नई मुसीबत: फ्लू और कोरोना का काकटेल-फ्लूरोना
नई मुसीबत:अब कोरोना और फ्लू ने मिलकर किया डबल अटैक, नाम है फ्लोरोना; जानिए क्यों है यह खतरनाक? क्या हैं लक्षण
अभिषेक पाण्डेय
नई दिल्ली 05 जनवरी। कोरोना के बढ़ते कहर के बीच एक और चिंता बढ़ाने वाली खबर आई है। दुनिया में पहली बार कोरोना और फ्लू के वायरस का इंसान के शरीर पर एक साथ अटैक करने का मामला सामने आया है। इस कोरोना और इंफ्लुएंजा के डबल इन्फेक्शन को ‘फ्लोरोना’ (Florona) कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस नए इन्फेक्शन ‘फ्लोरोना’ में एक ही मरीज में कोरोना और इंफ्लुएंजा दोनों के वायरस पाए गए हैं।
चलिए जानते हैं कि क्या है फ्लोरोना? क्यों फ्लू और कोरोना का डबल इन्फेक्शन है खतरनाक? दुनिया में कहां मिला है फ्लोरोना का पहला केस?
क्या है फ्लोरोना?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंफ्लुएंजा और कोरोना के डबल इन्फेक्शन का दुनिया का पहला केस सामने आया है। सीधे शब्दों में कहें तो ये एक ही मरीज में कोरोना और फ्लू यानी जुकाम के डबल इन्फेक्शन का मामला है।
कोरोना और फ्लू के इस डबल इन्फेक्शन को ‘फ्लोरोना’ (Florona) कहा जा रहा है। यानी एक ही समय में फ्लू+कोरोना का डबल इन्फेक्शन ‘फ्लोरोना’ है।
ये इंसान के शरीर में एक ही समय में फ्लू और कोरोना दोनों के वायरस के प्रवेश करने से होने वाला डबल इन्फेक्शन है।
कहां मिला दुनिया का पहला फ्लोरोना केस?
दुनिया का पहला फ्लोरोना केस हाल ही में इजराइल में सामने आया है। इसकी जानकारी अरब न्यूज ने दी है। फ्लोरोना का पहला केस एक प्रेग्नेंट महिला में मिला है, जो राबिन मेडिकल सेंटर में एक बच्चे को जन्म देने के लिए एडमिट हुई थी।
इजराइल के न्यूज पेपर Yedioth Ahronoth के मुताबिक, जिस महिला में फ्लोरोना का केस सामने आया, वह वैक्सीनेटेड नहीं थी।
अरब न्यूज ने फ्लोरोना के पहले केस की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, “इजराइल ने फ्लोरोना डिजीज का पहला केस दर्ज किया, कोविड-19 और इंफ्लुएंजा का दोहरा इन्फेक्शन।”
क्या नया वैरिएंट है फ्लोरोना?
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि फ्लोरोना कोरोना का नया वैरिएंट नहीं है। यह एक ही समय में फ्लू और कोरोना से होने वाला डबल इन्फेक्शन है। इजराइल में दुनिया का पहला फ्लोरोना केस मिला है।
इजराइली डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में इजराइल में इंफ्लुएंजा या फ्लू (जुकाम) के मामले तेजी से बढ़े हैं और इसलिए फ्लोरोना पर स्टडी की जा रही है।
काहिरा यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर नहला अब्देल वहाब ने इजराइली मीडिया को बताया कि ‘फ्लोरोना’ इम्यून सिस्टम के एक बड़े ब्रेकडाउन यानी इम्यूनिटी में एक बड़ी कमी का संकेत हो सकता है क्योंकि इसमें एक ही समय में दो वायरस मानव शरीर में प्रवेश कर रहे हैं।
क्यों खतरनाक हो सकता है फ्लोरोना?
मायो क्लिनिक के अनुसार कोरोना और फ्लू एक साथ गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना और फ्लू दोनों के डबल अटैक से गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि ये तेजी से फैल सकता है।
दोनों वायरस मिलकर शरीर पर कहर बरपा सकते हैं और इससे कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। यही कारण है कि फ्लोरोना होना खतरनाक हो सकता है।
फ्लोरोना होने से मरीज को निमोनिया, सांस लेने में दिक्कत, ऑर्गन फेल्योर, हार्ट अटैक, दिल या मस्तिष्क में सूजन, स्ट्रोक आदि जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। फ्लोरोना से स्थिति ज्यादा गंभीर होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
कैसे फैलता है फ्लोरोना?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, ‘एक ही समय में फ्लू और कोरोना दोनों बीमारियां होना संभव हैं।’ मायो क्लिनिक के मुताबिक जिन वायरसों की वजह से कोरोना और फ्लू होता है, वे एक ही तरीके से फैलते हैं।
ये दोनों वायरस करीबी संपर्क (छह फीट या दो मीटर के अंदर) में आने वाले लोगों में फैलते हैं। ये दोनों वायरस बात करने, छींकने या खांसने से निकलने वाली सांस की बूंदों या एयरोसॉल से फैलते हैं। ये ड्रॉपलेट्स सांस लेने पर मुंह या नाक के जरिए शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं।
ये वायरस तब भी फैल सकते हैं, जब कोई व्यक्ति इन दोनों में से किसी वायरस वाली सतह को छूता है और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूता है।
क्या हैं फ्लोरोना के आम लक्षण और कैसे होती है जांच?
एक ओर जहां फ्लू (जुकाम) के लक्षण आमतौर पर तीन से चार दिन में प्रकट होते हैं, तो वहीं कोरोना का लक्षण प्रकट होने में दो से 14 दिन तक का समय लगता है।
फ्लू और कोरोना दोनों के आम लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं, जैसे दोनों में ही खांसी, सर्दी, बुखार और नाक बहने जैसे लक्षण होते हैं। यानी फ्लोरोना के शुरुआती आम लक्षणों में भी खांसी, सर्दी, बुखार ही होता है।
वहीं फ्लोरोना के गंभीर लक्षणों में न्यूमोनिया, सांस लेने में ज्यादा दिक्कत, हार्ट की मांसपेशी में सूजन, स्ट्रोक, हार्ट अटैक का खतरा आदि शामिल हैं।
इन दोनों वायरस में अंतर का पता मरीज के सैंपल की टेस्टिंग के बाद ही चलता है।
फ्लू की जांच के लिए PCR टेस्ट किया जाता है, जहां वायरस के RNA का टेस्ट होता है। फ्लू और कोरोना की जांच के लिए अलग-अलग PCR टेस्ट किए जाते हैं।
फ्लू और कोरोना वायरस के जीनोटाइप्स अलग होते हैं। इन दोनों में अंतर केवल लैब टेस्ट के जरिए ही किया जा सकता है।
कैसे कर सकते हैं फ्लोरोना से बचाव?
WHO के मुताबिक, फ्लोरोना के सीरियस खतरे से बचने, यानी हॉस्पिटलाइजेशन का रिस्क कम करने और कोरोना और इंफ्लुएंजा की गंभीरता को रोकने का सबसे प्रभावशाली तरीका इंफ्लुएंजा वैक्सीन और कोविड-19 दोनों की वैक्सीन लगवाना है।
साथ ही WHO लोगों को इससे बचने के लिए रोकथाम के उपायों का पालन करने की भी सलाह देता है। इन उपायों में लोगों से कम से कम एक मीटर दूरी बनाए रखना, अगर दूरी बनाना संभव न हो तो अच्छी तरह फिट होने वाले मास्क का प्रयोग करना, भीड़-भाड़ वाली और खराब वेंटिलेंशन वाली जगहों से बचना, हवादार कमरे में रहना और अपने हाथों को लगातार धोते रहना आदि शामिल हैं।
डेल्मिक्रॉन के बाद अब फ्लोरोना ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन
फ्लोरोना से पहले कोरोना के वैरिएंट्स ओमिक्रॉन और डेल्टा के साथ में इन्फेक्शन से डेल्मिक्रॉन इन्फेक्शन की बात भी सामने आ चुकी है। अब फ्लोरोना का आना नए संकट जैसा है।
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से दुनिया भर में कोरोना के मामले हर दिन नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। अमेरिका, यूरोप के बाद अब भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे समय में कोरोना और फ्लू का डबल इन्फेक्शन फ्लोरोना और डेल्मिक्रॉन जैसी चीजें दुनिया के लिए कतई अच्छी खबर नहीं है।
इजराइल, जहां फ्लोरोना का पहला केस मिला है, वहां भी कोरोना केसेज लगातार बढ़ रहे हैं और डेली कोरोना केसेज 5 हजार को पार कर गए हैं। ओमिक्रॉन से निपटने के लिए इजराइल कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को पहले ही कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज लगाने की शुरुआत कर चुका है।