लोस निष्कासन से महुआ को सुको से अंतरिम छूट भी नहीं,अगली सुनवाई 11 मार्च
सुप्रीम कोर्ट से भी महुआ मोइत्रा को नहीं मिली राहत, लोक सभा से निष्कासन पर रोक लगाने से इनकार: पैसे लेकर सवाल पूछने पर गई थी सांसदी
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी 2024) को तृणमूल कॉन्ग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने की। बेंच ने इस मामले में महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासन पर रोक लगाने से मना करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से मना कर दिया।
दरअसल, टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने लोकसभा से अपने निष्कासन पर रोक लगा संसदीय कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति देने की माँग वाली अपील सुप्रीम कोर्ट से की थी। कोर्ट ने उनकी अपील ठुकरा दी। यद्यपि,कोर्ट ने निष्कासन के खिलाफ मोइत्रा की याचिका पर लोकसभा सचिवालय से दो सप्ताह में उत्तर देने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच के मुताबिक, इस मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च 2024 से शुरू होगी। महुआ मोइत्रा निष्कासन से पहले पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र से ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) से लोकसभा सांसद थीं।
महुआ का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा, “मुझे अंतरिम राहत पर बहस करने दीजिए। मुझे कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है।” इस पर कोर्ट ने कहा, “नहीं,नहीं। मामले की सुनवाई होने के दिन हम इस पर विचार करेंगे।” कोर्ट ने कहा कि लोकसभा सचिवालय के जवाब की जाँच के बाद इस पर विचार किया जाएगा।
जब सिंघवी ने कोर्ट से महुआ मोइत्रा की अंतरिम राहत पर नोटिस जारी करने की बात की तो कोर्ट ने जवाब दिया, “हम निरस्त नहीं कर रहे। यह कोई लंबी तारीख नहीं है,जो हमने दी है।” इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की फरवरी में सुनवाई करने के सिंघवी के अनुरोध को भी ठुकरा दिया।
बताते चलें कि 8 दिसंबर 2023 को लोकसभा की आचार समिति ने महुआ मोइत्रा के सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने की संस्तुति की थी। इसके बाद संसद से उनके निष्कासित का प्रस्ताव पारित किया था। आचार समिति के पास ये सिफारिश भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और सुप्रीम कोर्ट के वकील और मोइत्रा के एक्स ब्वॉयफ्रैंड जय अनंत देहाद्राई की शिकायत पर की गई थी।
टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के बदले एक उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महँगे गिफ्ट सहित कई तरह के लाभ लिए थे। हीरानंदानी अडानी समूह के प्रतिद्वंद्वी कारोबारी हैं और उनके इशारे पर महुआ ने संसद में कई सवाल पूछे। महुआ ने लोकसभा के अपने लॉग-इन क्रेडेंशियल भी हीरानंदानी से शेयर किए थे।
शीर्ष अदालत के सामने सुनवाई में महुआ मोइत्रा के वकील सिंघवी ने तर्क दिया कि उन्हें केवल इस आधार पर निष्कासित किया गया था कि उन्होंने अपने लोकसभा पोर्टल का लॉगिन पासवर्ड हीरानंदानी से साझा किया था, लेकिन रिश्वतखोरी के आरोपों की जाँच नहीं की गई। मोइत्रा को गवाहों से बहस की अनुमति नहीं दी गई।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर 2023 को इस केस सुनवाई की थी। तब जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि कोर्ट को महुआ की प्रार्थना की फाइल पढ़ने का समय नहीं मिला और इस केस की सुनवाई 3 जनवरी 2024 तक टल गई थी।
बताते चलें कि संसद से निष्कासन बाद महुआ मोइत्रा को 7 जनवरी 2024 तक राजधानी दिल्ली में मिले सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस जारी हुआ था। इस नोटिस को चुनौती देने को उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। इससे पहले हाईकोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जयअनंत देहाद्राई के खिलाफ मोइत्रा की दायर मानहानि केस में अंतरिम राहत पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उधर सुप्रीम कोर्ट से टीएमसी नेता महुआ को राहत से मनाही पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने चुटकी ली है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अगली तिथि निर्धारित कर दी। चंद पैसों के लिए देश की सुरक्षा बेचने वाली पूर्व सांसद की परेशानी बढ़ती दिखाई दे रही है।”
इससे पहले संसदीय आवास समिति ने एक आदेश में मोइत्रा का सरकारी आवास 14 दिसंबर से रद्द कर दिया गया था और सात जनवरी, 2024 तक इसे खाली करने का निर्देश दिया गया। मोइत्रा ने इसके साथ ही वर्ष 2024 के आम चुनावों के नतीजों तक सरकारी आवास पर अपना कब्जा बरकरार रखने की अनुमति देने का निर्देश की भी अदालत से मांग की थी जो दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दी थी।
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