उत्तरांखड को राधा रतूड़ी पहली महिला मुख्य सचिव,ए टू जेड
Uttarakhand IAS Radha Raturi Becomes First Woman Chief Secretary : एस एस संधु का कार्यकाल समाप्त, राधा रतूड़ी बनीं उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव, संभाला कार्यभार
आईएएस अधिकारी मुख्य सचिव डॉक्टर सुरजीत सिंह संधु का कार्यकाल आज समाप्त हो गया है जिसके बाद राधा रतूड़ी को प्रदेश का नया मुख्य सचिव बनाया गया और दोपहर बाद उन्होंने निवर्तमान मुख्य सचिव डॉक्टर सुरजीत सिंह संधु से विधिवत कार्यभार भी संभाल लिया।
इस तरह उत्तराखंड को आज पहली महिला मुख्य सचिव मिल गई है। बुधवार सुबह इसके आदेश हुए थे। 1988 बैच के आईएएस अधिकारी मुख्य सचिव डॉक्टर सुरजीत सिंह संधु का कार्यकाल आज समाप्त हो गया। संधु को सेवानिवृत्ति के बाद छह महीने का एक्सटेंशन दिया गया था,जो आज पूरा हो गया।
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद राधा रतूड़ी राज्य के सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर आसीन होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं। इससे सरकार ने अपने इस कदम से महिला सशक्तिकरण का संदेश भी दिया है।
महिला सशक्तिकरण का उदाहरण
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद राधा रतूड़ी राज्य के सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर आसीन होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं। इससे सरकार ने अपने इस कदम से महिला सशक्तिकरण का संदेश भी गया है।
वरिष्ठता में सबसे ऊपर थीं राधा रतूड़ी
वरिष्ठता में सबसे ऊपर इस समय अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ही हैं। वैसे तो आईएएस आनंदवर्धन भी अपर मुख्य सचिव हैं,लेकिन वह वरिष्ठता में आईएएस राधा रतूड़ी से काफी पीछे हैं। बर्द्धन 1992 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
First Woman Chief Secretary Uttarakhand Radha Raturi Education journalist Family Ias Job Profile
जर्नलिज्म से शुरु की थी यात्रा
उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के बारे में जानिए सब कुछ
पत्रकारिता से शुरू करने वाली राधा रतूड़ी आज उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में सबसे ऊंचे पद पर पहुंच गई। मध्य प्रदेश की बेटी और उत्तराखंड की बहू राधा रतूड़ी अपनी सादगी और सौम्यता के लिए जानी जाती हैं। राधा रतूड़ी महिलाओं को लेकर हमेशा गंभीर रही हैं। पत्रकारिता से शुरू हुआ सफर इंडियन इनफॉरमेशन सर्विस (आईआईएस) और इंडियन पुलिस सर्विस (आईपीएस) के बाद इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आईएएस) तक पहुंचा है।
उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव राधा की शुरुआत पत्रकारिता से
मुंबई से 1985 में मास कम्युनिकेशन से पोस्ट ग्रेजुएट राधा रतूड़ी ने इंडियन एक्सप्रेस मुंबई में ट्रेनिंग ली। इसके बाद उन्होंने इंडिया टुडे मैगजीन में भी काम किया। साथ ही उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने की तैयारी भी की। राधा रतूड़ी के पिता बीके श्रीवास्तव सिविल सर्विस में थे।
दिल्ली नहीं आई रास
अपने पिता की सलाह पर राधा रतूड़ी ने यूपीएससी की तैयारी की। उन्हें इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस में सफलता मिली। 1985-86 में नियुक्ति को राधा रतूड़ी दिल्ली गईं,लेकिन उनको दिल्ली अनुकूल नहीं लगी तो यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया। यहां अगले ही प्रयास में राधा रतूड़ी इंडियन पुलिस सर्विस को सफल हो गई । 1987 में राधा रतूड़ी आईपीएस में चयनित होने के बाद हैदराबाद में ट्रेनिंग को गई थीं, जहां उनकी भेंट 1987 बैच के ही आईपीएस अनिल रतूड़ी से हुई। यहां से दोस्ती शुरू हुई तो बात शादी तक पहुंच गई।
कैडर कई बार बना दूरी की वजह
इंडियन पुलिस सर्विस में बार-बार स्थानांतरण से पति-पत्नी को अक्सर अलग-अलग स्थान पर रहना पड़ा। तब राधा रतूड़ी ने आईएएस के लिए प्रयास किया। 1988 में राधा रतूड़ी ने इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस का एक्जाम क्रैक कर मसूरी में ट्रेनिंग ली। उस समय आईपीएस अनिल रतूड़ी उत्तर प्रदेश में ही थे। जबकि मध्य प्रदेश बैच की टॉपर होने से राधा रतूड़ी को मध्य प्रदेश कैडर मिला। इस तरह एक बार फिर दोनों के सामने अलग-अलग राज्यों में तैनाती से चुनौती थी। राधा रतूड़ी ने उत्तर प्रदेश कैडर को प्रयास किया। करीब 1 साल बाद राधा रतूड़ी को उत्तर प्रदेश का कैडर मिला।
उत्तराखंड कैडर में सेवा
आईएएस में चयन पर राधा रतूड़ी ने देश के चार राज्यों में सेवाएं दी। मध्य प्रदेश के बाद कैडर चेंज हुआ और उन्हें उत्तर प्रदेश के बरेली में पोस्टिंग मिली। उन्होंने उत्तर प्रदेश में विभिन्न जिम्मेदारियां निभाई। इस बीच आईपीएस अनिल रतूड़ी के नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद में जाने पर राधा रतूड़ी ने स्टडी लीव ले ली। वह प्रतिनियुक्ति पर आंध्र प्रदेश में पोस्टिंग लेकर 2 साल जॉइंट सेक्रेटरी रहीं। वर्ष 1999 में वह वापस उत्तर प्रदेश आई। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य बना तो राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड कैडर ले लिया। तब से अब तक उत्तराखंड में सेवाएं दे रहीं हैं।
लोगों की वित्तीय मददै
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में राधा रतूड़ी कई जिलों में जिलाधिकारी रही। उत्तराखंड में लगभग 10 साल तक मुख्य चुनाव अधिकारी रहीं। उन्होंने टिहरी विस्थापितों की भी बहुत मदद की जबकि उत्तर प्रदेश में सेवारत रहते उन्होंने दिव्यांगजन कल्याण का विशेष प्रयास किया। लड़कियों की शिक्षा और उनके कल्याण को राधा रतूड़ी व्यक्तिगत रूप से भी वित्तीय मदद करती हैं।
लोकगीत के प्रति खास लगाव
चर्चा है कि राधा रतूड़ी घर के कामकाज खुद भी करती हैं। अपने बच्चों को भी अपने काम दूसरों पर छोड़ने की बजाए खुद करना सिखाया है। महिलाओं से अपराधों के प्रति भी वे बेहद गंभीर रहीं। राधा रतूड़ी अपने फैसलों में जितनी दृढ़ रहती हैं, उतनी ही भावुक ,बच्चों विशेषतः लड़कियों के प्रति भी रहती हैं। आईएएस राधा रतूड़ी को संस्कृति से भी खासा लगाव हैं। पढ़ने-लिखने की शौकीन होने के साथ ही लोकगीतों के प्रति भी उनका लगाव कई मंचों पर झलकता है। पति अनिल रतूड़ी रिटायर्ड उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक हैं। दोनों की छवि ईमानदार अधिकारियों के रूप में रही है।
मुख्यमंत्री धामी ने लगाई नाम पर मुहर
यद्यपि, रतूड़ी का कार्यकाल काफी अल्प अवधि का है। उनकी सेवानिवृत्ति 31 मार्च को है। यह सरकार पर निर्भर है कि वह उनके कार्यकाल को विस्तार देती हैं अथवा नहीं।
राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव
बहरहाल, राधा रतूड़ी पदभार ग्रहण करने के बाद राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव हैं। इससे पूर्व 1973 बैच की आईपीएस अधिकारी कंचन चौधरी भट्टाचार्य वर्ष 2004 में राज्य की पहली महिला डीजीपी बनी थीं।
राज्य में भारतीय वन सेवा के सर्वोच्च पद प्रमुख मुख्य वन संरक्षक का दायित्व भी वर्ष 2016 में 1980 बैच की महिला आइएफएस अधिकारी बीना सेखरी संभाल चुकी हैं। रतूड़ी दंपत्ति से यह संयोग राज्य में पहली बार होगा,जब पति व पत्नी, दोनों ही प्रशासनिक व पुलिस सेवा के वरिष्ठतम पद पर आसीन रहे हों।
36 साल का है कार्यकाल
आईएएस राधा रतूड़ी अपने 36 वर्ष के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रही हैं। वह राजधानी देहरादून की जिलाधिकारी, अपर मुख्य सचिव महिला सशक्तिकरण, राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी व सचिव गृह समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी भूमिका का निर्वहन कर चुकी हैं। पति-पत्नी दोनों साहित्यिक-सांस्कृतिक रुचि संपन्न हैं।
Uttarakhand Additional Chief Secretary And Dgp’s Daughter Married In A Very Simple Ceremony
बेहद सादे समारोह में हुई थी 2020 में उत्तराखंड की तत्कालीन अपर मुख्य सचिव और तत्कालीन डीजीपी की बेटी की शादी
उत्तराखंड के पुलिस महानिरीक्षक अनिल रतूड़ी और अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की बेटी अपर्णा बड़ी सादगी के साथ सम्पन्न शादी चर्चा का विषय बन गई थी।
उत्तराखंड पुलिस विभाग के सबसे पड़े पद पर आसीन पुलिस महानिरीक्षक अनिल रतूड़ी और अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने समाज को एक संदेश दिया था। संदेश था सादगी का। इतने बड़े पद पर आसीन होने के बावजूद उन्होंने अपने बच्ची का विवाह बेहद सादगी से किया।
डीजीपी अनिल रतूड़ी और अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की बेटी अपर्णा रतूड़ी का विवाह दामाद अपूर्व से सादगी भरे समारोह में हुआ जिसमें माता -पिता और कुछ करीबी रिश्तेदार ही मौजूद रहे। इस विवाह में कोई मंत्री,अधिकारी और न ही कोई अन्य वीआईपी था। शादी के बारे में भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के माध्यम से तब पता चला जब उन्होंने फेसबुक पोस्ट से अपर्णा और अपूर्व को शादी की शुभकामनाएं दीं थी।
बता दें कि डीजीपी अनिल रतूड़ी और अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी अपनी सादगीपूर्ण जीवनशैली के लिए जाने जाते रहे हैं। देहरादून में इसके कई किस्से प्रचलित हैं। एक बार राधा रतूड़ी और अनिल रतूड़ी की कार का चालान कटा था। उसके बाद यह दंपती बिना किसी प्रोटोकॉल के अपने निजी वाहन से कॉफी हाउस कॉफी पीने चले गए थे। एक बार श्री रतूड़ी के सरकारी चालक ने चौराहे की लाल बत्ती पर जेब्रा क्रॉसिंग लांघ दी थी। वहां तैनात कांस्टेबल ने डीजीपी की गाड़ी देख नज़र दूसरी ओर घुमा ली। श्री रतूड़ी ने कांस्टेबल को बुला चालान कटवाया और वहीं जेब से नकद भुगतान भी कर दिया।