फर्जी आईडी से ठगी पर जवाब न देने पर फेसबुक पर नैनीताल हाईकोर्ट से 50 हजार दंड
Uttarakhand High Court Imposed 50 Thousand Rupees Fine On Facebook In Case Of Fake Id And Obscene Video
Uttarakhand: हाईकोर्ट ने फेसबुक पर लगाया 50 हजार रुपये का जुर्माना, 16 फरवरी तक मांगा जवाब, पढ़ें पूरा मामला
नैनीताल 08 दिसंबर।हरिद्वार निवासी आलोक कुमार ने जनहित याचिका दायर की थी। अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया कि फेसबुक पर लोगों की फर्जी आईडी बनाकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जा रही है।
नैनीताल हाईकोर्ट
नैनीताल हाईकोर्ट ने बुधवार को तय समय में जवाब दाखिल नहीं करने पर फेसबुक पर 50 हजार का जुर्माना लगाया। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने फर्जी आईडी के जरिये फोटो एडिट कर अश्लील वीडियो बनाकर लाखों रुपये की ठगी करने के मामले में फेसबुक को 16 फरवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं।
हरिद्वार निवासी आलोक कुमार ने हाईकोर्ट में खुद को पीड़ित बताते हुए जनहित याचिका दायर की है। अधिवक्ता अभिजय नेगी ने कोर्ट को बताया कि फेसबुक पर लोगों को फर्जी आईडी बनाकर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी जा रही है। रिक्वेस्ट मंजूर करने के बाद उनकी फोटो एडिट कर अश्लील वीडियो बनाई जा रही है। ये वीडियो बनाकर उन्हें भेजी जाती है। उनसे मनचाही रकम मांगी जाती है, नहीं देने पर अश्लील वीडियो घरवालों और दोस्तों को भेजने की धमकी दी जाती है।
याचिकाकर्ता के पास भी इसी तरह का वीडियो भेजा गया था। इसकी शिकायत एसएसपी हरिद्वार, डीजीपी, सचिव गृह से भी की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिका में बताया गया कि आरटीआई के जरिये पुलिस से जानकारी मिली कि अब तक 45 पीड़ितों ने ऐसी शिकायत की है और मामला विचाराधीन है। याचिकाकर्ता का कहना था कि पीड़ित लोग आत्महत्या के लिए भी मजबूर हो रहे हैं।
‘फोटो लेकर बनाई अश्लील वीडियो, ब्लैकमेल किया’: HC ने फेसबुक पर ठोका ₹50 हजार का जुर्माना, 1 साल पुरानी PIL का नहीं दिया था जवाब
2021 में कोर्ट ने फेसबुक से फर्जी आईडी और ब्लैकमेलिंग कर लोगों से पैसे माँगने के मामले में जवाब दाखिल करने को कहा था। हालाँकि, फेसबुक ने बीते एक साल में जबाव नहीं दिया। इससे उस पर जुर्माना लगाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपिन सांघी व जस्टिस आरसी खुल्बे ने मामले की सुनवाई करते हुए मेटा के स्वामित्व वाली फेसबुक को 16 फरवरी तक जवाब देना का समय दिया है। साथ ही, समय पर जवाब देने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा है, “यह जुर्माना जमा करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया जा रहा है। इसके लिए और अधिक समय नहीं दिया जाएगा।”
हालाँकि, फेसबुक के वकील ने अपील करते हुए अतिरिक्त समय की माँग की थी। इसके बाद, वकील के अनुरोध को स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा है कि जवाबी हलफनामे में आईटी नियम, 2021 के अनुसार उठाए गए कदमों का भी जिक्र होना चाहिए।
दरअसल, साल 2021 में हरिद्वार के रहने वाले आलोक कुमार ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि फेसबुक में फर्जी आईडी बनाकर लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जा रही है। इसके बाद, फेसबुक फ्रेंड की फोटोज को एडिट कर उनकी अश्लील वीडियो बनाई जाती है और ब्लैकमेलिंग की जाती है।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल से लोग आत्महत्या करने को मजबूर हैं। इसलिए, फेसबुक को यह निर्देश दिए जाएँ कि इस तरह की अश्लील वीडियो डालने वाले लोगों की आईडी ब्लॉक की जाए। साथ ही, फेसबुक को यह भी निर्देश दिए जाएँ कि एक ऐसा नंबर जारी करे जिसमें पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करवा सकें।
कोर्ट में दाखिल याचिका में, याचिकाकर्ता ने फेसबुक के अलावा केंद्र सरकार, राज्य सरकार, पुलिस अधिकारियों को भी ऑनलाइन दुर्व्यवहार से निपटने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश देने की माँग की थी।
याचिकाकर्ता के वकील अभिजय नेगी ने कहा कि पहले भी फेसबुक को नोटिस कोर्ट ने दिया था लेकिन जवाब अब तक नहीं दाखिल किया, जिसके बाद अब कोर्ट ने जुर्माना लगाया है।साथ ही ठगी के मामले भी फेसबुक पर आ रहे हैं जो बेहद गंभीर हैं।
याचिकाकर्ता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने इस मामले को विचारणीय माना था। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि लोगों की फर्जी आईडी बनाकर ब्लैकमेलिंग करने और जबरन वसूली करने को लेकर फेसबुक कैसे एक्शन ले रही है, इस बारे में कोर्ट को रिपोर्ट करेगी।
साइबर ठगों ने फेसबुक को कमाई का धंधा बना दिया है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में आग्रह किया कि फेसबुक को निर्देश दिए जाएं कि ऐसी हरकत करने वालों की आईडी ब्लॉक की जाए। सोशल मीडिया से अश्लीलता से भरे वीडियोज हटाए जाएं। फेसबुक, एसएसपी, डीपीजी को निर्देश दिए जाएं कि एक ऐसा नंबर जारी करें जिसमें पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करा सकें.