कोई नहीं है टक्कर में, आर्थिक विकास में भी भारत चीन से निकला आगे
India Remains One Of The Fastest Growing Economies Among Major Global Players
कोई नहीं है टक्कर में, रॉकेट की रफ्तार से दौड़ रही है भारत की इकॉनमी, 2022-23 में भी गाड़े झंडे
मार्च तिमाही के जीडीपी के आंकड़े आ गए हैं। पिछले फाइनेंशियल ईयर की चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी 6.1 % की रफ्तार से बढ़ी। पूरे फाइनेशियल ईयर की बात की जाए तो यह 7.2 % रही। कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग, खनन और निर्माण क्षेत्रों के दम पर भारत ने यह उपलब्धि हासिल की।
हाइलाइट्स
बड़ी इकॉनमीज में भारत की ग्रोथ रेट सबसे ज्यादा
2022-23 में 7.2 % रहा जीडीपी का ग्रोथ रेट
चीन का ग्रोथ रेट मार्च तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहा
नई दिल्ली 31 मई: दुनिया जहां मंदी (recession) की आशंका में जी रही है, वहीं भारतीय इकॉनमी रॉकेट की रफ्तार से भाग रही है। भारत बड़ी इकॉनमी वाले देशों में दुनिया में सबसे तेज इकॉनमिक ग्रोथ वाला देश बना हुआ है। कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश का जीडीपी ग्रोथ रेट बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही। इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी ग्रोथ की दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो अनुमान से अधिक है। इस ग्रोथ के साथ देश की अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर की हो गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी ने सारे अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत की दर से ग्रोथ हासिल की। यह इससे पिछली तिमाही के 4.5 प्रतिशत से अधिक है। कृषि क्षेत्र में 5.5 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की ग्रोथ के दम पर यह आर्थिक ग्रोथ हासिल की गई। इसके अलावा, निर्माण, सेवा और खनन क्षेत्रों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में ग्रोथ दर 6.1 प्रतिशत रही। जबकि इससे पहले, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह 4.5 प्रतिशत और जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.2 प्रतिशत थी। जीडीपी ग्रोथ दर 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में 13.1 प्रतिशत रही थी। वित्त वर्ष 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में यह चार प्रतिशत रही थी। आंकड़ों के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक ग्रोथ दर 7.2 प्रतिशत रही। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह 9.1 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने फरवरी में जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में देश की ग्रोथ दर सात प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी
कोई नहीं है टक्कर में
इसके साथ भारत तीव्र आर्थिक ग्रोथ दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है। चीन का ग्रोथ रेट इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहा। जीएसटी कलेक्शन, बिजली खपत, पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) जैसे इंडिकेटर्स अप्रैल में आर्थिक गतिविधियां बने रहने के संकेत दे रहे हैं। हालांकि निर्यात और आयात कम हुआ है। इससे कुछ जोखिम उत्पन्न हुआ है। मॉनसून और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक जोखिम को छोड़कर देश की आर्थिक ग्रोथ दर 2023-24 में 6.5 प्रतिशत के अनुमान से ऊपर रह सकती है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, ‘हम वृहत आर्थिक, वित्तीय और राजकोषीय स्थिरता के साथ सतत आर्थिक ग्रोथ की कहानी पेश करने में सक्षम हैं। इसके साथ एक और साल भारत के ठोस आर्थिक प्रदर्शन को लेकर उत्साहित हैं।’ डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि जीडीपी आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से सुखद हैं लेकिन पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र में तेजी स्थिति को और सुखद बना रहा है क्योंकि नीतिनिर्माताओं के लिये क्षेत्र चिंता का विषय बना हुआ था।’
बुनियादी उद्योगों की रफ्तार
मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्य वर्धन (GVA) ग्रोथ सात प्रतिशत रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 8.8 प्रतिशत थी। विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए ग्रोथ दर मार्च 2023 को समाप्त तिमाही में बढ़कर 4.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 0.6 प्रतिशत थी। खनन क्षेत्र में जीवीए ग्रोथ दर मार्च 2023 को समाप्त चौथी तिमाही में 4.3 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2.3 प्रतिशत थी। निर्माण क्षेत्र की ग्रोथ दर इस दौरान 10.4 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 2021-22 की इसी तिमाही में 4.9 प्रतिशत थी। कृषि क्षेत्र की ग्रोथ दर इस दौरान 5.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.1 प्रतिशत थी।
हालांकि आठ बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ की रफ्तार अप्रैल, 2023 में सुस्त पड़कर छह महीने के निचले स्तर 3.5 प्रतिशत रह गई। मुख्य रूप से कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और बिजली के उत्पादन में कमी से बुनियादी उद्योग की ग्रोथ की रफ्तार धीमी हुई है। वहीं कोयला, उर्वरक और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ दर में 7.7 प्रतिशत रही। इस बीच, लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहा, जो लक्ष्य के अनुरूप है। कर और गैर-कर राजस्व संग्रह बेहतर रहने से राजकोषीय घाटा को थामने में मदद मिली।