कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से क्या-क्या हैं डर?

:ओमिक्रॉन पहुंचा भारत; जानिए क्या है हमारे लिए सबसे बड़ा डर? किन लोगों को है सबसे अधिक खतरा?

नई दिल्ली 03 दिसंबर। कोरोना का सबसे तेज म्यूटेशन वाला वैरिएंट ओमिक्रॉन भारत में पहुंच गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2 दिसंबर को कर्नाटक में दो ओमिक्रॉन केस पाए जाने की पुष्टि की है। दुनिया में तहलका मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा म्यूटेशन वाले ओमिक्रॉन को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) पहले ही वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर चुका है। 24 नवंबर को साउथ अफ्रीका में पहला केस मिलने के बाद से एक हफ्ते के अंदर ही भारत,अमेरिका, जर्मनी,फ्रांस समेत दुनिया के 29 देशों में ओमिक्रॉन के केस मिल चुके हैं।


कोविड-19 वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के तेजी से म्यूटेशन की क्षमता ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। इस नए वैरिएंट को कुछ महीनों पहले पूरी दुनिया में तबाही मचा चुके डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है, क्योंकि ओमिक्रॉन में अब तक 50 म्यूटेशन हो चुके हैं।

आइए जानते हैं ओमिक्रॉन की भारत में एंट्री देश के लिए कितनी खतरनाक है? किन लोगों को है ओमिक्रॉन से सबसे अधिक खतरा? क्यों भारत जैसे कम वैक्सीनेटेड देशों को अधिक खतरा है? वैक्सीन कंपनी मॉडर्ना ने क्या चेतावनी दी है? और ओमिक्रॉन के लिए क्या नई वैक्सीन की जरूरत होगी?

भारत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है ओमिक्रॉन?

ओमिक्रॉन के केस उन लोगों में भी पाए गए हैं जो पूरी तरह वैक्सीनेटेड थे। ऐसे में यह भारत जैसे विशाल देश के लिए चिंता की बात हो सकती है। भारत में अब तक कुल 1 अरब 25 करोड़ से अधिक कोरोना की डोज लगाई गई हैं। इनमें से 79 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना की सिंगल डोज लग चुकी हैं, जबकि 46 करोड़ से अधिक लोगों को ही कोरोना की दोनों डोज लगी हैं।

भारत की महज 32 फीसदी आबादी का ही फुली वैक्सीनेटेड होना हमारे लिए चिंता की बात है। भारत में करीब 12 करोड़ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने दूसरी डोज की तारीख निकल जाने के बावजूद भी टीका नहीं लगवाया है। ऐसे लोगों की लापरवाही भी ओमिक्रॉन जैसे कोरोना के नए वैरिएंट के फैलने पर खतरनाक साबित हो सकती है।

साथ ही तेज म्यूटेशन की वजह से ओमिक्रॉन पर वैक्सीन का असर नहीं होने की बात कही जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

किन लोगों को है ओमिक्रॉन से सबसे अधिक खतरा?

कोरोना के अन्य वैरिएंट की तरह ही ओमिक्रॉन से भी सबसे अधिक संक्रमण का खतरा उन लोगों को हैं, जिन्होंने अब तक कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाई है। ध्यान देने वाली बात ये है कि ओमिक्रॉन अगर वैक्सीनेटेड लोगों को हो सकता है तो ऐसे लोग जिन्होंने कोरोना की सिंगल डोज ली है या अभी तक एक भी डोज नहीं ली है उन्हें इससे संक्रमित होने का खतरा कई गुना अधिक है।

भारत में क्यों है कम जीनोम सिक्वेंसिंग से ओमिक्रॉन फैलने का खतरा?

साथ ही भारत में कोरोना के इस नए वैरिएंट की पहचान के लिए जरूरी जीनोम सीक्वेंसिंग की बेहद धीमी रफ्तार भी ओमिक्रॉन को पहचानने में मुश्किलें खड़ी कर सकती है। अब जब ओमिक्रॉन जल्द ट्रेस ही नहीं हो पाएगा तो उसे रोकना भी उतना ही मुश्किल होगा। ऐसे में देश में एक और कोरोना का लहर का खतरा पैदा हो सकता है। भारत में डेल्टा की वजह से दूसरी लहर आई थी, ओमिक्रॉन को उससे कई गुना अधिक संक्रामक कहा जा रहा है। ऐसे में बिना जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाए ओमिक्रॉन पर नियंत्रण मुश्किल होगा।

ओमिक्रॉन पर क्यों बेअसर हो सकती हैं मौजूदा वैक्सीन?

ओमिक्रॉन को अब तक का सबसे तेज म्यूटेशन वाला वायरस कहा जा रहा है। WHO ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में रखा है। इसके स्पाइक प्रोटीन में ही 30 म्यूटेशन हो चुके हैं। दरअसल, स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही वायरस इंसान की कोशिकाओं में घुसने के रास्ते को खोलता है। वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ ही एंटीबॉडी तैयार करके शरीर को इसके खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करती है।

ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में ज्यादा म्यूटेशन की वजह से इस बात पर चिंता व्यक्त की जा रही है कि मौजूदा वैक्सीन इसके खिलाफ कितनी कारगार होंगी।

साथ ही मौजूदा वैक्सीन को चीन के वुहान में सामने आने वाले ओरिजिनल कोरोना वायरस स्ट्रेन के हिसाब से तैयार किया गया है, जबकि ओमिक्रॉन का स्ट्रेन इससे एकदम अलग है। यही वजह है कि मौजूदा वैक्सीन के इस नए वैरिएंट पर बहुत कम या एकदम असर नहीं होने की आशंका जताई जा रही है।

मॉडर्ना की ओमिक्रॉन की वैक्सीन को लेकर चेतावनी?

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन के बेअसर होने की चर्चा के बीच ब्रिटिश कंपनी मॉडर्ना ने कहा है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन के कम प्रभावी रहने की आंशका है। मॉडर्ना के CEO स्टीफन बेंसल ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा कि मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रॉन के खिलाफ कोरोना के पहले के स्ट्रेन के मुकाबले कम प्रभावी हो सकती हैं।

बेंसल ने यह भी चेतावनी दी है कि नए वैरिएंट के खिलाफ बड़े पैमाने पर वैक्सीन की डोज के निर्माण में फार्मास्यूटिकल कंपनियों को महीनों लग सकते हैं। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में तेज म्यूटेशन की क्षमता की वजह से फार्मा कंपनियों को मौजूदा वैक्सीन को अगले साल मॉडिफाई करना पड़ सकता है।

ओमिक्रॉन की नई वैक्सीन कब तक आएगी?

ब्रिटिश कंपनी मॉडर्ना ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर इस नए वैरिएंट की वैक्सीन 2022 के शुरुआती महीनों में आ सकती है। मॉडर्ना पहले भी कोरोना की mRNA वैक्सीन बना चुका है।
मॉडर्ना के चीफ मेडिकल ऑफिसर पॉल बर्टन ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी कपंनी अगले साल की शुरुआत में ओमिक्रॉन से निपटने के लिए mRNA वैक्सीन लॉन्च कर सकती है।
वहीं, कोरोना वैक्सीन बनाने वाली एक और कंपनी फाइजर ने कहा है कि आवश्यकता पड़ने पर ओमिक्रॉन के खिलाफ नई वैक्सीन को छह हफ्तों में बना सकती है और इसके शुरुआती डोज 100 दिनों के अंदर उपलब्ध करवा सकती है।

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