तड़ीपार? ये राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता कुछ कहती है
अमित शाह को कांग्रेस तड़ीपार क्यों कहती है?
यूपीए सरकार के कार्यकाल में जब पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे, उस वक्त सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामला चरम पर था और इसी मामले में अमित शाह पर कार्रवाई की गई थी। 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार भी किया था और जेल में डाल दिया था।
मुस्लिम वोट बैंक, तुष्टीकरण और बदले की राजनीति ने अमित शाह को गुजरात से बाहर कर दिया।सोहराबुद्दीन शेख केस में अदालत ने यह बात स्वीकार की थी कि अमित शाह को एक साजिश में बल्कि एक राजनीतिक साजिश में फंसाया गया है।
2010 में गिरफ्तार होने के बाद अमित शाह को गुजरात से बाहर भेजा गया था।2012 में वापस लौटने पर शाह ने एक सभा में कहा था – मेरा पानी उतरते देख, किनारे पर घर मत बना लेना। मैं समुन्दर हूँ, लौट कर जरूर आऊगा।
और समय का चक्र देखिए , अमित शाह भारत के गृह मंत्री भ्रष्टाचार में आरोपित पूूर्व केेंद्रीय गृहमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पी चिदंबरम ही नहीं, उनके बेटे भजेलभेज दिए गए। अमित शाह को गुजरात से बाहर रखने वाले खुद ही लापता हुए भागे फिर रहे हैं ।
तब CBI के लिए गैंगस्टर थे अमित शाह, दिसंंबर 2014 में बरी हुए
9 मार्च 2011 को सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति फर्जी एनकाउंटर केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अमित शाह के बारे में कहा था कि वह धमकी और जबर्दस्ती करने वाले गैंग को चलाते हैं। लेकिन मंगलवार को सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह को इन मामलों में राहत दे दी। तब सीबीआई ने कहा था कि शाह का गैंग नेताओं, पुलिस और क्रिमिनल का गठजोड़ है। सीबीआई ने तब जस्टिस पी. सदाशिवम और जस्टिस बीएस चौहान की बेंच के सामने कहा था कि शाह गुजरात में राजनीति, पुलिस और अपराधी के गठजोड़ से जबरन वसूली और धमकी देने का रैकेट चलाते हैं। तब अमित शाह के वकील राम जेठमलानी ने सीबीआई की इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि यह गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को टारगेट करने की कोशिश है। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई के इस ऑब्जर्वेशन को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट तुलसीराम प्रजापति की मां नर्मदा बाई की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। नर्मदा बाई ने इस मामले में सीबीआई जांच मांग की थी। तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर केस के बारे में कहा जाता है कि यह प्रायोजित था और एनकाउंटर महज नाटक था। तब नर्मदा बाई ने सुप्रीम कोर्ट से इस केस को मुंबई ट्रांसफर करने की मांग की थी।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति फर्जी एनकाउंटर केस में बड़ी राहत मिली। मुंबई में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने अमित शाह की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए उनके ऊपर लगे सभी आरोप खारिज कर दिए हैं। तब सीबीआई का शाह के बारे में आकलन कितना सख्त था लेकिन अब उन्हें इन मामलों से बरी कर दिया गया। आखिर इतना बड़ा परिवर्तन कैसे आया?
शाह पर गैंग चलाने वाली सीबीआई की टिप्पणी पर जेठमलानी ने रोष जताया था। उन्होंने कहा था कि मेरे क्लाइंट को इस टिप्पणी से आहत किया जा रहा है। जेठमलानी ने कहा था कि शाह लोकतांत्रित तरीके से चुने गए जनप्रतिनिधि हैं। इस तर्क का विरोध करते हुए सीबीआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील केटीएस तुलसी ने कहा था कि चुने तो कई लोग जाते हैं। उन्होंने कहा था कि चुना जाना अपराधी नहीं होने का सर्टिफिकेट नहीं होता। जेठमलानी ने कहा था कि शाह को राजनीतिक साजिश में फंसाया जा रहा है। साजिश को सीबीआई के जरिए सफल बनाया जा रहा है।
2005 की कथित प्रायोजित गोलीबारी में सोहराबुद्दीन शेख की हत्या, इनकी पत्नी कौशरबी का गायब होना और तुलसीराम प्रजापति की हत्या के बारे में कोर्ट ने कहा था कि ये एक ही तरह के अपराध हैं। कोर्ट ने कहा था कि इसमें एक ही तरह की साजिश नजर आती है। ऐसे में इन मामलों की अलग-अलग जांच नहीं होगी। कोर्ट ने कहा था कि गुजरात पुलिस इन मामलों को अलग-अलग प्रॉजेक्ट करने की कोशिश कर रही है।
केटीएस तुलसी ने कोर्ट से कहा था कि एक अपराध में परस्पर विरोधी चार्जशीट अपराधी को बचाने की कोशिश है। तुलसीराम प्रजापति केस में जो आरोपित मुक्त होगा उसे फिर सोहराबुद्दीन शेख केस में कैसे दोषी ठहराया जाएगा? यदि तुलसीराम प्रजापति केस का अंत आरोपित को दोषमुक्त करने से होता है तो सोहराबुद्दीन शेख केस में दोषी साबित करने का कोई रास्ता नहीं बचेगा।
तुलसीराम प्रजापति की मां नर्मदा बाई की मांग पर केस मुंबई ट्रांसफर किया गया, जांच के लिए सीबीआई को सौंपा गया लेकिन इंसाफ नहीं मिला। पिछले हफ्ते ही सीबीआई ने कहा था कि इस मामले में अमित शाह के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। लेकिन अंततः सीबीआई कोर्ट ने उन्हें इन मामलों में बरी कर दिया ।