भूषण , केंद्र चाहें सजा टालना ,सुको सजा सुनाने के मूड़ में
अवमानना केस में बहस:दोषी प्रशांत भूषण के वकील बोले- सजा टाल देंगे तो आसमान नहीं टूटेगा; सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सजा सुनाई तो भी रिव्यू होने तक लागू नहीं होगी
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को 14 अगस्त को दोषी ठहराकर सजा पर बहस के लिए 20 अगस्त का दिन तय किया था। भूषण ने सजा पर बहस टालने की अपील की थी।
अदालतों और जजों के खिलाफ ट्वीट के मामले में कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना के दोषी ठहराया था
भूषण की दलील- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई विकल्प नहीं बचता, इसलिए इंसाफ का ध्यान रखा जाए
अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण की अपील सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। भूषण ने सजा पर आज होने वाली बहस टालने और रिव्यू पिटीशन लगाने का मौका देने की अर्जी लगाई थी। भूषण ने सजा पर सुनवाई दूसरी बेंच में करवाने की अपील भी की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया।
जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने कहा कि सजा सुना भी देंगे, तो रिव्यू पर फैसले तक लागू नहीं होगी। दूसरी ओर भूषण के वकील ने कहा कि अगर सजा को टाल देंगे तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
भूषण की दलील- इंसानी फैसलों में गलतियों की गुंजाइश
प्रशांत भूषण ने बुधवार को अर्जी लगाई थी। उनका कहना था कि इंसानी फैसले हमेशा अचूक नहीं होते। निष्पक्ष ट्रायल की सभी कोशिशों के बावजूद भी गलतियां हो सकती हैं। आपराधिक अवमानना के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ट्रायल कोर्ट की तरह काम करता है, और इसके ऊपर कोई विकल्प भी नहीं होता।
भूषण ने दलील दी कि हाईकोर्ट से अवमानना का दोषी आगे भी अपील कर सकता है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई विकल्प नहीं बचता। इसलिए, विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि इंसाफ मिल पाए। भूषण ने 30 दिन में अपील करने की बात कही है।
क्या है मामला?
अदालत और सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर विवादित ट्वीट करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को दोषी माना था।
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण की अपील खारिज कर दी। भूषण ने आज सजा पर होने वाली बहस को टालने और समीक्षा याचिका लगाने का मौका देने की अर्जी लगाई थी। केंद्र ने अदालत से भूषण को किसी भी तरह की सजा न देने का आग्रह किया। जिसपर अदालत ने कहा कि जब तक वे (प्रशांत भूषण) माफी नहीं मांगते तब तक वो अटॉर्नी जनरल के अनुरोध पर विचार नहीं कर सकते।
सुनवाई के दौरान अदालत ने वरिष्ठ वकील से कहा कि अगर हम आपको दंडित करते हैं तो समीक्षा पर निर्णय तक यह लागू नहीं होगा। हम आपके साथ निष्पक्ष रहेंगे। हमें लगता है कि आप इस पीठ से बचने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं उनके वकील ने कहा कि यदि सजा को टाल दिया जाता है तो कोई आफत नहीं आएगी।
अदालत में प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि न्यायिक समीक्षा के तहत अपील सही है और सजा को स्थगित किया जा सकता है। यदि सजा टाल दी जाएगी तो कोई आफत नहीं आएगी। अदालत ने आपराधिक अवमानना के लिए सजा के खिलाफ उनकी समीक्षा याचिका दायर करने और निर्णय आने तक उनकी सजा पर सुनवाई टालने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि सजा के बाद ही फैसला पूरा होता है।
केके वेणुगोपाल ने किया प्रशांत भूषण को सजा न देने का आग्रह
प्रशांत भूषण का कहना है कि वह अपने वकीलों से सलाह लेंगे और 2-3 दिनों में उच्चतम न्यायालय के सुझाव पर विचार करेंगे। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से प्रशांत भूषण को कोई सजा नहीं देने का आग्रह किया। उनका कहना है कि उन्हें पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इस पर अदालत ने कहा कि जब तक प्रशांत भूषण अपने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगते, तब तक वो अटॉर्नी जनरल के अनुरोध पर विचार नहीं कर सकते। अटॉर्नी जनरल से अदालत ने कहा कि प्रशांत भूषण के बयान की शैली, सार और विषय वस्तु ने इसे और खराब कर दिया, क्या यह प्रतिरक्षा है या क्रोध। इसके बाद न्यायालय ने कहा कि अगर गलती का अहसास हो तो अदालत काफी नरमी दिखा सकता है।
रिटायर्ड जज और वकीलों ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी,कहा-सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वालों से सख्ती से निपटा जाए
प्रशांत भूषण के मामले में 20 अगस्त को सजा पर बहस होनी है। उन्हें 6 महीने की कैद या 2000 रुपए जुर्माना या दोनों सजा सुनाई जा सकती है।
प्रशांत भूषण को जस्टिस अरुण मिश्र की अगुआई वाली 3 जजों की बेंच ने 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था
फैसले के खिलाफ 772 लोगों के ग्रुप ने सीजेआई को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई थी
रिटायर्ड जज, वकीलों और नौकरशाहों के एक समूह ने सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करने वालों के रवैये को लेकर विरोध जताया है। 772 लोगों के इस समूह ने इस संबंध में सीजेआई को पत्र भी लिखा है। उन्होंने इस पत्र में लोगों द्वारा ज्युडिश्यरी को डराने और धमकाने के ट्रेंड के उभरने को लेकर भी चिंता जताई है।
ग्रुप ने लिखा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब वकीलों के खिलाफ कोर्ट कोई फैसला सुनाता है, तो वह अपमानजनक टिप्पणी कर कोर्ट को दोषी ठहराने लगते हैं। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ जजों को भी अपमानजनक भाषा, दुर्भावनापूर्ण हमले और अपमानजनक टिप्पणी का सामना करना पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ये सुनिश्चित करेगा कि ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जाए: ग्रुप
पत्र में कहा गया कि यदि ज्युडिश्यरी को अपनी ड्यूटी और कामकाज को प्रभावी ढंग से करना है, तो कोर्ट के गौरव और अधिकारों की रक्षा करना जरूरी हो जाता है। ज्युडिश्यरी की नींव लोगों को न्याय देने की क्षमता में विश्वास है। कोर्ट के फैसलों की आलोचना करने वाले लोगों की अपमानजनक भाषा की मंशा ज्युडिश्यरी में लोगों के विश्वास को कम करने की होती है।
ग्रुप ने सीजेआई से आग्रह किया कि हमें पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट ये सुनिश्चित करेगा कि ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जाए।
14 अगस्त को दोषी ठहराया था
प्रशांत भूषण को जस्टिस अरुण मिश्र की अगुआई वाली 3 जजों की बेंच ने 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। उन्होंने ज्युडिश्यरी पर 2 अपमानजनक ट्वीट किए थे। अब इस मामले में 20 अगस्त को सजा पर बहस होनी है। उन्हें 6 महीने की कैद या 2000 रुपए जुर्माना या दोनों सजा सुनाई जा सकती है।
प्रशांत भूषण के इन 2 ट्वीट को अवमानना माना
पहला ट्वीट: 27 जून- जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
दूसरा ट्वीट: 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। सीजेआई बोबडे की आलोचना करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था.