अविश्वास प्रस्ताव गिरा,मोदी बोले 2.12 घंटे,1.52 वें घंटे मणिपुर संदर्भ,विपक्ष था बाहर

अविश्वास प्रस्ताव गिरा, 2.12 घंटे बोले मोदी: विपक्ष के बहिर्गमन के समय 1 घंटा 52 मिनट बाद मणिपुर का जिक्र लेकिन उसके पहले विपक्ष कर चुका था वॉकआउट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष को कहा कि आप लोगों को 5 साल का मौका दिया,फिर भी तैयारी करके नहीं आए।
मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों का लाया अविश्वास प्रस्ताव गुरुवार यानी 10 अगस्त को गिर गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंत में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब दिया। मोदी 2 घंटे 12 मिनट बोले, जिसमें मणिपुर पर 1 घंटे 52 मिनट बाद बोले। बड़ी बात ये कि जब प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर बात शुरू की, उसके पहले ही विपक्ष सदन से वॉकआउट कर चुका था।

प्रधानमंत्री ने ये भी कहा- यूपीए को लगता है कि देश के नाम का इस्तेमाल कर विश्वसनीयता बढ़ाई जा सकती है। ये इंडिया गठबंधन नहीं है। ये घमंडिया गठबंधन है। इसकी बारात में हर कोई दूल्हा बनना चाहता है। सबको प्रधानमंत्री बनना है।

मोदी के भाषण की 20 बातें…

1. यह सरकार का नहीं, विपक्ष का फ्लोर टेस्ट
मैं भगवान का आशीर्वाद मानता हूं कि उन्होंने विपक्ष को यह सुझाया और वे इसका प्रस्ताव लेकर आए। 2018 में भी वे अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। तब मैंने कहा था कि यह हमारी सरकार के लिए फ्लोर टेस्ट नहीं है। उन्हीं का फ्लोर टेस्ट है। हुआ भी वही। जब मतदान हुआ, तो विपक्ष के पास जितने वोट थे, उतने भी जमा नहीं कर पाए थे।

2. विपक्ष का अविश्वास हमारे लिए शुभ होता है
इतना ही नहीं, जब हम सब जनता के पास गए तो जनता ने भी पूरी ताकत से इनके लिए नो कॉन्फिडेंस घोषित कर दिया। चुनाव में एनडीए को कहीं ज्यादा सीटें मिलीं। एक तरह से विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है। एनडीए और भाजपा 2024 के चुनाव में पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़कर जनता के आशीर्वाद से वापस आएगी।

  3. विपक्ष नो बॉल फेंक रहा, इधर सेंचुरी
आप जुटे तो अविश्वास प्रस्ताव पर जुटे। कट्टर भ्रष्ट साथी की सलाह पर मजबूर होकर जुटे। इस अविश्वास प्रस्ताव पर भी आपने कैसी चर्चा की। सोशल मीडिया पर आपके दरबारी भी बहुत दुखी हैं। मजा इस डिबेट का…फील्डिंग विपक्ष ने ऑर्गनाइज की, लेकिन चौके-छक्के यहीं से लगे। विपक्ष नो-कॉन्फिडेंस पर नो बॉल कर रहा है और इधर से सेंचुरी हो रही है। आप तैयारी करके क्यों नहीं आते जी।

4. अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता का आत्मविश्वास तोड़ा
हमने युवाओं को घोटाला रहित सरकार दी है। दुनिया में भारत की बिगड़ी हुई साख संभाली है। अभी भी कुछ लोग कोशिश में हैं कि साख को दाग लग गए। विश्व का विश्वास भारत में बढ़ता चला जा रहा है। इस दौरान हमारे विपक्ष ने क्या किया। इन्होंने अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता के आत्मविश्वास को तोड़ने की विफल कोशिश की है।

  5. देश के मंगल पर आपने काले कपड़े पहने, इसका धन्यवाद
अविश्वास और घमंड इनकी रगों में रच-बस गया है। वे जनता का विश्वास कभी देख नहीं पाते। ये जो शुतुरमुर्ग एप्रोच है, इसके लिए देश क्या कर सकता है। जब शुभ, मंगल होता है, बच्चा साफ-सुथरा होता है तो काला टीका लगा देते हैं। आज जो देश का मंगल हो रहा है, वाहवाही हो रही है, आपका धन्यवाद करता हूं कि काले टीके के रूप में, काले कपड़े में सदन में आकर आपने इस मंगल को निश्चित करने का काम किया।

6. जिन चीजों की बुराई की, उनका भला हुआ
विपक्ष के लोगों को एक सीक्रेट वरदान मिला है। ये लोग जिसका बुरा चाहेंगे, उसका भला ही होगा। मैं 3 उदाहरण से सिद्ध कर सकता हूं।

पहला: इन लोगों ने कहा था कि बैंकिंग सेक्टर डूब जाएगा। पब्लिक सेक्टर बैंक का नेट प्रॉफिट दोगुने से ज्यादा हो गया। फोन बैंकिंग घोटाले की बात की। देश को एनपीए के गंभीर संकट में डुबो दिया था। ये जो एनपीए का अंबार लगा गए थे, हम उसके पार निकल चुके हैं। निर्मला सीतारमण ने बताया कि कितना प्रॉफिट हुआ।
दूसरा: डिफेंस के हेलिकॉप्टर बनाने वाली सरकारी कंपनी एचएएल के लिए कितनी भली-बुरी बातें कही थीं। एचएएल तबाह हो गया है, खत्म हो गया है, भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री खत्म हो गई है, लेकिन आज एचएएल सफलता की नई बुलंदियां छू रहा है। हाईएस्ट एवर रेवेन्यू रजिस्टर किया है। वहां के कामगारों को उकसाने की कोशिशों के बावजूद एचएएल देश की आन-बान-शान बनकर उभरा।
तीसरा: एलआईसी के लिए कहा कि डूब रही है। दरबारियों ने इतने कागज पकड़ा दिए और नेता सारे बोल लेते थे। एलआईसी मजबूत हो रही है। शेयर मार्केट के लिए भी गुरुमंत्र है, जिस सरकारी कंपनियों को ये लोग गाली दें, उस पर पैसा लगा दीजिए अच्छा ही होगा।
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला।
 7. तीसरी बार सरकार बनेगी तो हम दुनिया की तीसरी इकोनॉमी बनेंगे
ये वो लोग हैं, जिन्हें देश के सामर्थ्य पर विश्वास नहीं है। हमारी सरकार के अगले टर्म में यानी तीसरे टर्म में भारत दुनिया की तीसरी टॉप अर्थव्यवस्था होगा। ये जिम्मेदार विपक्ष ऐसे में पूछता कि मोदीजी, निर्मलाजी, ये कैसे करोगे। ये भी मुझे सिखाना पड़ रहा है। यहां वो कुछ सुझाव दे सकते थे या कहते हम चुनाव में जनता के बीच जाकर बताएंगे कि ये तीसरे की बात करते हैं और हम एक पर लेकर आएंगे।

8. दूसरे की बात को कैच कर लेते हैं, अपनी वैक्सीन पर भरोसा नहीं
कांग्रेस को हुर्रियत, अलगाववादियों पर भरोसा था। भारत ने आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक किया, एयर स्ट्राइक किया। इन्हें भारतीय सेना नहीं, दुश्मन के दांव पर भरोसा था। कोरोना की महामारी आई, भारत के वैज्ञानिकों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन बनाई, उस पर भरोसा नहीं था।

9. कई हिस्सों में कांग्रेस को जीतने में सालों लगे यानी कांग्रेस नो-कॉन्फिडेंस
देश के कई हिस्सों में कांग्रेस को जीत दर्ज करने में अनेक दशक लग गए हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस की आखिरी बार 1962 में जीत हुई थी, 61 साल से वहां के लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस नो-कॉन्फिडेंस। बंगाल में 1972, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार 1985 में। त्रिपुरा में 1988 में, ओडिशा में 1995 में और नगालैंड में 1998 में आखिरी जीत मिली। दिल्ली, आंध्र प्रदेश, बंगाल में एक भी विधायक खाते में नहीं है। जनता ने कांग्रेस के प्रति लगातार नो-कॉन्फिडेंस घोषित किया है।

10. कांग्रेस वालों ने तो गांधी नाम भी चुरा लिया
वोटरों को भुलाने के लिए गांधी नाम भी… हर बार वो भी चुरा लिया। चुनाव चिह्न देखिए दो बैल, गाय बछड़ा, फिर हाथ का पंजा। ये सारे उनके कारनामे हैं। हर मनोवृत्ति को दिखाते हैं। सब कुछ एक परिवार के हाथों में केंद्रित हो चुका है।

11. परिवार के बाहर का प्रधानमंत्री मंजूर नहीं
दरबारवाद के कारण इन्होंने कितने ही महान लोगों को तबाह कर दिया। जो दरबारी नहीं थे, उनके पोट्रेट तक पार्लियामेंट में लगाने से इन्हें झिझक थी। 1991 में उनके पोट्रेट सेंटर हॉल में तब लगी, जब भाजपा समर्थित गैर कांग्रेसी सरकार सामने आई। नेताजी की पोट्रेट 1978 में हॉल में लगी, जब जनता पार्टी की सरकार थी। शास्त्री और चरण सिंह का पोट्रेट 1993 में गैर परिवार की सरकार में लगा।

12. फिल्म शराबी के गाने का जिक्र
मोदी अगर भाषण करते वक्त बीच में पानी पिए तो देखिए मोदी को पानी पिला दिया। अगर मैं गर्मी में कड़ी धूप में पसीना पोंछता हूं तो कहते हैं कि मोदी को पसीना ला दिया। एक गीत की पंक्ति है-       डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत, दिल बहल जाए फकत इतना इशारा ही बहुत, इतने पर भी आसमां वाला गिरा दे बिजलियां, कोई बता दे जरा ये, डूबता फिर क्या करे।      मैं कांग्रेस की मुसीबत समझता हूं, बरसों से एक ही प्रोडक्ट बार-बार लॉन्च करते हैं। लॉन्चिंग फेल हो जाती है।

13. इतने के बाद मणिपुर का जिक्र आया… लोकतंत्र में जिनका भरोसा नहीं होता है, वो सुनाने को तो तैयार होते हैं, लेकिन सुनने का धैर्य नहीं। अपशब्द बोल भागो, कूड़ा फेंक भागो, झूठ फैला भागो। कल अमित जी ने विस्तार से मणिपुर पर बात की तो देश को भी इनके झूठ का पता चला। अविश्वास प्रस्ताव पर इन्होंने हर विषय पर बोला। हमने कहा कि अकेले मणिपुर पर आओ, लेकिन साहस नहीं था, पेट में पाप था और ठीकरा फोड़ रहे थे हमारे सिर। सिवाय राजनीति के इन्हें कुछ करना नहीं।

पीएम नरेंद्र मोदी के अविश्वास प्रस्ताव पर भाषण के दौरान विपक्षी सांसद वॉकआउट कर गए।

14. मणिपुर में फिर शांति का सूरज उगेगा
मणिपुर में अदालत का एक फैसला हम जानते हैं। उसके पक्ष-विपक्ष में बनी स्थितियां, हिंसा का दौर, परिवारों ने स्वजन खोए, महिलाओं से गंभीर अपराध हुए,अक्षम्य हैं, दोषियों को सजा दिलवाने को केंद्र-राज्य मिलकर प्रयास कर रहे हैं। मैं सभी को आश्वस्त करता हूं कि कोशिशें चल रही हैं, निकट भविष्य में शांति का सूरज जरूर उगेगा। मणिपुर फिर नए आत्मविश्वास से आगे बढ़ेगा।

मैं मणिपुरवासियों से भी कहना चाहता हूं, बेटियों-माताओं-बहनों से कहना चाहता हूं कि देश और सदन साथ है। हम मिलकर चुनौती का समाधान निकालेंगे, फिर शांति की स्थापना होगी। मणिपुर को भरोसा दिलाता हूं कि वो राज्य फिर विकास पर आगे बढ़े, उसमें कमी नहीं रहेगी।

15. कांग्रेस ने भारत तोड़ा
ये उन लोगों की मदद कर रहे हैं, जो कहते हैं कि सिलिगुड़ी के पास कॉरिडोर, काट दें तो नॉर्थ ईस्ट अलग हो जाएगा। जो बाहर गए हैं, उनसे पूछें- कच्छतिवू क्या है। डीएमके के मुख्यमंत्री चिट्ठी लिखते कहते हैं- मोदीजी कच्छतिवू वापस लाइए। तमिलनाडु से आगे श्रीलंका से पहले टापू किसने किसी दूसरे देश को दिया था, कब दिया था। श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में ये हुआ था।

16. कांग्रेस ने ही मिजोरम-पंजाब में हमला करवाया
मेरा नॉर्थ-ईस्ट से इमोशनल अटैचमेंट है। पहली घटना 5 मार्च 1966 की है। इस दिन कांग्रेस ने मिजोरम में असहाय नागरिकों पर अपनी वायुसेना से हमला करवाया था। गंभीर विवाद हुआ। क्या किसी दूसरे देश की वायुसेना थी, क्या मिजोरम के लोग देश के नागरिक नहीं थे। निर्दोष नागरिकों पर हमला करवाया। कौन था उस वक्त? इंदिरा गांधी। अकाल तख्त पर हमला स्मृति में है, उन्हें मिजोरम में यह आदत पहले ही लग गई थी। यहां हमें उपदेश दे रहे हैं।

17. नेहरू ने असम को उसके हाल पर छोड़ा था
दूसरी घटना 1962 में रेडियो प्रसारण हुआ। आज भी शूल की तरह नॉर्थ-ईस्ट को चुभ रहा है। देश पर चीन का हमला था, देशवासी रक्षा की उम्मीद कर रहे थे। लोग हाथों से लड़ाई लड़ रहे थे। दिल्ली में बैठे नेहरू ने असम के लोगों के लिए जो कहा था, वो आज भी असमियों के लिए नश्तर की चुभन है। उन्होंने असम को उनके भाग्य पर छोड़ दिया था।

18. मणिपुर समस्या के पीछे सिर्फ कांग्रेस की राजनीति
मेरे मंत्रिपरिषद के मंत्री वहां 400 बार गए, मैं खुद 50 बार । ये साधना है, वहां के प्रति समर्पण है। मैं पिछले 9 साल के प्रयासों से कहता हूं कि हमारे लिए नॉर्थ-ईस्ट जिगर का टुकड़ा है। नॉर्थ-ईस्ट की समस्याओं की एकमात्र जननी कांग्रेस है। वहां के लोग नहीं, कांग्रेस की राजनीति जिम्मेदार है।

19. 2028 में तैयारी करके आएं
एक बात पर उनकी तारीफ करता हूं, मैंने 2018 में उन्हें काम दिया था कि 2023 में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आना और उन्होंने (विपक्ष) मेरी मानी। दुख यह है कि 5 साल मिले, थोड़ा अच्छा करते, अच्छे ढंग से करते। लेकिन देश को निराश किया। कोई बात नहीं, 2028 में फिर मौका दूंगा। आग्रह है 2028 में जब आप आएं तो थोड़ी तैयारी करके आइएगा।

20. राजनीति को मणिपुर का दुरुपयोग ना करें
140 करोड़ देशवासियों के सपनों को अपनी आंखों के सामने रखकर चल रहा हूं। सदन के साथियों से निवेदन है, देश में मणिपुर से भी गंभीर समस्याएं आईं, लेकिन मिलकर रास्ते निकाले। मिलकर चलें, मणिपुर को भरोसा देकर चलें, राजनीति को मणिपुर का दुरुपयोग ना करें, दर्द की दवा बनकर काम करें। हमारी तरफ से तो समृद्ध चर्चा हुई। ये प्रस्ताव देश से विश्वासघात का प्रस्ताव है।

अविश्वास प्रस्ताव सदन में ज्यादातर फेल होता है, लेकिन फिर भी ये विपक्ष का हथियार क्यों?
1963 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी नेता जेबी कृपलानी लोकसभा में पहला अविश्वास प्रस्ताव लाये थे। हालांकि, वोटिंग में PM जवाहरलाल नेहरू सरकार बहुमत हासिल करने में सफल रही थी।

आचार्य कृपलानी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश करते कहा था, ‘मेरे लिए यह बेहद दुखद है कि मुझे ऐसी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाना पड़ रहा है, जिसमें मेरे 30 साल पुराने कई दोस्त शामिल हैं। इसके बावजूद अपने कर्तव्य और अंतरात्मा की आवाज पर सरकार की जवाबदेही के लिए मैं ये प्रस्ताव ला रहा हूं।’

इसके जवाब में PM जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘इस तरह के प्रस्ताव से सरकारों का समय-समय पर परीक्षण अच्छा है। खासकर तब जब सरकार गिरने की कोई संभावना न हो।’

अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सभी दलों के सांसद राज्य या देश से जुड़े सवाल पूछते हैं। सरकार को इसका जवाब देना पड़ता है। 2018 में TDP के सांसदों ने आंध्र प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछे थे।

2019 के बाद PM ने लोकसभा में कुल 7 बार बहस में हिस्सा लिया
संसद के रिकॉर्ड के अनुसार, 2019 के बाद मोदी ने लोकसभा कार्यकाल में कुल 7 बार बहस में हिस्सा लिया है। इनमें से पांच मौकों पर उन्होंने राष्ट्रपति के संबोधन के बाद जवाब दिया। एक बार उन्होंने श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर और दूसरी बार लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के शपथ ग्रहण समारोह में अपनी बात रखी थी।

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