दून अस्पताल की चूक ने ली डेंगू पीड़ित किशोरी की जान, चार निलंबित
Dehradun News Uproar Over Death Of Girl Suffering From Dengue In Doon Hospital
दून अस्पताल: डेंगू पीड़ित युवती की मौत पर हंगामा, परिजनों ने लगाया गलत इंजेक्शन देकर मारने का आरोप
देहरादून 04 अक्टूबर। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आपात चिकित्सा कक्ष में एक 18 वर्षीय किशोरी निशा के ग़लत इंजेक्शन लगाने से मृत्यु हो गई। यह आरोप लगाते हुए जौनसार बावर के सामाजिक कार्यकर्ता ओमप्रकाश काला कुन्ना ने दावा किया है कि क्षेत्रीय जनों के आंदोलन के बाद अस्पताल के पांच डाक्टर सस्पेंड कर दिये गये हैं। अब क्षेत्रवासियों की मांग है कि निशा जौनसार बावर के सहिया क्षेत्र में समाल्टा गांव के बहुत गरीब अनुसूचित जाति के मजदूर माता पिता की संतान थी जिसे बचाने को परिवार ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। अब अगर इसे दुर्घटना भी मान लिया जाए तो परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए।
निशा डेंगू बुखार से पीड़ित थी। उसकी प्लेटलेट्स 24 हजार तक पहुंच गई थी। परिजनों का आरोप है कि नर्स ने इंजेक्शन लगाया और तुरंत ही निशा की मौत हो गई। कहा जा रहा है कि बगल के बैड पर एक सर्प दंश पीड़ित युवती थी जिसे एंटी डोट लगना था। न जाने कैसे और क्यों वह एंटी डोट निशा को लगा दिया गया और देखते-देखते निशा का शरीर ठंडा हो गया।
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में निशा की मौत के बाद हंगामा हो गया। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गलत इंजेक्शन देकर युवती को मारने का आरोप लगाया। वहीं, शव गायब करने का आरोप भी लगाया। उत्तराखंड राज्य महिला आयोग अध्यक्षा श्रीमती कुसुम कंडवाल को सूचना मिली तो उन्होंने अथारिटी को फोन कर दून अस्पताल की कार्यप्रणाली पर तीक्ष्ण आपत्ति दर्ज कराते हुए दोषियों को तत्काल निलंबित कर जांच बिठाकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। उनका कहना था कि दून अस्पताल यहां का सबसे बड़ा अस्पताल है और उसी में इतनी अव्यवस्था चिंताजनक है।
शहर कोतवाली पुलिस के अनुसार, जौनसार निवासी निशा डेंगू बुखार से पीड़ित थी। अधिक बुखार के चलते उसे सहिया के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। युवती की प्लेटलेट्स 24 हजार तक पहुंच गई थी। इसके बाद उसे ग्राफिक एरा अस्पताल में लाया गया, जहां से उसे दून अस्पताल रेफर किया गया था।
परिजनों का आरोप है कि नर्स ने इंजेक्शन लगाया और तुरंत ही निशा की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि बात दबाने को अस्पताल ने एक वाहन से शव चुपचाप बिना परिजनों को बताये सहिया रवाना कर दिया था। शव को वार्ड में न देख परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर शव गायब करने का आरोप लगाया। वहीं, युवती की मौत के बाद बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग अस्पताल में इकट्ठा हो गए और जमकर हंगामा किया। क्षेत्रीय जनों ने सामाजिक कार्यकर्ता और भाजपा मंडल उपाध्यक्ष बचना शर्मा, पूजा गौड़, ओमप्रकाश काला कुन्ना आदि के नेतृत्व में इस घटना को हत्या बताते हुए उत्तरदायित्व निर्धारित करने की मांग की। बाद में एम एस डॉक्टर अनुराग और दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य और निदेशक डॉक्टर आशुतोष सयाना ने पुष्टि की कि संबंधित चार कार्मिकों को निलंबित कर जांच समिति बैठा दी गई है।
बाद में निशा का पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल (कारोनेशन) में अंत्यपरीक्षण हुआ। तब भी क्षेत्रवासी परिजनों के साथ अस्पताल में डटे हुए थे।