उत्तराखण्ड में बच्चों के बैग का बोझ घटाने की योजना, नो बैग डे भी: डॉ. रावत

 

CABINET MINISTER DHAN SINGH RAWAT SAID THAT NO BAG DAY SYSTEM WILL BE IMPLEMENTED IN SCHOOLS AT UTTARAKHAND
No-Bag Day: उत्तराखंड में बच्चों के बस्तों से बोझ होगा कम, स्कूलों में एक दिन ‘नो बैग डे’ लागू करने की तैयारी

उत्तराखंड के स्कूलों में बच्चों को भारी-भरकम बस्ते के बोझ से राहत दी जा सकती है. इसके लिए सभी शिक्षा बोर्ड के साथ विचार-विमर्श कर कोई तरीका खोजा जा रहा है. जिससे बच्चों के बस्ते का बोझ कम किया जा सके. इसके साथ ही स्कूली बच्चों का तनाव कम करने के उद्देश्य से माह में एक दिन बैग फ्री डे घोषित किया जा सकता है. यानी इस दिन बच्चे बैग लेकर नहीं जाएंगे. इस दिन केवल अन्य गतिविधियां कराई जाएंगी.

देहरादून 01 फरवरी। उत्तराखंड अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय और एससीईआरटी की ओर से एनईपी 2020 के क्रियान्वयन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्द्धन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित हुई. कार्यशाला में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में स्कूली बच्चों के बस्तों का बोझ उनके वजन से भी ज्यादा बढ़ गया है. जिसे कम करना उनके सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हो गया है. ऐसे में सभी शिक्षा बोर्डों के अधिकारियों और शिक्षाविदों के साथ विचार विमर्श कर बस्ते का बोझ कम करने का कोई नया तरीका निकाला जाएगा. इसके लिए बच्चों के पाठ्यक्रम को त्रैमासिक एवं अर्द्धवार्षिक के हिसाब से बांटकर पाठ्य पुस्तकों का चयन किया जा सकता है.
शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने कहा कि बच्चे कई बार लगातार पढ़ाई से ऊब जाते हैं, जिससे वो तनाव में आ जाते हैं. उनकी इस समस्या को दूर करने के लिए माह में एक दिन को बैग फ्री डे निर्धारित किया जा सकता है. उस दिन बच्चों से केवल खेल-कूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, कृषि कार्य, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही अन्य कौशल विकास से संबंधी गतिविधियां कराई जा सकती है. मंत्री रावत ने विभागीय अधिकारियों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करने और हमारी विरासत पुस्तक नाम से एक पाठ्य पुस्तक तैयार करने को कहा.ताकि बच्चों को अपने जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की विरासत एवं इतिहास आदि के बारे में जानकारी मिल सके.

उन्होंने कार्यशाला में आए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, विद्या भारती और नेफा नई दिल्ली से आए शिक्षा अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों के एनईपी पर किए गए कार्यों के प्रस्तुतिकरण के लिए आभार जताया. डॉक्टर रावत ने कहा कि एनईपी के अंतर्गत किए गए कार्यों से सभी राज्यों को एक-दूसरे से कुछ नया सीखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में राज्य में संचालित विभिन्न बोर्डों के साथ टीचिंग शेयरिंग को लेकर अनुबंध किया जाएगा. ताकि अच्छे शिक्षकों को एक-दूसरे बोर्ड के स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए बुलाया जा सकेगा. जिसका फायदा छात्रों को मिलेगा।

वहीं, कार्यशाला में शिक्षा मंत्री रावत ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में 220 दिन अनिवार्य रूप से पठन-पाठन किया जाएगा. इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को नवीन शैक्षिणिक सत्र शुरू होने से पूर्व पूरी कार्ययोजना तैयार कर शैक्षिक कैलेंडर बनाने के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने भविष्य में स्कूली बच्चों को जुलूस-प्रदर्शनों एवं विभाग से इतर अन्य गतिविधियों में शामिल न करने को कहा. इस कार्यशाला में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन ने कहा कि राज्य में एनईपी 2020 को लेकर जिलो में भी कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. राज्य के 4500 से ज्यादा प्री-प्राइमरी पाठशालाओं एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में एनईपी लागू कर ली गई है. अन्य कक्षाओं में भी धीरे-धीरे इसे लागू किया जाएगा.
कार्यशाला में गुजरात से आए आसिफ सामंत और कल्पेश कुमार ने नवाचार के अंतर्गत सूचना एवं तकनीकी का समन्वयन विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया. जिसमें बताया गया कि गुजरात में विद्यार्थियों और शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति, छात्रों का ऑनलाइन मूल्यांकन और प्रत्येक छात्र की यूनिक पहचान संख्या के जरिए ऑनलाइन अनुश्रवण किया जाता है. वहीं, एनसीईआरटी नई दिल्ली से प्रोफेसर इंद्राणी भादुडी ने ग्रेड थ्री से कक्षा 12 तक बच्चों का समग्र मूल्यांकन पर प्रस्तुतिकरण दिया. जिसमें उन्होंने बताया कि बच्चों का संपूर्ण मूल्यांकन 360 डिग्री प्रगति कार्ड तैयार कर अभिभावक, छात्र और शिक्षकों के लिए शैक्षणिक प्रगति के साथ ही उनके स्वास्थ्य, अभिरुचि मूल्यों व जिज्ञासों का आकलन किया जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *