने के बीच संपन्न होते हैं, लेकिन अधिवक्ता सी शुक्कुर और उनकी पत्नी डॉक्टर शीना शुक्कुर के लिए यह विवाह विवाह रजिस्ट्रार के समक्ष और देश के कानून के तहत भी संपन्न होना था।
8 मार्च (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस) को, जो विशेष रूप से इसके प्रतीकात्मक महत्व के लिए चुना गया था, कासरगोड स्थित वकील सी. शुक्कुर और डॉक्टर शीना शुक्कुर ने उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय में विशेष विवाह अधिनियम, 1954 में अपने विवाह के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।
यह अधिनियम दो वयस्क भारतीयों को उनके धर्म या जाति पर विचार किए बिना विवाह करने का अधिकार देता है।
उन्होंने इस्लामी परंपराओं के अनुसार, अपने निकाह के 29 साल बाद ‘पुनर्विवाह’ का आयोजन किया, ताकि उनकी तीन वयस्क बेटियाँ भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत उनकी संपत्ति की उत्तराधिकारी बन सकें।
8 मार्च को जब कुछ धार्मिक कट्टरपंथी इस जोड़े के पुनर्विवाह पर नाराज़ थे, तब शुक्कुर दंपत्ति अपने परिवार और दोस्तों से घिरे हुए थे। “हमने विधि विभाग के मेरे छात्रों द्वारा लाया गया विवाह केक काटा। जब वे हमें बधाई देने आए तो मैंने उन्हें घर पर बिरयानी भी परोसी,” केरल के कन्नूर विश्वविद्यालय के विधि संकाय की प्रमुख डॉक्टर शीना शुक्कुर ने कहा।
जेबिन, शीना शुक्कुर, जैस्मीन, सी शुक्कुर और जेज़ा (एलआर) एक खुशहाल परिवार की एक आदर्श तस्वीर बनाते हैं
शुक्कुर और उनकी पत्नी द्वारा यह साहसिक कदम उठाने के पीछे का कारण उनकी तीन बेटियों – जैस्मीन, जेबिन और जेजा – के अधिकारों को सुरक्षित करना था, ताकि वे अपनी पीछे छोड़ी जाने वाली संपत्तियों पर अपना अधिकार जमा सकें।
शुक्कुर कहते हैं, “मैं कोई बहादुर आदमी नहीं हूं; मैंने यह सब अपनी बेटियों और उन सभी बेटियों (मुस्लिम महिलाओं) को सम्मानजनक जीवन देने को किया, जिन्हें पर्सनल लॉ के प्रावधानों में उनका हक नहीं मिलता।”
उनका कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ़ भारतीय संविधान में अपनी बेटी के अधिकारों को सुनिश्चित करने का उनका कार्य – जो उनकी मृत्यु की स्थिति में उनकी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा बेटियों को और बाकी उनके भाई-बहनों को देता है – उन सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए श्रद्धांजलि है, जिन्होंने पर्सनल लॉ के प्रावधानों में कष्ट झेले हैं। वे बताते हैं कि यह उन मुसलमानों पर लागू होता है जो सुन्नी उत्तराधिकार कानून का पालन करते हैं।