उत्तरांखड विधानसभा की 480 में से 250 नियुक्तियां रद्द, सचिव निलंबित

विधानसभा में भर्तियों का मामला Uttarakhand Assembly Backdoor Recruitment Investigation Report Disclosed Speaker Ritu Khanduri Pressconference
Uttarakhand: जांच समिति की रिपोर्ट के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने रद्द की 250 नियुक्तियां, सचिव सस्पेंड
विशेषज्ञ समिति की जांच रिपोर्ट के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूरी ने जो नियुक्तियां निरस्त की हैं, उनमें 228 तदर्थ हैं और 22 उपनल के माध्यम से। कुल मिलाकर 250 हैं।

नौकरी जाने के बाद विधानसभा में रोती कर्मचारी

विधानसभा भर्ती प्रकरण के संबंध में जांच रिपोर्ट समिति द्वारा गुरुवार को देर रात्रि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को सौंप दी गई है। नियुक्तियों में अनियमितता के मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने बड़ा कदम उठाया है। विधानसभा सचिवालय में विवादों से घिरी 250 नियुक्तियां रद्द करने की सिफारिश की गई है। अब इस मामले में शासन फैसला लेगा। वहीं विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को सस्पेंड कर दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा कि जांच समिति ने माना है कि जो भी तदर्थ नियुक्तियां हुईं थी, वह नियम के खिलाफ थीं। उनके लिए ना तो विज्ञापन निकाला गया, ना रोजगार कार्यालय से कोई आवेदन मंगाए गए।

जांच समिति ने माना है कि इन भर्तियों से संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 का उल्लंघन हुआ है। मूल रिपोर्ट 29 पेज की है जबकि सभी अटैचमेंट के साथ यह रिपोर्ट 2014 पेज की है।

विधानसभा अध्यक्ष के मुताबिक, देहरादून और गैरसैण विधान सभा के लिए पदों का पुनर्गठन होगा। विधानसभा में 2011 से पूर्व भर्ती हुए कर्मचारी नियमित हो चुके हैं, इन पर विधानसभा अध्यक्ष विधिक राय लेगी। उसके बाद ही कोई निर्णय होगा।

विधानसभा में 2016 से 2022 तक कि तदर्थ नियुक्ति निरस्त की गई हैं। पिछले साल हुई 32 पदों की भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है। आरएमएस टेक्नो सोलुशन कंपनी को दिए गए 56 लाख के भुगतान पर सचिव की भूमिका संदिग्ध है। 2021 के ही उपनल से भर्ती 22 नियुक्ति रद्द कर दी गई हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने जो नियुक्तियां निरस्त की हैं, उनमें 228 तदर्थ हैं और 22 उपनल के माध्यम से। कुल मिलाकर 250 हैं। विधान सभा अध्यक्ष ने सचिव मुकेश सिंघल को सस्पेंड कर दिया है।

वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय से बाहर निकली तो उन्हें कर्मचारियों ने घेर लिया। हालांकि बाद में वह कड़ी सुरक्षा के बीच विधानसभा से रवाना हो गईं। नौकरी जाने के सदमे में एक कर्मचारी बेहोश हो गई।

नियुक्तियां गलत हैं तो निरस्त होनी चाहिए : धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडियाकर्मियों से कहा कि विधानसभा में नियुक्तियों से संबंधित मामला उनके सामने आया, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर जांच करने का अनुरोध किया। बकौल धामी, मैंने स्पीकर से कहा था कि जांच में यदि नियुक्तियां गलत हैं तो उन्हें निरस्त किया जाये।

Uttarakhand Assembly Recruitment

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया है। जांच में इन्‍हें नियम विरुद्ध होना पाया गया है। विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों का मामला उजागर होने के बाद कार्मिक विभाग के रिटायर्ड अधिकारियों की समिति को जांच सौंपी गई थी। विधानसभा अध्‍यक्ष के अनुसार वर्ष 2012 से अब तक ये नियुक्तियां हुई थी।

उन्‍होंने कहा कि तत्‍कालीन विधानसभा अध्‍यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल की भूमिका की जांच की जाएगी। वहीं 2012 से पहले हुई नियुक्ति पर विधिक जांच होगी। उन्‍होंने बताया कि समिति ने काबिले तारीफ कार्य किया।

समिति ने नियुक्तियां रद्द करने का प्रस्‍ताव सौंपा है। समिति द्वारा नियमों के खिलाफ हुई नियुक्तियों को रद करने की सिफारिश गई है।

तीन सितंबर को गठित की गई थी जांच समिति

वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने तीन सितंबर को भर्ती प्रकरण की जांच को समिति गठित की थी।
सेवानिवृत्त आइएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने जांच के दायरे में अंतरिम विधानसभा से लेकर चौथी विधानसभा तक हुई सभी नियुक्तियों को लिया था।

बता दें कि वर्ष 2011 में विधानसभा में नियुक्तियों के लिए उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय सेवा नियमावली अस्तित्व में आई, जो वर्ष 2012 से लागू हुई। इस दौरान कांग्रेस के शासनकाल में 150 और भाजपा के शासनकाल में 72 नियुक्तियां की गईं।

विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में हुई नियुक्तियां
अध्यक्ष, नियुक्तियों की संख्या

प्रकाश पंत, 98
यशपाल आर्य, 105
हरबंश कपूर, 55
गोविंद सिंह कुंजवाल, 150
प्रेमचंद अग्रवाल, 72

गुरुवार देर रात जांच समिति ने सौंपी रिपोर्ट

विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि वह दो दिन के अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार के भ्रमण कार्यक्रम पर थीं। गुरुवार देर रात देहरादून उनके शासकीय आवास पर पहुंचने पर जांच समिति ने उन्हें रिपोर्ट सौंप दी।

विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि जांच रिपोर्ट समिति अध्यक्ष डीके कोटिया,एसएस रावत व अवनेंद्र सिंह नयाल ने सौंपी।

*विधानसभा भर्ती प्रकरण की जांच रिपोर्ट पर प्रेस वार्ता में विधानसभा अध्यक्ष का वक्तव्य*

आप जानते हैं कि मैंने आपके माध्यम से अपनी मंशा प्रदेश के सामने रखी थी और कहा था कि युवाओं को निराश नहीं होना है और मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि मैं प्रदेश के युवाओं के आशाओं व अपेक्षाओं पर खरी उतरने का प्रयास करूगीं। मैंने यह भी कहा था कि मैं अनियमितताओं को लेकर कठोर निर्णय लेने में संकोच नहीं करूगीं ।

आज 23 सितम्बर है और ठीक बीस दिन पहले 03 सितम्बर को यहीं पर हम-आपने बातचीत की थी। तब मैने यह वादा भी किया था कि जल्दी ही आपसे फिर मुलाकात होगी।
मैं आप सबको सूचित करना चाहती हूँ कि मुझे कल देर रात विशेषज्ञ समिति से जॉच रिपोर्ट प्राप्त हो गयी है। समिति ने सराहनीय कार्य किया है और निर्धारित अवधि के पूर्व ही रिपोर्ट सौप दी है।

पूरी रिपोर्ट 214 पेज की है। लेकिन इसमे सलंग्नक भी शामिल हैं, जबकि केवल रिपोर्ट का अंश 29 पेज का है। समिति ने विधान सभा सचिवालय के रिकार्ड का परीक्षण करने पर यह पाया है कि वर्ष 2016 तक, वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां की गयी उनमें अनियमितताए थीं तथा इन भर्तियों में विभिन्न पदों के लिये निर्धारित नियमों का पालन नहीं हुआ है। समिति ने विभिन्न न्यायालयों द्वारा नियम विरूद्ध भर्तियों के सम्बन्ध मे समय-समय पर दिये गये आदेशों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि निम्नलिखित कारणों से नियमों के विरूद्ध की गयी इन तदर्थ नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए। समिति ने वर्ष 2016 तक 150 तदर्थ नियुक्तियों, वर्ष 2020 में 06 तदर्थ नियुक्तियों तथा वर्ष 2021 में 72 तदर्थ नियुक्तियों की पहचान कर उन्हें निरस्त करने की सिफारिश की है। समिति ने इस संबंध में जो कारण बताए हैं, वह इस प्रकार है:

1 सेवा के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये निर्धारित चयन समिति का गठन नहीं किया गया। इस प्रकार यह तदर्थ नियुक्तियां चयन समिति के माध्यम से नहीं की गयी है।

2 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई विज्ञापन नहीं दिया गया और न ही कोई सार्वजनिक सूचना दी गयी और न ही रोजगार कार्यालय से नाम मंगाये गये।

3 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन पत्र नहीं मांगे गये, केवल व्यक्तिगत आवेदन पत्रों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गयी।

4 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित नहीं की गयी ।

5 इन तदर्थ भर्तियों के लिये सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नही करके भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 एवं अनुच्छेद-16 का उल्लंघन हुआ है ।

जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि कार्मिक विभाग के 06 फरवरी, 2003 के शासनादेश द्वारा विभिन्न विभागों के अन्तर्गत तदर्थ/संविदा/नियत वेतन / दैनिक वेतन पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाई गयी है। उक्त 06 फरवरी, 2003 के शासनादेश में व्यवस्था उपबन्धित है कि श्रेणी ग तथा घ के किसी भी पद पर दैनिक वेतन / तदर्थ / संविदा / नियत वेतन पर नियुक्ति नहीं की जायेगी। इस प्रकार की नियुक्तियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा ।

पत्रकार बंधुओ, इतनी विस्तृत जानकारी आपके साथ शेयर करने से यह लाभ होगा कि जांच समिति की सिफारिशों के अनुरूप विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैनें जो निर्णय लिये हैं, उनको समझने में आसानी रहेगी।

विधान सभा अध्यक्ष के रूप में जांच समिति की अनुशंसा को स्वीकार करते हुए वर्ष 2016 तक की 150 तदर्थ नियुक्तियों को, वर्ष 2020 की 06 तदर्थ नियुक्तियों को तथा वर्ष 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया है।चूंकि इन तदर्थ नियुक्तियों को शासन का अनुमोदन प्राप्त है, अतः नियमानुसार इन तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के लिये शासन का अनुमोदन लेना आवश्यक है। इन नियम विरूद्ध तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के लिये अनुमोदन हेतु मैं शासन को तत्काल प्रस्ताव भेज रही हूँ। अनुमोदन प्राप्त होते ही नियम विरूद्ध तदर्थ नियुक्तियां तत्काल समाप्त कर दी जाएगी।इसी प्रकार उपनल द्वारा की गयी 22 नियुक्तियों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर रही हूँ ।

मैं आपको यह जानकारी भी देना चाहती हूँ कि विधान सभा सचिवालय द्वारा वर्ष 2021 में 32 विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये आवेदन पत्र मंगाये गये थे, जिसके लिये इस वर्ष 20 मार्च को लिखित परीक्षा भी आयोजित की गयी थी जिसका परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुआ है। इस परीक्षा के लिये लखनऊ की एक प्राईवेट एजेंसी मैसर्स आर०एम०एस० टेक्नोसोल्यूशनस प्रा० लि० का चयन किया गया। इस एजेंसी के कार्यकलाप विवादों में रहे हैं और इस पर पेपरलीक के गंभीर आरोप भी लगे हैं जिसके चलते कम से कम 5 प्रतियोगिता परीक्षा शासन को रदद करनी पड़ी है और अनेक गिरफतारिया भी विधान सभा सचिवालय में नियमों/प्रावधानों का उल्लघंन करते हुए इस एजेंसी का चयन किया गया है इसमे अनेक वित्तीय अनियमितताए भी पायी गयी हैं । उपलब्ध जानकारी अनुसार इस एजेंसी को बिल प्राप्त होने के 02 दिन के अन्दर बैंक से 59 लाख रूपये का भुगतान भी जारी कर दिया गया जिसमें विधान सभा सचिव की भूमिका भी संदेहास्पद पायी गयी है।इस परिपेक्ष्य में विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह निर्णय लिया है कि इन 32 पदों पर हुई परीक्षा को निरस्त किया जाता है तथा एजेंसी की भूमिका की जाँच की जाएगी तथा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह भी निर्णय लिया है कि इस पूरे प्रकरण में विधान सभा सचिव की संदिग्ध भूमिका की जांच की जाए। जांच पूरी होने तक श्री मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाता है, तत्संबंधी आदेश जारी किये जा रहे है।जॉच समिति की रिपोर्ट में दी गयी विभिन्न सिफारिशों सुझावों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
इसमें विधान सभा सचिवालय में कर्मचारियों/अधिकारियों की right sizing, e-office, evidhan, पदोन्नति तथा सेवा नियमों में सुधार शामिल हैं।अंत में, मैं पुनः अवगत कराना चाहती हूँ कि वर्ष 2016 तक की 150 तदर्थ नियुक्तियों की वर्ष 2020 की 06 तदर्थ नियुक्तियों को तथा वर्ष 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के मेरे निर्णय के अनुमोदन के लिये प्रस्ताव शासन को तत्काल भेज रही हूँ।

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