उत्तराखंड:हिंदुओं के 196 बच्चों को मुफ्ती और मौलवी बना रहे मदरसे, DM’s की लगेगी क्लास
Uttarakhand के मदरसों को लेकर बड़ा अनावरण, यहां पढ़ रहे 96 हिंदू बच्चे; दूसरे राज्यों से भी लाए गए छात्र
Uttarakhand Madrassas उत्तराखंड के दौरे पर आए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया है कि उत्तराखंड में सरकारी मदद और मान्यता से चल रहे मदरसों में अभी भी 96 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को इसमें 15 दिन का समय दिया गया है। दूसरे राज्यों के बच्चों को यहां लाकर मदरसों में रखना गलत व आपराधिक है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अंतर्विभागीय समीक्षा बैठक में दिए हैं कठोर कार्रवाई के निर्देश
मुख्य बिंदु
देहरादून के दो मदरसों में उत्तर प्रदेश और बिहार से लाकर रखे गए हैं 21 मुस्लिम बच्चे
मदरसों की मैपिंग में हीलाहवाली को लेकर सभी 13 जिलों के जिलाधिकारियों को दिल्ली बुलाएगा आयोग
कहा, अवैध रूप से संचालित मदरसों को बंद करना होगा, दूसरे राज्यों से बच्चों को लाकर रखना अपराध
देहरादून 15 मई 2024. उत्तराखंड में सरकारी मदद और मान्यता से चल रहे मदरसों में अभी भी 96 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। उत्तराखंड के दौरे पर आए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि आयोग को पूर्व में भी ऐसी जानकारी मिली थी,तब ऐसे बच्चों की संख्या 749 थी। उन्होंने कहा कि संविधान में स्पष्ट है कि किसी भी बच्चे को उसके माता-पिता की लिखित अनुमति बिना दूसरे धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती।
कानून से हुआ उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का गठन
उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का गठन इस्लामिक धार्मिक शिक्षा देने को एक कानून में हुआ है। ऐसे में मदरसों में हिंदू बच्चे पढ़ाया जाना आपराधिक षड्यंत्र प्रतीत होता है। इसमें शिक्षा और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग,दोनो उत्तरदायी हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को जवाब को 15 दिन का समय दिया गया है।
कानूनगो के अनुसार उन्होंने सोमवार सुबह देहरादून के कारगी ग्रांट में तीन मदरसों का निरीक्षण किया। इनमें दो मदरसों वली उल्लाह दहलवी और दारूल उलूम में 21 बच्चे ऐसे पाए गए,जिन्हें उत्तर प्रदेश व बिहार से यहां लाकर शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रखा गया है। एक मदरसा ऐसा भी मिला,जो स्थानीय बच्चों को शुल्क लेकर पढ़ा रहा था। जांच में आया कि उसका एक स्थानीय स्कूल से टाइअप है।
उन्होंने कहा कि इस तरह का टाइअप शिक्षा के अधिकार के कानून से बाहर है। इससे साफ है कि शिक्षा विभाग में किसी न किसी स्तर पर गड़बड़ी व भ्रष्टाचार है। इसी से ऐसे अवैध टाइअप चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन मदरसों के बच्चे डाक्टर,इंजीनियर आदि नहीं मुफ्ती, मौलवी बनना चाहते हैं। अल्पसंख्यक बच्चों से ऐसा भेदभावपूर्ण व्यवहार खेदजनक है।
दूसरे राज्यों के बच्चों को यहां लाकर मदरसों में रखना गलत
उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों के बच्चों को यहां लाकर मदरसों में रखना गलत व आपराधिक है। जो बच्चे लाए गए हैं, उन्हें वापस पहुंचाने को भी कदम उठाए जाएंगे। इसलिए इस प्रकरण में कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली पहुंचकर इस मामले में नोटिस भी जारी किए जाएंगे।
कानूनगो के अनुसार समीक्षा बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जानकारी दी कि मदरसों की मैपिंग में जिलाधिकारीगण सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग अपनी शक्तियों में राज्य के सभी जिलाधिकारियों को दिल्ली बुलाकर स्पष्टीकरण मांगेगा कि अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग में हीलाहवाली क्यों हो रही है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में राज्य के एक दर्जन से अधिक विभागों के प्रमुख अधिकारियों के साथ बाल अधिकार क़ानूनों एवं सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी,@NCPCR_ की ओर से बैठक की अध्यक्षता कर विचारों का आदान प्रदान किया। pic.twitter.com/I1FhrqYTna
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (मोदी का परिवार) (@KanoongoPriyank) May 13, 2024
उन्होंने कहा कि राज्य में अवैध संचालित मदरसे 400 से अधिक है। अवैध मदरसों को बंद करना होगा। प्रत्येक बच्चे को स्कूल भेजना सरकार की जिम्मेदारी है। जो बच्चे मदरसों में हैं,उन्हें भी शिक्षा मिलनी चाहिए। इसको पहले मैपिंग होनी आवश्यक है और इस क्रम में 10 जून तक समय दिया गया है।
जहाँ पढ़ने वाले सारे बच्चे बनना चाहते हैं मुल्ले-मौलवी, वहाँ 196 गैर-मुस्लिम छात्रों को भी दी जा रही दीनी तालीम: उत्तराखंड के मदरसे देख बिफरा NCPCR
आज देहरादून,उत्तराखंड में अवैध अनमैप्ड मदरसों का निरीक्षण किया मदरसा वली उल्लाह दहलवी व मदरसा दारूल उलूम में उत्तरप्रदेश व बिहार के गरीब बच्चों को ला कर रखा गया है।
बच्चों के रहने के लिए बुनियादी सुविधाओं की भयंकर कमी है जहां बच्चे सोते हैं वहीं खाना बनता है जहां दीनी तालीम पढ़ते… pic.twitter.com/0t9j5H1zhN— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (मोदी का परिवार) (@KanoongoPriyank) May 13, 2024
उत्तराखंड के मदरसों में गैर-इस्लामी बच्चों को इस्लामी तालीम दिए जाने का पता चला है। ऐसे बच्चे 196 बताये गये हैं। कुछ मदरसों का गठजोड़ सरकारी स्कूलों से भी मिला है। यें सरकारी मानकों पर खरे नहीं मिले। राज्य के इन मदरसों में कई प्रदेशों के छात्र मिले हैं । ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोमवार (13 मई, 2024) को इन मदरसों का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने दिल्ली जा कर शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करने का भी एलान किया है।
NCPCR अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने उत्तराखंड में पुलिस सहित कई अन्य विभागों से बैठक के बाद मीडिया को बताया कि देहरादून में ही चिह्नित तीन मदरसों में राज्य के बाहर के कई छात्र भर्ती करवाये गये हैं। प्रियंक के अनुसार ये बच्चे बुनियादी शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। इनमें बिहार और उत्तर प्रदेश के बच्चे हैं। एक मदरसे में तो बच्चों से बाकायदा फीस वसूली जा रही थी। इस मदरसे ने अपना गठजोड़ एक स्थानीय स्कूल से बताया।
स्कूल से मदरसों का गठजोड़ प्रियंक कानूनगो ने शिक्षा विभाग की गड़बड़ी मानते हुए इसके पीछे भ्रष्टाचार की आशंका जताई है। निरीक्षण में बच्चों की आँखों में डॉक्टर, इंजीनियर या पुलिस अधिकारी बनने के सपने नहीं थे। सभी बच्चे मुफ़्ती, मौलवी, काजी और कारी बनना चाह रहे थे। NCPCR अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने मीटिंग में ही इस बावत कार्रवाई के आदेश दिए हैं। साथ ही दिल्ली पहुँच कर संबंधित विभागों को नोटिस भी जारी होंगे।
प्रियंक कानूनगो ने आगे बताया कि उत्तराखंड में कई ऐसे मदरसे भी चल रहे हैं जो सरकारी मानकों पर खरे नहीं उतरते। उन्होंने देहरादून के 3 उन मदरसों का नाम लिया जहाँ वो स्वयं औचक निरीक्षण को गए थे। उन्होंने कहा कि सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों में उन्हें हिन्दू बच्चों को पढ़ाने की भी जानकारी मिली है। NCPCR को कुछ समय पहले उत्तराखंड के मदरसों में 749 गैर इस्लामी बच्चों के पढ़ने की जानकारी मिली थी। ताजा आँकड़ों के मुताबिक, अभी भी 196 गैर-इस्लामी बच्चे मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे हैं।
प्रियंक ने संविधान का हवाला दिया कि किसी भी बच्चे को उसके माता-पिता की लिखित अनुमति बिना किसी दूसरे मजहब की शिक्षा नहीं दी जा सकती। हिन्दू बच्चों को मदरसों में पढ़ाने को प्रियंक ने आपराधिक साजिश माना । इसमें उन्होंने राज्य के शिक्षा व अल्पसंख्यक विभाग को बराबर का जिम्मेदार माना है। अल्पसंख्यक विभाग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को बताया कि मदरसों की मैपिंग में कई जिलों के जिलाधिकारी (DM) सहयोग नहीं कर रहे।
अब NCPCR उत्तराखंड के तमाम जिलाधिकारियों को नोटिस जारी करेगा। नोटिस में उन सभी से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। ‘X’ हैंडल पर प्रियंक ने अपने निरीक्षण के वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “आज देहरादून, उत्तराखंड में अवैध अनमैप्ड मदरसों का निरीक्षण किया। मदरसा वली उल्लाह दहलवी व मदरसा दारूल उलूम में उत्तर प्रदेश व बिहार के गरीब बच्चे ला कर रखे गये है। बच्चों के निवास को बुनियादी सुविधाओं की भयंकर कमी है।”
प्रियंक कानूनगो ने आगे लिखा, “जहाँ बच्चे सोते हैं वहीं खाना बनता है। जहाँ दीनी तालीम होती है वहीं नमाज़ भी पढ़ी जाती हैं। इसीलिए, बच्चों के खाने व सोने की दिनचर्या बेतरतीब है। किसी भी बच्चे को स्कूल नहीं भेजा जा रहा है। सभी बच्चे केवल मौलवी और मुफ़्ती ही बनना चाहते हैं। यहाँ के कारी/मौलवी के खुद के बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी इन मदरसों के अस्तित्व से अनभिज्ञ हैं, आवश्यक कार्यवाही हेतु राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर रहे हैं।”
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