पुराने कृषि कानूनों के भंवर में 2019 में 6000 धरती पुत्रों ने दी थी जान
पुराने कृषि कानूनों के भंवर जाल में फंसते रहे किसान, 2019 में देशभर में 6000 धरतीपुत्रों ने खत्म की जीवन लीला
पुराने कृषि कानूनों के भंवर जाल में फंसते रहे किसान, 2019 में देशभर में 6000 धरतीपुत्रों ने खत्म की जीवन लीलापुराने नियम बन गए थे किसान व खेतिहर श्रमिकों के लिए समस्या
सीएसई ने 2017 से 2019 के बीच देशभर में आत्महत्या करने वाले किसानों व खेतिहर श्रमिकों पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक 2019 में देशभर में 5957 किसान आर्थिक संकट के कारण आत्महत्या के लिए मजबूर हुए।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली 06 जुलाई। केंद्र सरकार के नए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में महीनों से धरना-प्रदर्शन चल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि पुराने कृषि कानून किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गए थे और इनमें बदलाव देश की जरूरत थी। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की नई रिपोर्ट ‘स्टेट आफ इंडियाज एन्वायरमेंट 2021 में भी यह बात साफ हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पुराने कृषि कानूनों के कारण किसान समस्याओं के जाल में फंसते जा रहे थे और साल दर साल उनके आत्महत्या के मामले बढ़ रहे थे।
सीएसई ने 2017 से 2019 के बीच देशभर में आत्महत्या करने वाले किसानों व खेतिहर श्रमिकों पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक 2019 में देशभर में 5957 किसान आर्थिक संकट के कारण आत्महत्या के लिए मजबूर हुए। इस दौरान 4324 खेतिहर श्रमिकों ने भी जान दी थी। रिपोर्ट दावा करती है कि देश में 28 किसान एवं कृषि खेतिहर श्रमिक प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं। 2019 में 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए। 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खेतिहर श्रमिकों ने भी अपनी जीवन लीला खत्म कर ली जबकि नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आत्महत्या के मामलों में साफ तौर पर वृद्धि देखने को मिली।
पांच गुना बढ़ा विरोध प्रदर्शन
2017 में पांच राज्यों में किसानों के 34 बड़े विरोध-प्रदर्शन हुए थे। इसके दो साल बाद यानी 2019 में इन प्रदर्शनों का दायरा बढ़कर 22 राज्यों तक पहुंच गया। इसी तरह विरोध प्रदर्शन भी पांच गुना बढ़कर 165 हो गए। इनमें सर्वाधिक 96 प्रदर्शन आर्थिक कृषि नीतियों के विरोध में और 38 न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने को लेकर हुई
दो सालों में सामने आए आत्महत्या के मामले
वर्ष जान देने वाले किसान श्रमिक
2018 5,763 4,586
2019 5,957 4,324
इन राज्यों में बढ़े आत्महत्या के मामले
रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश में किसान के आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि देखी गई। वहीं, आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा में कृषि श्रमिकों के आत्महत्या के मामले ज्यादा मिले हैं।