उप्र में जातीय दंगों को एक अरब की फंडिंग,50 करोड़ मारिशस के रास्ते,19 मुकदमें

उत्तर प्रदेश को जातीय संघर्ष की आग में झोंकने के लिए मॉरिशस से हुई 50 करोड़ रुपये फंडिंग
हाथरस कांड में फंडिंग की तह तक पहुंचने को पीएफआइ के बैंक खातों की पड़ताल भी शुरू हो गई है।

लखनऊ, 07 अक्तूबर। उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड में फंडिंग की तह तक पहुंचने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) के कई सदस्यों व संदिग्धों के बैंक खातों की पड़ताल भी शुरू हो गई है। पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएफआई के उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहे कई सदस्यों और कुछ अन्य संगठनों से जुड़े लोगों की जानकारी जुटाई है। अब उनकी गतिविधियों के साथ ही बैंक खातों की छानबीन शुरू की है। बताया जा रहा है कि ईडी की शुरुआती जांच में सामने आया है कि पीएफआइ से संबंधित बैंक खातों में मॉरिशस से 50 करोड़ रुपये आए थे, जबकि पूरी फंडिंग 100 करोड़ रुपये से अधिक रुपये की थी। ईडी ने पुलिस से जांच में संदिग्धों से जुड़ी अन्य जानकारियां भी जुटा रही है।

हाथरस कांड को लेकर उत्तर प्रदेश को जातीय संघर्ष की आग में झोंकने के लिए विदेश से फंडिंग की जांच में जुटे ईडी के अफसरों के सीधे निशाने पर पीएफआइ समेत कुछ अन्य संगठन के पदाधिकारी हैं। ईडी ने मथुरा में पकड़े गए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया संगठन के चार सदस्यों के विरुद्ध दर्ज एफआइआर का ब्योरा भी जुटाया है। इसके साथ ही माहौल बिगाड़ने की साजिश के केंद्र में रही वेबसाइट के बारे में तकनीकी ब्योरा जुटाने के लिए संबंधित कंपनियों से संपर्क साधा गया है। ईडी दिल्ली मुख्यालय की टीम पहले से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के पीछे फंडिंग को लेकर पीएफआइ की भूमिका की जांच कर रही है। ईडी एक वेबसाइट के जरिए माहौल बिगाड़ने की साजिश व इसके लिए विदेश से फंडिंग के मामले में जल्द मनी लांड्रिंग में केस भी दर्ज करेगी।

हाथरस में देशद्रोह, कोविड-19 की गाइडलाइन व धारा-144 का उल्लंघन समेत अन्य धाराओं में दर्ज कराए गए मुकदमों में आरोपितों को चिह्नित करने की कसरत भी शुरू हो गई है। मथुरा में सोमवार को यमुना एक्सप्रेस-वे मांट टोल पर पकड़े गए कैम्पस आफ फ्रंट इंडिया के चारों संदिग्ध के खिलाफ राजद्रोह और समाज में वैमनस्यता फैलाने की धारा बढ़ाई गई है। पहले केवल शांति भंग की कार्रवाई हुई थी। चारों आरोपितों को पुलिस अभी कोर्ट में पेश करेगी।

सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने संदेह के दायरे में आए कई लोगों से भी लंबी पूछताछ भी की है। हाथरस में तेजी से बदलते घटनाक्रमों के बीच बीते दो दिनों में पुलिस ने अपनी कार्रवाई का दायरा बढ़ाया है। माहौल बिगाड़ने की साजिश को लेकर 19 मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं। वीडियो व तस्वीरों के जरिये आरोपितों को चिह्नित कर जल्द उन पर कानूनी शिकंजा कसने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। माहौल बिगाड़ने के षड्यंत्र ने पुलिस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है कि हाथरस को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलाई गई, जिसके कारण माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई और एक जाति से दूसरी जाति में लड़ाई करवाने की कोशिश की गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले में एक्शन की बात कही थी। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया था।

बता दें कि हाथरस जिले के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित युवती से चार लड़कों ने कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसकी गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की। युवती को पहले जिला अस्पताल और फिर अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया, लेकिन तबीयत में सुधार न होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया था, जहां 29 सितंबर को इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई। इस पूरे मामले में उस वक्त हंगामा मच गया, जब पुलिस ने आननफानन रात में युवती का अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों में आकर खूब बवाल मचाया था।
हिंसा की साजिश के आरोप में 4 लोग गिरफ्तार, SC में सुनवाई टली
हाथरस केस में बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। आरोप हैं कि ये हाथरस रेप केस के बहाने यूपी में जातीय हिंसा भड़काने की साजिश रच रहे थे। ये चारों युवक दिल्ली से हाथरस आ रहे थे, लेकिन मथुर में गिरफ्तार कर लिया गया। इनके पास से लैपटॉप व अन्य सामान बरामद किया गया है। चारों पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (PIF) के सदस्य बताए गए हैं। वहीं मंगलवार को सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया। इसमें बताया कि रात के अंधेरे में पीड़िता का अंतिम संस्कार परिवार की सहमति से ही किया गया था। साथ ही जानकारी दी गई कि हाथरस के हंगामा के आड़े में कुछ लोग बड़ी हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट अब अगले हफ्ते सुनवाई करेगा।
इससे पहले हाथरस केस की जांच में यूपी पुलिस को पता चला था कि हाथरस कांड के बहाने प्रदेश में जातीय दंगे भड़काने की साजिश थी। कुछ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया कमेंट्स के जरिए पुलिस को यह जानकारी मिली थी। इसके बाद संदिग्ध वेबसाइट्स बंद कर दी गई थी।

पुलिस की इस पड़ताल के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपक्ष को विकास अच्छा नहीं लग रहा है और यही कारण है कि वे प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। यह पहला मौका है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस केस में विपक्ष पर निशाना साधा है। यूपी सरकार पहले ही केस की सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुकी है। योगी आदित्यनाथ ने एक वीडियो संदेश में कहा, जिसे विकास अच्छा नहीं लग रहा, वे लोग देश में और प्रदेश में भी जातीय दंगा भड़काना चाहते हैं-सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस दंगे की आड़ में विकास रुकेगा और इसकी आड़ में उन्हें अपनी रोटियां सेंकने का अवसर मिलेगा, इसलिए वे नित नए षड्यंत्र करते रहते हैं। इन षड्यंत्रों के प्रति पूरी तरह से आगाह होते हुए भी हमें इस विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है।
हालांकि यूपी सरकार की इस बात से विपक्ष दल सहमत नहीं हैं। कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी ने कहा है कि यह पूरे मामले से ध्यान भटकाने की सरकार की बहानेबाजी है।

बता दें, हाथरस में युवती से दुष्कर्म के बाद उसकी मौत और रात के अंधेरे में अंतिम संस्कार करने के मामले में अब जमकर राजनीति हो रही है। पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पहुंचे। इसके बाद रविवार को सपा और आरएलडी के नेताओं ने हंगामा किया। भीम आर्मी के चंद्रशेखर भी रविवार को पीड़ित परिवार से मिले और कहा कि परिवारजन डरे हुए हैं।

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