भारत जोड़ो: उप्र में खाली रह गया कांग्रेस का हाथ
कुछ पास कुछ दूर… भारत जोड़ो यात्रा में राहुल के साथ क्यों नहीं दिखना चाहते उत्तर प्रदेश के दिग्गज
भारत जोड़ो यात्रा का पहला चरण 108 दिनों के बाद पूरा हो गया है। यात्रा का अगला चरण 3 जनवरी से शुरू हो रहा है जिसमें कांग्रेस ने सभी विपक्षी दलों को निमंत्रण भेजा है लेकिन रेस्पॉन्स ठंडा है क्योंकि सबको पता है कि भारत जोड़ो असल में राहुल गांधी के वर्चस्व को है और ये किसी भी दल को स्वीकार नहीं है।
हाइलाइट्स
1-भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण 3 जनवरी से, उत्तर प्रदेश में क्या साथ आएंगे विपक्षी नेता?
2-पहले चरण में कई विपक्षी नेता आए साथ लेकिन उत्तर प्रदेश में नहीं होंगे शामिल
3-गाजियाबाद के रास्ते उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी भारत जोड़ो यात्रा, 2024 से पहले क्या है संदेश
नई दिल्ली 27 दिसंबर: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का पहला चरण पूरा हो गया है और 3 जनवरी से इसका दूसरा चरण शुरू होने वाला है। 108 दिनों में करीब 3000 किलोमीटर की दूरी नापते हुए पिछले हफ्ते यात्रा शनिवार को दिल्ली पहुंची थी। इसके साथ ही यात्रा का पहला चरण पूरा हुआ था और अब गाजियाबाद के रास्ते यात्रा यूपी में 3 जनवरी को प्रवेश करेगी। 108 दिनों में इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ तमिलनाडु, महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के नेता भी उनके साथ आए और वैसी ही कोशिश उत्तर प्रदेश को लेकर भी थी। कांग्रेस की ओर से यह बार कहने की कोशिश हो रही है कि यह यात्रा सिर्फ कांग्रेस की नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा केवल 3 दिनों तक उत्तर प्रदेश में रहने वाली है लेकिन इन तीन दिनों को लेकर पार्टी की यह कोशिश थी कि उत्तर प्रदेश से एक बड़ा संदेश जाए। कांग्रेस की ओर से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर समेत कुछ और छोटे दलों के नेताओं को उत्तर प्रदेश में इस यात्रा में शामिल होने का न्यौता दिया गया। बुलावा तो गया लेकिन अखिलेश, मायावती, जयंत चौधरी ने इस यात्रा से लगभग किनारा कर लिया है और उनके शामिल होने की संभावना कम है।
पहले चुनाव और अब भारत जोड़ो यात्रा, क्या खाली रह जाएगा कांग्रेस का हाथ
दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है… यह बात ऐसे ही नहीं कही जाती। उत्तर प्रदेश की राजनीति में जिसने बढ़त बना ली उसकी आगे की राह आसान हो जाती है। कांग्रेस के लिए इस राज्य से पिछले कई वर्षों से कोई अच्छी खबर नहीं आई है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के बहाने ही उत्तर प्रदेश के जरिए भाजपा पर वार करने की कोशिश में थी। साथ ही विपक्षी एकता को लेकर जो सवाल पूछे जाते हैं उसका भी कुछ हद तक जवाब इसी उत्तर प्रदेश से देने की कोशिश थी। हालांकि यह कोशिश अभी रंग लाती नहीं दिख रही है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने की सम्भावना के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यात्रा को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के भावनात्मक आवाह्न से उनका जुड़ाव है, लेकिन उन्हें किसी प्रकार का निमंत्रण नहीं मिला है। इस बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि अखिलेश यादव का कार्यक्रम पहले से ही तय है और उनका कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना बहुत मुश्किल है।
कुछ-कुछ ऐसा ही बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावाती को लेकर भी है। बसपा के एक नेता ने बताया कि पार्टी को कांग्रेस की तरफ से अब तक कोई निमंत्रण नहीं मिला है और यात्रा में शामिल होने का फैसला बसपा सुप्रीमो मायावती ही करेंगी। इसी तरह आरएलडी चीफ जयंत चौधरी भी यात्रा में शामिल नहीं होंगे। आरएलडी के प्रवक्ता ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि रालोद प्रमुख जयंत चौधरी यात्रा में जाएंगे। उनके तमाम कार्यक्रम पहले से ही निर्धारित हैं। वहीं सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के संयोजक पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने उन्हें फोन कर आमंत्रित किया था लेकिन कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है। यात्रा में शामिल होना है या नहीं, इस बारे में फैसला 30 दिसंबर को लिया जाएगा। राजभर के भी शामिल होने की संभावना कम है।
अब तक जो शामिल हुए वहां नहीं था कोई बड़ा सवाल
108 दिनों की यात्रा में अब तक उनके साथ विपक्ष के कई दूसरे नेता भी शामिल हुए। इनमें डीएमके चीफ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे प्रमुख रहें। राहुल गांधी की यात्रा जिस भी प्रदेश में प्रवेश कर रही है उससे पहले उनका आमंत्रण पत्र समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं को जा रहा है। अब तक यात्रा में जो अधिकांश विपक्षी नेता शामिल हुए उनमें एक बात यह कॉमन थी कि उनका कहीं न कहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन है। महाराष्ट्र में अब तक उद्धव ठाकरे की पार्टी, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार थी। उनका वहां गठबंधन था। इसी प्रकार तमिलनाडु में भी कांग्रेस डीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी। ये वो नेता हैं जो राज्यों में अब तक कांग्रेस के साथ रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में बात कुछ अलग है।
उत्तर प्रदेश में पिछला लोकसभा चुनाव सपा और बीएसपी मिलकर लड़े। विधानसभा चुनाव में अलग हो गए। उसके पहले कांग्रेस और सपा की जोड़ी थी लेकिन अब नहीं है। उत्तर प्रदेश में सपा, आरएलडी, सुभासपा मिलकर चुनाव लड़े लेकिन अब सिर्फ आरएलडी और सपा ही साथ हैं। मायावती अलग राह पर चलती हुई दिख रही हैं। कांग्रेस, सपा, बसपा इनका आपस में कोई चुनावी समीकरण फिलहाल नहीं है। उत्तर प्रदेश में चुनावी समीकरण अलग हैं और 2024 के चुनाव में अभी वक्त है। ऐसे में यात्रा में शामिल होकर फिलहाल इनकी ओर से कोई संकेत देने की जल्दबाजी नहीं दिख रही।
2024 से पहले क्या बनेगी बात या फिर वही सवाल मोदी के सामने कौन
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह सवाल अब भी बना हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी के सामने कौन। समय-समय पर इस रेस में नाम आते रहते हैं। कुछ दिनों तक उन पर चर्चा भी चलती है। कभी ममता बनर्जी तो कभी नीतीश कुमार तो कभी एनसीपी चीफ शरद पवार। वहीं इसके अलावा आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी हैं लेकिन पार्टी इस वक्त एक अलग लाइन पर है। वहीं हाल ही में तेलंगाना के सीएम केसीआर की पार्टी भी टीआरएस से बीआरएस हो चुकी है। इन सबके बीच कांग्रेस की ओर से केसीआर को छोड़ इन नेताओं की दावेदारी पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की जाती लेकिन यह बात हर बार जरूर कही जाती है कि राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी आगे बढ़ेगी।
कौन किसके नाम पर राजी होगा यह पता नहीं, होगा भी या नहीं कहा नहीं जा सकता। एक बात और भी है कि इन विपक्षी नेताओं के अलग- अलग नेताओं के साथ अलग समीकरण भी हैं। अखिलेश यादव और ममता बनर्जी, दोनों का एक दूसरे के लिए समर्थन और साथ यह बात किसी से छिपी नहीं। बिहार में तेजस्वी और नीतीश साथ हैं। ऐसे में किसी और नाम पर पहले से उनकी ओर से कुछ बोला जाएगा ऐसा नहीं है। बसपा सुप्रीमो मायावती चुप हैं। केसीआर भी दक्षिण से दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे में यह कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि क्या होगा। हालांकि यदि उत्तर प्रदेश में यह नेता राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होते तो कांग्रेस के लिए यह बढ़त जरूर होती।
Why Akhilesh Yadav Mayawati Skip Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra In Up Opposition Before 2024 Lok Sabha