नारकोटिक्स जिहाद आरोप पर केरल भाजपा खड़ी हुई बिशप कल्लारांगट के साथ

बिशप मार जोसेफ कल्लारांगट

विवेचना:’लव जिहाद’ के बाद ‘नारकोटिक्स जिहाद’ का आरोप, क्या है पूरा मामला
केरल के एक ताक़तवर ईसाई संगठन के बिशप को अपने ‘नारकोटिक्स जिहाद’ वाले बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा था कि ग़ैर-मुसलमानों को ‘जिहादियों’ के ऐसे जाल से सतर्क रहना चाहिए.

‘नारकोटिक्स जिहाद’ वाले बयान को ‘लव जिहाद’ से जुड़ी बहस की कड़ी में देखा जा रहा है.

कैथोलिक ईसाइयों की संस्था ‘साइरो-मालाबार कैथोलिक चर्च’ की पलाई इकाई के बिशप मार जोसेफ़ कल्लारांगट ने अपने एक धार्मिक उपदेश में कहा था, ”जिहादी ग़ैर-मुसलमान नौजवानों को बर्बाद करने के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. वे कई जगहों से काम करते हैं. इनमें ज़्यादातर आइसक्रीम पार्लर और रेस्तरां प्रमुख हैं.”

बिशप जोसेफ़ कल्लारांगट के बयान की आलोचना न केवल ईसाई धर्म और मुस्लिम संगठनों से जुड़े लोगों ने की है बल्कि
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस बयान को ‘लोगों को बांटने वाला’ करार दिया है जबकि केरल विधानसभा में कांग्रेस के नेता विपक्ष वीडी सतीशन ने कहा कि बिशप ने लक्ष्मण रेखा लांघी है.

हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने बिशप जोसेफ़ कल्लारांगट के बयान का समर्थन किया है.

कैथोलिक ईसाइयों की पाक्षिक पत्रिका ‘लाइट एंड ट्रुथ’ के संपादक फ़ादर पॉल तेलाकात बातचीत में कहते हैं, “पहली बात तो ये है कि पोप फ्रांसिस इससे बिलकुल अलग बात कह रहे हैं.”
”उन्होंने सभी से भाईचारा बरकरार रखते हुए एक दूसरे को समझने का आह्वान किया है. और यहां बिशप जोसेफ़ कल्लारांगट का बयान इसके ठीक उलट है जिसकी निंदा की जानी चाहिए. मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि वो क्यों लोगों के बीच घृणा और वैमन्यस्यता भड़का रहे हैं.”

कोट्टायम तालुक महाल्लु मुस्लिम कॉर्डिनेशन कमिटी नाम की एक संस्था ने बिशप के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने और लोगों के बीच वैमनस्यता फैलाने की शिकायत पुलिस के पास दर्ज कराई है.

कोट्टायम की एसपी डी शिल्पा ने कहा, “हम इस शिकायत पर क़ानूनी सलाह ले रहे हैं.”

बिशप ने और क्या कहा?

बिशप कल्लारांगट ने ‘लेंट ऑफ़ सेंट मैरी’ (ईसाइयों का एक धार्मिक कार्यक्रम) के आठवें दिन कुराविलंगाड में एक धार्मिक उपदेश के दौरान कहा, “दुनिया के दूसरे हिस्सों की तरह, केरल में मुसलमानों का एक तबका समुदायों के बीच मजहब के आधार पर घृणा और वैमनस्यता फैलाना चाहता है.”

उन्होंने कहा, ”जिहादी इस्लाम के प्रसार के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं और वे ग़ैर-मुस्लिम लड़कियों को इस इरादे से टारगेट कर रहे हैं.”

बिशप कल्लारांगट ने निमिषा और सोनिया सेबास्टियन के मामलों का जिक्र किया. ये दो ग़ैर-मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम मर्दों के प्यार में पड़ीं, उन्होंने धर्म बदला और केरल छोड़कर इस्लामिक स्टेट में शामिल हो गईं.

उन्होंने कहा, “ड्रग्स से जुड़े मुकद़मों और रेव पार्टियों (ऐसी पार्टियां जहां नशीले पदार्थों का इस्तेमाल होता है) की बढ़ती संख्या, और इन पार्टियों का आयोजन करने वाले लोगों के ब्योरे से चीज़ें काफी स्पष्ट होती हैं.”

बिशप कल्लारांगट ने ये भी कहा कि ‘हलाल फूड’ को बढ़ावा देकर दूसरे धर्मों को नुक़सान पहुंचाने की कोशिशें भी की जा रही हैं. हालांकि चर्च ने इन मुद्दों को उठाने के लिए सर्कुलर जारी किए हैं लेकिन लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है.

उस धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए बिशप कल्लारांगट ने कहा, “श्रद्धालुओं को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि किशोर उम्र की लड़कियों का लालन-पालन धार्मिक माहौल में हो ताकि वे आध्यात्मिक मूल्यों को आत्मसात कर सकें.”

कोट्टायम स्थित सेंट मैरी चर्च

बिशप ने जो कहा, वो महत्वपूर्ण क्यों है?

अतीत में ऐसा कभी नहीं हुआ कि केरल के किसी धार्मिक नेता ने अन्य धार्मिक समूह के सदस्यों पर इस तरह का कोई आरोप लगाया हो. और वो भी बिशप कल्लारांगट जैसे किसी बड़े क़द के व्यक्ति द्वारा, जिन्हें मुख्यमंत्री पिनराई विजयन खुद ‘एक प्रभावशाली धार्मिक विद्वान’ कहते हैं.

केरल के कोट्टायम, एर्नाकुलम और इडुक्की ज़िलों में ईसाई समुदाय पर बिशप कल्लारांगट का गहरा प्रभाव है. कोट्टायम में उनकी संस्था ‘इपार्की एट पलाई’ का मुख्यालय है. और वे बड़ी संख्या में शैक्षणिक संस्थानों को नियंत्रित करते हैं.

कोट्टायम, एर्नाकुलम और इडुक्की के अलावा पतनामतिट्टा और तिरुवनंतपुरम ज़िलों में रहने वाले ईसाई लोग एक ताक़तवर वोटबैंक भी हैं. बीजेपी और सीपीएम की लंबे समय से इस वोट बैंक पर नज़र रही है और वे इसे कांग्रेस से छीनना चाहते हैं.

इस साल अप्रैल में हुए केरल विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने ईसाई समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मलानकरा चर्च के दो धड़ों के बीच सदियों पुराने विवाद को सुलझाने के लिए पहल की थी. हालांकि कुछ कारणों से बीजेपी को अपनी इस कोशिश में कामयाबी नहीं मिली.

लेकिन जैसे ही चुनाव नज़दीक आए, सोशल मीडिया पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ भावनाएं भड़काने के लिए एक तरह का कैम्पेन छेड़ दिया गया. ये साफ़ था कि राजनीतिक मक़सद से ईसाई और मुस्लिम समाज के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही थी.

केरल की आबादी में 26 फ़ीसदी मुसलमान हैं और 18 फ़ीसदी ईसाई. अतीत में ये समुदाय कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के पक्ष में खुलकर वोटिंग करता रहा है.

सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने भी मुसलमानों और ईसाइयों को अपनी ओर खींचने की कोशिश की थी.

साइरो मालाबार चर्च में पारदर्शिता के समर्थन में कैम्पेन चलाने वाले फ़ादर ऑगस्टीन वैटोली कहते हैं, “बिशप कल्लारांगट का बयान बीजेपी और आरएसएस के एजेंडे का विस्तार है. कोई ये कैसे कह सकता है कि महज़ एक समुदाय ही नारकोटिक्स के कारोबार से जुड़ा हुआ है. क्या इस तरह के आरोप लगाने का कोई आधार है? उन्हें इसके सबूत सामने रखने चाहिए.”

फ़ादर पॉल तेलाकत भी इस ओर ध्यान दिलाते हैं. वह कहते हैं “किसी आपराधिक गतिविधि को आपराधिक गतिविधि की तरह की लिया जाना चाहिए. अगर आप किसी आपराधिक गतिविधि को किसी धर्म विशेष से जोड़ेंगे तो इससे नफ़रत फैलेगी. ये सांप्रदायिक सौहार्द को नुक़सान होगा. हमें इसका दुख है. एक ईसाई के तौर पर हम अपनी ऐसी छवि नहीं बनाना चाहते हैं. ये पूरी तरह से ग़लत है. केरल में ईसाई धर्म का ये काम नहीं है.”

केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (केसीबीसी) ने बिशप का समर्थन करते हुए एक बयान जारी किया. केसीबीसी ने कहा है कि बिशप कल्लारांगट के शब्दों पर विवाद की जगह सार्वजनिक रूप से ज़िम्मेदारी के साथ चर्चा की जानी चाहिए.

केसीबीसी के प्रवक्ता फ़ादर जैकब पलक्कपिली ने जारी बयान में कहा, ‘केरल मौजूदा समाज में अगर कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है तो उनका पर्दाफाश करना किसी समुदाय के ख़िलाफ़ आरोप नहीं है. यह पूर्वाग्रह है कि ये किसी विशेष समुदाय के लिए है. विवाद के बजाय, समुदाय के नेताओं को ऐसी बुराइयों को दूर करने और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए.”

बयान में कहा गया है, “यह एक तथ्य है कि केरल इस समय कुछ गंभीर संकट का सामना कर रहा है. कई जाँच एजेंसियों ने बार-बार चेतावनी दी है कि केरल में आईएस समेत कई आतंकी संगठनों के तार हैं, पिछले कुछ महीनों में यहाँ से करोड़ो रुपये की नशीली दवाएं ज़ब्त की गई हैं. यह तथ्य संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट्स में भी साफ़ हो चुका है कि ड्रग्स तस्करी से कमाए जाने वाले पैसों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में किया जा रहा है.”बयान के मुताबिक़ आतंकी गतिविधियों और ड्रग्स माफ़िया के कारण आम लोगों की चिंताओं को देखते हुए सरकार को उचित जाँच के बाद उचित कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए.फ़ादर जैकब के बयान में कहा गया है, “कैथोलिक चर्च सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं बल्कि सभी संप्रदायों का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व चाहता है. सभी समुदाय के नेताओं को सामाजिक सद्भाव बढ़ाने के लिए सामाजिक बुराइयों के ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहिए.”

राजनेताओं की क्या प्रतिक्रिया रही है?

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी फ़ादर ऑगस्टीन वैटोली की तरह ही कहा कि “नारकोटिक्स कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिससे केवल एक समुदाय प्रभावित होता हो. ये हम सबको परेशान करता है. नशीले पदार्थों के इस्तेमाल को रोकने की दिशा में कार्रवाई की जा रही लेकिन ये सही नहीं है कि इसे किसी धर्म विशेष से जोड़ा जाए. ये केवल असामाजिक तत्वों से जुड़ी चीज़ है.”

केरल विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा, “धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं को ऐसे बयान देने से परहेज़ करना चाहिए जिससे केरल में शांतिपूर्ण और परस्पर विश्वास का माहौल ख़राब होता हो. अपराध को कोई धर्म नहीं होता है, न कोई जाति या लिंग होता है. आलोचना-निंदा का सहारा लेकर केरल में अलगाव की भावना न फैलाएं.”

बीजेपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने अलग सुर अपनाते हुए कहा, “अगर बिशप ने ऐसा कहा है तो उन्होंने ऐसा अपने अनुभव से कहा होगा. नारकोटिक्स जिहाद पर उनके बयान की जांच की जानी चाहिए. ये कोई नई बात नहीं है और लोगों को बिशप की आलोचना नहीं करनी चाहिए. आतंकवादी संगठन नारकोटिक्स के धंधे का इस्तेमाल पैसे बनाने के लिए कर रहे हैं. ये सच है.”

‘समस्त केरल सुन्नी स्टूडेंट्स फेडरेशन’ (एसकेएसएसएफ) के महासचिव सतर पनताल्लूर बिशप के आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हैं.

उन्होंने कहा, “मुस्लिम नाम वाले व्यक्तियों की आपराधिक गतिविधियों के लिए मुस्लिम समाज ज़िम्मेदार नहीं है. बहुत से लोग इस तरह की बकवास बातें करते रहते हैं लेकिन एक धार्मिक नेता के बयान को हमें गंभीरता से लेने की ज़रूरत है. इससे केरल की सामाजिक समरसता के माहौल को नुक़सान पहुंचेगा.”

बिशप के बयान का क्या असर होगा?

राजनीतिक विश्लेषक केजे जैकब कहते हैं कि इस नए जुमले के इस्तेमाल का सभी धार्मिक समुदायओं पर सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव पड़ेगा.

“कई वजहों से ऐसा लगता है कि ये बयान बीजेपी और आरएसएस को राहत पहुंचाने की कोशिश है. और ये महज़ राजनीतिक नहीं है. इससे राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ का बल बढ़ेगा. हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हिंदू समुदाय में एकता लाने की उनकी कोशिश केरल में नाकाम रही है और पिछले विधानसभा चुनाव में उनका वोट पर्सेंट तीन फ़ीसदी कम हो गया.”

“बिशप के बयान से संघ को हिंदू समुदाय की भावनाएं भड़काने में मदद मिलेगी. वे अब हिंदुओं को ये कह सकते हैं कि देखो मुसलमान कितने ख़तरनाक होते हैं और अब तो ईसाई लोग भी यही बात कह रहे हैं.”

लेकिन जैकब एक दूसरी बड़ी समस्या की ओर इशारा करते हैं जिनसे मुसलमानों को आने वाले दिनों में रूबरू होना पड़ सकता है.

उन्होंने कहा, “केरल के मुसलमान आम तौर पर एक धर्मनिरपेक्ष जीवन जीते रहे हैं. हमारे समाज में सांप्रदायिकता जैसी कोई चीज़ कभी वजूद में नहीं रही है. हालांकि हाल के समय में कट्टरपंथियों ने निजी हितों के लिए हालात का फ़ायदा उठाने की कई बार कोशिशें की हैं.”

जैकब कोच्चि से मंगलूरु के बीच प्रस्तावित गैस पाइपलाइन से जुड़े विवाद का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि किस तरह से एक तबके ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था क्योंकि ये पाइपलाइन मुस्लिम बहुल मलप्पुरम ज़िले से गुजरने वाली थी.

बिशप ने बताया, “इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) शुरू में इस प्रोजेक्ट के विरोध में नहीं थी लेकिन एसडीपीआई ने इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की. ऐसी टिप्पणियों से (बिशप कल्लारांगट के बयान) मुस्लिम समाज के कट्टरपंथी तबकों को हालात का फ़ायदा उठाने का मौका मिलता है और सेकुलर मुसलमानों को मुश्किल पेश आती है.”

जैकब इस पर भी ध्यान दिलाते हैं कि तकनीकी रूप से पुलिस को बिशप कल्लारांगट के बयान का संज्ञान लेना चाहिए और प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए थी.

वे कहते हैं, “ललिता कुमारी केस में सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट किया था कि पुलिस को अगर किसी संज्ञेय अपराध की जानकारी मिलती है तो एफ़आईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा. नशे की तस्करी इसी में आती है. उन्हें क़ानूनी रूप से आगे बढ़ना चाहिए और बिशप से पूछना चाहिए कि उनके पास क्या जानकारी है?”

लेकिन मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस मुद्दे पर प्रेस से जो कहा, वो दिलचस्प था.
उन्होंने कहा, “ये स्पष्ट नहीं है कि बिशप क्या कहना चाहते हैं या किन परिस्थितियों में उन्होंने ये बयान दिया है.”
हालांकि इसके बाद मुख्यमंत्री ने आगे ये भी कहा कि “सभी को इसका ख्याल रखना चाहिए कि वे कुछ ऐसा न कह दें जिससे अलगाव की भावना बढ़ती हो.”

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