नैनीताल जामा मस्जिद विवाद: प्राधिकरण सूचनाधिकार पर क्यों है मौन?
नैनीताल मस्जिद कब-कब बनीं? कहां से हुई फंडिंग? निर्माण दस्तावेज सरकारी कार्यालयों से गायब, आंख मूंदे बैठा प्रशासन
नैनीताल नौ नवंबर 2024: सौंदर्य झील नगरी नैनीताल के ठीक मध्य में आलीशान मस्जिद का निर्माण संबंधी दस्तावेज और जानकारी सरकारी कार्यालयों से गायब है। यदि ये दस्तावेज होते तो आरटीआई एक्टिविस्ट को अब तक प्रशासन ने सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध करा दिए गए होते।
जानकारी के मुताबिक, नैनीताल नगर क्षेत्र ऐसा संवेदनशील क्षेत्र है जहां यदि एक ईंट भी किसी स्थानीय व्यक्ति को रखनी होती है तो झील विकास प्राधिकरण उसे रखने नहीं देता, बड़ा सवाल यही है कि आखिर ये मस्जिद इतने बड़े आकार में कैसे परिवर्तित हो गई? जबकि प्राधिकरण का मुख्यालय नैनीताल में है और तो और मस्जिद के ठीक बराबर में डीआईजी का कार्यालय है और मल्ली ताल थाना भी है। फिर भीं ऐसा निर्माण वो भी प्रशासन की अनुमति की बिना कैसे यहां हो गया?
ऐसा जानकारी में आया है कि यदि मस्जिद इंतजामिया कमेटी प्राधिकरण से नक्शा पास कराती तो उसकी बहुत से जमीन नियमों के हिसाब से छोड़नी पड़ती, इसका परिणाम ये भी हुआ कि मस्जिद की सीढ़ी बिल्कुल सड़क पर है और ये इमारत एक संकरे खतरनाक मोड़ को छिपाए हुए है जहां अक्सर दुर्घटनाएं होने का अंदेशा बना रहता है। हैरत की बात ये भी है कि नैनीताल में हाई कोर्ट भी है और अन्य कोर्ट भी है। क्या किसी की भी निगाहों में ये इमारत बिना किसी नियम कानून के बनती हुई दिखाई नहीं दी?
आरटीआई एक्टिविस्ट नितिन कार्की इन्हीं सवालों के जवाब प्रशासन से मांग रहे हैं। इस जामा मस्जिद के इतिहास के बारे में विभिन्न समाचार पत्रों में लेख छपते रहे हैं। कुछ साल पहले यहां लाउडस्पीकर के शोर को लेकर भीं खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, उस दौरान ये जानकारी में आया था कि मस्जिद ब्रिटिश काल की बनी हुई है। 30 अप्रैल 2022 को जागरण. कॉम की खबर में लिखा है कि ये मस्जिद 1882 में ब्रिटिश हुक्मरानों ने बनाई थी, ताकि उनकी सेना में भर्ती मुस्लिम जवान यहां इबादत कर सकें। उस समय ये मस्जिद बहुत ही छोटी ही थी।
मस्जिद के पुनर्निर्माण की जानकारी के वर्ष का उल्लेख भी इसी खबर में किया गया है। स्थानीय लोग भी बताते हैं कि 2004- 05 में इस मस्जिद का पुनर्निर्माण हुआ जब राज्य में एन डी तिवारी की सरकार थी और यहां से विधायक उत्तराखंड क्रांति दल के डा नारायण सिंह जंतवाल हुआ करते थे। जानकारी के मुताबिक, उस वक्त भी इस मस्जिद के फैलते आकार को लेकर सवाल उठे थे। उस वक्त झील विकास प्राधिकरण के सचिव उर्वा दत्त चैन, स्थानीय राजनीतिक नेताओं के दबाव में आ गए और वे इस मस्जिद के निर्माण पर मौन साधे रहे, यानि बिना प्राधिकरण के अनुमति के आलीशान मस्जिद खड़ी कर दी गई। जबकि प्राधिकरण उस दौरान किसी होटल या किसी निजी मकान के आगे एक बोरी रेता बजरी भी देख लेता था तो चालान कर देता था।
जानकर बताते हैं कि 2005 में मस्जिद के निर्माण में स्थानीय मुस्लिम समुदाय के अलावा बाहर से भी फंडिंग हुई और चार मंजिला आलीशान इमारत खड़ी हो गई। उस दौरान फिर कुछ शोर-शराबा हुआ, मस्जिद निर्माण का काम रुक गया। बाद में जब 2016 में हरीश रावत की सरकार, उत्तराखंड में आई तो इसकी ऊंची मीनार का निर्माण हुआ, जो कि प्राधिकरण के द्वारा निर्धारित ऊंचाई से कई फुट ज्यादा है, बावजूद इसके इस पर कोई कारवाई आज तक झील विकास प्राधिकरण ने नहीं की।
जबकि सुप्रीम कोर्ट का ऐसा आदेश भी है कि किसी भी धार्मिक स्थल के पुनर्निर्माण या निर्माण के लिए उसे जिला प्रशासन से अनुमति लेना आवश्यक है।
एक्टिविस्ट नितिन कार्की कहते हैं कि प्राधिकरण की भूमिका इस मामले में संदेह पैदा करती है क्योंकि जब-जब नैनीताल के हिंदू सिख धार्मिक स्थलों पर कुछ भी पुनर्निर्माण या मरम्मत की बात होती है तो प्राधिकरण नोटिस जारी कर देता है। वे कहते हैं कि हम केवल जानकारी मांग रहे हैं कि इस मस्जिद के पुनर्निर्माण की अनुमति कब और कैसे दी गई ? कोई शुल्क जमा किया गया ? क्या वो प्राधिकरण या शासन के नॉर्म्स पर बनी है ?
बहरहाल नैनीताल मस्जिद का मामला सुर्खियों में है, आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी का जवाब जिला प्रशासन को देना है, अब प्रशासन ये जवाब कब और कैसे देता है? ये आने वाले कुछ दिनों में साफ हो पाएगा।
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नैनीताल में कैसे बन गई जामा मस्जिद, कहां गायब हो गए जमीन और निर्माण अनुमति के दस्तावेज ? RTI से भी नहीं मिल रहे
उत्तराखंड ब्यूरो
Nov 5, 2024, 12:18 pm IST
Nainital Jama Masjid
नैनीताल: सौंदर्य झील नगरी के बीचों बीच आलीशान जामा मस्जिद कैसे बन गई ? किस की अनुमति से बन गई ? इसका भूमि का स्वामित्व किसका था ? कितनी भूमि थी ? इन सभी की जानकारियां एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने मांगी है, जिसके बाद से नैनीताल जिला प्रशासन में इस से संबंधित दस्तावेजों को खंगालने के लिए ढूंढ मची हुई है। ऐसे में चर्चा है कि उक्त मस्जिद संबंधी रिकार्ड क्या गायब हो गए हैं ?
जानकारी के मुताबिक, नैनीताल जामा मस्जिद के बारे में एक आरटीआई 23.09.2024 को लगाई गई थी जिसमें डीएम नैनीताल से ये जानकारी मांगी गई है कि उक्त मस्जिद कब वक्फ बोर्ड में दर्ज हुई अथवा बोर्ड द्वारा उसका अधिग्रहण किया गया ? वक्फ बोर्ड से पूर्व उक्त मस्जिद के भूमि दस्तावेज किसके नाम पर दर्ज थे? मस्जिद परिसर का कितना क्षेत्रवाल रहा, ये भी जानकारी मांगी गई है कि जब मस्जिद का पुनर्निर्माण हुआ तब के समय के नक्शा की प्रति और अनापत्ति, वर्ष क्या था ? आरटीआई में नैनीताल के मल्लीताल स्थित रजा क्लब की संपत्ति किस वर्ष वक्फ बोर्ड में दर्ज हुई ?
एडवोकेट नितिन कार्की द्वारा ये सूचनाएं मांगी गई थी, किंतु एक माह बीत जाने के बाद भी उक्त सूचनाएं जिला प्रशासन उन्हें उपलब्ध नहीं करवा पाया है। जानकारी के मुताबिक, पूर्व में भी ऐसी जानकारियां मांगी गई थी किंतु तब भी प्रशासन के द्वारा उक्त जानकारियां नहीं दी गई थी।
ऐसी खबर है कि नगर पालिका परिषद की फाइलों से उक्त जानकारी गायब है, साथ ही राजस्व विभाग के रिकार्ड से भी जानकारियां गायब है। रहा सवाल प्राधिकरण के दस्तावेजों का वहां भी ऐसी कोई अनुमति संबंधी दस्तावेज नहीं दिखाई दे रहे हैं।
उधर आरटीआई एक्टिविस्ट श्री कार्की का कहना है कि जिला प्रशासन को सूचना के अधिकार के तहत उक्त जानकारियां देनी चाहिए और यदि वे नहीं देते तो उन्हें मजबूरन सूचना के अधिकार के लिए गठित आयोग में अपील करनी पड़ेगी। बहरहाल नैनीताल में आलीशान मस्जिद को लेकर ये बहस छिड़ गई है कि आखिर इस खूबसूरत हिल स्टेशन में कैसे इतनी बड़ी मस्जिद खड़ी कर दी गई ? जबकि नैना देवी, गुरुद्वारे और अन्य धार्मिक संस्थाओं को भवन विस्तार की अनुमति आज तक नहीं दी गई।
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