पुण्य स्मृति:जब नेहरू ने भारत-पाक एकीकरण के खिलाफ दी राय
जब नेहरू ने कहा था- ‘भारत-पाक के एक होने का मौका आए तो मैं इनकार कर दूंगा’
Ashish Kumar
Nehru Death Anniversary: क्या आप इस बात को जानते हैं कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने खुले मंच से कहा था कि अगर कभी भारत-पाकिस्तान के एक होने का मौका आ जाए तो मैं इनकार कर दूंगा। उनकी पुण्यतिथि पर उनसे जुड़े किस्से
जब नेहरू ने कहा था- ‘भारत-पाक के एक होने का मौका आए तो मैं इनकार कर दूंगा
आज 27 मई का दिन भारत के लिए खास महत्व रखता है। आज ही के दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने के बाद आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के तौर पर जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियों से इतिहास भरा पड़ा है। नेहरू ने राजनीतिक जीवन के व्यस्ततम और संघर्षपूर्ण दिनों में लेखन के लिए समय निकाला और जेल के नीरस प्रवास को भी सृजनात्मक बना लिया। पाकिस्तान के साथ रिश्ते को लेकर हमेशा नेहरू की आलोचना होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार उन्होंने खुले मंच से कह दिया था कि अगर कभी भारत-पाकिस्तान के एक होने का मौका आ जाए तो मैं इनकार कर दूंगा।
‘भारत-पाक के एक होने का मौका आए तो मैं इनकार कर दूंगा’
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दिए अपने भाषण में जवाहर लाल नेहरू ने कहा था- पाकिस्तान का अस्तित्व में आना मुझे लगता है कुदरती नहीं लग रहा। मैं आपको समझाना चाहता हूं कि हमारा मौजूदा नजरिया क्या है। हम पर इल्जाम है कि हम पाकिस्तान को कुचलकर उसे वापस भारत में मिलाना चाहते हैं और ये इल्जाम डर और पूरी तरह गलतफहमियों की वजह से है। आज की तारीख में अगर ऐसा अवसर आए कि भारत और पाकिस्तान फिर से एक हो जाएं तो कुछ स्वाभाविक कारणों से मैं इससे इनकार कर दूंगा। हम इस समय पाकिस्तान की समस्याओं का बोझ ढोना नहीं चाहते। हमारे पास अपनी समस्याएं ही काफी हैं। मैंने जानबूझकर पाकिस्तान की बात इसलिए की क्योंकि आपके मन में जिज्ञासा होगी कि पाकिस्तान को लेकर हमारा क्या नज़रिया है। हो सकता है कि आपके मन में मौजूदा हालात को लेकर कई तरह की बातें और अनिश्चितता हो, लेकिन हमें अपने मूलभूत विचार को लेकर स्पष्ट होना चाहिए। क्या हम हर धर्म, वर्ग आदि के लोगों को साथ लेकर चलने वाला एक सेक्युलर देश चाहते हैं या फिर हम धर्मतंत्र चाहते हैं?
बड़े आदर्शों का आजाद भारत…जहां सबके लिए अवसरों की समानता हो
AMU के ही अपने भाषण में जवाहर लाल नेहरू ने कहा था- ‘अगर हम बुद्धिमानी और मजबूत इरादों से काम ले सकें तो हम इन कलंकों को मिटाने में सफलता हासिल कर सकेंगे। मैं अपनी बात करूं तो मुझे भारत के भविष्य में दृढ़ विश्वास है। हालांकि मेरे पिछले कई सपने ताजा घटनाओं से टूटे हैं, लेकिन मूलभूत विचार वही है जिसके बदलने का मैं कोई कारण नहीं देखता। यह विचार है बड़े आदर्शों का आजाद भारत…जहां सबके लिए अवसरों की समानता हो, जहां अलग-अलग विचार और संस्कृतियां मिलकर रहें और देश के सभी लोगों के लिए तरक्की और आधुनिकता की नदी बहती रहे।’
कैम्ब्रिज से पढ़ाई, जेल में पूरी की ऑटोबायॉग्राफी
पंडित नेहरू 15 साल की उम्र में इंग्लैंड के हैरो स्कूल पहुंच गए। दो साल के बाद वह कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज पहुंचे और नैचरल साइंस में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। लंदन के इनर टेंपल में उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की। जवाहरलाल नेहरू ने इंग्लैंड में सात साल बिताए लेकिन वह हमेशा पसोपेश में रहे और उन्हें लगता था कि न ही वह पूरी तरह से इंग्लैंड में ही हैं और न ही भारत में। हालांकि, 1912 के आसपास वह भारत लौट आए। 14 फरवरी 1935 को उन्होंने अल्मोड़ा जेल में अपनी ऑटोबायॉग्रफी पूरी की। जेल से छूटने के बाद वह अपनी बीमार पत्नी को देखने स्विट्जरलैंड गए थे।