अमेरिकी इंटेलिजेंस निदेशक तुलसी गबार्ड सनातनी हैं भारतवंशी नहीं
ट्रम्प ने तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस का चीफ बनाया :पिछले महीने ही रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं
कमला हैरिस को डिबेट में हराया था
वॉशिंगटन 28 नवंबर 2024। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां की हैं। ट्रम्प ने हिन्दू नेता तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी है। उन्होंने बाइडेन से मुलाकात के बाद इसकी घोषणा की।
तुलसी, ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में पद संभाला। उन्होंने अवरील हेन्स की जगह ली है। तुलसी गबार्ड (43 वर्ष) अमेरिका की पहली हिन्दू सांसद रही हैं। गबार्ड ने 21 साल की उम्र में हवाई से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह 4 बार डेमोक्रेटिक पार्टी से सांसद रहीं।
तुलसी पहले बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता थी। उन्होंने पिछले महीने ही रिपब्लिकन पार्टी को ज्वाइन किया है। ट्रम्प ने तुलसी के अलावा और दो लोगों को अहम जिम्मेदारी दी है। फ्लोरिडा सीनेटर मार्को रूबियो को विदेश मंत्री और मैट गेट्ज को अटॉर्नी जनरल बनाया गया है।
दो साल पहले डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ी, कई गंभीर आरोप लगाए तुलसी एक दशक पहले लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर इराक युद्ध में लड़ चुकी हैं और अमेरिकी आर्मी रिजर्विस्ट रही हैं। उन्होंने अक्टूबर 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी।
तुलसी का कहना था कि डेमोक्रेटिक पार्टी कुछ एलीट लोगों के कंट्रोल में आ चुकी है। ये जंग की बातें करते हैं। श्वेत लोगों का विरोध करते हैं और नस्लभेदी ग्रुप में तब्दील हो रहे हैं। उन्होंने इस्लामी चरमपंथ को न रोक पाने के लिए डेमोक्रेटिक सरकार की आलोचना की थी।
राजनीति छोड़ न्यूज चैनल का हिस्सा बनीं तुलसी 2016 के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं। बाद में उन्होंने हिलेरी क्लिंटन की जगह बर्नी सेंडर्स का समर्थन किया था। वह 2020 में भी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक प्राइमरी की दौड़ में शामिल रहीं। बाद में उन्होंने बाइडेन का साथ दिया।
2022 में पार्टी छोड़ने के बाद तुलसी ने फॉक्स न्यूज को ज्वाइन कर लिया था। वह वहां कई शो में को-होस्ट के तौर पर नजर आईं। तुलसी ने 2022 के चुनाव में कई रिपब्लिकन उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार किया। तभी से ये माना जाने लगा था कि वे रिपब्लिकन पार्टी ज्वाइन कर सकती हैं।
अमेरिकी संसद में रहते हुए तुलसी ने ओबामा प्रशासन और बाइडेन प्रशासन की खूब आलोचना की। तुलसी मौजूदा उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भी तीखी आलोचक हैं। तुलसी ने साल 2019 में तब सुर्खियां बटोरी थीं जब उन्होंने भारतवंशी कमला हैरिस को एक डिबेट में पछाड़ा था।
दरअसल दोनों 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति पद के दावेदारों में शामिल थे। इस दौरान दोनों के बीच प्राइमरी चुनाव के लिए बहस हुई थी। इसमें तुलसी के कई सवालों का कमला जवाब नहीं दे सकीं। इस साल 10 सितंबर को ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच डिबेट हुई थी। इसकी तैयारी के लिए ट्रम्प ने तुलसी से मदद मांगी थी।
2019 की प्राइमरी डिबेट में तुलसी ने कमला पर आरोप लगाया था कि वे प्रोसिक्यूटर के तौर पर फेल रही हैं और उन्हें जनता से इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
भारतवंशी नहीं हैं तुलसी गबार्ड
तुलसी को उनके नाम की वजह से कई बार भारतवंशी कहा जाता है। हालांकि वे भारतवंशी नहीं हैं। वे खुद कई बार ऐसा कह चुकी हैं। तुलसी का जन्म एक समोअन अमेरिकी परिवार में हुआ था। उनके पिता कैथोलिक थे। मां भी ईसाई थी जिन्होंने बाद में हिन्दू धर्म अपना लिया। तुलसी भी पहले ईसाई थीं लेकिन बाद में उन्होंने हिन्दू धर्म अपना लिया।
ट्रम्प ने फ्लोरिडा से सीनेटर मार्को रूबियो को विदेश मंत्री बनाया है।
मार्को रूबियो फ्लोरिडा से सीनेटर हैं। उन्हें लैटिन अमेरिका मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। वे चीन, ईरान, वेनेजुएला और क्यूबा को लेकर कठोर रुख रखने के लिए जाने जाते हैं। रूबियो पहले रूस के खिलाफ कई बयान दे चुके हैं। लेकिन हाल में वो ऐसा करने से बचते रहे हैं।
रूबियो ने साल 2019 में ट्रम्प को वेनेजुएला के खिलाफ और कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए राजी किया था ताकि वहां के वामपंथी राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से हटाया जा सके। रूबियो इजराइल के कट्टर समर्थक हैं और गाजा जंग के लिए हमास को दोषी मानते हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने टेस्ला चीफ इलॉन मस्क और भारतवंशी उद्योगपति विवेक रामास्वामी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। मस्क और रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DoGE) विभाग का नेतृत्व करेंगें। DoGE एक नया विभाग है, जो सरकार को बाहर से सलाह देगा।