एक लाख करोड़ रुपए घोटाले का मास्टरमाइंड रवि पार्थसारथी गिरफ्तार

1 लाख करोड़ रुपये के घोटाले का मास्टरमाइंड रवि पार्थसारथी गिरफ्तार, जानें क्या है पूरा मामला
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के करीबी बताए जाते हैं रवि पार्थसारथी
IL&FS के पूर्व चेयरमैन और एमडी रवि पार्थसारथी (Ravi Parthasarathy) को गिरफ्तार कर लिया गया है.

नई दिल्लीी11 जून। . एक लाख करोड़ रुपये के IL&FS घोटाले के मास्टरमाइंड और इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशियल सर्विसेज (IL&FS) के पूर्व चेयरमैन रवि पार्थसारथी को शुक्रवार को चेन्नई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW Chennai) ने गिरफ्तार कर लिया. इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने कहा कि पूर्व चेयरमैन रवि पार्थसारथी के नेतृत्व में IL&FS फ्रॉड करने का अड्डा बन गया था.

चेन्नई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अपने बयान में कहा कि रवि पार्थसारथी को 63 मून्स टेक्नोलॉजी लिमिटेड (63 Moons Technologies Ltd) कंपनी द्वारा की गई शिकायत के मामले में गिरफ्तार किया गया है. मालूम हो कि इस 1 लाख करोड़ रुपये के घोटाले में 63 Moons Tech का 200 करोड़ रुपये डूब गया था. इसके अलावा भी कई कंपनियों ने केस दर्ज कराया है जिनके पैसे डूब गए. EOW ने कहा कि IL&FS के पूर्व चेयरमैन रवि पार्थसारथी को 15 दिनों की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है जहां उससे पूछताछ होगी. साथ ही उसके जमानत के मामले पर सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. इनेक खिलाफ ED भी फाइनेंशियल फ्रॉड के कई मामलों की जांच कर रही है.पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का करीबी बताया जाता है रवि पार्थसारथी

आपको बता दें कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के करीबी रहे रवि पार्थसारथी को आर्थिक अपराध शाखा ने 1 लाख करोड़ रुपये के घाटाले का मास्टरमाइंड बताया है. अपने बयान में EOW ने कहा कि IL&FS की 350 से अधिक कंपनियों को रवि पार्थसारथी के नेतृत्व में तत्कालीन मैनेजमेंट ने घोटाला और जालसाजी करने के व्हीकल के रूप में इस्तेमाल किया.

IL&FS ग्रुप पर कुल 91,000 करोड़ रुपये का कर्ज

IL&FS ग्रुप पर कुल 91,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. इस समूह की कई कंपनियों ने बैंकों का कर्ज भी नहीं चुकाया है. पार्थसारथी के खिलाफ ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में जालसाजी, घोखाधड़ी और वित्तीय अनियममितता के साथ फाइनेंशियल फ्रॉड का केस दर्ज किया है.

इन मामलों में दर्ज किया मुकदमा

रवि पार्थसारथी पर आय की गलत जानकारी देने, संदिग्ध लेनदेन, हितों का टकराव के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है. इसके अलावा आर्थिक अपराध शाखा भी इस मामले में जांच कर IPC की विभिन्न धाराओं के तहत EOW ने मामला दर्ज किया है, जिस मामले में आज रवि पार्थसारथी की गिरफ्तारी हुई है.

2018 में हुआ था घोटाला उजागर

IL&FS में हुए घोटाले की जानकारी साल 2018 में सामने आई जब IL&FS और उसकी सहायक कंपनियों ने नकदी संकट की वजह से कर्ज के भुगतान में देरी की. आईएलएंडएफएस कई सरकारी प्रोजेक्ट्स से जुड़ी है और इसने अपना अधिकांश कर्ज भी सरकारी कंपनियों को ही दिया है।

वैसे कमाल की बात है सुबह IL & FS का नया बोर्ड एनसीएलटी को कंपनी की अलग-अलग इकाइयों और एसेट बेचकर रिवाइवल करने का नया प्लान सौंपता है और शाम को पता चलता है कि इस नए बोर्ड के अहम सदस्य ओर सेबी के पूर्व चेयरमैन जी.एन.वाजपेयी ने IL & FS के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया है।

पुराने निदेशक मंडल को हटाने के बाद सरकार ने कंपनी के नए निदेशक मंडल में वाजपेयी सहित 7 निदेशकों की नियुक्ति की थी।

उदय कोटक की अध्यक्षता वाले नए बोर्ड ने कार्यभार संभालने के बाद जो 4 समितियां बनाई गयी थी, इनमें वाजपेयी शेयरधारक संबंध समिति एवं कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व समिति का हिस्सा थे वैसे इस्तीफा निजी कारणो से दिया गया है यह बताया जा रहा है।।

नए बोर्ड ने अपनी असेसमेंट रिपोर्ट में आईएलएंडएफएस ग्रुप और उसकी 347 सब्सिडियरी के ऊपर कुल 94200 करोड़ कर्ज बताया है, उदय कोटक ने पहली बोर्ड बैठक के बाद कहा, ‘बोर्ड ने IL&FS की 347 इकाइयों की खोज की थी, जो पहले से मिली जानकारी के मुकाबले ‘काफी अधिक’ थी।

बताया जाता है कि ऐसी कोई चीज नहीं है, जिसका बिजनेस यह कंपनी न करती हो। नोएडा के टोल ब्रिज से लेकर तमिलनाडु के पानी प्रोजेक्ट तक, गुजरात इंटरप्राइजेज फाइनेंस से लेकर कश्मीर में जोजिला टनल प्रोजेक्ट तक, बनारस के गंगाघाटों की सफाई से लेकर देश के तमाम क्षेत्रों में बननेवाले स्मार्ट सिटी तक में यह कंपनी काम कर रही है।

एक रिपोर्ट के अनुसार अनुमान लगाया जा रहा है कि IL&FS को बचाने लिए तीस हजार करोड़ रुपए लग सकते हैं। यह आयुष्मान योजना से भी तीन गुणा ज्यादा बड़ी राशि है। यह राशि देश के कुल स्वास्थ्य बजट के आधे से भी अधिक है, वैसे इतने में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी जैसी 10 प्रतिमाएं और भी बनाई जा सकती है।

IL & FS कंपनी इतनी महत्वपूर्ण है कि इसे भारत सरकार का एक ‘शैडो बैंक’ माना जाता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इसे ‘कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी’ करार देता है यदि IL & FS किसी भी कारण से कंगाली के कगार पर पहुंचती है तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव होगा, इसकी तुलना अमेरिका के लेहमैन ब्रदर्स से अब बड़े बड़े अर्थशास्त्री करने लगे हैं जो पहले इस विषय को महत्वपूर्ण नहीं मान रहे थे।

वित्त वर्ष 2013-14 में कंपनी का कर्ज 48672 करोड़ रुपए था प्रोजेक्ट फंसने से लागत बढ़ी तो कम्पनी शॉर्ट टर्म लोन लेती रही धीरे धीरे 49 हजार करोड़ से बढ़कर 2018 में कर्ज 91 हजार करोड़ रु पहुँच गया।कपनी की खराब सेहत के पहले संकेत साल 2014-15 की आरबीआइ की सालाना निरीक्षण रिपोर्ट से मिलने लगे थे, कम्पनी का पिछला बोर्ड अपनी तनख्वाह बढ़ा कर सिर्फ अपनी जेबें भरने में लगा रहा, रवि पार्थसारथी ने 2017 – 18 मे अपनी तनख्वाह में 144 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी जब उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया तो उनकी सालाना सैलेरी 26 करोड़ रुपये थी। पुराने बोर्ड का अध्यक्ष रवि पार्थसारथी 1987 में IL & FS में बतौर प्रेसिडेंट व सीईओ आए थे फिर 1994 में उन्हें CEO भी बना दिया गया, जो आज इस 94 हजार करोड़ के कर्ज के जिम्मेदार है, छः महीने से लगातार उनकी कम्पनी डिफॉल्ट करती रही।

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